RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
पतला लंबा जिस्म, उसके गोरे लाल गाल जैसे मक्खन में सिंधूर मिक्स किया हो, गोल गोल गोरी लंबी टांगें, होंठ तो इतने लाल कि लग रहा था जैसे अभी खून टपक पड़ेगा, स्लिम जिस्म पे गोल गोल मुम्मे उसकी शर्ट में बहुत टाइट नज़र आ रहे थे | गांड के बट्स के उपर उभरी हुई सलवार कितनी सेक्सी लग रही थी | दीदी चलती तो गांड पे लंबी चोटी जैसे दीदी की गांड को थपथपा रही हो, गोल घुटने, लंबी गर्दन, आगे से लटकते थोड़े थोड़े कट किये हुए बाल दीदी की गोरी गालों पे कितने खूबसूरत लग रहे थे, आज पहली बार मैंने दीदी के जिस्म के एक एक हिस्से की अपनी आँखों से तलाशी ली थी |
दीदी की स्लिम बॉडी पे अगर कोई हिस्सा उभरा नज़र आता था तो वो दीदी की शर्ट में टाइट चूचियां और पीछे से उभरी हुई गांड बाकी सारा जिस्म लंबा पतला था | मेरा ध्यान दीदी के जिस्म की तरफ था और मेरा लंड दीदी की सेक्सी बॉडी देख के करेंट पकड़ रहा था लेकिन दीदी इधर उधर देख रही थी | शायद देख रही थी कि हमे घर ले जाने वाली स्कूल बस निकल चुकी थी | फिर दीदी ने मेरी तरफ देखा और मुझे उस के लाल हुए जिस्म की तरफ इतने ध्यान से देखता देख के पहले आँखों के इशारे से पूछा फिर बोली “क्या है” | मैं कुछ नही बोला | उसकी तरफ देखता रहा | चोर की दाड़ी में तिनका, जैसे उसे अपने पकड़े जाने की टेंशन होने लगी थी |
दीदी फिर बोली “दीपू, ऐसे मेरी तरफ क्या देख रहा है”
मैं “दीदी बस कहाँ है”
दीदी ने अपने लेफ्ट मुम्मे पे हाथ रखा और ठंडी सांस लेते बोली “बस शायद चली गई हम लोग लेट हो गए, चलो रिक्शा पे जाना पड़ेगा”
रिक्शा पे मैं दीदी के साथ सटके बैठ गया | आज पहली बार मुझे दीदी के करीब बैठने में कितना मज़ा आ रहा था | रिक्शा पे बैठे बैठे भी मेरा ध्यान दीदी की गोल गोल गोरी गोरी लंबी टांगों पे ही जा रहा था और पेंट के अंदर मेरा लंड तंबू मे बम्बू की तरह खड़ा बेकाबू हो रहा था लेकिन मैंने पेंट की पॉकेट में हाथ डाल के अपने लंड को दबा रखा था | मेरा दिल चाह रहा था कि मैं किसी तरह दीदी की थाई पे हाथ रखूं | लेकिन डर भी रहा था फिर रास्ते में सड़क खराब होने की वजह से रिक्शा पे झटका लगा तो मैंने झट से अपने राईट हैण्ड से से दीदी की लेफ्ट थाई को पकड़ लिया | मेरा लेफ्ट हैण्ड अपनी पॉकेट में लंड को पकड़े था लेकिन अगले ही झटके में मुझे लेफ्ट हैण्ड को भी पॉकेट से बाहर निकाल के एक साइड से रिक्शा को पकड़ना पड़ा | अब मैंने एक हाथ से दीदी की लेफ्ट थाई को पकड़ा था और दूजे हाथ से लेफ्ट साइड से रिक्शा का किनारा | मेरा लंड पेंट में तना हुआ अब सॉफ नज़र आ रहा था | दीदी के कुछ ना बोलने की वजह से मेरा हौसला बड़ता गया, मेरा ध्यान दीदी की टांगों और अपने हाथ की पोज़िशन पे था और दिल धक धक कर रहा था | रिक्शा टूटी हुई सड़क पे जा रहा था और झटके लग रहे थे | इन्ही झटकों की हेल्प से मेरी कोशिश अपने हाथ को दीदी की चूत की तरफ सरकाने की थी और काफ़ी हाथ दीदी की चूत के करीब चला भी गया | जैसे मेरा हाथ दीदी की चूत की तरफ सरकता तो सलवार मेरे हाथ के आगे अटकी होने के कारण दीदी के गोरे गोल नंगे घुटने भी दिखाई देने लगे थे | मेरा हाथ दीदी की टांग और थाई के जॉइंट पे पहुँच चुका था लेकिन इससे आगे जाने की हिम्मत नही हो रही थी | मैंने टेडी आँख से देखा तो दीदी का ध्यान मेरे लेफ्ट साइड से तंबू की तरह उठी मेरी पेंट पे था | मेरी ग़लती कि मैने अपनी आँखे दीदी की आँखों में डाल ली तभी दीदी चौंकी और बोली “दीपू अब रास्ता सही है आराम से बैठ” | मेरे उसकी जांघ से हाथ उठाते ही दीदी उपर उठ के अपनी कमीज़ और सलवार सेट करने लगी थी और हम घर के करीब भी पहुँच चुके थे | मेरा सारा मूड खराब हो चुका था | घर पहुँचते ही दीदी अपने कपड़े उठाके टाय्लेट में चली गई और फिर 15-20 मिनिट के बाद कपड़े चेंज करके ही पंजाबी सूट में बाहर निकली | दिखने में वो अब कुछ रिलैक्स लग रही थी |
रात को जैसे ही मैं दीदी के रूम के पास से निकला | मुझे लगा कि दीदी किसी से बात कर रही है | जब मैंने ध्यान लगा कर सुना तो पता चला कि दीदी फ़ोन पर उसी लड़के रोहित से बात कर रही थी | मुझे उस लड़के की बात तो नही सुन रही थी पर दीदी की बात सुन रही थी |
दीदी : हाँ हाँ रोहित तुझे कहा ना कल दे दूँगी... तुझे अपनी पेंटी |
फिर दूसरी तरफ से उस लड़के ने कुछ कहा तो दीदी ने उस से कहा यार मैने डाल ली है अपनी वही लाल पेंटी जो सुबह डाली थी और दीदी उससे काफ़ी देर तक फ़ोन पर बातें करती रही | मेरा लंड ये बात सोचकर और भी हार्ड हो रहा था कि कल दीदी उसे अपनी यूज्ड पेंटी देगी और वो लड़का पता नही दीदी की यूज्ड पेंटी के साथ पता नही क्या करेगा | सुबह जब दीदी मम्मी के बुलाने पर नाश्ते के लिए नीचे आई तो मैं बहाना बना कर उपर दीदी के रूम में गया और जल्दी से दीदी का पर्स खोल कर देखा उसमें दीदी की लाल पेंटी पड़ी थी | मैने एक बार उससे निकाला और अपने होंटो से लगा कर अपने लंड पर लगाया और जल्दी से उसे दीदी के पर्स में रख दिया | मैं अब रोज़ दीदी की हर हरकत को नोट करने लगा था,पता नही क्यों?
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