RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
मम्मी और पूजा दीदी दोनों मेरी बाहों में थी। मेरे हाथ मम्मी और पूजा दीदी दोनों के पीछे उनकी गाण्ड को सहला रहे थे और वो मेरी छाती के बालों से खेल रही थीं। तभी पूजा दीदी मुझसे अलग हुए और अंदर रूम में चली गई।
मुझे और मम्मी को कुछ समझ में नहीं आया की पूजा दीदी को क्या हुआ? इससे पहले की हम कुछ समझ पाते दीदी कुछ ही देर में बाहर आ गई। उस वक़्त दीदी के एक हाथ में एक सिंदूर की डिब्बी और दूसरे हाथ में मम्मी का मगलसूत्र था। हम कुछ बोलते इससे पहले ही दीदी ने मेरी ओर देखकर कहा-“दीपू, तुमने मुझे इतनी खुशी दी, इतना मज़ा दिया है जो मुझे आज तक कभी नहीं मिला और सबसे बड़ी खुशी जो तूने मुझे दे दी की तूने मुझे अपने बच्चे की माँ बना दिया है। इस एहसान का बदला मैं सारा जीवन नहीं उतार सकती…”
मैं-“दीदी, इसमें एहसान कैसा? अब तुम मेरी हो और मैं तुझे अपनी बीवी मानता हूँ तो इसमें एहसान कैसा? एक पति ही तो अपनी बीवी को माँ बनाता है और साथ में बीवी तेरी जैसी मस्त और हाट हो तो कोई भी उसे एक से छः बच्चो की माँ बना देगा…”
दीदी-“भैया, आपने मम्मी को रात को इतना मज़ा दिया। मम्मी, जो इतने सालों से बिना किसी मर्द के प्यार को तरस रही थी, तूने मम्मी को फिर से औरत बनने का सुख दिया। भैया क्या आप ये सुख पूरी जिंदगी माँ को दे सकते हो? क्या आप मम्मी को अपना नाम दे सकते हो? उसके साथ शादी करके मम्मी को अपने जीवन में शामिल कर सकते हो?”
दीदी की बात सुनते ही मम्मी ने तो शर्म के मारे अपनी नज़रें नीचे कर ली।
मैंने दीदी की बात सुनते ही दीदी के हाथों से सिंदूर लेकर माँ की माँग में भरते हुए कहा-“दीदी क्यों नहीं? मैं तो मम्मी जैसी पत्नी पाकर अपने आपको बहुत खुशकिस्मत समझूंगा…”
फिर मैंने झट से दीदी की गाण्ड पर जोर से थप्पड़ मारते हुए कहा-“दीदी, मम्मी को अपनी बीवी बनाने में मुझे फ़ायदा ही फ़ायदा है की अब माँ के साथ उसकी मस्त सेक्सी बेटी भी चोदने को मिलेगी…”
दीदी मेरी बात सुनते ही मुश्कुराने लगी। तभी दीदी ने मम्मी का मंगलसूत्र देते हुए कहा-“भैया, आपने भगवान के सामने मम्मी की माँग में सिंदूर तो भर दिया, अब जल्दी से मम्मी के गले में मंगलसूत्र बांधकर उसे पूरी तरह अपना बनो लो…”
मैंने दीदी के साथ से मंगलसूत्र ले लिया, ये वोही मंगलसूत्र था जो पापा ने शादी के वक्त मम्मी को पहनाया था। उस मंगलसूत्र को देखकर मैंने कहा-“पूजा, ये मंगलसूत्र मेरी बीवी के लिए, वो भी उस नामर्द आदमी का जिसने मेरी इतनी सेक्सी मम्मी को बीच रास्ते में तड़पने के लिए छोड़ दिया, उस हरामी नामर्द आदमी का ये पुराना मंगलसूत्र मैं मम्मी को कैसे पहना सकता हूँ? मैं तो अपनी इस सुंदर सेक्सी बीवी को नया मंगलसूत्र जो मेरे नाम का होगा पहनाऊूँगा। अगर मंजू को ये ही मंगलसूत्र पहनना हो तो ठीक है…”
