bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
01-09-2019, 02:28 PM,
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
सोनिया : "अरे भाई..सिर्फ़ बैठना नही है...यहाँ आओ और मेरी हेल्प करो...मॉम की मसाज करो तुम भी..मैं तो काफ़ी देर से कर रही थी..अब मैं थक गयी हूँ ...''
सोनिया ने बड़ी चालाकी से मुझे उस सीन मे उतार लिया जिसमे कुछ देर पहले तक मॉम और सोनिया ही थे बस...

और ये सीन कितना ख़तरनाक होने वाला था इसका अंदाज़ा तो शायद हम तीनो में से किसी को नही था...
क्योंकि आज उस कमरे में मर्यादा की एक और दीवार गिरने को तैयार थी...और वो कैसे गिरेगी, ये सब मेरे उपर निर्भर था..

************
अब आगे
************

पर उस दीवार के गिरने से पहले मुझे भी तो अपने बेटे होने की मर्यादा का दिखावा करना था मॉम के सामने...

मैं बोला : "पर दी....ये मैं कैसे कर सकता हूँ ....आप तो लड़की हो...मॉम की बॉडी को छू सकती हो...मैं भी कर लेता पर मॉम ने तो उपर कुछ भी नही पहना हुआ है....ये ग़लत होगा...''

पहली बार ''ये ग़लत है'' बोलने में मुझे मज़े आ रहे थे...

और वही शब्द सुनकर मॉम के दिल में भी हलचल सी हो रही थी...
उन्हे तो अब यही लग रहा था की उनका संस्कारी बेटा अपनी मर्यादा लाँघने से कतरा रहा है...
कितनी अच्छी शिक्षा दी है उन्होने अपने बेटे को...

पर वो ये नही जानती थी की उनकी शिक्षा की बत्ती बनाकर मैं कब से अपनी खुद की बहन को चोद रहा हूँ...
और उनके रसीले योवन को देखकर ही हमने ये सब प्लानिंग की है ताकि उन्हे भी चोदा जा सके..

सोनिया ने अपना माथा पकड़ लिया
पहले मॉम को समझाया था और अब भाई को समझना पड़ेगा...
भले ही ये सब एक नाटक की तरह था हम दोनो भाई बहन के बीच
पर स्क्रिप्ट की माँग के अनुसार, मॉम को सुनाने कि खातिर, ये सब करना भी ज़रूरी था..
वरना उन्हे एक पल में ही पता चल जाना था की ये सब हमारी ही प्लानिंग है...

सोनिया : "मेरे भाई....तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे मैं तुम्हे कुछ ग़लत काम करने को कह रही हूँ ...मॉम को हमारी ज़रूरत है, इसलिए उन्होने मालिश करने को कहा था...अब वो मैं करू या तुम करो, इससे क्या फ़र्क पड़ता है...वैसे भी तुम्हारे हाथ काफ़ी स्ट्रॉंग है...मॉम को काफ़ी आराम मिलेगा...''

मैं भोले बनने का नाटक करता हुआ बोला : "सच्ची .....क्या सच में मॉम को आराम मिलेगा...''

सोनिया : "हाँ मेरे भाई...सच में ...तुम्हारे पावरफुल स्ट्रोक्स को फील करके मॉम रिलैक्स फ़ील करेगी...प्रॉमिस...''

मॉम मन ही मन हंस रही थी की कैसे सोनिया अपनी बातो में बहला फुसला कर अपने भोले भले भाई को मसाज करने के लिए उकसा रही है...
अब तो उन्हे भी इस बात का इंतजार था की उनका बेटा जल्द से जल्द मसाज करने को मान जाए ताकि उनके अंदर जो एक तूफान जन्म ले चुका था वो अपने मुकाम पर पहुँच जाए..

मैने अपने शूज़ उतारे और बेड पर आ गया...
और सीधा जाकर मॉम के गद्देदार कुल्हो पर बैठ गया..

उफ़फ्फ़....
क्या मुलायम गांड थी मॉम की...
ऐसा लग रहा था जैसे किसी कुशन पर जाकर बैठ गया हूँ मैं ...
मैने मॉम पर अपने शरीर का पूरा भार नही डाला था,इसलिए मॉम को भी शायद ज़्यादा तकलीफ़ नही हुई मेरे बैठने से...

मैने अपने काँपते हुए हाथ मॉम की कमर पर रखे तो ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बिजली का झटका लगा हो...
मेरे साथ-2 मॉम का शरीर भी काँप कर रह गया...
पर किसी ने भी रिएक्ट नही किया...
हम दोनो ने अंदर ही अंदर एक सिसकारी मारी...



मेरे हाथ मॉम की चिकनी कमर को रगड़ने लगे...

