RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
सब कुछ ख़त्म होने के बाद मॉम मेरे उपर से उतरी और एक टावल लेकर उन्होने मेरे लंड और चेहरे को बड़े आराम से सॉफ किया...
चेहरा सॉफ करते-2 उन्हे ना जाने कैसे मुझपर एक बार फिर से प्यार आ गया और उन्होने मेरे होंठो को चूम लिया...
उफ़ ....
यहाँ मुझसे सब्र करना मुश्किल हो रहा था...
पर वो तो अच्छा हुआ मॉम ने सिर्फ़ एक हल्की सी चुम्मी लेकर मुझे छोड़ दिया..
वरना कुछ देर और उनके होंठ मुझपर लगे रहते तो मैने उन्हे ज़ोर से स्मूच कर लेना था..
फिर दोनो ने मिलकर मुझे भी कपड़े पहनाए और खुद भी पहन लिए..
सोनिया : "मॉम ..ऐसा कब तक चलता रहेगा...आई मीन..सोनू के साथ सोते-2 ये सब करना...एक ना एक दिन तो उसे पता चल ही जाएगा...फिर क्या होगा..''
मॉम ने चेहरा झुका लिया...
उनके पास कुछ नही था बोलने के लिए..
पर वो शायद सोनिया से ही इसका सोल्युशन सुनना चाहती थी...
इसलिए उसकी तरफ देखकर और भोला सा चेहरा बनाकर वो बोली : "तो तू ही बता ना...और क्या हो सकता है...''
अब सोनिया की बारी थी एक रहस्यमयी मुस्कान देने की...
वो बोली : "इफ़ यू वांट ...मैं आपकी मदद कर सकती हूँ ..बस आपको सब कुछ वैसे ही करना पड़ेगा...जैसा मैं कहूँगी...''
मॉम चुप्प रही...
उनकी चुप्पी से मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी.
फिर उनकी दबी हुई सी आवाज़ आई : "जैसे तू ठीक समझे...''
और इतना कहते हुए वो कमरे से निकल कर बाहर चली गयी..
मैं एक बार फिर से कल की तरहा उठकर खड़ा हो गया...
गहरी साँसे लेते हुए मैं और सोनिया एक दूसरे को देख रहे थे...
और फिर हम दोनो खिलखिलाकर हँसने लगे...
एक दूसरे से गले मिलकर, एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे...
स्मूच करने लगे...
और जब हम शांत हुए तो मैने कहा : "मान गया दी..आख़िर आपने मॉम को भी अपने जाल में फँसा ही लिया...पर मुझे एक बात समझ में नही आ रही...ये सब लंबा खींचने की ज़रूरत क्या है... एक ही बार में जो काम हो सकता है उसके लिए क्यों इतने दिनों तक तरसे...''
सोनिया : "देखो सोनू...ये एक माँ और बेटे के रिश्तो के बीच की दीवार को तोड़कर दूसरे रिश्ते को बनाने का सवाल है...और ऐसे काम मे जल्दबाज़ी सही नही है...धीरे-2 करने से ही उनकी और तुम्हारी शर्म जाएगी और एक बार ये रिश्तो की दीवार और शर्म तुम्हारे बीच से गिर गयी तो जो मज़ा मिलेगा, उसका मुकाबला किसी और चीज़ से कर ही नही पाओगे तुम...''
बात तो वो सही कह रही थी..
अब तो मुझे भी इंतजार था की वो मॉम को क्या-2 करने को कहेगी...
अभी तो दिन की शुरूवात थी, पूरा दिन पड़ा था, देखते है क्या होगा आज..
उसके बाद मैने अपनी एनर्जी वेस्ट करने के बदले उसे बचाने की ही सोची...
इसलिए सोनिया दी के साथ सिर्फ़ चूमा चाटी करके मैने उन्हे छोड़ दिया.
अब तो मुझे सच में गहरी नींद आ रही थी..
सोनिया दी उठी और नहाने चली गयी...
उनके निकलने से पहले मैं गहरी नींद में जा चुका था.
और जब उठा तो दोपहर का 1 बज रहा था..
मैं फ्रेश हुआ, नहाया और एक टी शर्ट और जीन्स पहन कर नीचे चल दिया..
सीडियो से नीचे उतरते हुए मुझे मॉम की सिसकारी सुनाई दी
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....धीरे ......बैबी.....धीरे......तू आजकल बहुत दाँत मारने लगी है....''
मेरे तो कान खड़े हो गये ये सुनते ही...
