Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:48 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सवी की पलकें बंद हो गयी और वो प्यार के सागर में गोते लगाने का प्रयास करने लगी जिसकी तरफ सुनील उसे धीरे धीरे ले जाने लगा. अगी ने यही तो शक्ति दी थी सुनील को वो जिसको दिल से प्यार करेगा, उसे प्यार का सही अर्थ समझ में आने लगेगा.

प्यार- प्यार- प्यार बस यही है असली जीवन का सार.

सुनील के हाथ सवी के जिस्म पे फिरने लगे. लरजती हुई सवी के हाथ सुनील की पीठ को सहलाने लगे, सुनील ने फिर अपना ध्यान फिर सवी के उरोज़ पे लगा दिया और एक निपल को ऐसे चूसने लगा जैसे अभी उनमें से दूध निकल आएगा. सवी का दिलो दिमाग़ अब सॉफ हो चुका था हर तरफ बस उसे प्यार ही प्यार दिखाई दे रहा था और महसूस हो रहा था, यही होता है आत्मिक मिलन जो इस वक़्त सवी और सुनील के बीच हो रहा था जिसका प्रमाण सूमी और सोनल को मिल रहा था, दोनो की आत्माएँ प्रसंचित हो गयी थी, एक शन्सय जो उनके दिमाग़ में था वो मिट गया था. 

सुनील और सवी की आत्माओं के आतम्सात के साथ सूमी और सोनल की आत्माएँ भी मिल गयी थी, जो अहसास इस वक़्त सवी को हो रहा था वही अहसास इसी वक़्त सूमी और सोनल को भी हो रहा था.

आह उम्म्म ओह्ह्ह्ह उूउउम्म्म्मममाआआआ चारों और सवी की सिसकियों का साम्राज्ये स्थापित हो गया था, संगीत के सात सुरों की लाई में निकलती सिसकियों का आनंद समुद्र में पनपते जीव भी लेने लगे और बार बार सतह पे आते फिर गोता खाते और फिर सतह पे आ जाते.

वातावरण इतना कामुक हो गया के सामुद्री जीव भी इसके वार से बच ना पाए और उनमें भी प्रेम रस की बरसात होने लगी.

सवी के साँसे तेज होती चली गयी और जैसे ही सुनील की ज़ुबान सवी की नाभि में घुसी, सवी का जिस्म फुट भर उपर उछल पड़ा, अहह!!!!!! एक जोरदार सिसकी के साथ वो ढह गयी और उसकी चूत ने सारे बाँध खोल दिए, बिना लंड से मुलाकात किए बिना आज पहली बार सवी अपने चर्म को प्राप्त हुई थी, उसका जिस्म काँपने लगा और सुनील ने उसे अपने इस आनंद को आतम्सात करने दिया और सवी के चेहरे को निहारने लगा.

चारो तरफ से उफ्फन्ति हुई प्रेम रस की लहरों ने समुद्र में ज्वारभाटे को उत्पन्न कर दिया और इस सब से बेख़बर सवी ने अपने आनंद को सोख कर जब आँखें खोली तो सामने सुनील का चेहरा था वो उठ के सुनील से लिपट गयी और उसके चेहरे को बोसो से भर दिया.

होंठों को जब होंठों के रस का चस्का चढ़ जाए तो भला वो ज़्यादा देर तक दूर कैसे रहते, बोसे लेती हुई सवी कब सुनील के होंठों को पीने लगी ये दोनो को ही पता ना चला और सुनील भी उसके होंठों की मिठास में खो गया.


रात धीरे धीरे सरक रही थी चाँद साथ में सरकता हुआ अपनी नज़रें इन्पे गढ़ाए हुए था और भाव विभोर हो रहा था.

कभी सुनील सवी के उपर होता तो कभी सवी उसके उपर दोनो गुत्थम गुत्था होते चले गये, जिस्मो का तापमान इतना बढ़ा के बादल भी मजबूर हो गये बरसने को.

बारिश में भीगते दो बदन जितना ठंडी पानी के बूंदे उन्हें शीतलता प्रदान करने का प्रयास करती काम और रति उतनी ही उर्जा उनके अंदर भरते रहते, एक युद्ध सा छिड़ चुका था बारिश के प्रयास में और जिस्मों की ताप के बीच, कोई हारने को तयार नही था और प्रेम रस में भीगी दो आत्माएँ इन सब से परे अपने आनंद लोक में खोई हुई थी, जिस्म वही कर रहे थे जो आत्माएँ चाहती थी, एक अभूत पूर्व संगम की ओर अग्रसर.

'अब नही सहा जाता' सवी का जिस्म बार बार पुकार रहा था, उसके बदन के कंपन को सुनील भी महसूस कर रहा वक़्त आ चुका था. बारिश बहुत तेज हो गयी थी, काफ़ी देर से दोनो बारिश में भीग रहे थे, सवी कहीं रोमांच के चक्कर में बीमार ना पड़ जाए, ये सोच सुनील उस से अलग हुआ और उसे गोद में उठा कर कमरे में ले गया जहाँ सुहाग सेज इनका कब्से इंतजार कर रही थी.

सुनील ने सवी को बिस्तर पे लिटा दिया और बिस्तर पे फैली गुलाब की पट्टियाँ सवी के जिस्म से यूँ चिपकी के कभी अलग ना हों और सवी का जिस्म गुलाब की खुश्बू से तरबतर हो गया.