उनका गुदाज जिस्म बड़ा ही सैक्सी लग रहा था...
मैने नीचे से उपर ले जाते हुए उनकी कमर को अच्छे से रगड़ा...
उनकी कमर का एक-2 मस्सल मेरे हाथ की चपेट में आकर खुल सा गया...

मॉम ज़ोर-2 से सिसकारी मारना चाहती थी पर सोने का नाटक करने की वजह से बेचारी कुछ नही कर पाई...

मेरे हाथ साइड में होते हुए उनके बूब्स को भी टच कर रहे थे....
मन तो कर रहा था की एक ही बार में उन्हे पलट कर उनके मोटे मुम्मो पर टूट पड़ूँ , पर अभी ऐसा करना सही नही था...
जो भी करना था वो आराम से और नॅचुरल तरीके से करना था मुझे...
ताकि मॉम को किसी भी बात का शक ना हो...

मैं ये सोच ही रहा था की सोनिया ने अपनी चाल चल दी

वो बोली : "अर्रे...सिर्फ़ पीठ की मालिश नही करनी है...फ्रंट से ब्रेस्ट की भी करो....''

मैं : "पर दी....वहाँ पर करना तो ग़लत होगा ना....''

इस वक़्त तो मुझे भी इस ग़लत वर्ड को बोलते हुए हँसी आ रही थी...

सोनिया : "अर्रे भाई...कुछ ग़लत नही है....ये हमारी मॉम है...इनकी ब्रेस्ट चूस्कर ही हम बड़े हुए हैं....उनकी मसाज करना कहा से ग़लत हो गया...''

मैने सोनिया दी की बात को मानने का नाटक करते हुए कहा : "ओके ...तुम कहती हो तो कर देता हूँ ...''

इतना कहते हुए मैने मॉम को पलट दिया....
उन्होने आँखे ज़ोर से मूंदी हुई थी...
सॉफ पता चल रहा था की वो जाग रही है और आँखे मूंदकर सोने का नाटक कर रही है...
उनकी ये दशा देखकर मुझे भी अंदर ही अंदर हँसी आ रही थी.

उनकी हालत ठीक वैसी ही थी जिससे मैं 2 बार निकल चुका था.

खैर , मैने अपना पूरा ध्यान उनके बूब्स पर लगा दिया...
जिन्हे मैं पहली बार इतने करीब से नंगा देख रहा था...



मन तो कर रहा था की उन्हे कच्चा चबा जाऊ ...
निचोड़ डालु उनके रसीले निप्पल्स को अपने मुँह से....
और देखू की क्या आज भी उनमे से दूध निकलता है या नही...

मैने अपने हाथ में तेल लिया और उनके नर्म मुलायम खरबूजो को मसलने लगा...

मॉम का शरीर कसमसा सा गया...

मैं उनके बूब्स को अच्छे से रगड़ता हुआ, उनके निप्पल्स को अपनी उंगलियो के बीच दबाकर मसलता हुआ उन्हे उनकी लाइफ की सबसे ज़्यादा सेक्सुअल मसाज देने लगा..



सोनिया दी भी मेरे सामने आकर खड़ी हो चुकी थी...

उनके चेहरे पर एक मादक सी मुस्कान थी, वो विजय की मुस्कान थी जो उन्होने आज हासिल की थी..

मॉम के मोटे निप्पल मसलते हुए ना जाने मुझपर क्या भूत सवार हुआ की मैने उनके दाँये मुम्मे को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया...
उसे ज़ोर से दबाकर उनके निप्पल को दांतो से कुरेदने लगा..

सोनिया : "अर्रे भाई....ये मॉम है...तुम्हारी गर्लफ्रेंड नही जो ये सब करना शुरू कर दिया...अब जो तुम कर रहे हो ये ग़लत है....''

इस बार जिरह करने की बारी मेरी थी..

मैं बोला : "नही दी,,...मुझे नही लगता की ये ग़लत है.....ये हमारी मॉम है..जैसा बचपन में थी...वैसे ही...उस वक़्त भी इनकी ब्रेस्ट चूसा करते थे और आज भी वही कर रहा हूँ ...इसलिए जो पहले ग़लत नही था वो अब कैसे हो सकता है...और वैसे भी...अगर कुछ है भी तो क्या फ़र्क पड़ता है...ये मेरी मॉम है और मैं इनका बेटा...हमारा एक दूसरे पर किसी और से ज़्यादा हक है....है ना...''

सोनिया ने भी हाँ में हाँ मिलाई : "हाँ भाई...तुमने सही कहा....ये सही है....''

और फिर मॉम की तरफ मुड़कर बोली : "मॉम ..अब उठ भी जाओ...कब तक सोने का नाटक करती रहोगी....''

मॉम ने झटके से अपनी आँखे खोल दी...