मैने अपनी चप्पल वहीं उपर उतार दी और नंगे पाँव धीरे-2 नीचे उतरने लगा..
अब तक तो मैं समझ ही चुका था की सोनिया और मॉम के बीच नीचे कुछ चल रहा है..
मैं दीवार की ओट से छुपकर उन्हे देखने लगा..
दोनो किचन में थी...
हमारी ओपन किचन है जहाँ मॉम खड़ी होकर शायद लंच बना रही थी...
क्योंकि गैस जल रही थी और कड़ाही में कुछ बन रहा था..
पर उससे ज़्यादा उन दोनो के बीच कुछ बन रहा था...
शायद खाना बनाती मॉम को सोनिया ने बीच में ही दबोच कर ये वाला काम शुरू कर दिया था..
सोनिया ने मॉम की शर्ट के बटन खोलकर उनके बूब को बाहर निकाल रखा था और उसे चूस रही थी...
ऐसे जैसे वो बरसो की प्यासी हो..
और मॉम भी अपना थन पकड़ कर उसे ऐसे चुस्वा रही थी जैसे उसमें से सच में दूध निकल कर उसकी भूख मिटा रहा हो..
दोनो का ही एंगल ऐसा था की वो मुझे देख नही सकती थी..
सोनिया का एक हाथ मॉम की पायज़ामी में घुसा हुआ था और वो उनकी गद्देदार गांड को भी दबा रही थी....
उनकी वो रसीली गांड की थरथराहट देखकर तो मेरा भी मन कर रहा था उन तरबूजो को मसलने का...
काश मैं ज़मीन पर लेट जाऊ और मॉम अपनी गांड को मेरे चेहरे पर लाकर पटक दे और तब तक उसे घिसती रहे जब तक वो खुद झड़ नही जाती और उनकी मलाई वो मेरे चेहरे पर मल नही देती...
भेनचोद, खुली आँखो से सपने देखने लगा था मैं तो..
पर जो मेरे सामने था वो सपने से कही ज़्यादा सैक्सी था...
अपनी अधखुली आँखो से तो मॉम और सोनिया को 1-2 बार प्यार करते हुए देख ही चुका था पर आज खुल्ली आँखो से उनकी रंगरिलिया देखने का मज़ा ही अलग था...
मॉम एक हाथ से कड़ाही में बन रही सब्जी हिला रही थी और दूसरे हाथ से सोनिया के सिर को सहला कर अपनी चुचिया चुस्वा रही थी...
मल्टिटास्किंग और मल्टीटेलेंटेड मॉम है मेरी..
अचानक सोनिया ने अपनी उंगली को मॉम की गांड के छेड़ में घुसा दिया ...
बेचारी चीखती हुई अपने पंजो पर खड़ी हो गयी..
''आययईई....क्या कर रही है बदमाश....तेरे चक्कर में मेरी सब्जी जल जानी है....सोनू उठेगा तो उसे जली हुई सब्जी खिलाऊंगी क्या...''
सोनिया ने अपना चेहरा उपर उठाया और बोली : "सब्जी के साथ ये गरमा गर्म दूध पीला देना, इसके मज़े में उसे जली हुई सब्जी का पता ही नही चलेगा...''
मॉम ने उसके चेहरे पर एक हल्की सी चपत लगा दी...
और बोली : "वो भी तेरी तरह ही शैतान है...पता है ना बचपन में कितना काटा करता था मुझे..ये देख...अभी तक उसके दाँत से कटे का निशान है यहां पर...''
मॉम ने अपने निप्पल के पास बने एक कट मार्क को दिखाया...
सोनिया ने उसे देखा और चूमते हुए बोली : "उस वक़्त तो वो नासमझ था मॉम...अब ऐसा नही है...वो जो भी करेगा...आराम से करेगा....आपने तो आज सुबह ट्राइ करके देख ही लिया है....है ना...''
मॉम उसकी बात सुनकर शरमा कर रह गयी...
सुबह जिस तरह वो अपने इसी मुम्मे को मेरे मुँह में ठूस रही थी वो पल तो मेरे लंड को भी एकदम से कड़क बना गया..
सोनिया ने कुछ देर तक बूब को चूसा और फिर उन्हे छोड़ कर बाहर आ गयी...
पर उसकी इस हरकत से मॉम की चूत एक बार फिर से पनिया चुकी थी और खाना बनाते हुए वो फिर से मेरे बारे में सोचने लगी..
मैने अपने लंड को अड्जस्ट किया और बाहर आ गया..