मेरा इतना कहना ही था की मम्मी ने मेरे हाथ से मंगलसूत्र ले लिया और उससे तोड़कर दूर फैंक दिया और मुझसे कहने लगी-“नहीं नहीं, मुझे ये मंगलसूत्र नहीं पहनना… अब मुझे सिर्फ़ आपके नाम का ही मंगलसूत्र पहनना है…”
दीदी मम्मी की बात सुनकर बोली-“वो मम्मी, आप तो अभी से भैया की हो गई। आज जब आप भैया की हो ही गई हैं तो आज भैया पर सिर्फ़ आपका हक होगा, और मैं भी आज भैया को भैया या दीपू नहीं कहूंगी, बल्कि आज मैं इनको पापा कहूंगी…”
मैंने उनकी बातें सुनकर कहा-“जिसको जो कहना है कह लेना, पर अभी तुम दोनों तैयार हो जाओ, ताकि हम जल्दी से मार्केट जाकर तुम्हारी मम्मी के लिये नया मंगलसूत्र ले आएं…”
पूजा दीदी-“हाए पापा, बड़ी जल्दी है बाजार जाकर वापिस आने की ताकि घर आते ही आप मम्मी का बैंड बजा सकें…”
मैं-“बैंड तो मैं तेरी मम्मी का बजाऊँगा ही… अगर तू कहे तो तेरा भी तबला बजा दूं?” और मैंने जोर से दीदी की गाण्ड पर थप्पड़ मारा।
पूजा दीदी-“हाए पापा, चाहती तो मैं भी यही हूँ की आप मेरा तबला अभी बजा दो… पर क्या करूं, आज तो आपको बस मेरी मम्मी का तबला बजाना है…”
मम्मी हम दोनों की मस्ती भरी सुनते हुये शर्म से आँखें नीचे किए हुई थी।
तभी मैंने कहा-“जाओ तुम भी और फटाफट तैयार हो जाओ…”
दीदी-“पापा, मुझे तैयार होने में कितना टाइम लगेगा? तैयार होने में टाइम तो आपकी दुल्हन को लगेगा…”
दीदी की बात सुनते ही हम सब जोरों से हँस पड़े। फिर हम सब तैयार होने के लिए अंदर रूम में चले गये, 15 मिनट बाद जब हम तैयार होकर निकले तो मैं तो मम्मी को देखते ही दंग रह गया। मम्मी आज एकदम कयामत लग रही थी, वो ऐसे तैयार होकर बाहर आई थी की जैसे कोई नई नवेली दुल्हन पहली बार अपने पति के साथ बाहर जा रही हो।
मम्मी को मेरे कुछ कहने से पहले ही दीदी बोली-“वाउ पापा… देखा मम्मी क्या लग रही है? लगता है आप आज अभी अपनी जवानी दिखाकर आपका खड़ा कर देगी…”
मम्मी हमारी बात सुनकर साथ में शर्मा रही थी। दीदी ने फिर से मम्मी को छेड़ते हुए कहा-“क्यों मम्मी, बाजार कैसे चलना है? गाड़ी में या फिर आज आपको पापा के लण्ड पर बैठकर मार्केट जाना है?
दीदी के द्वारा मम्मी को इस तरह छेड़ते देखकर मम्मी के गाल एकदम सुर्ख लाल हो रहे थे। मम्मी के मुँह से एक भी बोल नहीं निकल रहा था। मम्मी के मन की दफ़ा को समझकर मैं दीदी के कुछ और कहने से पहले ही मैंने अपना लण्ड जो पहले से ही खड़ा था बाहर निकाल लिया और दीदी का हाथ पकड़कर उसे खींचकर अपनी बाहों में भरते हुए कहा-“दीदी, मम्मी तो क्या… तुम कहो तो मैं मम्मी के साथ-साथ मम्मी की बेटी को भी अपने लण्ड पर बैठाकर मार्केट ले जाऊँ?”
