RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
मैं एक झटके से उठकर बैठ गया...
जैसे बरसों से मुर्दा बनकर लेटा हुआ था, और आज ही किसी शक्ति ने मुझे जगाया था....
बहुत सी बाते करनी थी अभी तो सोनिया दी से...
बहुत सी बातों का जवाब लेना था...
कुछ अधूरा बचा हुआ मज़ा पूरा करना था अभी तो..
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अब आगे
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''ओह्ह माय गॉड .......दी....क्या था ये.....तुम्हे पता भी है की मेरा क्या हाल हो रहा था....ये तो सिर्फ़ आपने मुझे सोते रहने के लिए बोल रखा था..वरना ऐसी हालत में दुनिया का कोई भी मर्द कंट्रोल करके नही रह सकता था...''
सोनिया दी मेरी बात सुनकर हँसे जा रही थी...
वो बोली : "हाँ हाँ पता है.... दूसरे मर्दो से ज़्यादा स्टेमीना और कंट्रोल है तुम्हे अपने आप पर...तभी तो ये सब मैने मोंम के साथ किया...उन्हे भी मज़ा आया और तुम्हे भी...''
मैं : "उनका तो पता नही पर मेरी हालत खराब हो गयी थी....ये मज़ा नही सज़ा थी...''
सोनिया दी ने अपनी शराबी आँखो से मुझे देखा और खिसककर मेरे पास आई..
मेरी छाती पर हाथ रखकर मुझे बेड पर लिटा दिया ..
और अपने मोटे मुम्मे मेरे सीने पर रखकर वो भी मेरे उपर लेट गयी.
और बोली : "सज़ा में अगर मज़ा हो तो वो और भी अच्छी लगती है....बोलो, आज से पहले ऐसी सज़ा के बारे में सोचा था क्या तुमने...और एक ही बार में अगर मॉम की चूत मिल जाए तो क्या मज़ा रह जाएगा उसमें ...मेरे हिसाब से चलोगे तो सज़ा में छुपा ये मज़ा मिलता रहेगा...''
मैं अधीर सा हो गया और बोला : "पर कब तक....कब तक ये सज़ा मिलती रहेगी...''
सोनिया : "जब तक तुम अपने लक्ष्य तक नही पहुँच जाते....और वो है मॉम की चूत ....समझे...''
इतना कहकर उसने अपनी गीली चूत को मेरे मुरझाए हुए लंड से रगड़ दिया...
''आआआआआआआहह...... ये तो मेरे साथ ज़्यादती है.... ''
सोनिया ने मेरे होंठो को किसी कुतिया की तरह अपनी जीभ से चाटा और बोली : "तभी तो बोनस के रूप में मैं तुम्हारे साथ हूँ ....जब तक मॉम की नही मिलती, उनकी बेटी हाजिर है तुम्हारे लिए...जब चाहे...तब मार लो मेरी....चूत ...''
वो एक-2 शब्द अपने रसीले होंठों को दांतो से दबा कर ऐसे बोल रही थी की मैं ज़्यादा देर तक बहस कर ही नही पाया....
वो मेरी गर्दन पर होंठ लगा कर मेरी नसों को चूसने लगी...
मैं : "उम्म्म्मम.....वो तो सही है...पर .....मॉम ....अगर अपने आप पर....कंट्रोल नही कर पाई तो...और अगली ही बार में मेरा लंड अंदर ले लिया तो.......क्या करू''
सोनिया : "वो अपनी तरफ से कुछ ऐसा नही करेगी...मुझे उनका पता है...उनकी चूत में भले ही आग लगी हो, पर अपनी तरफ से पहल करके वो तुम्हे ये नही दिखाएगी की वो यही चाहती है....ये सब होगा....ज़रूर होगा...पर मेरी प्लानिंग के अनुसार ही होगा....तब तक तुम अपनी तरफ से कुछ नही करोगे....और ना ही मॉम को ये एहसास दिलाओगे की तुम भी वही चाहते हो जो उनके मन में चल रहा है...समझे...''
मैने सिर हिला कर समझने का इशारा किया....
और फिर मुस्कुराते हुए हम दोनों के होंठ एक दूसरे से आ मिले...