सुनील बाथरूम से तोलिये ले आया और खुद सवी के जिस्म को पोंछने लगा, कमरे में आते ही सवी को थोड़ी ठिठुरन सी हुई पर सुनील के द्वारा जिस्म को रगडे जाने से दूर हो गयी, बिस्तर काफ़ी गीला हो गया था पर अब किसे इस बात की परवाह थी, सुनील ने सवी के जिस्म को पोंछ के खुद के जिस्म को भी बारिश के पानी से मुक्त किया और मिनी फ्रिड्ज खोल एक स्कॉच का एक पाइंट नीट ही गटक गया जो गले को चीरती हुई पेट तक पहुँची और जिस्म में एक दम तेज गर्मी का तूफान सा आ गया.

खाली बॉटल फेंक सुनील सवी से चिपक गया और और सवी ने अपनी टाँगें फैला दी, सुनील का लंड सवी की चूत पे दस्तक देने लगा, जो काफ़ी गीली हो चुकी थी, पर सूमी की पहले कही गयी बात को याद कर सवी ने अस्ट्रिंजेंट का इस्तेमाल कर लिया था इसलिए उसकी चूत इतनी टाइट हो गयी थी, कि आसानी से सुनील का मोटा लंड उसमें नही समा सकता था.

चाहे सवी कुँवारी नही थी, पर वो भी सुनील को वही सुख देना चाहती थी जो सूमी ने दिया था, सुनील ने उसकी कमर को पकड़ ज़ोर का एक झटका लगाया और और सुनील का लंड सवी की चूत को फैलाता हुआ थोड़ा अंदर घुस गया, दर्द के मारे सवी की चीख निकल गयी, पर इस दर्द का उसे कब से इंतजार था. सुनील झुक के उसके होंठ चूसने लग गया और जब सवी के दर्द का अहसास थोड़ा कम हुआ तो सुनील ने ताबड तोड़ तीन चार तेज धक्के मारे और सवी की चीखों की परवाह ना करते हुए पूरा लंड अंदर घुसा दिया.

कुछ के लिए सुनील रुक गया और सवी के निपल चूसने लग गया, धीरे धीरे सवी का दर्द कम हुआ और सुनील के धक्के शुरू हो गये वो पल दूर नही रहा जब सवी भी ताल से ताल मिला अपनी गान्ड उपर उछालती हुई सुनील के धक्कों का जवाब देने लगी, कमरे में तुफ्फान बढ़ता चला गया, आधे घंटे की जोरदार चुदाई में सवी दो बार झाड़ गयी.

अहह उफफफफफफफ्फ़ अहह सवी की सिसकियाँ बदस्तूर जारी रही जिस्मों की थप थप और सवी की चूत से निकलती फॅक फॅक की आवाज़ें कमरे में गूंजने लगी, सुनील की स्पीड बढ़ती चली गयी और वो पल भी आया जब सवी एक जोरदार चीख के साथ झड़ती हुई सुनील से चिपक गयी और सुनील का लावा भी उसकी चूत को भरने लग गया.

दोनो के जिस्म पसीने से तरबतर हो चुके थे साँसे धोकनी से भी तेज चल रही थी. सुनील हांफता हुआ सवी पे गिर पड़ा और दोनो अपने आनंद को भोगते हुए धीरे धीरे नींद के आगोश में समा गये.

इंसान की हर हरक़त का प्रभाव प्रकृति पर पड़ता है, क्यूंकी वो खुद प्रकृति का एक हिस्सा है, पर ये बात इंसान भूल गया और प्रकृति को अलग नज़रिए से देखने लगा. खैर ऐसा क्यूँ हुआ इन सब पे ना जाते हुए चलते हैं देखने आगे क्या हुआ इस कहानी में.

समय अपनी रफ़्तार से चलता रहा और चाँद धीरे धीरे पृथ्वी के दूसरे हिस्से की तरफ सरकता रहा और सूरज बड़ी बेचैनी से सुनील और सवी पे अपनी किरणें डालने को तरस रहा था, प्रेम की सारी किरणों का अक्स केवल चाँद ही क्यूँ बनाता है, सूरज को इस बात से बड़ी नाराज़गी थी, क्यूंकी उसे बड़े कम मोके मिलते थे हद से हद अगर कुछ दिखता भी था तो वासना का तांडव नृत्य, प्रेम नृत्य और मिलन तो दिखता ही नही था, खाई वो समय भी आ गया, पो फट गयी, चिड़ियो ने चहचाहना शुरू कर दिया और सुरक के प्रकाश में बंगलो के चारों तरफ का सॉफ सामुद्री पानी अपनी रंगत दिखाने लगा. 

सुनील की नींद पहले टूटी और अंगड़ाई लेते हुए उठा तो साथ में सवी बिल्कुल उसके साथ चिपकी हुई थी.

नींद में सवी और भी सुंदर लग रही थी, चेहरे पे एक चमक थी सकुन था, जैसे बहुत बड़ी चीज़ उसे मिल गयी हो, सुनील ने उसे नही उठाया और जब उठ के बिस्तर से खड़ा हुआ तो उसकी नज़रें सवी की चूत की तरफ चली गयी जिसके चारों तरफ खून जमा हुआ था और चूत के बीच में से निकलता उसका वीर्य भी सूख गया था. बिस्तर पे भी काफ़ी खून फैला हुआ था. यक़ीनन सवी को कल रात काफ़ी तकलीफ़ हुई थी. सुनील बाथरूम घुस गया फ्रेश हुआ और बाहर निकला तो उसके हाथ में पानी का मग था जिसमे गरम पानी था और एक तोलिया था. सुनील ने तोलिया गरम पानी में भिगोया और सवी की चूत की सिकाई करते हुए आसपास की जगह सॉफ करने लगा. चूत पे पानी की गर्माहट और रगड़ाई से सवी की नींद टूट गयी और सुनील को अपनी सफाई करते हुए देखा तो उसे काफ़ी शरम आई.
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