RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
दीदी मेरे मुँह पे सवार हुई अपनी चूत चटवा रही थी, जीजू की तरफ उनकी पीठ थी। मैं भी जीजू को देख नहीं सकता था, क्योंकि मेरा मुँह दीदी की जांघों में फँसा हुआ था, मेरी आँखों के सामने दीदी की लाल चूत और गोरर-गोरी जांघें नज़र आ रही थीं। मैं थोड़ा ऊपर देखने की कोशिश करता तो दीदी की गोल-गोल चूचियां और गोरा पेट नज़र आता। दीदी ऊपर-नीचे होकर खुद मेरे मुँह को चोद रही थी, मुझे जीजू नज़र नहीं आते थे लेकिन मैं महसूस तो कर रहा था।
जीजू मेरा लण्ड पूरी मस्ती से अपने मुँह में लेकर चूस रहे थे। अब मुझे और टेंशन हो गई कि दीदी के साथ जीजू की गाण्ड भी मारनी पड़ेगी, मैंमें बलि का बकरा बना हुआ था। दीदी और जीजू दोनों अपना-अपना मज़ा लेते हुये मुझे अपने तरीके से चोद रहे थे। करीब 15 मिनट यही सब चलता रहा।
फिर जीजू उठे और उन्होंने दीदी को कमर से पकड़कर ऐसे ही पीछे खींच लिया मैं सीधा लेटा हुआ था और मेरे ऊपर दीदी झुकी हुई थी, दीदी के दोनों पैर मेरी कमर के आस-पास थे दीदी का मुँह मेरे मुँह के करीब था और उसके दोनों हाथ मेरे दोनों कंधों के आगे मेरे सर के आस-पास थे, जिन पे दीदी का बैलेन्स बना हुआ था। मेरी टांगों के बीच खड़े जीजू पहले दीदी की गाण्ड चाटते रहे, फिर अपने लण्ड को पकड़कर दीदी की चूत में डालते हुये जोर से झटका मारा।
तो दीदी का बैलेन्स हिल गया, और वो मेरे ऊपर गिरती-गिरती संभल गई-“उउम्म्म्म…” की आवाज़ के साथ दीदी मेरे ऊपर झुकी, अपने डोगी स्टाइल में जीजू से चुदवाने लगी थी, मेरे सामने अजीब नज़ारा था, दीदी का गोरा सेक्सी जिश्म डोगी स्टाइल में मेरे सामने जीजू से चुद रहा था, जीजू के झटकों के साथ दीदी की गोरी-गोरी चूचियां मेरे सामने आगे पीछे लहरा रही थी।
मैं अपनी बहन को चुदते हुए सॉफ देख रहा था। इसलिये मुझसे सबर नहीं हो पा रहा था, और मैं पागल हुआ जा रहा था, फिर मेरी निरें दीदी की नज़रों से टकराई तो दीदी ने स्माइल के साथ अपनी जीभ बाहर निकालकर हिलाते हुए मुझे किस करने का इशारा किया।
मैंने थोड़ा ऊपर उठकर स्मूच के लिए अपना मुँह खोल दिया, तो दीदी ने झट से अपने मुँह में इकट्ठा हुआ सलाइवा मेरे मुँह में फैंकना शुरू कर दिया।
अजीब नज़ारा था। जीजू जोर-जोर से दीदी की चुदाई कर रहे थे। मैं थोड़ा ऊपर उठकर दीदी के सर के पीछे अपना हाथ रखकर उसे स्मूच करने लगा, लेकिन जीजू के झटकों से बैलेन्स नहीं बन पा रहा था और स्मूच करते-करते हमारे दोनों बहन भाई के सर टकरा जाते थे। फिर मैं थोड़ा नीचे सरक गया और दीदी के हवा में लहराती चिकनी चूचियों से खेलने लगा, उन पे अपना मुँह फिराने लगा।
करीब 5 मिनट के अंदर ही जीजू के मुँह से जोर से आवाज़ निकली-“ऊऊऊपप्प्प्प, ऊवू…” और वो डोगी स्टाइल में झुकी दीदी की कमर के ऊपर ही झुक गये और रिलेक्स हो गयर।
मैंने अपने ऊपर डोगी स्टाइल में झुकी हुई दीदी की आँखों में देखा तो उन्होंने अपना थोड़ा सा सर हिलाते हुए मुझे अजीब सी स्माइल दी, जैसे उनका कहना हो कि जीजू का बस इतना ही टाइम होता है। अब माहौल शांत हो गया था, दीदी वैसे ही मेरे ऊपर झुकी थी, जीजू का सिकुड़ा हुआ लण्ड दीदी की चूत से बाहर आ चुका था। अब जीजू बैठ गये और फिर मेरे लण्ड को हिलाने लगे और डोगी स्टाइल में झुकी दीदी को ऐसे ही मेरे लण्ड के ऊपर बैठने को कहने लगे।
दीदी ऐसे ही झुकी हुई मेरे ऊपर बैठने लगी तो जीजू के हाथों में पकड़ा मेरा मोटा लण्ड दीदी की चूत में समाता चला गया। मैंने अपने घुटने मोड़ लिये। बैठने के बाद, दीदी ने अपने दोनों हाथ मेरे पेट पे रखे और मेरे घुटनों से अपनी पीठ सटाते हुए रिलेक्स हो गई। फिर अपने खुले सिल्की बालों को बांधने लगी। कितने आराम से बैठी थी मेरी बहन मेरे लण्ड पे, जैसे एक मासूम बच्ची अपने डैड की गोद में बैठी हो और उसे दुनियाँ की कोई खबर ना हो, कुछ पता ना हो।
मुझे यह सोचकर कितनी अच्छी फीलिंग हो रही थी कि अब मेरा सारे का सारा लण्ड पूजा दीदी की चूत के अंदर था। कितना तरसा था मैं इस पल के लिये, यह सोचते ही मुझे फिर गुस्सा आने लगा और मैंने नीचे से अपनी गाण्ड उठा-उठाकर दीदी की चूत पर जोर-जोर से धक्के मारने लगा।
मेरे जबरदस्त धक्कों से दीदी एकदम हिल गई और बोली-“उह्ह… मम्मी, मेरी फट गई भैया धीरे…”
मैं-“साली रांड़, अब माँ को याद कर रही है। आज तो तेरी चूत फाड़कर रख दूंगा साली रांड़। अब तुझे मेरे इस लण्ड का पानी निकालना है। साली कुतिया, आज अगर तू मेरे इस लण्ड का पानी नहीं निकालेगी तो क्या तेरी माँ मेरे इस लण्ड का पानी निकालेगी साली रांड़?”