आज के दिन मैं कितनी बार झड़ चुका था, इसका तो मुझे भी अंदाज़ा नही था...
पर सोनिया दी के नंगे बदन की गर्माहट और कुछ देर पहले चल रही फिल्म को फिर से याद करके मेरा लंड फिर से कुन्मूनाने लगा...
उसके हिलने का एहसास सोनिया को भी हुआ और वो मेरी आँखो में देखती हुई...हमारी किस्स तोड़कर...धीरे-2 नीचे खिसकने लगी...मेरा लंड उनकी चूत को छूता हुआ...उनके नंगे पेट से टकराकर...उनके मुम्मो की पहाड़ियों के बीच रगड़ खाता हुआ...उनके होंठो से जा लगा...उसके चेहरे से टपक रहा सेक्स देखकर मेरा लंड तीर की तरह तन कर खड़ा हो गया...वो अपनी नशीली आँखो की शराब मुझपर ऊडेलने लगी..
अभी कुछ देर पहले ही सोनिया दी के होंठों ने मॉम के साथ मिलकर जो हाल किया था, वो शायद एक बार फिर से होने वाला था मेरे लंड का...
और वो हुआ भी....
सोनिया ने अपनी लपलपाती जीभ फेरते हुए , मेरे लंड पर अपने होंठो से कब्जा किया और उसे मुँह के अंदर निगल गयी....लंड के साथ - 2 उसने मेरी गोटियों को भी अच्छे से चूसा
अभी कुछ देर पहले ही झड़ा था बेचारा...
हल्का दर्द भी हो रहा था....
पर फिर भी मेरी बहन की आवाज़ सुनकर कैसे कुत्ते की तरह खड़ा हो गया था फिर से...
साला...
हरामखोर
कमीना लंड.
सोनिया ने मेरे लंड को मुँह में रखे-2 अपना शरीर घुमा कर मेरी तरफ कर लिया और अपनी चूत को मेरे मुँह के उपर लाकर पटक दिया...
छपाक की आवाज़ के साथ उसकी रसीली चूत पर मेरे होंठ आ लगे....
ऐसा ठंडक भरा एहसास हुआ जैसे बर्फ का टुकड़ा रगड़ कर आई हो चूत पर.
कुछ देर तक चूसने के बाद वो खुद ही पलटी और मेरे लंड को अपनी चूत के सिरे पर लगाकर उसपर बैठ गयी...
शायद काफ़ी देर से मेरे लंड को अंदर लेने की चाह हो रही थी...
इसलिए ज़्यादा सब्र नही कर पाई बेचारी..
''उम्म्म्ममममममममम......तुम कंट्रोल की बात करते हो....मुझसे पूछो....मैने कैसे कंट्रोल किया था अपने आप पर....मैं तो पहले भी ले चुकी हूँ इसे अंदर...इसलिए कुछ ज़्यादा ही खुजली हो रही थी...मॉम थी सामने...वरना वो सारी मलाई तो बाहर बहाई थी...मेरी चूत में ही निकलती....अहह.....पर कोई ना.......अब निकालूंगी.....सारी की सारी मलाई....अपने अंदर.....एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... चोदो मुझे भैय्या .....चोदो अपनी प्यासी बहन की चूत को......ज़ोर से चोदो .....बुझा दो ये प्यास.....जो पहले अधूरी रह गयी थी..........''
वो बोलती जा रही थी और मैं उसकी कमर को पकड़ कर अपना रॉकेट उसके अंतरिक्ष में भेजता जा रहा था...
उफ़फ्फ़......
क्या सीन होता है ये भी....
हिलते हुए मुम्मो को देखकर...
सैक्स से भरे चेहरे को देखकर....
चूत मारना...
मैने हाथ उपर करके उन मुम्मो को पकड़ लिया और उनके दानो को निचोड़ कर उनका रस बाहर निकाल लिया.....
वो बेचारी मेरे इस प्रहार से भरभराकर मेरे उपर गिरती चली गयी...
मेरे होंठ उसके बूब्स पर आ लगे और उस रस को पीने लगे जो मेरी उंगलियो ने निचोड़कर निकाला था....
