RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
दीदी ने अपनी टांगें फैला ली और मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पे दबाने लगी, शावर का पानी हम दोनों के जिश्म पे गिरता जा रहा था और हम दोनों बहन भाई सेक्स के इस दौर में मस्त होते जा रहे थे, कुछ देर बाद दीदी ने मुझे ऊपर उठा लिया और हम फिर एक दूसरे की जीभ चूसने लगे।
फिर दीदी बोली-“दीपू मेरे बच्चे, जल्दी करो अब सबर नहीं हो रहा और तेरे जीजू भी पता नहीं कब उठ जाये?” यह कहते हुये दीदी डोगी स्टाइल में मेरे सामने झुक गई, और पीछे हाथ करके मेरा लण्ड पकड़कर खुद ही अपनी चूत के छेद पे रख दिया।
मैंने दीदी की कमर को दोनों हाथों से दोनों तरफ से पकड़कर जोर से झटका मारा।
तो दीदी चैन की सांस लेते हुए दबी आवाज़ में बोली-“अया दीपू मेरे भाई, अपनी दीदी के अंदर चल रही हलचल को शांत कर दो मे ेरे बच्चे, जितना भी जोर से चोद सकते हो अपनी इस बहन को चोदो…”
अपनी बहन के मुँह से ‘दीपू मेरे भाई और चुदाई’ जैसे शब्द सुनकर मैं बेकाबू होता जा रहा था। मैंने दीदी के ऊपर झुक के दीदी की दोनों चूचियां पकड़ ली और दबाने लगा।
अब दीदी अपनी कमर हिला-हिलाकर चुदवाने की कोशिश करती हुई बोली-“दीपू, तुम्हारी दीदी का सारा जिश्म तुम्हारा है, जैसे दिल चाहता है वैसे खेलो मेरे भाई…”
मैंने जोर-जोर से दीदी की चुदाई शुरू कर दी, और जीजू के उठने के ख्याल से तेज-तेज करने लगा। तकरीबन 10-15 मिनट के बाद दीदी झड़ गई, लेकिन जब तक मैं अपने आपको झड़ने के लिये तैयार करता और स्पीड तेज करता तो किसी ना किसी बात पे डिस्टर्ब हो जाता और फिर झड़ने से रह जाता। बाथरूम के अंदर कोई ठीक से पोज़ीशन सेट नहीं हो पा रही थी, मैंने शावर बंद किया और दीदी को अपने कंधे पे उठाकर वापिस बेड के करीब आ गया।
जीजू अभी भी सो रहे थे और हम दोनों बहन भाई पानी से भीगे हुए रूम में आ गये थे, मैंने दीदी को कुर्सी पे बिठाया और सामने से उसकी टांगों को अपने कंधों पे रख लिया। दीदी ने खुद ही जल्दी से अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़कर अपनी चूत के अंदर कर लिया। मैंने चुदाई शुरू कर दी जोर-जोर से। अब दीदी की गरम सांस भी मुझे पूरी तरह महसूस हो रही थी और दीदी की भीगी चूत बता रही थी कि दीदी फिर से तैयार हो रही है। मेरे सामने दीदी के लाल होंठ। गोल-गोल गोरी चूचियां और गरम सांसें थीं, जो कि मुझे झड़ने में बहुत हेल्प करने वाले थे।
दीदी का सारा जिश्म मेरे सामने गोल गठरी की तरह इकट्ठा हो गया था, मैं जोर-जोर चोदता तो कुर्सी हिलने लगती और कुर्सी के गिरने का भी खतरा रहता। लेकिन मुझे लग रहा था कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने चोदते-चोदते दीदी की चूचियों को चूसना शुरू कर दिया। फिर कुर्सी पे भी स्ट्रगल करते हमें 10-15 मिनट तक लग गये तो मैंने दीदी की तरफ देखा।
दीदी स्माइल करती हुई बिल्कुल धीमी आवाज़ में मेरे कान में बोली-“दीपू रुक जाओ, मैं फिर से छूटने वाली हूँ, तुम अपना करने के लिये थोड़ा टाइम मेरे पीछे वाले छेद में कर लो…”
