RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
उस दिन घर आ के पहली बार मैंने दीदी को इतनी कन्फ्यूज़्ड ओर डिप्रेस्ड देखा | आख़िर आज दीदी को मेरी हेल्प की ज़रूरत भी पड़नी ही थी | शाम को दीदी मेरे पास आई और बोली “दीपू अब क्या करें, कल प्रिन्सिपल ने पेरेंट्स को साथ लाने को कहा है” | मैंने कहा, “दीदी मम्मी को ले जाओ” | वो कुछ सोचने लगी फिर बोली “अगर मुझे पता होता कि रोहित ऐसा है तो मैं कभी भी....” फिर कुछ कहती कहती रुक गई | मैंने कहा, “बात क्या हुई थी दीदी”
दीदी : वो सब छोड़, तू एक बात बता तू एक काम करेगा |
मैं : क्या दीदी |
दीदी : कल सुबह तू मेरे साथ प्रिन्सिपल के पास चलेगा |
मैं : ओक दीदी |
दिल को लगा शायद दीदी की हेल्प करके मुझे दीदी को चोदने का कोई रास्ता मिल जाए | उधर हमारे कॉलेज के प्रिन्सिपल का रेकॉर्ड भी कोई अच्छा नही था | वो एक नंबर का ठरकी बुढ़ा था | उसकी बीवी मर चुकी थी ओर एक लड़की थी जिसकी शादी कर चुका था और अभी भी अपनी शादी करने की सोच रहा था | कॉलेज में कोई भी नई मैडम उसकी मर्ज़ी के बिना अपायंट नही होती थी और अपायंट करने की उसकी कुछ अपनी पर्सनल शर्तें होती थी |
नेक्स्ट डे हम दोनो बहन भाई सीधा प्रिन्सिपल के ऑफीस में गये | उसने पूजा दीदी को खड़े रहने को बोला और मुझे चेयर पे बैठने को, मैं बैठ गया और अभी कहने ही लगा था कि “सर हमारे पेरेंट्स” | प्रिन्सिपल ने मेरी बात काट दी और बोले “बाहर कहीं गई होंगे ना ... स्टूडेंट्स अक्सर ऐसे बहाने करते हैं ... देखो बेटा तुम ही बताओ कि रोहित अच्छा लड़का है क्या”
मैं “नो सर”
प्रिन्सिपल “फिर भी तुम अपनी बहन की हेल्प कर रहे हो.... रोहित की जगह अगर कोई ओर लड़का होता तो शायद मैं यह एक्शन ना लेता .... हम लोग तुम लोगो को ग़लत रास्ते और ग़लत लोगो से बचाने के लिए ही यह सब करते हैं”
मैंने मौका देखके अटैक किया “सर दीदी सारी रात रोती रही है कि पता नही सुबह क्या होगा इसे बहुत टेंशन हो रही है सर”
प्रिन्सिपल “देखो बेटा, हमारा मक़सद सिर्फ़ तुम को समझाना है और कुछ नही, टेंशन वाली कोई बात नही, इधर आओ बेटा मेरे पास” दीदी मेरी चेयर के पीछे खड़ी थी वो प्रिन्सिपल की बड़ी सारी ऑफीस टेबल की लेफ्ट साइड से घूमके प्रिन्सिपल की चेयर के पास जा के खड़ी हो गई | मैं प्रिन्सिपल के सामने बैठा था लेकिन ऑफीस टेबल के उस पार प्रिन्सिपल की चेयर को उपर से ही देख सकता था | प्रिन्सिपल ने दीदी का हाथ पकड़ा और बोला “देखो बेटा रोहित अच्छा लड़का नही है उसकी कंपनी तुम्हारे लिए अच्छी नही है .... अगर तुमको कोई परेशानी या किसी चीज़ की ज़रूरत है तो तुम सीधा मेरे ऑफीस में आ जाया करो”
फिर प्रिन्सिपल ने आज का न्यू पेपर उठाया ओर मेरे सामने रखते हुए कहा, “देखो बेटा आज कल शहर में क्या क्या हो रहा है.... यह न्यूज़ पड़के देखो ज़रा ....” मैंने अपनी आँखें न्यूज़ पेपर पे घुमानी शुरू कर दी इस बीच मेरी हल्की सी नज़र दीदी की तरफ गई | मैंने उसके फेस को देखा वो लाल हो रहा था | दीदी लंबी लंबी सांसें ले रही थी | जिससे उसकी शर्ट से उसकी चुचियां उपर नीचे होते बिल्कुल सॉफ दिखाई दे रहीं थीं | मुझे कुछ समझ ना आया जब मैंने थोड़ी नीचे नज़र डाली तो ऐसा लग रहा था कि दीदी की कमर के नीचे उसकी स्कर्ट में कुछ रैंग रहा है | मुझे समझते देर नही लगी कि वो प्रिन्सिपल सर का हाथ था | वो राईट हैण्ड से अपनी ड्रोज़ में कुछ ढूंड रहे थे और उनका लेफ्ट हॅंड दीदी का रेस्पॉन्स चेक कर रहा था | फिर कुछ देर बाद प्रिन्सिपल सर बोले “दीपक बेटा तुम को क्लास लगानी होगी... तुम अगर जाना चाहो तो जाओ डोंट वरी फ़िक्र की कोई बात नही”
