Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:02 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल ने अपना चेहरा सुनील के कंधों पे टिका दिया और अपनी सांस दुरुस्त करने का प्रयास करने लगी --- उसका धड़कता दिल उसे कह रहा था पिघल जाओ और समा जाओ अपने प्रेमी के जिस्म में कभी जुदा ना होने के लिए.

सुनील ने सोनल के झुमके उतार डाले .... गले में पड़े हार का बंधन ढीला कर उसे भी अलग कर दिया ... माथे की शोबा बढ़ाता हुआ टीका अलग हो गया ... सभी जेवर गुस्से से सुनील को देखने लगे - आख़िर क्यूँ हमे जुदा किया इस रूप सुंदरी से ... हमारा भी तो हक़ बनता है इसके योवन की महक को अपने अंदर समेटने का. 

जेवर के बन्धनो से आज़ाद हो कर सोनल खुद को हल्का महसूस करने लगी - गले में बस मंगल सुत्र रह गया था जिसे उसने निकालने नही दिया. उसका मासूम चेहरा अपनी छटा बिखेरने लगा -- चेहरे की जो चमक जेवरों के पीछे छुप सी रही थी अंगड़ाई लेते हुए महॉल को महकाने लगी और सुनील के दिल के तारों को छेड़ने लगी.

चाँद जो हर रात अपनी सुंदरता पे गर्व किया करता था शर्म के मारे खुद को छुपाने की कोशिश करने लगा और बादलों की ओट में चुप गया...... 

सोनल !!!!

ह्म्म

'आइ लव यू' 

हर लड़की के कान ये तीन शब्द सुनने के लिए तरसते रहते हैं... सोनल भी तरस रही थी ..... उसके मनमंदिर की घंटियाँ बजने लगी और वो अपना चेहरा सुनील की गर्दन पे रगड़ उसे अभिवादन करने लगी... सुनील की बाँहें उसके इर्द गिर्द हो उसे अपने अंदर समेटने का प्रयास करने लगी ---- फुसफुसाती हुई सोनल उसके कान में बोली ' लव यू टू जानम'

सुनील के हाथ सोनल की पीठ को सहलाने लगे और धीरे से चोली के बंधन को खोल दिया ..... जब जब सुनील के हाथ उसकी नंगी पीठ को छूते ---- सोनल सिसक पड़ती और भी सख्ती से सुनील के साथ चिपकने की कोशिश करती.

सुनील ने जब उसकी चोली को उसके बदन से अलग किया तो लाज के मारे अपने उरोज़ छुपाती हुई बिस्तर पे ओंधी गिर पड़ी.

गुलाब की पंखुड़ियों ने उसका स्वागत किया और जलने लगे - तड़पने लगे --- हाई क्या खुश्बू है इस काम्सुन्दरि के बदन की ... अब हमे कॉन पूछेगा ... क्यूँ ना इसके बदन की खुश्बू अपने में समेट अपने इस क्षणभन्गुर जीवन को कृतार्थ कर लें.

बिस्तर पे गुलाब की पंखुड़ियों के बीच ओंधी लेटी सोनल कांप रही थी ... आने वाले पलों का सोच कर ... उसका बदन लरज रहा था इंतेज़ार कर रहा था सुनील के तपते हुए होंठों का.

पीठ पे छोटी दो तनिया ब्रा की डरने लगी - अब हमारी बारी आ गयी इस हसीना से जुदा होने की .... सुनील ने अपने होंठ सोनल की कमर पे रख दिए और उसके बदन की महक को समेटने लगा. सुनील के तपते होंठों का अहसास अपनी कमर पे पा कर सोनल मचल उठी - अहह सिसकते हुए उसने बिस्तर को अपनी मुठियों में भींच लिया और सुनील धीरे धीरे उसे चूमता हुआ उसकी पीठ की तरफ बढ़ने लगा . हर चुंबन के साथ सोनल सिसक रही थी - जिस्म इस बढ़ती हुई अग्नि को संभाल नही पा रहा था और बलखाने लगा - जैसे नागिन कामतूर हो कर बलखाती है.

सुनील के हाथ भी उसकिं कमर को सहलाते हुए उपर की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहे थे ... उन हाथों की तपिश सोनल को और भी जला रही थी --- उसकी चूत ने अपना रस टपकाना शुरू कर दिया और वो अपनी जाँघो को कस के एक दूसरे के साथ रगड़ने लगी.

दोनो की गर्म साँसे कमरे में कामुकता का महॉल और भी संजीदा कर रही थी...........अंजानी सी तरंगें बदन में लहरा रही थी और दोनो को तडपा रही थी. सोनल की सांसो की रफ़्तार पल पल बढ़ती जा रही थी.

ऐसे ही धीरे धीरे उसके बदन को चूमते हुए सुनील के होंठ उसकी ब्रा की तानियों तक पहुँच गये और हाथों ने देर ना लगाई ब्रा के हुक खोलने में ...... सुनील ने जब उसे पलटने की कोशिश करी तो शर्म के मारे बिस्तर से ज़ोर से चिपक गयी.... बुरा हाल होने लगा था उसका --- उसका जोबन अब नग्न होने वाला था .... जिसे देखने के लिए सुनील की प्यासी नज़रें तड़पने लगी थी.