मेरी इस हरकत पर दीदी मेरे लण्ड को अपने हाथ से सहलाती हुई बोली-“हाए मेरे प्यारे पापा, मैं तो तैयार हूँ आपके इस लण्ड पर बैठकर मार्केट चलने को, पर क्या करूं आज तो इस पर बैठने का हक सिर्फ़ मम्मी को है…” और फिर दीदी ने नीचे बैठकर मेरे लण्ड पर अपने होंठ रख दिए। जिसे मम्मी किसी भूखी नज़रों से देख रही थी।
पर वो अपने अंदर की बात को छुपाते हुए बोली-“चलिए ना… क्या आप भी इसको अपना खिला रहे हैं? अगर आपको इसको खिलाना ही है तो मैं नहीं जाती…” और अंदर की ओर जाने लगी।
तभी दीदी ने झटके से मम्मी की बांह को पकड़ लिया और बोली-“मम्मी, आप क्यों अंदर जा रही हो? चलते है ना मार्केट… मैं तो बस पापा का थोड़ा सा चेक कर रही थी, अगर आप चाहो तो आप इसको चख सकती हैं…”
मम्मी-“नहीं मुझे नहीं चखना…”
दीदी-“देखो पापा, मम्मी अभी बोल रही है कि नहीं चखना उसे, और देखना रात को कैसे उछल-उछलकर चखेगी आपका ये मस्त लौड़ा…”
दीदी की बात सुनते ही में और दीदी जोर से हँस पड़े और मम्मी शर्म के मारे आँखें नीचे करते हुए बाहर की ओर निकल पड़ी। मम्मी के पीछे-पीछे मैं और दीदी भी बाहर की ओर चल पड़े। कुछ ही देर में हम एक ज्वेल्लरी शॉप पर पहुँचे। मैंने वहां मम्मी के लिए सोने का मंगलसूत्र लिया। मैं अब जल्दी से जल्दी घर वापिस आना चाहता था, क्योंकि मेरा मन मम्मी और दीदी को चोदने का बहुत कर रहा था, तो इसलिए मैं जल्द से जल्द घर आना चाहता था।
पर दीदी थी कि वो अभी घर जाने का नाम ही नहीं ले रही थी।
मैंने जब देखा की दीदी अभी घर जाने के मूड में नहीं है तो मैंने मम्मी से कहा-“मम्मी, अब मंगलसूत्र ले लिया अब चलें घर चलें…”
इससे पहले मम्मी कुछ कहती, दीदी बोली-“अभी नहीं भैया, अभी तो मम्मी को दुल्हन के रूप में तैयार होने के लिये किसी ब्यूटी पार्लर में जाना है…” और फिर मैं, दीदी और मम्मी एक ब्यूटी पार्लर में आ गये, जहाँ उसने मम्मी को दुल्हन के रूप में तैयार कर दिया।
जैसे ही मम्मी तैयार होकर पार्लर से बाहर आई, मम्मी को देखते ही मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। उस टाइम मेरा लण्ड इतना हार्ड हो गया की मुझे लगता था की अभी ये पैंट फाड़कर बाहर आ जाएगा। अब मैं जल्द से जल्द घर जाकर मम्मी को चोदना चाहता था, और शायद अब मम्मी भी अंदर है अंदर जल्द से जल्द घर पहुँचकर मेरे साथ सुहगरात मानने, यानी अपने नये पति के साथ मस्ती करना चाहती थी। पर शर्म से कुछ बोल नहीं पा रही थी।
पूजा दीदी ने हमारे मन की बात को समझा और बोली-“मम्मी, चलो अब घर चलते हैं बड़ी देर हो गई…” और हम सब गाड़ी में आकर बैठ गये।
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