मैं “नही सर मेरा पहला पीरियड फ्री है आज” | मुझे पता चल गया था कि साला मुझे भगाने के चक्कर में है |
फिर बोला “मैं तुम्हारी दीदी का एक टेस्ट लूँगा ओर इस को एक क्वेस्चन सॉल्व करने के लिए दूँगा अगर यह एक अच्छी स्टूडेंट है और इसने सॉल्व कर दिया तो फिर मैं इसकी वॉर्निंग भी वापिस ले लूँगा.... ठीक है” फिर सिर ने एक पेन और खाली पेपर निकाल के अपनी चेयर के करीब दीदी के सामने रख दिया और मुझे बोले “बेटा तुम सामने सोफे पे बेठ जाओ .... आज टीचर्स मीटिंग है...... टीचर्स भी आते ही होंगे” मैं चेयर से उठा तो प्रिन्सिपल सर ने मुझे न्यूज़ पेपर भी साथ ले जाने को कहा | मैं सामने परे लेफ्ट सोफे पे बैठ गया और न्यूज़ पेपर पढने लगा |
प्रिन्सिपल और दीदी को देखने के लिए मुझे अपने राईट कंधे की तरफ गर्दन घुमाना पड़ना था | अब प्रिन्सिपल सर दीदी को कुछ समझा रहे थे | शायद कोई क्वेस्चन दे रहे थे और बिना मेरी परवाह किये अपने लेफ्ट हैण्ड से अपना दूजा काम भी किए जा रहे थे | दीदी भी उनके और नज़दीक सरक गई थी | मेरी आँखें बेशक न्यूज़ पेपर पे थी लेकिन कान उन दोनों की हरकतों की तरफ ही थे | कुछ देर बाद दीदी, सर की चेयर के करीब ही थोडा झुकी और कुछ लिखने लगी अब दीदी के झुकने से प्रिन्सिपल को अपना काम करने में और भी आसानी हो रही थी | उनका व्यू और भी अच्छा हो गया था | मैंने एक नज़र प्रिन्सिपल की तरफ डाली उनका ध्यान दीदी की गांड की तरफ था | लग रहा था कि वो दीदी की चूतड़ पे हाथ फिरा रहे हैं | मैंने भी नज़र बचा के देखना शुरू कर दिया | मेरा लंड खड़ा हो चुका था | मैंने अपनी पेंट की पॉकेट में हाथ डालके अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया | फिर कुछ देर बाद ज़ोर से टक की आवाज़ आई | साफ पता चल रहा था कि दीदी की पेंटी की एलास्टिक की आवाज़ है लेकिन मैंने नोटीस नही लिया | इससे शायद वो डिस्टर्ब हो जाते | मैं न्यूज़ पेपर पढ़ने का नाटक करता रहा | फिर थोड़ी देर के बाद नज़र घुमाई तो दीदी टेबल पे पेपर पे झुकी कुछ लिख रही थी लेकिन पीछे से उसकी गांड धीरे धीरे हिल रही थी और प्रिन्सिपल सर के दोनों हाथ टेबल के नीचे थे | ऐसा लग रहा था कि वो चेयर पे बैठे एक हाथ से अपने लंड को हिला रहे हैं और दूजा हाथ दीदी की टांगों और गांड पे फिरा रहे हैं | उनकी चेयर पीछे की तरफ सरकी हुई थी, फिर कुछ देर बाद सर ने जानबुझ के अपनी चेयर के सामने जिस जगह उनकी टांगें होती हैं वहाँ पे अपना पेन गिरा दिया और दीदी को बोले “बेटा पेन उठाना ज़रा” | मैं टेडी आँख से सब देख रहा था | दीदी उनकी चेयर के आगे बेठ गई और पेन उठा के उठने लगी तो सर ने पहले मेरी तरफ देखा फिर मुझे न्यूज़ पेपर पढ़ता देख जल्दी से अपने दोनो हाथ दीदी के कन्धों पे रख के उसको उठने नही दिया | फिर दीदी की शर्ट के गले से अपना हाथ अंदर डाल के उनकी चुचियों को दबाना शुरू कर दिया | कुछ ही देर के बाद प्रिन्सिपल की “आह... ऊ.... हुउऊहू...ओ” की हल्की सी आवाज़ आई शायद उनकी पिचकारी छूट गई थी और दीदी झट से उठ के खड़ी हो गई |
दीदी की शर्ट के उपर वाले दोनो बटन खुले थे और उनमें से नज़र आ रहे दीदी के गोरे गोरे मुम्मे बहुत सेक्सी लग रहे थे | दीदी झट से बोली “सर मैं जाऊं अब”
प्रिन्सिपल “हाँ बेटा........ तुम लोग जाओ ..... और हाँ पूजा बेटा अगर तुम्हे कोई भी तकलीफ़ हो तो सिधा मेरे पास चली आना किसी प्रकार की जिझ्क मत करना ठीक है” | हम प्रिन्सिपल के रूम से निकल आये | बाहर आके दीदी मुझ पे भड़क रही थी और बोली ”सर ने कहा था जाने को... फिर भी दफ़ा क्यों नही हुआ .... शुक्र है फिर भी वो मान गये” |
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