RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
मुझे ऐसे देखते देखकर जीजू काफ़ी खुश लग रहे थे, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे दीदी जीजू ने यह सब करके मुझे गरम करने की पहले ही प्लानिंग कर रखी थी। वो मेरी तरफ देखकर बोले-“दीपक, अब शरमाना छोड़ो यार, और तुम भी चेंज कर लो…”
मैंने कहा-“मैं भी पहले नहा लूँ…”
दीदी हम दोनों के पास आकर बैठ गई। मैंने अपना दूसरा पेग भी खतम किया और धीरे से अपनी डिले स्प्रे, शॉर्टस और टी-शर्ट निकालकर नहाने चला गया, और टायलेट में जाते ही मैंने पहले अपनी डिले स्प्रे निकालकर अपने खड़े लण्ड के सुपाड़े पे स्प्रे किया, क्योंकि मुझे पता था कि मैं दीदी के जिश्म का भूखा था, और कहीं ऐसा ना हो कि उसके नंगे सेक्सी जिश्म को देखकर ही मेरी पिचकारी निकल जाये। अच्छी तरह से अपने लण्ड की टोपी पे स्प्रे करने के बाद मैंने नहाना शुरू कर दिया और 10 मिनट के बाद जब मेरा लण्ड स्प्रे की वजह से पत्थर जैसा सख्त हो गया तो मैं शॉर्ट और टी-शर्ट में बाहर निकल आया।
बाहर दीदी और जीजू के सामने टेबल पे एक ट्रे पड़ी थी जिसमें व्हिस्की में आइस से भरे तीन काँच के गिलास और कुछ खाने का सामान, आइस, सोडा, और पेप्सी वगैरा पड़ा हुआ था, शायद मेरे पीछे वेटर ऑर्डर दे गया था। दीदी जीजू के करीब बैठी थी और जीजू का दायां हाथ दीदी की जांघों पे रेंग रहा था। मेरा लण्ड शॉर्टस में तना हुआ था। इस बार भी मैंने शॉर्टस की पाकेट में हाथ डालकर उसको दबाया हुआ था, मैं उनके पास आकर बैठ गया।
दीदी और जीजू ने अपने-अपने ग्लास उठाये और मुझे भी उठाने के लिये इशारा किया। हम तीनों ने चीयर्स किया और सिप करने लगे। दीदी मुझसे नज़र नहीं मिला रही थी, लेकिन उसने अपना एक हाथ मेरी जांघों पे रखकर मसाज करना शुरू कर दिया। फिर जीजू बेड से उठकर दीदी की टांगों के बीच फर्श पे बैठ गये और उसकी टांगों को फैलाकर नाइटी को पीछे हटाकर धीरे-धीरे दीदी के घुटनों को चूमते हुए ऊपर दीदी की चूत की तरफ जाने लगे।
दीदी की दोनों जांघों को कुछ देर चूमने के बाद उठकर खड़े हो गये और अपने कपड़े उतारने लगे। फिर अपना व्हिस्की का ग्लास उठाकर खतम कर दिया और हम दोनों को भी खतम करने के लिये बोलने लगे। जीजू के जिश्म पे सिर्फ़ अंडरवेर थी, वो ऐसे ही दीदी के सामने खड़े हो गये।
मैं बैठा सब देख रहा था।
दीदी बाहर से ही उनकी अंडरवेर के ऊपर से ही उनके लण्ड को पकड़कर सहलाने लगी, लेकिन मुझसे नज़र चुरा रही थी, जैसे इस रूम में वो दोनों ही थे।
जीजू ने मेरी तरफ गर्दन घुमाई और बोले-“कम ओन दीपक यार, अभी तक व्हिस्की ने भी असर नहीं किया क्या? दारू पीकर तो सब माँ-बहन भी सेक्सी लगने लगती हैं, और तुम अभी भी शर्मा रहे हो?”
फिर वो मेरी तरफ पलटे और मेरी शॉर्टस में हाथ डालते हुए उन्होंने मेरे लण्ड को बाहर निकालते हुए कहा-“लगता है मुझे ही सब करना पड़ेगा?”
मेरा लण्ड बाहर आते ही उनके मुँह से निकला-“यार तुम्हारा हथियार तो मुझसे भी बड़ा लग रहा है…” फिर मुझे बाँह से पकड़ते हुए खड़ा होने के लिये बोले .
