RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
आज मिनी ने फिर एक बार सोनल का वही चन्डी रूप देखा था जो एक बार पहले देख चुकी थी.
'क्या है ये सब सुनेल, तुम तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो, क्या तुम वही सुनेल हो, जिससे मैने प्यार किया था, ये सुनील के लिए अपनी जान दाँव पे लगाना, सवी के लिए भाग के आना, ये ये सब क्या था फिर.'
'मुझे नही पता, सब कुछ सुनेल को ही क्यूँ मिले, आख़िर मेरा भी तो उतना ही हक़ है, मेरे अंदर कोई वासना नही, मैं चाहता हूँ अब माँ और दीदी मेरे साथ रहें.'
'नही ये ड्रामेबाजी छोड़ो, तुम्हारा नक़ाब उतर गया, तुमने उस चन्डी को जगा दिया जिसके आगे सब पनाह माँगते हैं, सुनील की असली ढाल सोनल है और सोनल का वजूद सुनील में है, तुम ये भूल कैसे गये, ये दोनो सुनील की पत्नियाँ हैं अब'
'हां हां पता है उस हरामजादे ने हराम खोल लिया है'
'तुम तुम वो नही रहे, मैं जा रही हूँ, डाइवोर्स पेपर्स भेज दूँगी, आइ हेट यू' मिनी जिसके जखम अभी पूरी तरहा भरे नही थे अब भी उनमें टीस बाकी थी, वो जखम कुछ भी ना रहे इस जख्म के आगे जो आज उसकी आत्मा ने खा लिया था, टूट गयी थी वो, बिखर गयी थी वो और संभालने कोई नही था, कोई नही.
कल, आज और कल के बीच पिसती चली जाती है जिंदगी, यही इन सबके साथ हो रहा था.
मिनी के जाने का सुनेल पे जैसे कोई असर ना पड़ा. वो उसी तरहा रहा और छत को घूरता हुआ जाने क्या क्या सोचने लगा.
हॉस्पिटल के बाहर सोनल और सूमी टॅक्सी का इंतेज़ार कर रही थी, के सोनल ने बिलखती हुई मिनी को बाहर निकलते देख लिया, ना चाहते हुए भी उसने मिनी को पास बुलाया और तीनो विजय के घर की तरफ चल पड़ी.
मुंबई रास ना आई थी तीनो को.
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सुनील का मन विचलित होने लगा था, कुछ कहीं ग़लत हुआ है, बार बार उसे यही लग रहा था.
सूमी सुनील को पुकारना चाहती थी, पर खुद को रोक रही थी, नही चाहती थी कि उसके हनिमून में कुछ बाधा आए, पर उसका दिल बहुत दुखी था, सवी की मजबूरी तो वो समझ सकती थी, पर सागर, उसने इतनी बड़ी बात क्यूँ छुपाई, जब सवी ने उसे सच बता दिया था, फिर क्यूँ उसने सुनेल को दूर रहने दिया. ये बात सूमी को खाए जा रही थी. कल जो आनेवाला होता है कभी आता नही और कल जो बीत जाता है ऐसी परछाईयाँ छोड़ जाता है जिन्हें कोई मिटा नही सकता वो कभी ना कभी आज से ताल्लुक जोड़ लेती हैं.
जो प्यार सूमी के अंदर सागर के लिए था वो टूट रहा था, वो विश्वास ख़तम हो रहा था, अगर आज सूमी अकेली होती, तो शायद वो जी ही ना पाती.
ना सिर्फ़ सूमी का दिल दुखी था, एक आस जो सोनल के दिल में बँध गयी थी, भाई के प्यार की, वो भी ख़तम हो गयी थी, और अपने कमरे में बैठी मिनी रोती हुई सोच रही थी, उसका क्या गुनाह था, उसके साथ ऐसा क्यूँ हुआ.
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