RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
मेरे मन में माँ के लिए इतना प्यार आया की मैंने उसको बाहों में लेकर चूम लिया। माँ की साँस भी तेज हो गई और उसके सीने का उठान ऊपर-नीचे होने लगा। माँ की छाती मेरी छाती से चिपक गई। मुझे वोही फीलिंग हो रही थी जो पूजा दीदी को किस करते हुए हो रही थी। मुझे लग रहा था की मेरा प्यार मेरी बाहों में है। जब मैंने माँ के मुँह में अपनी ज़ुबान डाल दी तो माँ उसको चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा लण्ड अब माँ के पेट से टकरा रहा था।
मैंने अब हर हद पार करते हुए माँ का हाथ अपने तड़पते हुए लण्ड पर रख दिया और बोला-“मेरी जान, अगर तूने मुझे पहले बताया होता की पूजा को एक पापा के प्यार की कमी महसूस हो रही थी तो अब तक तो उसको पापा कब का मिल गया होता, और मम्मी तुझे क्यों नहीं खिलाउन्गा कुल्फि? ऐसा कोई बेवकूफ़ ही होगा जो तुम जैसी सुंदर औरत को कुल्फि खिलाने से मना करे। तुम मुझे हुकुम करो, तुम्हें तो मैं अभी मस्त स्वादिष्ट कुल्फि खिला सकता हूँ…”
मम्मी ने पहले तो मेरा लण्ड थाम लिया लेकिन फिर अचानक अपना हाथ पीछे खींच लिया-“नहीं दीपू बेटा, नहीं। ये ठीक नहीं है… छोड़ दो मुझे…”
लेकिन अब मैं कहां मानने वाला था। मेरे दिमाग़ में अपनी माँ के लिए वासना भर चुकी थी। मैंने मम्मी का हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचा, तो मम्मी मेरी बाहों में आ गई। मैंने मम्मी को अपनी बाहों में भरते हुए अपना एक हाथ पीछे लेजाकर मम्मी की बड़ी-बड़ी गाण्ड को सहलाते हुए मम्मी से कहा-“क्या हुआ मम्मी, क्या तुम्हें मेरी कुल्फि पसंद नहीं आई?”
मेरी बात सुनते ही मम्मी बोली-“अरे नहीं बेटा, ऐसी बात नहीं है, तेरी ये कुल्फि नहीं ये तो मस्त कुलफा है कोई भी औरत तुम्हारा ये मस्त कुलफा देख ले, तो मुझे पूरा विश्वास है की इसे खाए बगैर चैन नहीं लेगी…”
मम्मी का इतना कहना ही था की मैं मम्मी की चूचियों को मसलने लगा और मंजू की गर्दन पर किस करने लगा। सच बात तो ये है की मम्मी को ये सब अच्छा लगता था लेकिन वो ऊपर से नाटक करती थी, ताकि उसके और उसके बेटे के बीच में शर्म का परदा बना रहे।
मम्मी-“दीपू बेटा, प्लीज़्ज़… पीछे हटो, मुझे अभी बहुत काम करना है…”
मैं मम्मी की चूचियों को मसलते हुए-“मोम, मुझे भी तो आज आपका सारा काम करना है…”
मम्मी शरारत से-“बदतमीज़ कहीं का… अपनी मोम से डबल मीनिंग बात करता है…”
मैं-“बदतमीज़ दिल… बदतमीज़ दिल… माने ना माने ना…”
मम्मी-“हाँ, बड़ा आया हीरो… चल पीछे हट। अगर पूजा आ गई तो गड़बड़ हो जाएगी…”
मैं-“हाए मम्मी, गड़बड़ तो हो जाएगी, लेकिन मोम मुझे प्यार करने दो…” ओर मैंने अपने एक हाथ को मम्मी की चूची से हटाया और नीचे लेजाकर मम्मी की सलवार का नाड़ा ढीला कर दिया और अपना हाथ मम्मी की सलवार के अंदर ले गया।
जब मेरा हाथ मम्मी की पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर छुआ तो उसके हाथ से बर्तन छूटकर गिर गये और वो मदहोस होकर बोली-“उिफ्र्फ… दीपू पीछे हट… ये सब इस तरह से करना अच्छी बात नहीं है…”
मैंने ने मम्मी के गले पर किस किया और बोला-“मुझे नहीं पता मोम, मुझे आपसे प्यार करना है बस… और ये सब मैं किसी दूसरी औरत से नहीं बल्की अपनी होने वाली बीवी से कर रहा हूँ…”
मम्मी की हालत खराब हो चुकी थी, क्योंकि मैं लगातार उसकी चूत को पैंटी के उपर से सहला रहा था। तभी मम्मी झटके से मुझसे अलग हुई और मुझे चिढ़ाती हुई किचेन की ओर भाग गई। मम्मी अब किसी खुशबूदार गुलाब की तरह खुद ही मेरे पहलू में गिरने को तैयार थी, तो भला मैं अब कैसे पीछे हट सकता था। मम्मी एक औरत होने के नाते पहल करने में झिझक रही थी, सो मुझे ही आगे बढ़कर मम्मी की शर्म को दूर करना था। इसलिये मैं भी मम्मी के पीछे-पीछे किचेन की ओर गया तो मम्मी से झट से दरवाजा बंद कर लिया और खुद दरवाजे से सटकर खड़ी हो गई।