मैं रुक गया, मैंने चोदना बंद करके अपना लण्ड निकालकर दीदी के मुँह में दे दिया। दीदी मेरे लण्ड को चूसने लगी और जोर-जोर से स्ट्रोक भी करने लगी ताकी मैं जल्दी झड़ सकूँ। करीब 5 मिनट के बाद मैंने फिर से अपना लण्ड दीदी की चूत में डालकर जोर-जोर से बहुत तेज चुदाई शुरू कर दी। करीब 2-3 मिनट के अंदर ही दीदी की सिसकियां निकली और वो मेरे जिश्म से लिपटकर उसे नोचने लगी, फिर कुछ झटकों के बाद शांत हो गई। मैं चोदता रहा, रुका नहीं।
दीदी झड़ने के वाबजूद भी मेरी हेल्प कर रही थी, अपनी जीभ बाहर निकालकर मेरे होंठ सॉफ कर रही थी।
अगले 5 मिनट के अंदर मेरी चुदाई की स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ गई और फिर मेरे जिश्म को भी 4-5 झटके लगे और मेरे अंदर की सारी गरम क्रीम दीदी के अंदर खाली हो गई। मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाला तो मेरे लण्ड के मुँह पे मेरी फेवीकौल जैसी गाढ़ी वीर्य के कुछ बूँदें बाकी थीं।
दीदी ने उन्हें भी बरबाद नहीं होने दिया, झट से मेरा लण्ड पकड़कर अपने मुँह में लेकर सॉफ कर दिया। जीजू के उठने के बाद फिर नाश्ता वगैरा करने के बाद यही सब चलता रहा। हम दो दिन शिमला में रहे लेकिन होटेल से बाहर निकलकर नहीं देखा। बस खाना पीना सब अंदर ही ऑर्डर करके आ जाता था। हम लोगों को 3 ही काम थे चोदना, चुदवाना, सोना, खाना-पीना और फिर शुरू चोदना, चुदवाना। टाइम का किसी को कुछ पता नहीं था कितना हुआ, बस सोकर उठते तो चोदना और खाना शुरू हो जाता।
जीजू मेडिकल स्टोर से प्रेग्नेन्सी टेस्ट स्ट्रिप ले आये और दीदी को प्रेग्नेन्सी टेस्ट करने को कहा।
मैं और जीजू आमने सामने लिविंग रूम में बैठे थे और टायलेट जीजू के पीछे और मेरी फ्रंट साइड की तरफ था। दीदी टेस्ट करने के लिये टायलेट जाती हुई टायलेट के दरवाजे के सामने जाकर रुक गई, फिर पलट के पीछे देखा तो मेरी नज़र दीदी की नज़र से मिली। तो दीदी ने मुझे प्रेग्नेन्सी टेस्ट स्ट्रिप दिखाते हुए उसे अपने दोनों हाथों में लेकर मसल दिया, टेस्ट स्ट्रिप टूट फूट के एक गोली की शकल में आ गई थी। दीदी वो गोली मुझे दिखाते हुए टायलेट के अंदर चली गई।
मेरा आँखें सिकुड़ गई कि दीदी करना क्या चाहती है? अगर टेस्ट नहीं करेगी तो प्रेग्नेन्सी का पता कैसे चलेगा? फिर 10 मिनट के बाद दीदी टायलेट से बाहर निकली और पीछे से आकर जीजू के गले में अपनी बाहें डालती और मुँह बनाते हुए बोली-“जानू, टेस्ट अभी भी नेगेटिव है आया है…”
जीजू थोड़ा सोचने लगे फिर उठकर मेरे पास आकर बोले-“मैं पूजा को कुछ दिन यहीं छोड़कर घर जा रहा हूँ…” जीजू वहीं से वापिस निकल पड़े।
फिर मैं और दीदी घर के लिए रवाना हो गये। जैसे ही मैं और दीदी घर पहुँचे तो मम्मी ने दरवाजा खोला।
मम्मी के चेहरे पर आज अलग ही तरह की मुश्कान थी। हमें अंदर बुलाते हुये मम्मी ने कहा-“पूजा, अब तू दामाद जी के साथ आई है, या फिर दीपू मेरे लिए बहू लेकर आया है?”
मम्मी की बात सुनकर मैंने शर्म से अपनी आँखें नीची कर ली।
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