RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
मैंने उसे सूँघा, पर उसमें से साबुन की हीं खुश्बू आई। फ़िर भी मैंने ऐसे तो कई बार उसके नाम की मुठ मारी थी, पर आज उसकी पैन्टी से लन्ड रगड़-रगड़ कर मूठ मरा और अपना माल उसके पैन्टी के घीसे हुए हिस्से पर निकला और फ़िर बिना धोये ही पैन्टी-ब्रा को सुखने के लिए डाल दिया। मेरे दिमाग में अब ख्याल आने लगा कि एक बार कोशिश कर के देख लूँ, शायद सानिया पट जाए। पर मुझे अब देर हो रही थी सो मैं जल्दी-जल्दी तैयार हो कर निकल गया। शाम को करीब ७ बजे मैं घर आया, सानिया बैठ कर टीवी देख रही थी। उसने ही मुझे चाय बना कर दी। हम दोनों साथ चाय पी रहे थे, जब मैंने कहा-"तैयार हो जाओ, आज बाहर हीं खाना है।" खुशी उसके चेहरे पे झलक गई, और मैं उसके उस सलोने से चेहरे से नजर हटा न पाया। हम लोग इधर-उधर की बात कर रहे थे, तभी उसे ख्याल आया, बोली-"सौरी चाचा, आज आपके बाथरूम में गलती से मेरा कपड़ा रह गया। असल में मेरे जाने के बाद अम्मी जब सारे घर को ठीक करती है, तो वो ये सब भी कर देती है। कल से ऐसा नहीं होगा।" उसके चेहरे पे सारी दुनिया की मासुमियत थी। मैंने भी प्यार से कहा-"अरे, कोई बात नहीं बेटा, मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। तुम तो धो कर गई ही थी, मैंने तो सिर्फ़ सुखने के लिए तार पर डाल दिया।" फ़िर थोड़ी शरारत मन में आई तो कह दिया-"वैसे भी तुम तो खुद १० किलो की हो, तो तुम्हारी ब्रा-पैन्टी तो १० ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए न। उसको सुखने डालने में कोई मेहनत तो करना नहीं पड़ा मुझे।" उसने अपनी बड़ी-बड़ी आँखो को गोल-गोल नचाया-"पुरे ४१ किलो हूँ मैं"। मैंने तड़ से जड़ दिया-"ठीक है फ़िर तो मैं सुधार कर देता हूँ, फ़िर ४१ ग्राम होगी ब्रा-पैन्टी।" वो मुस्कुरा कर बोली-"मेरा मजाक बना रहें हैं, मैं तैयार होने जा रहीं हूँ।" और वो अपने रूम में चली गई, मैं अपने रूम में। कोई आधे घन्टे बाद हम घर से निकले। सानिया ने एक गहरे हरे रंग की कैप्री और गुलाबी टौप पहनी थी। बालों को थोड़ा उपर उठा पोनीटेल बनाया था, पैर में बिना मोजा रीबौक के जूते। मैं उसकी खुबसुरती पर मुग्ध था। हम लोग पैदल हीं एक घंटा घुमे और फ़िर करीब ९ बजे एक चाईनीज रेस्ट्रां मेम खाना खा कर १० बजे तक घर आ गए। थोड़ी देर टीवी देखने के बाद अरीब ११ बजे सानिया अपने रूम में और मैं अपने रूम में सोने चले गए। सानिया के बारे में सोचते सोचते बड़ी देर बाद मुझे नींद आई। अगले दिन करीब ६ बजे सानिया ने मुझे जगाया, वो सामने चाय ले कर खड़ी थी। मेरे दिमाग में पहला ख्याल आया कि आज का दिन अच्छा हो गया, उसकी सलोनी सूरत देख। हमने साथ चाय पी। वो तब मेरे बिस्तर पे बैठी थी। उसने एक नाईटी पहनी हुई थी जो उसके घुटने से थोड़ा नीचे तक थी। रेडीमेड होने के कारण थोड़ा लूज थी, और उसके ब्रा के स्टैप्स दिख रहे थे। आज उसे ८.३० बजे निकलना था, सो वो बोली-"आप बाथरूम से हो लीजिए तब मैं भी नहा लूँगी, आज थोड़ा पहले जाना है"। मैं जब बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि उसने मेरा बिस्तर ठीक कर दिया है, और अपने कपड़े के साथ मेरे बेड पे बैठी है। जब वो बाथरूम की तरफ़ जाने लगी तब मैंने छेड़ते हुए कहा, आज भी अपना ४१ ग्राम छोड़ देना। वो यह सुन जोर से बोली-छीः, और हल्के से हँसते हुए बाथरूम का दरवाजा लौख कर लिया। मैं बाहर बैठ पेपर पढ़ रहा था, जब वो बोली-"मैं जा रही हूँ चाचु, करीब १ बजे लौटूँगी, मेरा लंच बनवा दीजिएगा, नस्ता मै कैंटीन में कर लूँगी।" मैं उसको पीले टाईट सलवार कुर्ते में जाते देखता रहा, जब तक वो दिखती रही। उसकी सुन्दर सी गांड हल्के हल्के मट्क रही थी।
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