RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
दीदी बहुत खुश लग रही थी और वो भी मुझे नीचे से अपनी कमर ऊपर उठाकर रेस्पॉन्स दे रही थी, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, मेरे चोदने से आगे पीछे तेजी से लहराती दीदी की चूचियां मुझे झड़ने में बहुत हेल्प कर रही थीं। दीदी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि मेरे तेजी से चुदाई करते-करते ‘पूउलछ पूल्छ छाप छाप’ की आवाजें आने लगी और पानी हम दोनों की जांघों पे फैल गया था।
दीदी का मुँह मेरे मुँह के बिल्कुल करीब था, अब दीदी दबी आवाज़ में बोली-“अया… आह्ह… एस, एस, कम ओन, कम ओन माइ बेबी, और जोर से, तेज, तेज, आऽऽ फक मी हार्डर बेबी, मेरा होने वाला है राजा…” हम दोनों बहन भाई अपनी अलग ही दुनियाँ में पहुँच गये थे।
मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया, अब मैंने दीदी के होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उसकी जीभ को अपने मुँह में खींचकर चूसने लगा। बस उसी वक़्त दीदी ने मुझे अपनी दोनों बाहों में भींच लिया, शायद दीदी फिर झड़ रही थी। दीदी के गोल-गोल टाइट चूचियां मेरे सीने के नीचे दब गईं, और इसी फीलिंग ने मुझपे ऐसा असर किया कि मेरे अंदर से ‘छररर छररर’ करती जोरदार 5-6 पिचकाररयां छूटी। कुछ सेकेंड तक मेरे जिश्म को झटके लगते रहे, फिर शांत हो गया। एक महीने से भरा गरम पानी मैंने अपनी बहन की चूत के अंदर खाली कर दिया था, हम दोनों रिलेक्स थे।
मैं ऐसे ही दीदी के ऊपर पड़ा रहा फिर दबी आवाज़ में पूछा-दीदी आपका हो गया?
दीदी-“हाँ, मेरा तो तुमसे पहले ही हो गया था, तुम्हारा भी हो गया ना?”
मैंने इनकार में अपना सिर हिला दिया और मुश्कुराने लगा।
दीदी मेरे गाल पे हल्की सी चपत लगाते हुए बोली-“नाटी… मुझे पता है कि तुम्हारा भी हो गया है…”
हम दोनों बहन भाई इस सेशन में जीजू को भूल गये थे। जब मैंने जीजू की तरफ देखा तो उनकी पानी जैसी पतली वीर्य उनके हाथ पे और नीचे फर्श पे पड़ी थी और उनका लण्ड उनके हाथ में था। मेरे ख्याल से हम दोनों की चुदाई देखकर ही उन्होंने मूठ मारकर अपना काम कर लिया था। वैसे भी उनको झड़ने के लिये 2-4 मिनट ही लगते थे। मैं दीदी के ऊपर लेटा हुआ था।
दीदी ने जब जीजू की तरफ देखा तो बोली-“ऊवू मेरा सोना… उधर अकेला ही बैठा है… इधर आओ मेरा सोना…”
जीजू किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह कुस़ी से उठकर हम दोनों के पास आ गये। मैं बेड पे दीदी की दायें साइड पे सरक गया और जीजू दीदी के बाईं साइड की तरफ लेट गये। मुझे नींद आने लगी थी इसलिए मैं सीधा ऊपर की तरफ मुँह करके सोने लगा।
तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूचियां पे रख लिया और बोली-“दीपू मेरे बच्चे, इधर आओ, तुम भी मेरी तरफ करवट लेकर सो जाओ, मैं सुलाती हूँ अपने दोनों बच्चों को…” फिर हम दोनों दीदी को बीच में लिटा के सो गये।
दीदी सोते-सोते भी कभी मुझे स्मूच करती तो कभी जीजू को, मुझे नींद आ रही थी लेकिन दीदी अभी भी मेरे लण्ड से छेड़छाड़ कर रही थी। मैं हैरान था कि दीदी इतनी गरम है तो जीजू इसे ऐसे कैसे सभालते होंगे? वैसे दीदी की इसमें कोई गलती नहीं था, हमारे परिवार में सेक्स के मामले में सब लोग एक्स्ट्रा हाट हैं। पता नहीं मुझे कब नींद आ गई और जब आँख खुली तो जीजू सो रहे थे लेकिन दीदी उठकर नहा चुकी थी उसके नंगे जिश्म पे पानी की बूँदें कितनी सेक्सी लग रही थी। मैं भी रिचार्ज हो चुका था। दीदी को देखते ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
तो दीदी मेरे लण्ड पे किस करते बोली-“उम्म्म… मेरे राजा को भी भूख लग गई…” फिर दीदी ने उल्टे लेटे जीजू को उठाने की कोशिश की।
लेकिन जीजू ने बहुत ज्यादा पी रखी थी इसलिये वो नींद में ही बोले-“यार मुझे सोने दो…”
दीदी-“जान उठो, कुछ करोगे नहीं तो बच्चा कैसे पैदा होगा?”
जीजू फिर नींद में बोले-“यार तुम लोग कर लो जो करना है, मेरा सर फट रहा है मुझे सोने दे…”
जीजू उल्टे लेटे थे। मैंने जीजू की गाण्ड की तरफ देखा, फिर अपने लण्ड को पकड़कर दीदी को हाथ के इशारे से कहा-“पेल दूं जीजू की गाण्ड में अपना लौड़ा?”