सुनील ने अपनी शेरवानी और बनियान उतार फेंकी और सोनम के बदन के साथ साइड में लेट गया --- उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे अपनी तरफ मुड़ने का संकेत देने लगा ..... सकाकुचती शरमाती सोनल उसकी तरफ मूडी और फट से अपने दोनो हाथ आगे कर अपने चेहरे को ढक लिया और अपनी कोहनियों से अपने उरोज़ छुपाने की कोशिश करने लगी ... उसकी साँसे अब धोकनी को भी मात देने लगी थी. पलकें तक फड़फड़ाने लगी थी.

सुनील ने उसे सीधा किया पीठ के बल और उसकी नाभि को चूमने लगा ... ज़लज़ला आ गया सोनल के बदन में. सोनल की नाभि उसके जिस्म का एक कामुक बटन था - जिसे छेड़ने पे उसके जिस्म में उत्तेजना अपने चर्म पे पहुँच जाती थी ... इस बात का अहसास आज पहलकी बार सोनल को हो रहा था.

जैसे जैसे सुनील की ज़ुबान उसकी नाभि के चारो ओर घूम रही थी उसके बदन में अंजानी आनंद की लहरों की बृद्धि होती जा रही थी ... ना चाहते हुए भी सोनल के हाथों ने सुनील के सर को अपनी नाभि पे दबा डाला नतिजन सुनील की ज़ुबान नाभि में घुस्स गयी.

आआआआआआआआआआहह सोनल ज़ोर सी सिसकी उसका बदन उसके काबू से बाहर होने लगा ... टाँगे उपर उठती और गिरती ..... सुनील ने जब उसकी नाभि को अपनी ज़ुबान से चोदना शुरू कर दिया तो वो बर्दाश्त नही कर पाई ... जिस्म कमान की तरहा उपर उठने लगा ..... पूरा बदन अकड़ने लगा .... और वो श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्शुउउउउउउउउउउउउउउउउन्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्नीईईईईईईईइल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल का नाम चिल्लाते हुए झड़ने लगी . उसकी चूत ने फड़कते हुए अपनी नदियों के बाँध को खोल दिया .

सोनल को पहली बार ऑर्गॅज़म का आनंद मिल रहा था और ये उसके बस का नही था ... ये वो आनंद था जो हर लड़की पाने को तरसती है और सोनल आँखें बंद कर बिस्तर पे निढाल हो गयी अपने चर्म के आनंद को भोगने की जुस्तुजु में.................

सोनल जब अपने ऑर्गॅज़म का आनंद भोग रही थी तब उसकी ढीली पड़ी ब्रा उसके उरोजो के उपर से हट गयी थी और उसके सुडोल पहाड़ियों की तरहा तने हुए उरोज़ उजागर हो गये. हल्के गुलाबी रंग के निपल सुनील को बुलाने लगे … अब तो आ जाओ हम तुम्हारे होंठों की गर्मी पाने को तड़प रहे हैं.

सुनील मंत्रमुग्ध होता हुआ सोनल के मम्मो को देख रहा था उनकी सुंदरता को अपनी आँखों में बसाने की कोशिश कर रहा था.

सोनल की पलकें खुली तो उसने सुनील को अपने वक्षों के उपर आसक्त होते हुए देखा – एक पल को विजयी मुस्कान उसके चेहरे पे फैल गयी – हर पत्नी यही चाहती है कि उसका पति उसके योवन पे आसक्त रहे लेकिन दूसरे पल उसे शर्म आने लगी और उसने अपने उरोज़ ढकने का प्रयस्स किया तो सुनील ने झट से उसके हाथों को पकड़ लिया …. ‘मत छुपाओ इन्हें … जी भर के देखने दो ….. कितना नादान था मैं .. जो तुमसे दूर भागता था ‘

‘मुझे शर्म आ रही है लाइट बंद कर दो प्लीज़’

‘उँ हूँ …. अब इतना भी ज़ुल्म मत ढाओ ‘

सुनील ने झुक के उसके निपल पे अपनी ज़ुबान फेर डाली ……. ऊऊऊहह म्म्म्मेममममाआआ

‘मत करो ऐसे … कुछ हो रहा है’ काँपती हुई सोनल बोली.

पर सुनील कहाँ रुकता … मधु के दो प्याले – उसे बुला रहे थे …. अपना संपूर्ण रस पिलाने के लिए’

सुनील ने एक निपल को चूसना शुरू कर दिया और दूसरे उरोज़ को धीरे धीरे मसल्ने लगा.

अहह मत करो ना … क्यूँ सता रहे हो…. हूँ … प्लीज़…..

कहने को सोनल – सुनील को रोकना चाहती थी पर दिल ही दिल में यही इच्छा जागृत हो चुकी थी कि वो उसे पूरा निचोड़ डाले… उसके जिस्म का अच्छी तरहा रस्पान करे.

सुनील के चूसने की गति बढ़ने लगी और उरोज़ मसल्ने में दबाव बढ़ने लगा
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