Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:50 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील और रूबी ने एक दूसरे को बुरी तरहा जाकड़ लिया. सुनील ने इस लिए की रूबी ज़्यादा ना हीले डुले और रूबी ने इसलिए के उसे बहुत दर्द हो रहा था, सुनील कोई और हरकत ना करे.

सुनील की पीठ में भी हल्की हल्की टीस शुरू हो गयी थी, पर उसने परवाह ना करे और रूबी के होंठों का रस चूसने में लग गया.

कुछ पल बाद रूबी की पकड़ खुद ढीली पड़ गयी और उसकी कमर ने हिचकोला खाया जैसे सुनील को आगे बढ़ने का इशारा कर रही हो.

सुनील ने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिए. रूबी की आह आहह उम्म्म्म उफफफफफ्फ़ दर्दीली सिसकियाँ फूटने लगी.

कुछ देर बाद रूबी को मज़ा आने लगा और सिसकियों में बदलाव आ गया साथ ही रूबी की कमर हिलने लगी, सुनील ने अपनी स्पीड बड़ाई और जब देखा रूबी भी उसकी की स्पीड की तरहा अपनी कमर उछाल रही है और फट से दो तेज धक्के मारे और अपना पूरा लंड अंदर घुसा दिया ...

म्म्म्मँममममममममममममममाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ रूबी इतनी ज़ोर से चीखी कि दूसरे कमरे में बैठी सवी तक कांप गयी .

सुनील रुक गया और रूबी को संभालने लगा, इस बार रूबी को कुछ ज़्यादा दर्द हुआ था इस लिए उसे कुछ वक़्त लगा संभलने में.

फिर सुनील ने अपना वजन अपने हाथों में लिया और धीरे धीरे धक्के शुरू कर दिए, और रूबी भी उसका साथ देने लगी.

ओह सुनील, लव यू जान , लव मी आह उम्म्म्म, यस यस, फास्टर मोर फास्टर, रूबी धीरे धीरे बेकाबू होने लगी, जिस्म में तरंगों के जाल फैल चुके थे, चूत लगातार बेतहासा रस बहा रही थी और सुनील का पूरा लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था.

फिर सुनील ने रूबी के होंठों को चूमते हुए अपनी स्पीड बढ़ा दी और रूबी भी उसका साथ देने लगी.

फिर धीरे धीरे दोनो ही स्पीड पकड़ते चले गये और कमरे में उनके जिस्मों के टकराने की थप थप और रूबी की चूत से निकलता संगीत फॅक फॅक फॅक फैलता चला गया.

कुछ समय बाद दोनो एक साथ झाडे और कस के एक दूसरे से चिपक गये. दोनो पसीने से तर बतर हो चुके थे. कमरे में दोनो के दिल की तेज धड़कन और साँसों की ध्वनि घुंज रही थी. जब सुनील की साँस थोड़ी संभली तो वो रूबी के उपर से हट उसकी बगल में लेट गया और प्यार से उसके गालों पे किस करने लगा. रूबी आनंद के महा सागर में इतना खो गयी, के कब उसकी आँख लगी पता ना चला.

सुनील उठ के बाथरूम गया और नहा के बाहर आया साथ ही वो एक गरम तोलिया ले आया जिससे उसने धीरे से रूबी की चूत को सॉफ किया, गर्माहट से रूबी को और सकुन मिला और उसकी नींद और गहरी होती चली गयी.

सुनील ने उसे चद्दर से ढका और लिविंग रूम में आ कर बैठ गया. अब उसका सारा ध्यान सूमी और सोनल पे था.

अचानक सुनील को ध्यान आता है कि नहाने के बाद वो नंगा ही चला आया लिविंग रूम में, उठ के वो बिना कोई आवाज़ किए कमरे में जाता है, रूबी बेसूध सोई पड़ी थी, उसे देख सुनील को उसपे बहुत प्यार आता है, पर दिल ने जैसे उस प्यार पे कुछ डोरियाँ बाँध दी थी, जिंदगी के इस सफ़र पे वो आगे तो बढ़ गया था, पर कहीं ना कहीं उसके दिल में एक दुख ज़रूर था, आज भी कभी कभी वो ये सोचने लगता था कि काश डॅड ने वो हुकुम ना दिया होता, तो आज जिंदगी किसी दूसरी राह पे होती, और जब भी वो कुछ ऐसा सोचता उसके सामने सागर का चेहरा आ जाता, जो उससे सवाल करने लगता - क्या मैने तुझ पे भरोसा कर के ग़लत किया? और यहीं सुनील फिर टूट जाता और सर झटक इस राह पे आगे बढ़ जाता.