दोनो हाथो से मैने उसकी चौड़ी गांड को पकड़ा और अपने पैरों को बेड पर लगाकर, अपनी गांड थोड़ा हवा में उठा ली ....
और फिर जो मैने उसकी रेल बनाई....
वो सिर्फ़ आ...आअह्ह्ह उहह ही कर पाई...
मेरे होंठो से होंठ लगाकर वो मेरे हर झटके का स्वाद ले रही थी...
मुझे तो शुरू से ही उसके कठोर नितंब पसंद थे
उन्हे मसलते हुए
गांड में उंगली करते हुए
चुदाई का जो मज़ा मिलता था
वो अलग ही था..
और उपर से फ़चा फच का साउंड, वो भी चुदाई में चार चाँद लगा रहा था.
वो बिलबिलाकर बोली : "ओह माय डार्लिंग........मेरी जान ......क्या चोदते हो तुम भाई....सच में .. एक लड़की को ऐसा चोदने वाला मिल जाए तो उसकी लाइफ तो पूरी सेट्ल है.... मैं तो तुमसे पूरी जिंदगी चुदवाती रहूंगी....तुम्हारी शादी के बाद भी...अपनी शादी के बाद भी....आती रहूंगी घर पर...और तुमसे चुदवाती रहूंगी....''
सोनिया दी ने कितने प्यार और मासूमियत से पूरी जिंदगी चुदवाने का कांट्रॅक्ट साइन कर दिया..
मैं कभी उनके होंठो को चूमता और कभी बूब्स को....
और ऐसे ही चूसम चुसाई करते-2 मेरा और उसका ऑर्गॅज़म निकट आ गया...
और जब वो आया तो एक बार फिर से पूरी जिंदगी रुक सी गयी....
शरीर ऐंठ गये...
और लंड से निकली पिचकारियों को उसकी चूत ने ऐसे सोख लिया जैसे अंदर कोई स्पंज लगा कर रखा हो....
और फिर अंत में, मेरे उपर वो, हाँफती हुई सी गिरी तो पसीने की खुश्बू और वीर्य की महक ने दोनो को मदहोश सा कर दिया...
वो काफ़ी देर तक मेरे उपर लेटी रही...
और अंत में जब उठी तो अपनी चूत में से दो चार बूंदे वो मेरे उपर टपकाकर बेड के साइड में खड़ी हो गयी...
हल्की रोशनी में उसका गदराया हुआ बदन काफ़ी सैक्सुअल रहा था...
मैने नोट किया था की जब से उसकी चुदाई होनी शुरू हुई है वो पहले से काफ़ी भर भी गयी है...
ख़ासकर उसके मुम्मे , जिनपर मैने काफ़ी मेहनत की थी, वो फूल कर बड़े हो गये है...
गांड वाला हिस्सा भी कुछ और बाहर निकल चुका है...
शायद उसे घोड़ी बनाकर चोदने की वजह से ऐसा हुआ था..
पर जो भी था
उसका नंगा बदन देखकर और अपनी मेहनत का नतीजा उसपर देखकर
मैं और मेरा लंड काफ़ी प्राउड फील कर रहे थे.
फिर वो वॉश करने चली गयी...
मैं भी लंड को सॉफ करके आया और नंगा ही आकर सोनिया के बिस्तर पर लेट गया...
वो कल रात की तरह एक बार फिर मुझसे नंगी लिपटकर सो गयी...
थके होने की वजह से जल्द ही मुझे नींद आ गयी....
सुबह मेरी नींद अलार्म से खुली...
सोनिया ने जल्दी से मुझे उठाया, मुझे किस्स किया और तैयार होकर स्कूल जाने को कहा..
सुबह -2 उसे अपने सामने देखकर और वो भी टॉपलेस, मेरा तो मन ही नही कर रहा था स्कूल जाने का..
पर जाना तो ज़रूरी था...
आज साक्षी से भी तो बात करनी थी...
वो जिस तरह से कल मेरे घर से वापिस गयी थी, आधी अधूरी प्यास लेकर, वो प्यास बुझानी ज़रूरी थी..
