Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:05 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील की ज़ुबान जब सोनल के मुँह में घुसी तो सोनल सिसक पड़ी.. उसकी आँखें खुल गयी और बड़े प्यार से सुनील को देखने लगी .. उन आँखों में इस वक़्त नशा भर चुका था… और शायद उसका दिल इस बात को मान चुका था कि सुनील दोनो में से किसी को भी किसी के सामने कभी भी छोड़ सकता था. ये प्यार की कड़ी अब मजबूत होती जा रही थी. और सोनल ने अपने सुनील की खुशी के लिए सारी शाम छोड़ दी थी… क्या हुआ बीवी को ही तो चोद रहा था बीवी के सामने…जब तीनो के दिल एक हो चुके थे तो जिस्मो का परदा कोई माइने नही रखता.

दोनो की सांस उखाड़ने लगी थी मजबूरन उन्हें अलग होना पड़ा ……. खिड़की से झाँकता चाँद कुछ नाराज़ सा हो गया था….. जल्दी उसे जाना पड़ेगा… और सारी मस्ती सूरज देखेगा…… रात सरक्ति हुई भोर के करीब जा रही थी.. पर इन दोनो को कोई जल्दी नही थी…जब आत्माएँ एक दूसरे में विलीन हो जाती हैं तो सेक्स … सेक्स नही रहता… उसकी करने का तरीका ही बदल जाता है… दो जिस्म बस एक दूसरे में नही समाते… दो रूहें एक दूसरे से मिलन करती हैं.. यही इन्दोनो के बीच हो रहा था.

‘सुनील मेरी जान… मेरा प्यार… मेरा सब कुछ….’ सोनल सुनील के गालों से अपने गाल रगड़ते हुए बोली.

इन दोनो के बीच बदते हुए प्यार को देख सूमी की आत्मा प्रसन हो रही थी….क्यूंकी तीनो की आत्माएँ एक दूसरे की हो चुकी थी.. उसे भी उस सुख का अहसास हो रहा था जो इस वक़्त सोनल को मिल रहा था. ऐसा होता है प्यार…. जो अपनी तरंगे इस तरहा फैलाता है कि दूर बैठ शक्स भी उस अहसास को महसूस करने लगता है.

सूमी को यही लग रहा था जैसे सुनील सोनल के होंठ नही उसके होंठ चूस रहा था. अपने आँखें बंद कर वो इस लज़्ज़त को अपने अंदर समेटने लग गयी.
सोनल के जिस्म पे जगह जगह लव बाइट्स के निशान थे और सुनील की नज़र जब उनपे पड़ी तो उसे दुख हुआ…..

सोनल के उरोज़ पे पड़े उन लव बाइट्स पे हाथ फेरते हुए बोला… 'पागल हो गया था मैं.. कितनी तकलीफ़ दी तुम्हें..’

‘तुम सच में बुद्धू हो… ये तकलीफ़ के नही तुम्हारे प्यार की निशानी है……जो मुझे बहुत अच्छे लग रहे हैं….

‘बुद्धू नही तुम्हारे प्यार में जंगल बन जाता हूँ’

‘अहह सुनील माइ लव…..लव मी …. टेक मी डार्लिंग…..सुनील के हाथों का अहसास अपने मम्मो पे सोनल को पागल करे जा रहा था.’

‘सूमी ने ज़रूर तुम्हें बड़ी फ़ुर्सत से बनाया था….बिल्कुल उसका प्रतिरूप हो…….सौन्दर्य की ख़ान हो तुम…तुम्हारे जिस्म का एक एक कटाव मुझे पागल कर देता है… दिल करता है … पिघल के तुम्हारे अंदर समा जाउ … कभी बाहर ना निकलूं……’

‘मुझ मे ही समाए रहोगे तो मेरी जान मेरी दीदी का क्या होगा ……ऐसी ग़लती मत करना जान… तुम्हें तो हम दोनो के रूप को बार बार पी कर उसकी मीठास को बढ़ाना है …….जितना तुम हम दोनो को चाखोगे.. उतनी ही हम दोनो मीठी और नशीली होती जाएँगी……उफफफफफफफफफफफ्फ़’ बोलते बोलते सिसक पड़ी सोनल क्यूंकी सुनील ने उसके निपल को अपने होंठों से छू लिया था.

