RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
जब ये लोग ब्रेकफास्ट कर रहे थे .......तभी विजय का फोन आया सुनील के मोबाइल पे........
सुनील....जी अंकल सुनाए कैसे याद किया
विजय...बेटा चार दिन बाद तुम सब यहाँ आ जाना
सुनील...कोई खांस काम
विजय...हां बेटा बहुत ही खांस बात है....रूबी मान गयी है विमल से शादी करने के लिए
सुनील.....ककक्क्क्यय्य्ाआअ ...(वो हैरानी से चीख ही पड़ा)
विजय.....हां बेटा ...सही है ये...मैने करण और उसकी फॅमिली को भी बुला लिया है...4 दिन दिन अपना हॉलिडे मनाओ और फिर यहाँ आ जाना....
सुनील....जी अच्छा...
सुनील फिर दोनो को विजय से हुई बात के बारे में बताता है....दोनो बहुत हैरान होती हैं
रूबी का ये फ़ैसला और वो भी यूँ अचानक ...किसी को भी समझ में नही आ रहा था....
सुनील.....सूमी मेरे ख़याल से हमे रूबी से बात करनी चाहिए.....कल तक तो वो शादी के नाम से बिदक्ति थी..आज ये अचानक.....
सूमी......मैने तो इसीलिए सिमरन को मना कर दिया था...जब वो अपने बेटे जयंत का प्रपोज़ल ले कर आई थी...
सुनील....जयंत!!!!!!! ये तो वही है शायद जो कमल का खांस दोस्त हुआ करता था....
सोनल....हां वही है.....
सूमी....ओह! पर अब मसला ये है कि मैं सिमिरन को क्या बोलूँगी ....जब रूबी की शादी की खबर फैलेगी.....
सुनील....हम लोग कल पहले रूबी से जा कर मिलते हैं...सारी बात करते हैं...क्या था उसके दिल में जब उसने हां करी...फिर कोई फ़ैसला लेंगे...
सूमी/सोनल....हां ये ठीक रहेगा...पहले हम लोग उससे बात तो कर लें.......
सूमी...ध्यान से सब करना...अब रिश्तेदारी का मामला है .......विमल कवि के हज़्बेंड का खांस दोस्त है....अब रूबी ने जब हां कर दी है ...तो पीछे नही हट पाएँगे...
सुनील...पहले बात तो करें उसके साथ फिर देखते हैं....
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कमरे में बैठी ...आँखों में आँसू लिए .....वो अपने ही दिल की बात रेडियो पे सुन रही थी .........
रुला के गया सपना मेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा
वही हैं ग़मे दिल, वही हैं चंदा तारे
वही हम बेसहारे
वही हैं ग़मे दिल, वही हैं चंदा तारे
वही हम बेसहारे
आधी रात वही हैं, और हर बात वही हैं
फिर भी ना आया लुटेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा
कैसी यह जिंदगी, कि सांसो से हम उबे
के दिल डूबा, हम डूबे
कैसी यह जिंदगी, के सांसो से हम उबे
के दिल डूबा, हम डूबे
एक दुखिया बेचारी, इस जीवन से हारी
उस पर यह गम का अंधेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा.
और एक शख्स उसे देख रहा था ...दरवाजे की ओट में खड़ा ......तन्हाई का दर्द वो हमेशा उसकी आँखों में देखता था ......काई बार पूछने की कोशिश करी पर हिम्मत ना जुटा पाया ......
वो चुप चाप खड़ा ये दर्द भरा गीत सुनता रहा ...उसके दिल में एक हुक सी उठी ...उसके कदम आगे बड़े....तभी उस औरत का मोबाइल बजने लगा....
'हेलो' वो औरत बोली......कॉल रिसीव करते हुए
----दूसरी तरफ से कुछ कहा गया.....
'क्याआआअ?'
-----दूसरी तरफ से फिर कुछ कहा गया.......
'नही...मैं नही आ सकती.......चाह के भी नही आ सकती'
......दूसरी तरफ से फिर कुछ कहा गया......
'कोशिश करूँगी.....पर पक्का नही...' और कॉल काट दी...
बहुत सोच में पड़ गयी वो इस कॉल के बाद........
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