चुप चाप उसने अपने लिए एक शॉर्ट निकाला अलमारी से और पहन के फिर लिविंग रूम में आ गया.

सुबह होने में अभी कुछ देर थी और ये वक़्त वो होता है जब संसारिक हलचल बहुत कम होती है. सुनील लिविंग रूम के बाहर आ पूल के किनारे पे बैठ सूरज जहाँ से निकलता है उस तरफ मुँह कर के ध्यान लगा के बैठ गया. शायद यही वक्त उसे अगी ने बताया था ध्यान लगाने के लिए अगर वो अगी से कुछ बात करना चाहता हो.

सुनील को ध्यान लगाए कुछ देर हुई थी कि अगी की आकृति उसकी आँखों के सामने लहराने लगी 

अगी : तुम्हें मुझे बुलाने की अब कोई ज़रूरत नही पड़ेगी, तुम्हारे अंदर जो भी ताम्सिक भावनाएँ थी वो नष्ट हो चुकी हैं और जो शक्तियाँ तुम्हें दी हैं उन्हें पहचानो और उनका सही उपयोग करो.

इतना कह अगी लुप्त हो गया पर सुनील का ध्यान नही टूटा, वो इस समय सूमी के दिमाग़ में पहुँच चुका था और उसके पीछे मुंबई में क्या क्या हुआ सब एक चल्चित्र की तरहा उसकी आँखों के आगे घूमने लगा.

सुनेल के वो शब्द जब सुनील के कनों से गुज़रे तो सुनील को यकीन ना हुआ.

सुनील ने फिर सुनेल से तार बैठाने की कोशिश करी, पर उसमें सफल ना हुआ. शायद ये ग़लत वक़्त था सुनेल से रबता करने के लिए.

इसके बाद सुनील का ध्यान खुद टूट गया और उसके कानों में चिड़ियों के चहचाने का स्वर गूंजने लगा.

सुबह हो चुकी थी.

तभी सवी दो कप कॉफी के ला कर उसके पास आ कर बैठ गयी, उसकी लाल आँखें बता रही थी कि वो पूरी रात सोई नही.

सुनील ने उसके हाथ से कॉफी ले ली उसे थॅंक्स बोला और उठ के रेलिंग के पास खड़ा हो गया और धीरे धीरे कॉफी की चुस्कियाँ लेने लगा.

सवी भी उठ के उस के पास जा कर खड़ी हो गयी.

एक क्षण के सोवे हिस्से से भी शायद कम, सवी के चेहरे पे मुस्कान का पुट आया था, जो सुनील से छुप ना सका और सुनील के कान खड़े हो गये. उसे कुछ ग़लत महसूस हुआ और वो सवी के दिमाग़ में घुस गया. सुनील ने भरसक कोशिश करी कि अपनी मुस्कान को ना डूबने दे, पर जैसे जैसे वो सवी के दिमाग़ में छुपी उसकी ख्वाहिश को समझता गया, वैसे वैसे उसके भाव कठोर होते गये.

सवी उस वक़्त सामने समुद्र पे अठखेलियाँ करती हुई डॉल्फ्फिन्स को देखने में मग्न थी.

इंसान हर गुनाह माफ़ कर देता है, पर जब भावनाओं से खेला जाता है तब वो माफ़ नही कर पाता.

सवी के दिमाग़ की परतों में छुपे रहस्यों को जान कर सुनील जहाँ कठोर होता जा रहा था वहीं उसका दिल रो रहा था. अगर अगी ने उसे ये शक्ति ना दी होती तो वो हमेशा अंजान रहता और एक दिन वो सूमी और सोनल को पूरे परिवार समेत खो बैठता.

अब उसके सामने सबसे बड़ा सवाल था सवी से छुटकारा पाना. चाहता तो उसके दिमाग़ की परतों को तहंस नहस कर देता और उसे एक खाली स्लेट बना देता, पर ये कुदरत के नियम के खिलाफ था और अगी ने उसे सख़्त हिदायत दी थी, कि वो इस शक्ति का इस्तेमाल सिर्फ़ और सिर्फ़ बचाव के लिए करेगा, उसका कोई ग़लत इस्तेमाल नही करेगा. जिस दिन उसने कुदरत के नियमो के खिलाफ इस शक्ति का इस्तेमाल किया, ये शक्ति उससे छिन जाएगी और फिर अगी भी कभी उसकी कोई सहायता नही करेगा.

यही कारण था कि उसने सुनेल के दिमाग़ में भी कोई खलल नही डाला था.