मैं उनके साथ ही दीदी के सामने खड़ा हो गया, मेरा शॉर्टस मेरी कमर से थोड़ा नीचे था और मेरा खड़ा लण्ड शॉर्टस से बाहर था। दीदी ने जीजू की अंडरवेर के अंदर अपना हाथ डालकर उनके लण्ड को बाहर निकाल लिया और मेरा अंडरवेर नीचे खींच दी, अब मेरा खड़ा लण्ड दीदी के मुँह के बिल्कुल सामने था।
मेरा ध्यान जीजू के लण्ड की तरफ गया, उनका लण्ड 3” से 4” लंबा, लेकिन पतला था। मेरा लण्ड उनके मुकाबले काफ़ी मोटा था और लंबाई तकरीबन 8” थी। दीदी जीजू की आँखों में देख रही थी।
तभी जीजू बोले-“कम ओन बेबी, गेट हिम रेडी, गिव हिम रियली नाइस ब्लो जाब, ऐसे चूसना, ऐसा कुछ करना कि हम सब रिश्ते भूल जायें और यह ट्रिप यादगार बन जाये…”
दीदी ने हम दोनों के लण्ड को अपने दोनों हाथों में पकड़ा और हिलाने लगी। आज पहली बार दीदी ने मेरे लण्ड को अपनी मर्ज़ी से अपने नाज़ुक हाथों में पकड़ा था। मैं लिख नहीं सकता कि उस वक़्त मुझे कैसी फीलिंग हो रही थी। दीदी बैठे-बैठे हम दोनों के लण्ड से खेलने लगी। फिर जीजू का सिग्नल मिलते ही दीदी ने अपना मुँह खोलकर मेरा लण्ड अपने मुँह में डालकर अंदर गले तक ले गई। वो अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पे रखकर उसे दबाने लगी। मेरा 8” से भी बड़ा और मोटा लण्ड दीदी के मुँह में पूरा समा चुका था, और दीदी उसको और अपने मुँह के अंदर पुश करने की कोशिश कर रही थी। पता नहीं ऐसा अनुभव उसे कहाँ से मिला? शायद जीजू ने ही उसे ट्रेंड किया होगा।
कुछ देर मेरा लण्ड दीदी के मुँह के अंदर ही रहा, मैं हैरान था कि उसका इतना स्टैमना कैसे बन गया? इतनी देर तक सांस रोकना कौन सी आसान बात है। मैं उड़ने लगा था, मेरा लण्ड और भी सख्त होता चला गया। थैंक गोड कि मैंने अपने लण्ड पे डिले स्प्रे लगा रखा था जिससे मेरे लण्ड को दीदी के मुँह की गर्मी का कुछ खास फरक नहीं पड़ा, नहीं तो अब तक 100% मेरे लण्ड से पिचकारी दीदी के मुँह में ही छूट जानी थी।
व्हिस्की भी अब हम तीनों पे अपना असर खूब दिखाने लगी थी, मैं सोच रहा था कि जीजू के सामने शर्म करने का ड्रामा भी अब खतम कर दूं। फिर झटके से दीदी ने अपने मुँह से मेरा लण्ड बाहर निकाला और हाँफने लगी। मेरा लण्ड पहले से बड़े नज़र आ रहा था, उसपे लगा दीदी का सलाइवा नीचे फर्श की तरफ टपक रहा था। मेरी आँखों में कामुकता देखकर जीजू मुश्कुरा रहे थे। फिर उन्होंने दीदी की नाइटी के गले से अंदर हाथ डालकर उसकी चूची को मसलना शुरू कर दिया।
दीदी ने एक हाथ में मेरा लण्ड पकड़ा था और दूसरे से जीजू का लण्ड पकड़कर उसपे अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिया। दीदी के दोनों हाथ और मुँह पूरा बिजी थे। क्या नशारा था… मेरी बहन किसी रंडी से कम नज़र नहीं आ रही थी। कोठे की रंडी भी इतनी मस्ती से अपने यार का लण्ड नहीं चूसती, जितना मेरी बहन मेरा चूस रही थी।
जीजू मेरी तरफ देखते हुये बोले-“दीपू यार, मैं पूजा को कभी संतुष्ट नहीं कर पाया, पता नहीं क्यों मैं जल्दी डिस्चार्ज हो जाता हूँ? व्हिस्की पीने से फिर भी थोड़ा टाइम लग जाता है लेकिन बिना पिए तो बस 5 मिनट भी नहीं लगते, बस पूजा के हाथ लगते ही मेरा लण्ड पानी छोड़ देता है…”
दीदी जीजू के लण्ड को चूसे जाया रही थी और मेरे लण्ड को हिलाती जा रही थी।