‘सक मी डार्लिंग… सक मी… मेक मी मिल्क….अहह ऐसे ही चूस लो मुझे उफफफ्फ़ उूउउम्म्म्म
ओह दीदी देखो कितना प्यार कर रहे हैं मुझे ……. आह्ह्ह्ह दिदीईईईईई’ चीख ही पड़ी वो क्यूंकी सुनील ने उसके निपल पे दाँत गढ़ा दिए थे.

सूमी अब दूर ना रह सकी … उसकी आत्मा ने सोनल की आत्मा की आवाज़ सुन ली थी… वो पास सरक आई और सोनल के माथे पे प्यार से हाथ फेरने लग गयी.

‘ओह दीदी…. देखो ना … कैसे मेरा रस चूस्ते जा रहे हैं …. आइ लव यू बोथ’ सोनल को ऐसा सकुन मिला जिसकी कोई तुलना नही थी…….उसका भाई जो उसका पति बन चुका था… उसकी ही माँ जो अब उसकी सौतन थी… उसके ही सामने …. उसके बदन में उन तरंगों को जागृत कर रहा था…. जो कोई मर्द आसानी से नही कर सकता कितनी भी कोशिश कर ले. लेकिन यहाँ एक मर्द कुछ नही कर रहा था… उसकी रूह अपने करतब दिखा रही थी.

‘आइ लव यू टू डार्लिंग … माइ स्वीट डॉल… एंजाय दा लव ऑफ युवर हब्बी….. फील हिज़ एमोशन्स …. फील दा ओशन ऑफ लव ही हैज विदिन हिम’

‘ओउउच आराम से …… कितनी ज़ोर से काटा…….’

सुनील को कोई मतलब नही था ये दोनो क्या बातें कर रही थी… वो तो बस सोनल के जिस्म के अंदर बसे रस की एक एक बूँद चूस रहा था… ताकि नया रस उत्पान हो सके.

‘ओह माआआ बस करो ना….. अब आ भी जाओ…….आग लग चुकी है …. मेरे बदन में….भुजा दो ना…. जल रही हूँ मैं… दीदी बोलो ना इन्हें…..’

‘पगली … इतनी भी क्या जल्दी है…..लुफ्त ले इसके प्यार का’

सुनील तो बस कभी एक निपल चूस्ता तो कभी दूसरा. और दूसरे उरोज़ को मसलता रहता.

सुनील उसके उरोजो को अच्छी तरहा चूसने के बाद उसके बदन की महक से मजबूर हो कर उसकी नाभि तक पहुँच गया. और सोनल के बदन में हलचल का तूफान उठ गया …..उसकी नाभि ही तो उसके जिस्म की कामुकता का द्वार थी….सभी तरंगे एक साथ उसकी चूत पे हमला करने लगी.

ओह ओह दीदी देखो…..अहह रुक जाओ…..प्लीज़ नही…. अहह

सुनील ने जैसे ही उसकी नाभि में अपनी ज़ुबान डाली ………..सोनल का जिस्म अकड़ने लग गया एक कमान की तरहा उपर उठ गयी………….सूमी बस प्यार से उसके माथे पे हाथ फेरती रही ……उसका जिस्म खुद उस अहसास के वशीभूत होने लगा अहह वो सिसक पड़ी………और ना चाहते हुए भी उन दोनो से लिपट गयी……..ये कोई 3सम नही था…..ये प्यार की प्रगाढ़ता थी – ये आत्माओं का अभूतपूर्व मिलन था…सूमी की चूत में वो हलचल मचने लगी जो सोनल की चूत में हो रही थी….सुनील कामयाब हो चुका था… अब ये तीन बदन एक जान बन चुके थे… जो एक महसूस करता बाकी दोनो भी वही महसूस करते…. और इसका सबसे बड़ा प्रमाण ये था कि सुनील के लंड ने भी बग़ावत कर दी थी… वो भी तड़प्ते हुए अपनी बोछार के करीब पहुँच ने वाला था.


सुनील ने खुद को बड़ी मुश्किल से रोका ….वरना वो झड़ने के करीब पहुँच चुका था………..और सोनल उस दुनिया में पहुच चुकी थी जहाँ सुनील उसे ले जाना चाहता 

था…………द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दीईईईईद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दीईईईईईईईईईईईईई

बस ये एक चीख के साथ सोनल तड़प्ते हुए मचलते हुए जिस्म को कमान बनाए हुए झड़ने लगी………………

कुछ ही पलों के बाद सोनल का जिस्म धम्म से बिस्तर पे गिरा…….और हाँफती हुई बस ये ही बोल पाई ‘दीदी ये मेरी जान ले लेंगे……..’

