RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
मॉम ने गहरी साँसे लेते हुए कहा : "और क्या सोनी...बोल ना....और क्या...''
सोनिया : "और चूस लेती इसे.....अपने मुँह में लेकर...अच्छी तरह से...और तब तक चूसती ...जब तक ये झड़ नही जाता मेरे मुँह में ....''
सोनिया का इतना कहना था की मॉम की आँखे फैलती चली गयी....
जैसे उन्हे विश्वास ही नही हो रहा था की उनकी खुद की बेटी, अपने भाई का लंड चूसने के लिए उसे उकसा रही है...
पर वो कुछ बोली नही..
क्योंकि
वो भी यही सुनना चाहती थी...
शायद
इसलिए एक बार फिर से उनके नर्म हाथ मेरे लंड से खेलने लगे....
और फिर वही हुआ जो सोनिया ने उन्हे करने को कहा था...
वो धीरे-2 मेरे लंड पर झुकने लगी...
जैसे कोई सम्मोहन उन्हें मेरे लंड की तरफ खींच रहा हो
वो पास आती चली गयी
और मुझे एहसास तब हुआ जब उनकी गर्म साँसे मेरे लंड पर पड़कर उसे झुलसाने लगी....
मैने आधी आँख खोल कर देखा तो मॉम बड़े प्यार से मेरे लंड को देख रही थी...
उनकी आँखो में हवस सॉफ देखी जा सकती थी....
और फिर उन्होने अपनी गर्म जीभ निकाल कर मेरे लंड पर लगा दी...
मैं चाहकर भी सिसकारी नही ले पाया...
मेरा बदन अकड़ गया...
बेड की चादर को मैंने अपने हाथों से भींच लिया
सोनिया ने बात संभाली : "देखा मॉम , भाई को लग रहा है की सपने में उनके साथ ये सब कोई कर रहा है...आप कंटिन्यू रखो ....शाबाश....चाट लो इसे...''
मेरा तो मन कर रहा था की चूम लू अपनी बहन को...
जिस अंदाज से वो मॉम को मेरी तरफ आकर्षित कर रही थी वो काबिले तारीफ़ था....
एक चुदाई तो इस बात की पक्की थी मेरी तरफ से उसके लिए..
फिर मॉम ने अपनी जीभ से मेरे लंड को पूरा चाट लिया....
चाट क्या लिया उसे पूरा नाप लिया अपनी जीभ से...
और फिर जब उनसे सब्र नही हुआ तो एक ही झटके में उन्होने मेरे लंड को अपने मुँह में भरकर चूस लिया..
ओह यसस्सस्स.......
क्या पल था वो दोस्तो....
मेरा लंड मेरी माँ के गर्म मुँह में था...
और इसकी गवाह मेरी नंगी बहन थी...
जिसके चेहरे की चमक सॉफ बता रही थी की अपनी योजना को सफल होते देखकर उसे कितनी खुशी हो रही है...
मॉम ने मेरे लंड को नीचे से पकड़ा और पूरा अंदर निगल गयी.....
ओह यारो
क्या फीलिंग होती है ये भी...
अपनी ही माँ से अपने लंड को चुसवाना...
हालाँकि अपनी बहन से लंड चुसवाना भी सुपर वाली फीलिंग भरा पल था..
पर ये तो सुपर से भी उपर हो गया..
मेरे चेहरे के भाव बता रहे थे की मेरे अंदर क्या चल रहा है....
सोनिया शायद उन एक्सप्रेशन्स को देखकर समझ गयी थी की ये देखकर मॉम भी समझ जाएगी की मैं जाग रहा हूँ ... इसलिए, वो मॉम के पीछे से घूमकर सामने की तरफ आ गयी...
और मेरी छाती की साइड में अपने नंगे कूल्हे सटाकर बैठ गयी...
अब उसका बदन मॉम के सामने था, फिर बड़ी चालाकी से वो थोड़ा सा झुकते हुए मेरे पेट पर अपनी छाती रखकर लेट सी गयी...और वो उसने इसलिए किया ताकि मॉम मेरा चेहरा ना देख पाए...
पर ऐसा करके सोनिया दी ने मेरे लंड की अकड़ में और इज़ाफा ही किया...
क्योंकि उनके नंगे बूब्स मेरे पेट पर बुरी तरह से चुभ रहे थे...
नीचे की तरफ मॉम के नंगे मोम्मे मेरी जाँघो पर चुभ रहे थे...
एक साथ 4 मोम्मे मेरे बदन की मालिश कर रहे थे...
मॉम के चेहरे के ठीक सामने सोनिया दी का चेहरा था...
वो उनकी तरफ भूखी नज़रों से देख रही थी...
और आँखो ही आँखो में कह रही थी की थोड़ा मुझे भी चूसने दो ना मॉम ..
पर मॉम थी की अपनी ही धुन में मेरे लंड को चूसती जा रही थी...
सोनिया दी के बीच मे आकर लेटने की वजह से मुझे आँखे बंद रखने की ज़रूरत नही थी...
मैं आँखे खोलकर सोनिया दी की नंगी और सैक्सी पीठ को देख रहा था...
वो पीछे से भी उतनी ही खूबसूरत थी जितनी की आगे से...
मन तो कर रहा था की उनकी नंगी पीठ को चूम लू..
मैं ऐसा नही सकता था...
पर उसे हाथ तो लगा ही सकता था...
वैसे भी ना तो मेरा चेहरा और ना ही मेरा हाथ मॉम को दिख रहा था...
इसका फायदा उठाकर मैने अपने हाथ से सोनिया दी की नंगी पीठ को छू लिया....
एक तरंग सी दौड़ गयी उनके बदन में ...