करीब 3-4 मिनट के बाद जीजू पीछे की तरफ सरक गये और दीदी को बोले-“पूजा यार, मेरा होने वाला है, थोड़ा रुक जाते हैं, मैं नहाकर फ्रेश होकर आता हूँ तब तक तुम दीपक का मस्त टेस्टी लोलीपोप चूस लो…” फिर वो जाते-जाते सबके लिये पेग बनाने लगे।
हम तीनों बैठकर ड्रिंक खतम करने लगे, दीदी हमारे बराबर दारू पी रही थी। पेग खतम करने के बाद जीजू नहाने चले गयेई। पूजा दीदी ने जल्दी से उनके कुछ कपड़े निकालकर उनको दे दिए और मेरे पास बैठती हुई मेरी आँखों में आँखें डालती हुई, किसी बेशर्म रंडी की तरह स्माइल देते हुए मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाने लगी। फिर मेरी टांगों के बीच फर्श पे बैठ गई, और मेरे लण्ड को हिलाती हिलाती मेरी जांघों पे किस करने लगी। फिर ऊपर आते-आते मेरे बाल्स को मुँह में लेकर चूसने लगी, जैसे कोई रंडी सदियों से सेक्स की प्यासी हो। फिर बाल्स पे अपनी जीभ फिराती हुई लण्ड की टोपी के आस-पास जीभ फिराती रही। मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मुँह के अंदर ही मेरी टोपी के ऊपर जीभ घुमाने लगी।
मेरी आँखें मस्ती से बंद हो रही थीं, और मेरे हाथ दीदी के सिर पर उसके बालों को सहला रहे थे। जीजू टायलेट में नहा रहे थे। वैसे भी हम सभी काफ़ी ड्रंक हो चुके थे। मुझसे रहा ना गया तो मैं खड़ा हो गया और अपने सामने बैठी अपनी बड़ी बहन के सिर को दोनों हाथों से पकड़कर अपना पूरा लण्ड दीदी के मुँह में घुसेड़ दिया, और उसको मुँह में ही चोदने लगा।
मैं दीदी की इतनी तेज मुँह में चुदाई करने लगा कि उसके मुँह से “ऊरल, ऊओरल ऊल, ककरूंवल, ल्ल…” की आवाजें निकलने लगी।
फिर एकदम से मैंने अपना लण्ड दीदी के मुँह से निकाल लिया और उसके मुँह के करीब थोड़ा झुक गया। मेरा लण्ड चूसने के लिए उसके खुले मुँह में मैंने अपने थूक की लार छोड़ दी, मेरा थूक सीधा दीदी के मुँह में जा रहा था, मैं थोड़ा और झुका और धीरे-धीरे दीदी के होंठों के आस-पास और गालों पे लगा अपने लण्ड का जूस और उसके थूक का मिक्चर चाटने लगा, जो कि मेरा लण्ड चूसने से दीदी के होंठ और गालों पे फैला था। उसके बाद मैंने अपने होंठ दीदी के होंठों पे रख दिए और स्मूच करने लगा।
शायद दीदी इसके लिए पहले से ही तैयार थी, उसने झट से अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं उसकी जीभ को चूसने लगा। करीब 5 मिनट के बाद हमारे मुँह का लाक खुला तो दीदी बोली-“सारी दीपू, मैंने तुम्हें बहुत तरसाया, बहुत तडपाया ना… काश, मैं उस वक़्त तुम्हें समझ जाती…”
मैं कुछ नहीं बोला, बस दीदी की नाइटी के गले के अंदर हाथ डालकर उसकी चूचियां दबाना शुरू कर दिया, आज भी दीदी की चूचियां वैसे ही सख़्त थीं। पता नहीं जीजू ने कभी उनको दबाया भी था या नहीं? निप्पल्स भी वैसी ही टाइट थे। मैं एक चूची को बाहर निकालकर उसको चूसने लगा।
दीदी मेरे गले में अपनी दोनों बांहें डालकर प्यार से कहने लगी-“दीपू, कुछ बोलो भी… अपनी दीदी को माफ़ नहीं करोगे क्या? आई एम रियली सारी मेरे बच्चे, अब तुम जैसा कहोगे वैसा ही करूँगी…”
तबी मुझे लगा कि शायद जीजू टायलेट से आ रहे हैं तो मैं खड़ा हो गया। और दीदी ने फिर से मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। दीदी मेरा लण्ड चूसे जा रही थी और मैंने अपना मुँह ऊपर छत की तरफ करके आँखें बंद कर ली थी।