तो दीदी की हँसी निकल गई और उसने अपने मुँह पे हाथ रख लिया।
दीदी को नंगे घूमते देखकर मेरे अंदर का शैतान फिर जाग गया था, और मुझे लग रहा था कि दीदी तो पहले ही चुदवाने के लिए तैयार हैं। मैंने अपने लण्ड को हिलाते हुए दीदी को टायलेट में जाने का इशारा किया। मेरी रंडी बहन अब मेरे लण्ड की दीवानी हो चुकी लगती थी, इसलिये अब मेरे इशारे भी समझने लगी थी। दीदी ने इशारे से ही मुझे जीजू की प्रेजेन्स के बारे में कहा, फिर मुझे हाथों के इशारे से ही तसल्ली देते हुए बोली-“दीपू पहले नहाने जाओगे या ऐसे ही नाश्ता करना है?”
मैं अपने लण्ड को हिलता बोला-“दीदी पहले नहाना है, लेकिन भूख भी बहुत जोर से लगी है…”
दीदी-“ओके, मैं तुम्हारा तौलिया टायलेट में रख देती हूँ तुम नहा लो पहले…” यह कहती हुई वो मेरा तौलिया उठाकर टायलेट की तरफ चली गई और इशारे से मुझे भी अपने पीछे आने को बोला।
मैं छलाँग लगाकर जल्दी से दीदी के पीछे टायलेट में चला गया, जीजू सो रहे थे। टायलेट में पहुँचते ही मैंने दीदी को दबोच लिया, उसकी चूचियां अपने मुँह में डालते हुए बोला-“दीदी मैं आपको चोदने के लिये कितने बरस तरसा, कितना तडपाया आपने मुझे?”
दीदी मेरे बालों में उंगलियां फिरते हुए बोली-“सारी मेरे बच्चे… मैंने तुमको बहुत तरसाया है, मुझे पता है। काश मैं उस वक़्त तुम्हारी फीलिंग्स समझ जाती, तो अपने घर हम बहन भाई जो मर्ज़ी करते… अब जब मैंने तुझे इतना तरसा कर गलती की है तो मैं तुझे इसका इनाम भी दूंगी। तू मम्मी को चोदना चाहता है मेरे भैया राजा? अब मैं तुम्हारी मम्मी को चोदने में हेल्प करूँगी ताकि तुझे और तुम्हारे इस लण्ड को चूत के लिए कभी तरसना ना पड़े…” यह कहते हुए वो मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर स्मूच करने लगी।
मैंने शावर खोल दिया, और हम दोनों बहन भाई एक दूसरे के जिश्म से खेलने लगे।
दीदी मेरे बालों में अपनी लंबी-लंबी उंगलियां फिराते हुए बोली-“अया मेरे राजा भैया, मुझे तुमको तरसाने की सज़ा मिल रही है, तुम्हें क्या पता कि मैं शादी करके कितनी प्यासी हूँ, तुम्हारे जीजू दो मिनट में अपना काम करके सो जाते हैं, इससे मेरी प्यास क्या बुझनी है, उल्टा मेरे अंदर आग लगाकर सो जाते हैं, उसके बाद मुझे ही पता है मेरी क्या हालत होती है? सुहागरात से लेकर आज तक तेरे जीजू मुझे एक बार भी शांत नहीं कर पाये, कभी-कभी फिंगरिंग करके अपने आपको शांत कर लेती हूँ। कल तुम्हारे साथ सेक्स करके मुझे पहली बार एहसास हुआ कि असली चुदाई क्या होती है? मर्द से औरत की प्यास कैसे बुझती है? कल तूने मुझे कली से फूल बनाया…” यह कहती वो मेरे जिश्म को जल्दी-जल्दी चूमने लगी थी।
शावर का पानी हम दोनों पे गिर रहा था और अब दीदी मेरे लण्ड को नहीं छोड़ रही थी और मैं उसके गोल-गोल चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से दबा रहा था। मैं दीदी के कान को किस करता बोला-“दीदी आपको पता है कि मैं आपको चोदने के लिये 10 साल पहले से स्कूल टाइम से कोशिश कर रहा हूँ…”
दीदी-“मुझे सब पता है मेरे भाई, एक-एक बात याद है, लेकिन पता नहीं क्यों मैं उस वक़्त तुमको समझ नहीं पाई, शायद इसीलिये आज प्यासी हूँ। तुम्हारे जीजू तो मुझे अपने किसी कजिन विकास के साथ यह सब करने को कह रहे थे, लेकिन मुझे वो बिल्कुल पसंद नहीं था, उसकी बाडी पे परफ्यूम लगाने के बाद भी इतनी गंदी गंध आती है कि उसके पास खड़े होना भी मुश्किल है। पता नहीं कैसे-कैसे मैंने तेरे जीजा को तुम्हारे लिये पटाया है, मेरे सोना भाई…”
मैं-“दीदी, मैं आपकी प्यास बुझाऊूँगा। आप फिकर मत करो, मैं आपकी हर इच्छा पूरी करूँगा…” यह कहते हुये मैं दीदी के गालों पे, होंठ पे, कानों पे और गर्दन पे किस करने लगा। हम दोनों बहन भाई एक दूसरे के जिश्म से खेलने लगे, दीदी मेरे लण्ड को हिलाती जा रही थी, मैंने दीदी की टांगों के बीच चूत पे अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया फिर धीरे-धीरे अपनी दो उंगलियां दीदी की चूत में घुमाने लगा।
दीदी बहुत गरम हो चुकी थी उसके होंठ फड़फडाने लगे थे। वो मेरा हाथ अपनी चूत पे दबाती हुई बोली-“दीपू मेरे बच्चे, अब और मत तड़पाओ… मैं पहले ही दो साल से तड़प रही हूँ…”
मैं दीदी की टांगों के बीच बैठ गया और दीदी की चूत चाटने लगा।
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