जब मैं स्कूल पहुँचा तो पहले तनवी मिल गयी मुझे...
वो तो मुझे देखकर आजकल ऐसे खुश होती थी जैसे उसका दूल्हा आ गया हो...
साली को लंड चाहिए था बस...
और कुछ नही...
इसलिए मिलने के साथ ही वो अगले प्रोग्राम के बारे में पूछने लगी...
अब उसे भी हेंडल करना ज़रूरी था...
क्योंकि कसी हुई चूत जब खुद चलकर आए तो उसे मना नही करना चाहिए...
इसलिए उसे मैने अगले दिन उसी के घर पर मिलने का वादा किया...
और अपने घर पर वो मुझसे कैसे चुदवायेगी , ये उसकी प्राब्लम थी..
और फिर मुझे दिखाई दी साक्षी.....
जिसकी आँखो में उस वक़्त इतनी कशिश थी की जब उसने एक इशारा करके मुझे बिल्डिग के पीछे आने को कहा तो मैं रिमोट कंट्रोल वाली कार की तरह उसके पीछे चल दिया...
बिल्डिंग के पीछे वाला हिस्सा हमेशा सुनसान ही रहता था...
बिल्डिंग के पीछे घने पेड़ थे और उसके पीछे एक बड़ी सी दीवार जो बौंड्री वाल का काम करती थी...
इसलिए वहां किसी के आने का सवाल ही नही था...
मुझे भी पता था की यहा ज़्यादा कुछ होना तो पॉसिबल ही नही है..
पर फिर भी सुबह -2 उसके होंठो का मीठा शहद पीने को मिलेगा , यही बहुत था मेरे लिए..
इसलिए वहां जाते ही सबसे पहले हम दोनो के होंठ आपस में मिले...
उसके बाद बदन.
नर्म मुलायम होंठो को चूस्कर जब मुस्कुराते हुए मैने उसके बूब्स को मसला तो वो कसमसाती हुई मेरे उपर चढ़ती चली गयी..
''उम्म्म्मम....बड़े खराब हो तुम.....कल जो कुछ भी हुआ था हमारे बीच....उसके बाद तो मुझसे एक पल का भी सब्र नही हो रहा है....पता भी है कल रात मैं पूरी न्यूड . सोई थी...सिर्फ़ तुम्हारे बारे में सोचती रही...फिंगरिंग करती रही....''
उसके इस कबूलनामे को सुनकर मेरा मन तो यही कर रहा था की उसे वही दबोच कर चोद दूँ ...
पर जो सोचकर मैने उससे वादा लिया था, वो पूरा करना भी ज़रूरी था..
आख़िरकार मेरी एक दबी हुई इच्छा थी ये, जो उसके मध्यम से ही पूरी हो सकती थी अब...
इसलिए मैने उसे और ज़्यादा सताना सही नही समझा और कहा : "अब तुम्हे ज़्यादा तरसने की ज़रूरत नही है...जो भी होगा, आज रात ही होगा...और इसके लिए तुम्हे ठीक वैसा ही करना पड़ेगा, जैसा मैं कहूँगा...''
वो एक बार फिर से उसी टोन में बोली, जैसा कल बोली थी
''तुम कुछ कहकर तो देखो...तुम्हारे लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ ...''
मैं : "ओके ...फिर आज रात को घर से बाहर रहने की पर्मिशन ले लो...''
रात भर के लिए घर से बाहर रहना, किसी भी जवान लड़की के लिए बड़ी मुश्किल का काम होता है...
पर जैसा की साक्षी ने पहले ही कहा था की वो कुछ भी करने को तैयार है
इसलिए वो एक ही बार में मान गयी...
और वो ये काम कैसे करेगी
ये मेरी प्राब्लम नही थी..
इसलिए, रात को करीब 8 बजे, उसके घर से थोड़ी दूर मिलने का वादा करके मैं अपनी क्लास में आ गया..
पूरा दिन कब निकल गया, पता ही नही चला..
शाम को घर पहुँचकर मैने भी एक बहाना लगाया की मुझे अपने दोस्त के साथ उसके घर जाना है...