उनकी छातियाँ थोड़ी और बाहर निकल आई...
एक लंबी सी सिसकारी निकल गयी उनके मुँह से...
''आआआआआआआआआअहह ...... ओह यसस्स्स्स्स्स्सस्स....''
मॉम की तंद्रा भंग हुई...
उन्होने आँखे खोल कर सोनिया को देखा, जो ठीक उनके सामने, प्यासी नज़रों से, अपने होंठों पर जीभ फेरती हुई पड़ी थी...
मॉम को उसपर दया आ गयी...
और उन्होने अपना मुँह मेरे लंड से निकाल लिया.
और उन्होने बड़े प्यार से वो लंड सोनिया दी की तरफ लहरा दिया...
फिर तो उन दोनो के लिए वो मेरा लंड खिलौना सा बन कर रह गया...
पर उनके इस खेल ने मेरी हालत खराब कर दी...
मॉम के गर्म मुँह से निकल कर जब सोनिया दी के तड़पते मुँह में मेरा लंड गया तो मैने पीछे से उनके बालो को कस के पकड़ लिया...
पर उनपर कोई असर नही पड़ा...
वो मेरे लंड को एक ही बार में अंदर तक घुसाकर चूसती चली गयी...
उफफफ्फ़......
मेरा मन तो कर रहा था की चीखे मारु....
गालियां दू उन दोनो माँ बेटियो को....
ठूस कर अपना लंड उनके मुँह में बारी-2 से घुसाऊ...
पर सोनिया दी की कसम ने मेरे मुँह और आँखो पर ताला लगा रखा था...
मैं वो सब सिर्फ़ महसूस कर सकता था..
अपने मज़े को बयान नही कर सकता था...
ये कैसा टॉर्चर भरा काम दे दिया था सोनिया दी ने मुझे...
पर जो प्रोमिस मैंने किया था, उसे बचाने के लिए मैं चुपचाप लेटा रहा...
पर मेरे लंड पर मेरा कोई कंट्रोल नही था...
वो तो बेकाबू सा होकर, जंगली घोड़े की तरह, हिनहिनाता हुआ..कभी मॉम के मुँह में तो कभी सोनिया दी के मुँह में जाकर मज़े ले रहा था...
और उसकी ये खुशी उसके चेहरे से टपक भी रही थी...
बूँद-2 करके...
और ये बूंदे उस आने वाले तूफान का संकेत थी, जो मेरी बॉल्स के अंदर उबाले खा रहा था...
और जल्द ही, उनके इस खेल की वज से , वो पल भी आ ही गया, जब मेरे लंड का वो चिपचिपा बरसाती पानी, अपने अंदर की सारी सीमाओं को तोड़कर , माँ -बेटी के रिश्तो की परवाह किए बिना, उन्हे अपने तूफ़ान में लेकर बहता चला गया....
एक के बाद एक कई पिचकारियां मेरे लंड से निकल कर हवा में उछलने लगी...
और उन दोनों के बीच जैसे होड़ सी लगी हुई थी की कौन कितना माल पी कर जाएगा...
सोनिया दी को तो पहले से ही मेरा मिल्कशेक पसंद था...
अब उस जूस की चाह रखने वालो में एक और नाम भी जुड़ चुका था...
मेरी मॉम का...
क्योंकि आज मेरे लंड से निकले माल की ज़्यादा बूंदे , मॉम ने ही अपनी जीभ से समेत कर अपने अंदर पहुँचाई थी...
सोनिया दी ने अपना ज़ोर लगाकर मुझे बेड पर बाँधकर नही रखा होता तो मेरी कमर का तीर कमान बन गया होता...
और उन्ही की वजह से मैं , आँखे खोलकर, अपने चेहरे के पूरे एक्सप्रेशन्स के साथ उस ऑर्गॅज़म को महसूस कर पाया था...
मेरे हाथ आख़िर तक उनके बालों को खींचते रहे और इस वजह से मुझे भी झड़ने में काफ़ी आनंद आया..
मुझे तो अभी भी विश्वास नही हो पा रहा था की मेरी बहन और माँ ने मिलकर, नींद ही नींद में , मेरे लॅंड के साथ बलात्कार कर दिया था..
पर जो भी हुआ था बहुत अच्छा हुआ था...
क्योंकि ये वो पहली सीढ़ी थी, जो बहुत उपर तक आकर, आनंद के वो दरवाजे खोलने वाली थी, जिसके बाद हर दिन और हर रात मस्ती से भरी होने वाली थी...
पर सोनिया दी ने सब अपने हिसाब से सोचकर ही किया था...और आगे भी उन्होने ही करना था..
इसलिए मेरे लंड को अच्छे से चाटकर, सॉफ करके, उन्होने फिर से पैक कर दिया और मुझपर चादर डालकर मुझे सोने के लिए छोड़ दिया...
मॉम अपना चेहरा धोकर आई तो वो कुछ बोल ही नही पा रही थी..
सोनिया : "कुछ ना बोलो मॉम ...आज रहने दो...जो भी हुआ है, उसके बारे में कल बात करेंगे...अभी आप जाकर सो जाओ...गुड नाइट..''
इतना कहकर उसने मॉम के होंठो को चूमा, उन्हे गले से लगाया और उन्हे नीचे भेज कर दरवाजा बंद करके मेरे पास आई...
मैं एक झटके से उठकर बैठ गया...
जैसे बरसों से मुर्दा बनकर लेटा हुआ था, और आज ही किसी शक्ति ने मुझे जगाया था....
बहुत सी बाते करनी थी अभी तो सोनिया दी से...
बहुत सी बातों का जवाब लेना था...
कुछ अधूरा बचा हुआ मज़ा पूरा करना था अभी तो..
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