RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
करीब 7 बजे मैने साक्षी को उसके घर पर ड्रॉप किया...जाने से पहले उसने मुझे अच्छे से स्मूच किया और अगली बार जल्द मिलने का, चुदाई करने का वादा भी लिया...मैं भी करीब 7:30 बजे तक अपने घर पहुँच गया...
दरवाजा पापा ने खोला जो उस वक़्त ऑफीस के लिए तैयार हो रहे थे...
मैं सीधा अपने रूम में जाकर सो गया..इस बात से अंजान की आज मेरी किस्मत मुझपर कितनी मेहरबान है...
और मेरे साथ आज क्या होने वाला है.
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अब आगे
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पूरी रात जाग कर निकाली थी मैने...
इसलिए मेरी आँखे जल सी रही थी....
मैने सोनिया की तरफ देखा, वो तो घोड़े बेचकर सो रही थी..
अपनी छुट्टियों को अच्छे से एंजाय कर रही थी वो...
चुदाई करवाकर और जी भरकर सोकर...
इंसान को यही 2 चीज़े बेहिसाब मिल जाए, किसी और चीज़ की ज़रूरत ही महसूस नही होगी.
भले ही आँखे जल रही थी नींद के मारे, पर नींद आ ही नही रही थी...
जब भी सोने लगता तो साक्षी के साथ बिताए पल याद आ जाते..
कैसे मैने उसकी चूत में लंड डाला...
कैसे खुली छत पर उसकी चीखे गूँजी थी...
और स्वीमिंग पूल की वो रोमांचक चुदाई तो मेरी लाइफ में हमेशा एक यादगार बनकर रहने वाली थी....
बस यही सब सोचकर मैं अपने लंड को शाबाशी देता हुआ, सोने की कोशिश कर रहा था...
और तभी, कमरे का दरवाजा खुला और मॉम अंदर आ गयी...
मैंने झट्ट से आँखे बंद कर ली.
मॉम अंदर आई और इधर-उधर बिखरे कपड़े समेटने लगी..
पापा ऑफीस जा चुके थे.
मैने नोट किया की जब मैं घर आया था तो मॉम ने पूरी नाईटी पहन रखी थी, पर अब उन्होने अपनी नाईटी के उपर वाला गाउन उतार दिया था और सिर्फ़ अंदर का छोटा हिस्सा ही अब उनके गुदाज जिस्म को ढक रहा था..
और उस छोटी सी नाईटी में उनकी मोटी जांघे कमाल की लग रही थी..
मैं अपनी अधखुली आँखो से उन्हे देख रहा था....
खिड़की से आ रही रोशनी में उनकी नाईटी के अंदर का सब कुछ दिखाई दे रहा था...
और अंदर सब कुछ खुल्ला डुल्ला था...
यानी मॉम ने ना तो ब्रा पहनी हुई थी और ना ही पेंटी...
इधर-उधर हिलने से उनके मोटे मुम्मे और गद्देदार गांड की थिरकन सॉफ दिखाई दे रही थी मुझे..
कुछ पल पहले मैं साक्षी के बारे में सोचकर अपना लंड हिला रहा था और अब मॉम के आ जाने से मेरा लंड उनके हुस्न की तरफ आकर्षित होकर, उनके नाम पर अकड़ने लगा...
ये साला लंड बड़ा हरामी होता है...
इसे बस चूत दिखनी चाहिए...
वो किसकी है, इस बात का उसे कोई फ़र्क नही पड़ता...
बस देखा और खड़ा हो गया..
अचानक मॉम ने पलटकर मेरी तरफ देखा...
मैने फिर से आँखे मूंद ली...
वो मेरे सिरहाने आकर बैठी और मेरे माथे पर हाथ फेरने लगी...
उन नर्म हाथो में ममता भरी पड़ी थी...वो थोड़ी देर और सहलाती रहती तो मुझे पक्का नींद आ जाती..
पर जल्द ही उस ममता ने वासना का रूप ले लिया और उनके हाथ धीरे-2 खिसक कर नीचे आ गये...
मेरी तो साँसे अटक कर रह गयी....
और कोई मौका होता तो मेरा सीना उपर नीचे होने लगता...
नाक से तेज हवा अंदर बाहर होने लगती...
पर मॉम के हिसाब से तो मैं घोड़े बेचकर सोता हूँ इसलिए मुझे गहरी नींद की एक्टिंग करनी थी...
जैसे पिछली बार की थी...
यानी आज फिर से मुझे वैसा ही टॉर्चर सहना पड़ेगा...
या शायद उससे भी ज़्यादा.
मॉम ने मेरे बालों को सहलाया...
मेरे होंठो पर अपना अंगूठा फेरा और फिर अपने हाथ मेरे सीने से रगड़ती हुई मेरे लंड तक ले आई...
अब तो मेरा जिस्म एक बार फिर से अकड़ने लगा था...
और पिछली बार की तरह मुझे कवर करने के लिए मेरी बहन भी नही थी...
वो खुद इस वक़्त घोड़े बेचकर सो रही थी...
इस बात से अंजान की मॉम मेरे साथ क्या कर रही है.
मॉम ने जैसे ही मेरे कड़क लंड को हाथ में पकड़ा उनके मुँह से एक सर्द सी सिसकारी निकल गयी..
''उम्म्म्मममममममम........हर समय खड़ा रहता है इसका तो...जवानी का यही फायदा है....''
अब उन्हे कौन समझाए की मैं सो नही रहा बल्कि उनके इस रूप को देखकर और भी ज़्यादा उत्तेजित हो रहा हूँ...
मॉम ने मेरे पायजामे को नीचे खिसका दिया और एक ही झटके में मेरा छोटा सिपाही उछलकर मैदान में आ गया..
मेरी तो आँखे बंद थी पर मेरे लंड की अकड़न देखकर मेरी माँ की आँखे और भी ज़्यादा फ़ैल गयी..
''ओह माय गॉड ......सो स्ट्रॉंग....एन्ड हार्ड.......''
और फिर मुझे वो सुनहरा एहसास हुआ जो उस दिन हुआ था....
उन्होने झुककर मेरे लंड को चूम लिया....
मॉर्निंग में माँ के होंठो की किस्स अपने लंड पर मिल जाए, इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है...
उन्होने जीभ निकाली और मेरे लंड को चाट लिया....
और फिर अपने होंठो और जीभ को लंड के चारो तरफ लपेटकर उसे जकड़ लिया ....
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