पूजा दीदी-“भैया, प्लीज़ निकाल लो… धीरे-धीरे डालो… ऐसा तो मम्मी भी नहीं ले सकती… प्लीज़्ज़ मेरे सैंया, अब मैं और नहीं ले सकती… आप चाहो तो इसको मम्मी की चूत में डाल दो…”
मैं-“साली कुतिया, उस रांड़ की चूत में भी डालूंगा ही, साली वो कौन सी कम रंडी है। सारा दिन घर पर मेरे सामने अपनी चूची और गाण्ड हिला-हिलाकर चलती है…”
पूजा दीदी मेरे लण्ड पर उछलते हुए-“भैया, लगता है तुम्हारा दिल मेरा सैंया बनने के बाद अब माँ का सैंया बनने का है?”
मैं-“हाँ मेरी रांड़ मस्त बहना, उस साली रांड़ की चूत भी तो लण्ड की प्यासी होगी? उसको भी तो लण्ड की ज़रूरत होगी? अब अगर मैं बहेनचोद बन ही गया हूँ तो फिर मादरचोद बनाने में क्या बुराई है?” और मैंने दीदी को जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड दीदी को चोदने की फीलिंग से ही और भी सख्त होता जा रहा था।
जीजू बेड के साथ पड़ी चेयर पे बैठकर पेग बनाने लगे थे।
अब दीदी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, वो भी ऊपर-नीचे होकर मुझे चोदने लगी थी, जीजू पेग बनाते हुये हमारी तरफ देख रहे थे। मैं थोड़ा ऊपर उठ गया और दीदी की चूचियों को मुँह में लेकर उनपे अपनी जीभ फिराने लगा।
तो दीदी के मुँह से फिर पतली सी आवाज़ में निकला-“आआह्ह… दीपू, में लील बेबी, ईई, मैंने क्यों तुम्हें इतना तंग किया?” और वो मेरे सर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी चूचियां पे दबाने लगी। दीदी की चूचियां सख्त थीं लेकिन स्किन एकदम मुलायम थी। मैं उसकी चूचियां पे अपना सलाइवा गिराकर चाटने लगा फिर बीच-बीच में हम दोनों बहन भाई एक दूसरे को चोदना भी शुरू कर देते, करीब 10-15 मिनट यह सब चलता रहा, उसके बाद मैं सीधा लेट गया और दीदी अपनी कमर ऊपर-नीचे करके मुझे चोदने लगी। वो भी मेरे स्टाइल में ही मज़ा ले रही थी।
पहले सेकेंड में उसका पूरा जिश्म ऊपर उठता और मेरा लण्ड उसकी चूत के बाहर होता, फिर अगले सेकेंड वो जोरदारर झटका नीचे मारती तो मेरा पूरा लण्ड उसकी साफ्ट चूत को फाड़ता हुआ उसके अंदर चला जाता, वो तेजी से ऐसा करने लगी, कभी-कभी तो निशाना चूक जाता तो मेरा लण्ड उसकी चूत की जगह उसकी जांघों में से स्लिप करता पीछे निकल जाता, और कभी आगे की तरफ निकल आता तो वो खुद ही जल्दी से पकड़कर उसे अंदर डाल लेती। दीदी को पता नहीं क्या सूझा।
एक बार तो जब मेरा लण्ड स्लिप करके उसकी गाण्ड के छेद को छूता हुआ उसके पीछे की तरफ उसकी गाण्ड में चला गया तो अगले ही पल वो ऊपर उठी और मेरे लण्ड को पकड़कर अपने अंदर डालने लगी तो मुझे ऐसा लगा कि मेरा लण्ड पिस रहा है, इस बार इतना टाइट छेद था कि मेरा लण्ड आधा भी अंदर नहीं घुस पाया था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे लण्ड की स्किन फट जायेगी। मैंने दीदी की तरफ देखा तो उसके माथे पे सिकुड़न थी, लेकिन फिर भी वो मेरे लण्ड पे अपना वजन डाले जा रही थी, लेकिन लण्ड इतना मोटा था कि मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लण्ड किसी लोहे के पाइप में फँस गया है।
फिर दीदी ने सिर हिलाया और धीरे से बोली-“माई गोड, नहीं जा रहा है…”
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