मॉम और सोनिया को गुड मॉर्निंग बोलकर मैं सोफे पर बैठ गया...
सोनिया ने एक सैक्सी सी शार्ट ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमें वो बहुत ही सैक्सी लग रही थी
मेरी नज़रें जब सोनिया से मिली तो मैने इशारे से उससे पूछा की कुछ बात बनी क्या तो उसने फुसफुसा कर कहा 'तू खाना खाकर एक घंटे के लिए बाहर चला जा ..मैं व्हाटसाअप करके बता दूँगी की कब वापिस आना है और क्या करना है...ओके '
यानी सोनिया ने अभी तक कुछ ख़ास बात नही की थी मॉम से...
मुझे बाहर भेजने का मकसद ही यही था की पीछे से वो कुछ प्लानिंग करेगी ताकि मेरे द्वारा मॉम को मज़े दिलवा सके..
पर कैसे...
ये सोचना मेरा काम नही था...
इसलिए मैने जल्दी से खाना खाया और अपने दोस्त से मिलने का बहाना करके बाहर निकल आया.
मॉम का चेहरा बुझ सा गया...
शायद मेरे चले जाने से वो उदास हो गयी थी.
पर सोनिया दी के पास एक आइडिया था जिससे वो मॉम के इस मूड को ठीक कर सकती थी..
वो मॉम को लेकर उनके बेडरूम में गयी और एसी ओंन करके उन्हे लेटने के लिए कहा...
पहले तो मॉम को लगा की वो फिर से कुछ मस्ती करने के मूड में है...
पर लेटने के बाद उन्हे पता चला की वो उनकी कितनी केयर करती है...
मॉम के लेटते ही सोनिया उनकी पीठ पर आकर बैठ गयी और उनके कंधे दबाने लगी...
अपनी नाज़ुक उंगलियो से उनकी पीठ को मसाज देने लगी...
सुबह से काम में लगी मॉम के लिए ये थेरेपी असीम आनंद से कम नही थी..
वो मस्ती में आँखे बंद करके सिसकारियां लेने लगी..
सोनिया उनके कन के पास तक झुकी और बोली : "सोचो मॉम ....ये सब अगर भाई आपके उपर बैठकर करे तो....कैसा फील होगा आपको...''
सोनिया के ये शब्द मॉम को अंदर तक सुलगा गये...
उनके शरीर में जो तनाव उत्पन हुआ उसे सोनिया ने भी महसूस किया...
उसे तो ऐसा लगा जैसे 6 रेक्टेयर का भूकंप आया है उसकी गांड के नीचे...
मॉम का शरीर काम वासना के आवेग में बहकर कांपने लगा था...
जैसे खड़े लंड के साथ मर्दो को उल्टा लेटने में प्राब्लम होती है, वैसे ही कड़क मुम्मो के साथ औरते भी लेटने में असहज महसूस करती है...
सोनिया ने उनकी ये मुश्किल भी आसान कर दी...
उन्हे सीधा करके उनके तने हुए मुम्मे अपनी तरफ कर लिए...
पर उन्हे घुमाने से पहले उसने मॉम की शर्ट उतार दी...
मॉम तो सुबह से ही उत्तेजना के ज्वर में जल रही थी..
इसलिए उन्होने भी कपड़े उतारने का विरोध नही किया...
पर जैसा मॉम सोच रही थी, वैसा सोनिया के मन में नही था...
इन्फेक्ट वो तो अपने प्लान के हिसाब से मॉम के साथ ये सब कर रही थी...
सोनिया ने ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी उठाई और मॉम के बूब्स पर मलने लगी...
एसी की ठंडी हवा और तेल के एहसास से मॉम की आँखे बंद होती चली गयी...
उपर से उनके कठोर बूब्स को जब सोनिया अपनी नाज़ुक उंगलियो से सहलाने लगी तो उनके मुँह से आनंद से भरी सिसकारियां फूटने लगी..
''ओह बैबी.......... तुम्हारे हाथो में तो जादू है......अहह.........सोनीssssss ''
सोनिया उनके बूब्स मलती रही और फिर उसने एक बार फिर से उन्हे पलट दिया...
उनकी पीठ पर तेल लगाते हुए उसने सोनू को मैसेज करके सब जानकारी दी और उसे जल्द से जल्द आने को कहा..
करीब 5 मिनट में ही सोनू ने बेल बजा दी...