एक लड़के के लिए रात भर बाहर रुकना ज़्यादा मुश्किल नही होता...
और वैसे भी मॉम मुझे नाराज़ नही कर सकती थी
इसलिए एक ही बार में पर्मिशन मिल गयी...
हालाँकि सोनिया दी मुझे शक्की नज़रों से देख रही थी
वो समझ चुकी थी की ज़रूर मेरा कुछ प्लान बन गया है...
और उनसे मैं कुछ छुपाना नही चाहता था, इसलिए उन्हे एक कोने में लेजाकर मैंने सारी बात बता दी...
पर मैं साक्षी के साथ क्या करने वाला था ये नही बताया...
पर ये वादा ज़रूर किया की वापिस आकर उन्हे सारी बाते विस्तार से बताऊंगा.
खैर, पापा की कार लेकर मैं ठीक साढ़े सात बजे घर से निकल गया...
रात के लिए मैने एक छोटे से बेग में अपने कपड़े भर लिए..
और ठीक 8 बजे साक्षी को भी पिक कर लिया..
उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की अपनी चुदाई की उसे कितनी एक्साइटमेंट है...
वैसे एक्साइटमेंट तो मुझे भी थी...
साक्षी को लेकर मैं अपने स्कूल की तरफ चल दिया..
हमारे स्कूल के पीछे एक हाउसिंग सोसायटी बन रही थी...
और वहां से निकलते हुए मैं अक्सर उसकी ऊँची इमारत और सोसायटी पार्क के बीचो बीच बने स्वीमिंग पूल को देखा करता था...
और शायद तभी मेरे मन में ये बात आई थी , जिसे पूरा करने के लिए आज मैं साक्षी को अपने साथ लाया था...
हालाँकि इसमे थोड़ा रिस्क भी था..
क्योंकि जिस प्रकार की चुदाई मुझे करनी थी उसमे किसी के द्वारा देखे जाने या पकड़े जाने का खतरा था..
पर यहाँ रिस्क थोड़ा कम ही था...
क्योंकि बिल्डिंग में अब सिर्फ़ फिनिशिंग का काम ही चल रहा था..
और सारे मजदूर सुबह से लेकर शाम तक ही वहां आया करते थे...
सिर्फ़ एक बूड़ा चोकीदार ही था
जो मैन गेट के पास बने एक छोटे से कमरे में सो रहा था...
अब आप भी सोच रहे होंगे की जो चुदाई मैं आसानी से अपने या उसके घर पर कर सकता था उसके लिए इतना रिस्क उठाकर यहाँ आने की क्या ज़रूरत थी...
ज़रूरत थी...
और वो इसलिए की ये मेरी एक ऐसी इच्छा थी जो एक सैक्सी कहानी पढ़ने के बाद मेरे जहन में आई थी...
अगर ये मेरी पहली चुदाई होती तो शायद मैं ऐसा रिस्क लेने यहाँ नही आता..
पर जैसा की आप सभी जानते है की मेरे चारों तरफ चुतों की कमी तो है नही
इसलिए साक्षी को अपनी दबी हुई इच्छा के अनुसार चोदने का मन कर गया था मेरा...
और उपर से जब उसने ये बोला था की वो कुछ भी करने को तैयार है तो मेरा निश्चय और भी पक्का हो गया था..
इसलिए उसे यहाँ लेकर आया था...
मैने कार एक दीवार की ओट में खड़ी कर दी...
और साक्षी को लेकर दबे पाँव मैं बिल्डिंग में दाखिल हो गया...
वो बेचारी तो अभी तक कुछ बोल ही नही पा रही थी...
शायद उसने जो वादा किया था उसकी वजह से ...
पर मेरे जैसा रोमांच अब उसकी आँखो में भी आ चुका था...
भले ही मैने उसे अपना प्लान नही बताया था...
पर उसकी आँखो की चमक बता रही थी की वो कुछ-2 समझ रही है की मेरे दिमाग़ में क्या चल रहा है...
और जो भी चल रहा था, वो अगर आज की रात पूरा हो गया तो उसे भी अपनी ये पहली चुदाई हमेशा के लिए याद रहने वाली थी.
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