मैंने दरवाजा खटखटाया पर मम्मी ने दरवाजा नहीं खोला, तो मैंने बाहर से मम्मी को छेड़ते हुए कहा-“मम्मी, क्या हुआ? प्लीज़ दरवाजा खोलो ना… देखो अगर पूजा ने देख लिया तो वो क्या सोचेगी की उसका पापा उसकी मम्मी को प्यार नहीं करता, इसलिए प्लीज़ दरवाजा खोलो…”
तो मम्मी ने अंदर से धीरे से ना में जवाब दिया।
तो मैंने मम्मी को बोला-“ठीक है रानी, मत खोलो दरवाजा। अब तुम जितना मुझे तड़पाओगी, देखना रात में उतना ही जोर से ठोंकूंगा…” और इतना कहकर हूँसने लगा।
मैं जानता था की मम्मी ये सब सुन रही है और मैं वहां से जाने लगा। तो मैंने जाते-जाते मम्मी से बोला-“और हाँ मम्मी, अपनी अभी से चिकनी कर लेना, मुझे तुम्हारी एकदम चिकनी पसंद है…” और घर से बाहर निकल गया।
मैं जानता था की मम्मी अब पूरी से तैयार थी और वो ज़रूर आज अपनी चूत को किसी लौंडिया की तरह एकदम चिकनी करके रखेंगी। मैं जानता था की मम्मी अपने बेटे के साथ पहले नाजायज़ सम्बंध से घबरा गई थी। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं थी। रात को बीयर वाली बात मेरे लिए फ़ायदेमंद होगी। शराब से आदमी की झिझक खतम हो जाती है। मैं बाजार से कुछ बीयर और एक बोतल वोड्का की ले आया, जिसको मैंने फ्रिज में रख दिया।
पूजा दीदी भी वापस आ चुकी थी। उसने एक सिल्क की हल्के नीले रंग की पारदर्शी साड़ी पहनी हुई थी। माँ और दीदी ड्राइंग रूम में बैठे हुए थे। मैं दीदी के साथ सटकर छोटे सोफे पर बैठ गया। दीदी के जिश्म से भीनी-भीनी सुगंध उठ रही थी और उसका मखमली बदन मुझे उतेजित कर रहा था।
मैं-“मम्मी, मैं बीयर लाया हूँ। क्यों ना थोड़ी सी हो जाए? दीदी का मूड भी ठीक हो जाएगा और हम कुछ मस्ती भी कर लेंगे…”
माँ ने सिर हिला दिया और मैं तीन ग्लास में बीयर के साथ वोड्का मिक्स करके ले आया। माँ और पूजा दीदी ने ग्लास पकड़ लिए और धीरे-धीरे पीने लगीं। शराब के अंदर जाते ही मेरे लण्ड में आग भड़क उठी। मुझे अपनी दीदी और माँ बहुत ही कामुक लगने लगीं। एक प्लेट में मैंने फ्राइड फिश और सास रखी हुई थी। दीदी ने जब चुस्की लेने के बाद फिश खाई तो उसके होंठों पर सास फैल गई।
मम्मी-“पूजा ध्यान से खा। देख अपना मुँह गंदा कर लिया है तुमने। मैं नैपकिन लेकर आती हूँ…” माँ उठी और बाहर चली गई।
मैंने देखा की दीदी के मुँह पर सास लगी हुई थी। मैंने दीदी को बाहों में लेते हुए उसके होंठों से सास चाटनी शुरू कर दी-“माँ तो पागल है। मेरी स्वीट दीदी के स्वीट होंठों से सास सॉफ करने के लिए जब उसका भाई बैठा है तो नैपकिन की क्या ज़रूरत? भाई है ना दीदी के होंठों को प्यार से सॉफ करने के लिए…” कहकर मैंने दीदी को कसकर आलिंगन में ले लिया और उसके चेहरे को चूमने लगा।
दीदी भी उतेजित हो रही थी क्योंकि वो मुझे वापिस किस कर रही थी। जब माँ वापिस आई तो हम भाई बहन के मुँह एक दूसरे से ऐसे जुड़े हुए थे जैसे की कोई प्रेमी हों।
माँ चुपचाप बैठ गई-“दीपू बेटा, तू यहाँ अपनी दीदी को किस कर रहा है और बाहर दरवाजा खुला है। अगर कोई अंदर आ जाता तो? मेरे बच्चों, मेरी खुशी तुम्हारी खुशी में ही है। मैंने कल रात सब कुछ देख लिया था और पूजा ने मुझे सब कुछ बता दिया था। मैं तुम दोनों के साथ हूँ…”
मैंने दूसरा ग्लास बनाया जब सबने पहला ग्लास खाली कर दिया था। इस बार मैंने ग्लास में वोड्का की मात्रा बढ़ा दी ताकी सबको नशा जल्दी हो जाए।
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