RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
थोड़ी देर में मेरी नौकरानी मैरी आ गई, और अपना काम करने लगी, मैं भी तैयार होने बाथरूम में आ गाया। मुझे थोड़ा शक था कि आज शायद मुझे ब्रा-पैन्टी ना दिखे, पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा जब मैने देखा कि आज फ़िर उसने अपनी ब्रा-पैन्टी धो कर कल की तरह ही जमीन पर छोड़ दी है। कल शायद उससे गल्ती से छूट गया था, पर आज के लिए मैं पक्का था कि उसने जान-बूझ कर छोड़ा है। मुझे लगने लगा कि ये साली पट सकती है। मैंने आज फ़िर उसकी पैन्टी लंड पे लपेट मूठ मारी और माल उसके पैन्टी में डाल दिया। ये वाली पैन्टी कल वाली से भी पुरानी थी, और उसमें भी दो-एक छोटे छेद थे। पर मुझे मजा आया। मैंने अपने माल से लिपसे पैन्टी को ब्रा के साथ सुखने को डाल दिया। शाम को मुझे आने में थोड़ी देर हो गई, मैरी हम दोनों का खाना बना कर जा चुकी थी। मैं जब आया तो सानिया चाय बनाई और हम दोनों गपसप करते हुए चाय पीने लगे। सानिया ने ही बात छेड़ दी-"आज फ़िर आपको मजा आया मेरी सेवा करके?" मैं समझ न सका तो उसने कहा, "वही ४१ ग्राम, सुबह" और मुस्कुराई। मैंने भी कहा- "हाँ, मजा तो खुब आया, पर सानिया, इतने पुराने कपड़े पहनो, फ़टे कपड़े पहनना शुभ नहीं माना जाता"। वो समझ गई, बोली- "ठीक चाचु, आगे से ख्याल रखूँगी।" मैंने देखा कि बात सही दिशा में है तो आगे कहा-"अच्छा सानिया, थोड़ा अपने पर्सनल लाईफ़ के बारे में बताओ। जमील कह रहा था कि तुम्हारा किसी लड़के के साथ चक्कर था। अगर न बताना चाहो तो मना कर दो।" वो थोड़ी देर चुप रही फ़िर उसने रेहान के बारे में कहा, जो उसके साथ स्कूल में ५ साल पढ़ा था। दोनो अच्छे दोस्त थे। पर ऐसा कुछ नहीं किया कि उसको इतना डाँटा जाए, रेहान तो फ़िर उस डाँट के बाद कभी मिला भी नहीं। अब तो वो उसको अपना पहला क्रश मान ली थी। मैं तब साफ़ पूछ लिया-"क्यों, क्या सेक्स-वेक्स नहीं किया उसके साथ?" वो अपने गोल-गोल आँख घुमा कर बोली-"छीः, क्या मैं आपको इतनी गन्दी लड़की लगती हूँ, रेहान मेरा पहला प्यार था, अब कुछ नहीं है?" मैंने मूड को हलका करने के लिए कहा-"अरे नहीं बेटी तुम और गन्दी, कभी नहीं, हाँ थोड़ी शरारती जरूर हो, बदमाश जो अपनी ब्रा-पैन्टी अपने चाचु से साफ़ करवाती हो।" वो बोली-"गलत चाचु, साफ़ तो खुद करती हूँ, आप तो सिर्फ़ सुखने को डालते हो।" हम दोनों हँसने लगे। फ़िर खाना खा कर टहलने निकल गए। बातों बातों में वो अपने कौलेज के बारे में तरह तरह की बात बता रही थी, और मैं उसके साथ का मजा ले रहा था। तीसरे दिन भी सुबह सानिया के चेहरे पर नजर डाल कर ही शुरु हुई। उस दिन मैरी थोड़ा सवेरे आ गयी थी, सानिया का नास्ता बना रही थी। मैं भी अपने औफ़िस के काम में थोड़ा बीजी था, कि सानिया तैयार हो कर आई। मैंन घड़ी देखे -८.३०। सानिया बोली- "चाचु आज भी रख दिया है मैंने आपके लिए ४१ ग्राम.... और आज धोई भी नहीं हूँ", और वो चली गयी। मैंने भी अब जल्दी से फ़ाईल समेटी और तैयार होने चला गया। आज बाथरूम में थोड़ी सेक्सी किस्म की ब्रा-पन्टी थी और उससे बड़ी बात कि आज सानिया ने उसपर पानी भी नहीं डाला था। दोनो एक सेट की थी, गुलाबी लेस की। इतनी मुलायम की दोनों मेरी एक मुठी में बन्द हो जाए। मैंने पैन्टी फ़ैलाई-स्ट्रिन्ग बिकनी स्टाईल की थी। उसके सामने का भाग थोड़ा कम चौड़ा था, करीब ४ इंच और नीचे की तरफ़ पतला होते होते चुत के उपर २ इंच का हो गया था, फ़िर पीछे की तरफ़ थोड़ा चौड़ा हुआ पर ५ इंच का होते होते कमर के इलास्टिक बैंड मे जा मिला।
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