मॉम ने चौंकते हुए अपने कपड़े पहनने चाहे तो सोनिया ने उन्हे रोक दिया और बोली : "मॉम ..घबराओ मत...ये सोनू है...और अब आप वैसा ही करोगी जैसा मैं कहूँगी...वरना ये खेल और आगे नही बढ़ पाएगा...''
ये वो घड़ी थी जब मॉम को अपने रिश्तों को ताक पर रखकर अपनी लाइफ का एक बहुत बड़ा फ़ैसला लेना था.....
सोनिया : "सोच क्या रही हो मॉम ....जल्दी बोलो...ऐसे मौके बार-2 नही मिलेगे...आपने ही तो मॉर्निंग में कहा था...अब मौका आया तो आप सोच रही है....टेक युवर डिसीज़न मॉम ...जल्दी...''
वैसे मना करने का तो सवाल ही नही उठता था
क्योंकि मॉम की चूत इस वक़्त बुरी तरह से पनिया रही थी....
और कहते है खड़ा हुआ लंड और बहती हुई चूत इंसान के सोचने की क्षमता को ख़त्म कर देते है...
उसके बाद जो भी सोचा समझा जाता है, लंड और चूत के अपने दिमाग़ से ही...
पर फिर भी , अपनी बेटी को दिखाने के लिए, मॉम ने आख़िरी बार भला बनने की कोशिश की
वो बोली : "पर.....बेटा...ये ...ये सब करना...ग़लत होगा ना...''
सोनिया : "नही मॉम ....कुछ ग़लत नही है....अपने बेटे के उपर आपका पूरा हक है...ही इस यूअर सन....आपने अपनी इसी चूत में से उसे निकाला है...अब उसका फ़र्ज़ बनता है की वो आपकी इस प्यास को बुझाए....इसलिए...कुछ ग़लत नही है....आप बस उल्टे होकर सोने की एक्टिंग करो....बाकी मैं संभाल लूँगी...''
इतना कहकर वो बाहर निकल गयी....
मॉम को कुछ और बोलने का मौका ही नही मिला...
बाहर आकर सोनिया ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर ले आई...
अंदर घुसते ही कमरे की ठंडी हवा ने मेरा स्वागत किया...
पर सामने बेड पर जो नज़ारा था उसने एसी में भी मेरे माथे पर पसीने निकलवा दिए...
बेड पर मॉम उल्टी होकर लेटी थी...
टॉपलेस...
और वो गहरी नींद में थी.
सोनिया ने मॉम को सुनाते हुए जोर से मुझसे कहा : "अर्रे...हैरान होकर क्या देख रहा है....मैं तो बस मॉम की मालिश कर रही थी....2-3 दिन से बोल रही थी की मुझे मसाज दे दे...आज मौका मिला तो मैं वही कर रही थी...''
मैने सोनिया की तरफ देखा , उसके चेहरे पर शरारत के भाव थे...
अब मुझे अपने डाइलॉग बोलने थे...
जो सचुएशन के हिसाब से मुझे बोलने चाहिए थे...
मैं : "ओह्ह ....ओक...ठीक है ..तुम करो...मैं अपने रूम में जाता हूँ ....''
सोनिया : "अर्रे...यहीं रुक ना....तुम्हारे रहने से भला क्या प्राब्लम होगी...वैसे भी मॉम इतनी थकी हुई थी की अब वो गहरी नींद में सो रही है...''
मैं भी मुस्कुरा दिया....
ये सोचकर की मॉम अब उसी सिचुएशन में है, जिससे मैं 2 बार गुजर चुका हूँ ....
ऐसे मे अपने शरीर के साथ जब कोई दूसरा छेड़खानी करता है तो कितनी प्राब्लम होती है अब ये मॉम को पता चलेगा..
मैं सोनिया की बात मानकर वही बैठ गया...
सोनिया : "अरे भाई..सिर्फ़ बैठना नही है...यहाँ आओ और मेरी हेल्प करो...मॉम की मसाज करो तुम भी..मैं तो काफ़ी देर से कर रही थी..अब मैं थक गयी हूँ ...''
सोनिया ने बड़ी चालाकी से मुझे उस सीन मे उतार लिया जिसमे कुछ देर पहले तक मॉम और सोनिया ही थे बस...
और ये सीन कितना ख़तरनाक होने वाला था
इसका अंदाज़ा तो शायद हम तीनो में से किसी को नही था...
क्योंकि आज उस कमरे में मर्यादा की एक और दीवार गिरने को तैयार थी...
और वो कैसे गिरेगी, ये सब मेरे उपर निर्भर था..
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