होनी को वो बदल नही सकता था, पर मानवी षडयंत्रों को जान कर उन्हे रोक सकता था.

उसका एक़मात्र लक्ष्य अब सिर्फ़ सूमी/सोनल और रूबी की सुरक्षा थी अपने बच्चो समेत.

सवी ने जो जलन के भाव दिखाए थे रूबी के खिलाफ वो भी सवी का एक नाटक था सुनील के दिल में उतरने के लिए.

सुनील इस वक़्त बेसब्री से इंतजार कर रहा था सूमी और सोनल के आने का, सवी के अंदर की परतें जानने के बाद उसे मिनी पे भी शक़ होने लगा था, ये सुनेल को छोड़ना उसे एक मात्र ड्रामा लग रहा था ताकि ये लोग कहाँ जाते हैं उसकी खबर मिनी सुनेल को दे सके.

सुनील इन ख़यालों में था के रूबी तयार हो कर बाहर आ गयी, उसकी चाल में कुछ लड़खड़ाहट थी, पर चेहरे पे सकुन था, एक खुशी थी, वो पूरी तरहा तयार नही हुई थी, बस नहा कर एक गाउन पहन लिया था और तीनो के लिए कॉफी बना लाई थी.

दोनो को गुड मॉर्निंग विश कर उसने कॉफी वहीं बाल्कनी में पड़ी टेबल पे रखी और सुनील से सट के उसके गालों को चूम लिया, रूबी के जिस्म से निकलती भीनी मनमोहक सुगंध सुनील को यथार्थ में वापस ले आई, उसने रूबी के गाल को चूम लिया और उसे अपने से चिपका लिया.

ये देख सवी और भी भूनबुना गयी, क्यूँ कि सुनील ने उसके साथ ऐसा बर्ताव नही किया था.

सवी के चेहरे पे बदलते रंगों को रूबी भी कनखियों से देख रही थी, सवी के बर्ताव से वो बहुत दुखी थी, पर चेहरे पे कोई भाव नही ला रही थी, नही चाहती थी के सुनील इस बात से दुखी हो, कि शादी होते ही रंग बदलने लग गये, उसने सुनील से जो वादा किया था, वो अपने वादे पे खरा उतरना चाहती थी, चाहे कितने भी कड़वे घूँट क्यूँ ना पीने पड़े.

अंदर ही अंदर उसे इस बात का बहुत ताज्जुब था कि यकायक सवी को क्या हो गया. वो कल की सवी कहाँ गयी, ये सवी तो उसे कोई और ही लग रही थी.

आज पहली बार उसके माँ में ये ख़याल आ गया, काश सूमी उसकी असली माँ होती, काश वो भी सागर और सूमी की बेटी होती. ना चाहते हुए भी आँखों के कोर में दो आँसू की बूँदें जमा हो गयी, जिनको छलकने से रोकने के लिए उसने सुनील की छाती पे अपना मुँह रगड़ डाला. पर सुनील से उसका दर्द छुपा नही था.

सुनील ने हाथ में पकड़ा कॉफी का आधा ख़तम किया कप रख दिया और रूबी का लाया हुआ कप उठा लिया.

एक दो घूँट भरने के बाद सुनील बोला.

'तुम दोनो पॅकिंग कर लो, हम आज बंग्लॉ चेंज कर रहे हैं'

सवी तो सवालिया नज़रों से सुनील को देखने लगी, और रूबी 'जी' कह के जाने लगी तो सुनील ने उसे रोक लिया.

'अरे आराम से कॉफी पियो पहले कोई ट्रेन नही छूटने वाली'

रूबी ने भी अपना कप कॉफी का उठा लिया.

सवी सुनील को देख रही थी. ' जैसे पूछ रही हो- ऐसे क्या ज़रूरत पड़ गयी जो बंग्लॉ चेंज किया जा रहा है.

सुनील ने उसकी नज़रों मे बसे सवाल को पहचान के भी अनदेखा कर दिया.

तभी सुनील के मोबाइल पे दो एसएमएस आते हैं, उन्हें देख सुनील खिल उठता है.

वो उसी वक़्त रिसेप्षन पे फोन कर एक 5 रूम के वॉटर बंग्लॉ में शिफ्ट होने को बोलता है.

फिर रूबी और सवी को पॅकिंग करने का बोल शिफ्ट होने को कहता है, पोटेर्स आ कर समान ले जाएँगे. और खुद किसी ज़रूरी काम का बोल एरपोर्ट के लिए निकल पड़ता है.
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