RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील ने अपनी चाबी से दरवाजा खोला, सारा समान वेटर ले कर आया था जो उसे हॉल में रख चला गया लेकिन जाने से पहले सुनील का ऑर्डर नोट करता चला गया.
सवी उस वक़्त सो रही थी, शायद जो दवाई उसने ली थी उसका असर था. सुनील ने सवी को सोने दिया.
और रूबी के साथ दूसरे कमरे में चला गया. रूबी बाथरूम में घुस गयी और सुनील स्कॉच का पेग बना टीवी ऑन कर बैठ गया और अपनी थकान उतारने लगा.
तभी सूमी का फोन आ गया, कुछ देर तो दोनो फोन पे मस्ती करते रहे, फिर सुनेल वगेरह से बातें हुई, सूमी की आवाज़ में कुछ दर्द था जो सुनील पहचान गया, पर अभी उसने कुरेदा नही, वो सब सूमी के मुँह से ही सुनना चाहता था, तब तक रूबी बाथरूम से आ गयी और सूमी के कहने पे सुनील ने रूबी को फोन दे दिया.
सूमी का रूबी से बात करने का लहज़ा बिल्कुल अलग था सूमी एक सौतेन की तरहा नही एक मासी की तरहा उससे बात कर रही थी, और रूबी को सूमी में उस वक़्त सौतेन नही माँ ही नज़र आ रही थी, सूमी काफ़ी देर रूबी को समझाती रही और रूबी हाँ हूँ हाँ नही बस ऐसे ही जवाब देती रही.
इधर सूमी का फोन ख़तम हुआ उधर ब्यूटीशियंस आ गयी रूबी को तयार करने के लिए.
सुनील हॉल में चला गया और आराम से ड्रिंक करने लगा.
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कहते हैं एक औरत, बड़े से बड़ा जुर्म माफ़ कर देती है, लेकिन एक जुर्म वो कभी माफ़ नही करती, उसकी फ़ितरत में भी उस जुर्म को माफ़ करना नही होता, जिस प्यार के महल में वो अब तक जीती आई वो टूट गया था, बस एक ही आदमी के प्यार ने उस को बिखरने से बचा लिया, क्यूंकी उसकी निशानी अब गोद में आ चुकी थी.
नफ़रत के बवंडर उसके अंदर से निकल रहे थे जो पता नही क्या क्या खाक कर डाले.
'नही माँ, नही, सम्भालो खुद को, ख़तम कर दो इस नफ़रत की आँधी को वरना कोई नही बचेगा, कम से कम उनके बारे में तो सोचो, उनपे क्या गुज़रेगी, टूट जाएँगे वो, इन बच्चों के बारे में सोचो जिनकी जिंदगी का आधार हम हैं, इनसे तो वो खुशिया मत छीनो जो इन्होंने अभी महसूस ही नही की'
आज कितने समय बाद सोनल ने सूमी को माँ कहा था.
रिश्ते बदल के भी नही बदलते, वो अपनी बुनियाद से दूर नही भाग सकते, जो कल हुआ था उसका असर आज पे तो पड़ता ही है.
सूमी बिलख बिलख के रोने लगी. सोनल का पारा चढ़ता चला गया.
सूमी को वहीं ऐसे छोड़ वो सुनेल के कमरे में घुस्स गयी और बरस पड़ी उसपे.
'शूकर कर अभी सुनील को नही पता, जो तूने किया है, चला जा यहाँ से, तेरी सारी चाल मैं समझ गयी हूँ, जो तू चाहता है वो कभी नही होगा. एक खून लेकिन फ़ितरत कितनी अलग, ये सागर डॅड की ही परवरिश है जो आज सुनील ऐसा है जिसे सब चाहते हैं, और एक तू जो खुद को रखवाला दिखाने की कोशिश कर रहा था उसके पीछे कितना घिनोना चेहरा है, जिनके लिए तू आया है कमिने, उनसबको तूने खुद ही दूर कर डाला. थू है तुझ पे'
'दीदी...'
'मत बोल अपनी गंदी ज़ुबान से दीदी मुझे'
'हां दीदी कहाँ अब तो तुम भाभी बन गयी हो!' सुनेल का चेहरा बोलते हुए विकृत हो गया. पास बैठी मिनी को यकीन ही नही हुआ कि ये सब सुनेल के मुँह से निकला वो चीखती हुई खड़ी हो गयी...' सस्स्सुउुुउउनन्नईएईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल'
'तो देवर जी, इस भाभी के ख्वाब छोड़ दो, वरना जल जाओगे'
'मिनी संभाल के रखना इस कुत्ते को, अगर विधवा हो गयी तो मुझे मत कोसना बाद में' नफ़रत भरी नज़र डाल, सोनल बाहर निकल गयी.
'चलो माँ यहाँ से चलो अभी इसी वक़्त' सोनल रोती हुई सूमी को ज़बरदस्ती खींच के ले गयी.
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