और जब हम दोनो की नज़रे टकराई तो दोनो ही मुस्कुरा दिए...

सोनिया : "देखा मॉम ..सोनू की भी यही सोच है....अब तो आपको कुछ भी करवाने मे किसी भी तरह की दिक्कत नही है ना...''

मैने बीच मे टोका : "कुछ भी ???....मतलब...''

सोनिया ने मेरी तरहा देखा और बोली : "कुछ भी मतलब कुछ भी.....वही सब जो तू थोड़ी देर पहले मॉम के साथ सोते हुए कर रहा था...वो सब....और वो भी एक्स्ट्रीम हदद तक....समझा...नही समझा ना....चल अपने सारे कपड़े उतार , फिर समझाती हूँ ....''

मैने भोले बनने का नाटक करते हुए अपने सारे कपड़े उतारने शुरू कर दिए...
इसी बीच सोनिया ने भी मॉम की पेंट नीचे खींचकर उन्हे पूरा नंगा कर दिया....



मेरी नज़र मॉम के नंगे शरीर पर थी और मॉम की मेरे झूल रहे लंड पर...

सोनिया ने मॉम को मेरे सामने बिठाया और बोली : "चलो मॉम ....शुरू हो जाओ अब.....दिखा दो की आपमे अभी भी कितनी जवानी बची है...''

सोनिया के कहने की देर थी की मॉम ने एक ही झटके में मेरा लंड पकड़ा और उसे ज़ोर -2 से चूसने लगी....

यही वो पल था जब हमारे बीच की बची खुची दीवार भी तिनके की तरह गिर गयी....

मैने मॉम के सिर को पकड़ा और उनके चेहरे को बुरी तरह से चोदने लगा..



मॉम के हिलते मुम्मे और बंद आँखे मुझे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी....
मैने उन्हें उपर उठाया और उनके होंठो पर होंठ रखकर उन्हे चूसने लगा...

पहली बार की गयी ये किस्स मुझे किसी और ही दुनिया में ले गयी...



उनके होंठो को चूसते हुए मैं उनके मुम्मो को भी दबा रहा था...

और अपने मुम्मे मसलवाते हुए उन्हे भी काफ़ी मज़ा आ रहा था.

और जल्द ही मॉम पर वो भूतनी सवार हो गयी जो उनसे इतना कुछ करवा चुकी थी...

उन्होने एक ही झटके में मुझे बेड पर धक्का दिया और मेरे उपर सवार हो गयी....

मेरे लंड को पड़कर अपनी चूत के दरवाजे पर फिट किया और किलकरियाँ मारती हुई वो मेरे लंबे से पोल् पर फिसलती चली गयी...

''आआआआआआआआआआआआआहह....सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... उम्म्म्ममममममममममममममममममममम..... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... मजा आ गयाआआआआआआआआआअ....''



मॉम की गर्म चूत में घुसकर मेरा लंड भी काफ़ी खुश था...
साला खुशी से फूल कर और मोटा हो गया था वो...

मैने अपने हाथ मॉम के बूब्स पर रखे और नीचे से अपने लंड को उनकी चूत में धक्के मारते हुए उन्हे बुरी तरह से चोदने लगा...

''ओह मॉम ........यु आर सो हॉट....... आपको पता नही है मैं कब से यही चाहता था....ओह येसससस्स........ आई एम फीलिंग टू हॉट..... मॉम....आई लव यू मॉम ....आई लव यू ....''



इतना कहते हुए मैने मॉम को नीचे झुकाकर उनके होंठो को चूम लिया...
और बस, यही वो मौका था जब मेरे लंड ने मेरा साथ छोड़ दिया और उसमे से ढेर सारा रस निकल कर मॉम की चूत में जाने लगा....

मॉम भी अपनी चूत के गर्म रस को मेरे लंड के नाम न्योछावर करके हांफती हुई सी, मेरे होंठो को चूसती रही...
और तब तक चूसती रही जब तक उनके शरीर ने ऑर्गॅज़म के झटके देने बंद नही कर दिए...

और अंत में आकर जब हम दोनो की नज़रे मिली तो एक बार फिर से दोनो मुस्कुरा दिए...

तभी पीछे से सोनिया दी की आवाज़ आई : "अपने चक्कर में तुम लोग मुझे तो भूल ही गये....''

मैने और मॉम ने जब नज़र घुमाकर सोनिया की तरफ देखा तो दोनो की आँखे फटी रह गयी...

वो पूरी नंगी होकर, एक चेयर पर बैठकर, अपनी चूत में उंगलिया घुसाकर वो सब देख रही थी और अपनी मूठ मार रही थी...



उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की बिना चुदे वो मानने वाली नही है...
पर मॉम के सामने वो कैसे चुदेगी, ये सबसे बड़ी परेशानी वाली बात थी.
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