सुनील का लंड अपने पूरे उफ्फान पे पहुँच चुका था… अब उसे सोनल की टाइट चूत का समागम चाहिए था.. और ज़्यादा फोरप्ले करना उसके बस में नही रहा था इसलिए वो सोनल की टाँगों के बीच आ गया और अपने लंड उसकी चूत से घिसने लग गया जो रस से भर हुई थी. 

माआआ उफफफफफफफ्फ़ सोनल सिसक पड़ी और उसने सूमी का हाथ सकती से पकड़ लिया. सूमी उसके माथे पे चुंबन करने लगी……सूमी का दिल चाह रहा था कि वो भी इस खेल का हिस्सा बन जाए…. पर उसकी मर्यादा उसे रोक रही थी……उसकी आँखों में फिर से एक प्यास जनम ले चुकी थी……हालाँकि सुनील ने दोनो के जिस्म से एक दूसरे के सामने खेल के दोनो के बीच की शरम बहुत हद तक दूर कर दी थी और दोनो को ही ये अहसास दिला दिया था…. कि उन्दोनो में कभी कोई रंजिश नही होनी चाहिए… क्यूंकी दोनो ही उसकी बीवी बन चुकी थी… और ….दोनो को ….ना सिर्फ़ उसके साथ बालिक आपस में भी प्रेम की अवीरल धारा में गोते लगाते रहना है…किसी का भी कोई अपना अस्तित्व नही रह गया था… अस्तित्व था तो बस प्यार का जो तीनो को जोड़ के रखा हुआ था.

सूमी…. सुनो जी धीरे से डालना… अभी ये पूरी तरहा खुली नही है… इसे तकलीफ़ मत देना जोश में आ कर….

सुनील : तुझे क्या लगता है… मैं कभी तुम दोनो को तकलीफ़ दे सकता हूँ.

सोनल : हाई देखो इनका लंड कितना नाराज़ लग रहा है…. अब डाल दो उसे मेरी चूत में और उसे खुश कर दो….. आओ समा जाओ मुझ में….

सुनील एक झटका मारता है और सोनल की टाइट चूत में उसके लंड का सुपाडा घुस जाता है.

आाआईयईईईईईईईईईईईई द्द्द्द्द्द्द्दीईइद्द्द्द्दीईईईईइ

सोनल चीख पड़ती है और सूमी अपने होंठ उसके होंठों पे रख उसे दिलासा देने लगती है…. बस मेरी गुड़िया… थोड़ा सहन कर ले… फिर ये तुझे सातवें आसमान की सैर कराएगा.

सोनल के होंठ फड़फड़ाते हुए सूमी के होंठों से उलझ गये….. सोनल की जिंदगी में ये पहली बार हो रहा था… जब उसके होंठों ने एक औरत के होंठों का स्वाद चखा.

सुनील ने फिर एक झटका मार अपना आधा लंड अंदर घुसा डाला. और दर्द के मारे सोनल ने सूमी के होंठों में दाँत गढ़ा दिए. अहह ……आाआआईयईईईईईईईईईईईईई सोनल और सूमी की चीखें एक दूसरे में घुलती हुई उनके मुँह में ही दबी रह गयी.

रात सरक्ति हुई विदा ले रही थी और भोर आने को आतुर थी..आज सूरज छटपटा रहा था…..ये चाँद जाने में क्यूँ इतनी देर लगा रहा है…..और चाँद जाते जाते भी सोनल और सुनील के मिलन से उठती हुई तरंगो को महसूस करता हुआ अपनी चाल को धीमा करने की कोशिश में लग गया. 

सुनील ने खुद को रोक लिया क्यूंकी सोनल दर्द के मारे फड़फड़ा रही थी…. सूमी उसे धीरे धीरे संभालने की कोशिश कर रही थी. वह क्या मंज़र था. सोनल की चूत में लंड घुसाने का प्रयास करता हुआ सुनील दोनो माँ बेटी और अब सौतनें …….को एक दूसरे के होंठ चूस्ते हुए देख रहा था…. आज वाक़यी में तीनो का संगम हो रहा था.

सुनील सोनल के उपर झुक गया और उसके निपल चूसने लग गया सोनल का हाथ खुद ब खुद उसके बाल सहलाने लग गया…. निपल से उठी हुई तरंगे सोनल के दर्द के अहसास को कम करने लग गयी.
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