तभी जीजू टायलेट से आते हुए बोले-“यार तुम लोग अभी तक यहीं पे फँसे हुए हो? इस रांड़ को अपना लण्ड चुसवा रहे हो। मैंने तो सोचा था कि अब तक तो इस साली कुतिया की टांगें एक बार खोलकर उसकी चूत में अपना लण्ड डालकर एक सेशन भी कर लिया होगा…”
फिर दीदी ने उनको आते देखकर मेरा लण्ड छोड़कर उनका लण्ड पकड़ लिया और उसे चूमने चाटने लगी।
कुछ ही देर में फिर हम दोनों दीदी के आगे खड़े अपने खड़े लण्ड चुसवा रहे थे। जीजू इस बार बहुत उत्तेजित हो गये और उन्होंने दीदी को कंधों से पकड़कर सीधा पीछे की तरफ बेड पे लिटा दिया, उसकी नाइटी को खोल दिया और दीदी की चूचियां चूसने लगे। फिर अचानक मुझे ऐसे ही खड़ा देखा तो बोले-“दीपक यार, तुम भी बहुल ढीले हो, खुलकर रेस्पॉन्स नहीं दे रहे हो…” फिर उन्होंने दीदी की नाइटी उतार दी और उसे सीधा बेड पे लेटने को कहा, और मुझे लण्ड से पकड़कर बेड के ऊपर खींचने लगे।
अब हम तीनों बेड पे थे। दीदी खाली पैंटी में सीधी लेटी हुई थी, उसका गोरा बे-दाग बदन देखकर मेरे होश उड़ गये। जिसे मैं बरसों से पाने के लिये तरस रहा था, आज मेरे सामने थी। उसकी गोल-गोल चूचियां पतले जिश्म पे अलग ही नज़र आ रही थीं। जीजू ने मुझे दीदी की टाँगों के सामने बिठा दिया और खुद दाईं साइड पे बैठ गये। फिर जीजू ने दीदी की स्काइ ब्लू कलर की प्री-कम से भीगी पैंटी को उतारकर चूमा और बोले-“वाह… मेरी जान, आज बहुत गरम लग रही हो, कितनी गाढ़ी मलाई निकल रही है तुम्हारी चूत से…”
फिर उन्होंने दीदी की टांगें थोड़ा मोड़ करके मेरे सामने फैला दी और मुझे घुटनों के बल बिठाकर मेरे लण्ड की पोज़ीशन दीदी की चूत के सामने सेट करने लगे। फिर उन्होंने दीदी की कमर को नीचे अपने हाथ डालकर थोड़ा ऊपर उठाया और मेरे लण्ड को पकड़कर उसमें डालने की कोशिश करने लगे।
तो मैंने कहा-“जीजू, आप रहने दो, मैं कर लेता हूँ…”
वो खुश होते हुए बोले-“दैटस लाईक आ गुड बाय, यह बात हुई ना…” फिर वो अपने काम यानी दीदी की चूचियों को चूसने में जुट गये।
मैं दीदी की चूत की तरफ देखे जा रहा था, उसकी चूत चुदी हुई नहीं लग रही थी। दीदी की चूत का रंग गोरे से थोड़ा लाल ज़रूर हो गया था, लेकिन काला नहीं पड़ा था। मैंने दो सालों में जिसकी भी चुदाई की थी, वोही चूत काली पड़ गई थी। लेकिन दीदी की सॉफ सुथरी चूत देखकर मेरा दिल उसको चाटने के लिये तरस रहा था। लेकिन क्या करता, जीजू तो मुझे दीदी को चोदने के लिए तैयार कर चुके थे। फिर मैंने एक तकिया दीदी की कमर के नीचे रखा और उसी स्टाइल में दीदी की पोज़ीशन बना ली, जिस स्टाइल में दीदी को चोदने की कोशिश दो साल पहले कर चुका था।
मैंने दीदी की दोनों टाँगों को दोनों साइड पे फैला दिया, फिर अपने लण्ड की पोज़ीशन दीदी की चूत पे सेट करके जोरदार झटका मारा।
तो दीदी के मुँह से एकदम-“आह्ह… उउउच…” निकल गया। मेरा मोटा लण्ड दीदी की चूत को क्रश करता हुआ उसके अंदर गया चुका था। भीगी होने के वाबजूद भी मुझे दीदी की चूत काफ़ी टाइट लग रही थी। मैंने दीदी की कमर को अपने दोनों हाथों से दोनों तरफ से पकड़कर जोर-जोर से चुदाई शुरू कर दी।
|