RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
गाड़ी में आते ही पूजा दीदी ने फिर से मम्मी से मज़ाक करना शुरू कर दी और मम्मी से बोली-“मम्मी, आपको इस रूप में देखकर पापा का डंडा एकदम हार्ड होकर लोहे का बन गया है। मुझे लगता है कि आज आपके तबले की खैर नहीं। देखते हैं कि घर जाते ही पापा अपने इस मूसल डंडे से आपके तबले पर कितनी जोर से थाप देते हैं…” और इतना कहकर पूजा दीदी ने मम्मी की गाण्ड को जोर से दबा दिया।
मम्मी तो शर्म से लाल हो रही थी पर मम्मी ने भी दीदी का जवाब देते हुए कहा-“अगर तुझे पापा के डंडे से अपने तबले पर थाप लेनी है तो ले लेना…”
पूजा दीदी-“हाए मम्मी, मैं तो चाहती हूँ की पापा का डंडा मेरे तबले पर थाप दे… पर क्या करूं? आज पापा के इस डंडे की थाप तो आपके तबले पर पड़ेगी…”
और हम तीनों इसी तरह हँसी मज़ाक करते घर आ गये। ये तो मैं ही जानता था की मेरे लण्ड का क्या हाल होगा? जब पूजा दीदी और मम्मी जैसा मस्त माल साथ में हो तो किसका लण्ड होगा जो उछल-कूद नहीं करेगा, और मेरे लण्ड का तो ये हाल था की अभी पैंट फाड़कर बाहर आ जाएगा। घर पहुँचते ही मैं जल्दी से जल्दी मम्मी को लेकर रूम में उनकी जोरदार चुदाई करना चाहता था। मेरे लिये अब कंट्रोल करना बड़ा मुश्किल था।
पर दीदी थी जो अब भी मुझे तड़पा रही थी। जैसे ही मैं मम्मी की कमर में हाथ डालकर बेडरूम की ओर ले जाने लगा तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली-“पापा, अभी कहां ले जा रहे हो मम्मी को?”
मैं-“अरे वहीं, ज़रा तुम्हारी मम्मी को जन्नत की सैर करवा दूं। ये देख मेरा घोड़ा कैसे उछल रहा है?” और मैंने दीदी का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया।
दीदी-“हाए मम्मी, पापा का घोड़ा अभी से कैसे उछल रहा है… जब ये आपके अंदर दौड़ लगायेगा तो पता नहीं आपका क्या हाल होगा? पर पापा ये सब करने से पहले तुम्हें पूर्ण रूप से मम्मी को अपना बनाना होगा…"
मैं-“अरे क्या दीदी, बना तो लिया है अब क्यों तड़पा रही हो?”
दीदी-“अभी कहां पूर्ण रूप से? अभी तो मम्मी के गले में मंगलसूत्र डालना नहीं है क्या?”
मैं-“ओह्ह… सारी, मैं जल्दी-जल्दी में ये सब भूल ही गया…”
दीदी-“हाँ हाँ अब आपको ये क्यों याद रहेगा? आपको बस अब मम्मी की चूत का ध्यान है…” कहकर दीदी हँसने लगी।
दीदी की बात सुनते हैी मम्मी शर्म से लाल हो गई और बड़े प्यार दीदी के गालों पर थप्पड़ लगती बोली-“बड़ी नटखट है तू…”
फिर दीदी ने मुझे मंगलसूत्र दिया और जो मैंने मम्मी के गले में बांध दिया।
जैसे हीमैंने मम्मी के गले में मंगलसूत्र बाधा, दीदी ने ताली बजाकर स्वागत किया और कहा-“पापा, आज से मम्मी पूर्ण रूप से तुम्हारी हो गई, अब से मम्मी किसी अश्वनी की विधवा नहीं बल्कि एक सुहागन मिसेज़ दीपक हैं…”
तब मम्मी नीचे झुक के मेरे पैर छूने लगी।
तो दीदी ने मुझे मम्मी को आशीर्वाद देने को कहा।
मैं मम्मी को आशीर्वाद देने में हिचकिचा रहा था, क्योंकि मम्मी उमर में मुझसे बड़ी थी।
मेरे मन की दशा को समझते हुए दीदी ने कहा-“भैया, आप ये सोच रहे हैं की मम्मी आपसे बड़ी हैं, तो अब आपका ये सोचना गलत है। अब मम्मी आपसे बड़ी नहीं बल्कि छोटी हैं। जैसे मेरा स्थान अब आपके चरणों में है, उसी तरह अब मम्मी का स्थान भी आपके चरणों में है। अब मम्मी का ये धर्म है आपकी हर इक्षा को पूर्ण करना, क्योंकि ये पत्नी का कर्तव्य है। जैसे एक माँ का अपने बच्चो पर ये हक होता है की वो उन्हें प्यार करे, और गलती करने पर सज़ा दे, तो इसी तरह एक पति का भी ये हक होता है कि वो अपनी पत्नी को प्यार करे और अगर वो गलती करे तो उसे सज़ा दे मारे, इससे प्यार बढ़ता है…”
मैं दीदी की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था। फिर मैंने मम्मी को सुहागन का आशीर्वाद दिया और मेरे कुछ कहने से पहले ही दीदी मम्मी को लेकर बेडरूम में जाने लगी।
जब मैं भी उनके पीछे जाने लगा तो दीदी ने मुझसे कहा-“बस… अभी नहीं, थोड़ी देर में आपको बुलाती हूँ फिर आप अंदर आना पापा…” और मेरी ओर देखकर मस्ती से अपने होंठ काटने लगी। 5 मिनट के बाद दीदी का रिप्लाई आया की भैया रूम में आ जाओ।
मैंने बिल्कुल ऐसा ही किया, और मैं मंजू के रूम के बाहर खड़ा हो गया। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा, और मेरी उत्तेजना बहुत ही बढ़ चुकी थी। फिर मैंने दरवाजा खोला और अंदर देखा की रूम की लाइटें बंद हैं, बेड के चारों तरफ कैंडल जल रही है, जिससे हल्की-हल्की रोजनी पूरे कमरे में हो रही है। एकदम किसी फिल्म की सुहागरात के दृश्य जैसे। मैं रूम के अंदर आ गया।
जब मैं आगे बढ़ा तो देखकर हैरान हो गया। मंजू सुहागन के जोड़े में अपने पूरे बदन को हीरे जवाहरातों से भरकर घूँघट निकाले बैठी थी। मंजू किसी राजकुमारी से कम नहीं लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे मानो आसमान से सारे चाँद सितारे मंजू के गोरे बदन पर आकर चमकने लगे हैं। मुझे तो ये सब एक सपने की तरह लगने लगा। मंजू बिस्तर पर चुपचाप बैठी थी। उसकी आँखें नीचे झुकी हुई थीं, और वो धीरे-धीरे मुश्कुरा रही थी। मुझे ये अनुभव हो रहा था की मेरी सचमुच में शादी की सुहागरात हो।
मैं बेड की तरफ बड़ा ही था की पूजा दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे पास रखे सोफे पर बैठा दिया और मुझसे कहने लगी-“पापा, इतनी जल्दी भी क्या है? मैंने आप दोनों का मिलन करवाया है, पहले इसके बदले में मेरा उपहार…”
मैंने दीदी की बाजू पकड़कर अपनी ओर खींचा जिससे दीदी सीधी मेरी गोद में आ गिरी।
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