bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
01-09-2019, 02:21 PM,
#77
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
मैने उसे सोफे पर बिठाया और अपना लंड मसलता हुआ उसके करीब आ गया, वो समझ गयी की उसका क्या करना था..


पहले तो उसने उसे अपने हाथ में पकड़ा और गोर से देखने लगी...
शायद आज से पहले उसे इतने करीब से देखने का मौका नही मिला था..

वो मेरे लंड के टोपे को अपने होंठो पर लिपस्टिक की तरह रगड़ते हुए बोली : "उम्म्म्म....ये साला तो दिन ब दिन बड़ा होता जा रहा है.... कब तक तरसाएगा मेरी जान....इन होंठो के अलावा भी एक और होंठो का जोड़ा है, जो इसका वेट कर रहा है....''

साली ने बड़ी मासूमियत से अपनी होने वाली चुदाई की भविष्यवाणी कर दी..
पर उसे पता नही था की उसके मुँह से निकली ये बात कुछ ही देर में सच होने जा रही है.

मेरी आँखो में देखते-2 उसने मेरे लंड को निगल लिया...
और अपनी सकिंग मशीन जैसे मुँह से वो उसे ज़ोर-2 से चूसने लगी..
लड़कियो की यही बात मुझे सबसे ज़्यादा पसंद थी...
मेरे लंड को ऑक्सिजन सिलेंडर समझ कर चूसती थी वो...
जैसे उसमें से निकल रही हवा से ही उनकी जिंदगी चल रही है.

मेरे लंड को अच्छे से चूसने के बाद उसने मेरी गोटियां भी चूसी...
उन्हे चाटा और अच्छे से मेरे अखरोटो को चमका कर गीला कर दिया..



मेरे मुँह में भी एक प्यास जग चुकी थी...
समय कम था पर फिर भी मुझे उसकी कुँवारी चूत का पानी आख़िरी बार पीना था..
मैने उसकी चूत की पंखुड़ियो को फेला कर अंदर का गुलाबीपन देखा
आज के बाद इसकी शक्ल और स्वाद दोनो बदलने वाले थे



मैने उसे बाहों में उठाया और बड़ी बेदर्दी से उसे मॉम डेड के रूम में लेजाकर बेड पर लिटा दिया...
वो भी मेरे रॅफ स्टाइल को देखकर मुस्कुरा दी

उसने मेरे कंधे पर अपनी टाँग रखते हुए मुझे दूर ही रोक दिया और कांपती हुई सी आवाज़ में बोली

''जानेमन....आज तो तेरे इरादे कुछ अच्छे नही लग रहे है...जितने प्यार से तू आज ये सब काम कर रहा है, उतनी ही मेरी प्यास और बढ़ती जा रही है...''

मैने उसकी टाँग को पकड़ा और उसके पैर के सभी उंगलियो को मुँह में लेकर चूस लिया...
ये वो हमला था जिसने उसके अंदर की पिशाचिनी को जगा सा दिया...
उसकी बॉडी वो सबसे सेंसेटिव पॉइंट था...



मैं उसकी उंगलियो को चूसता हुआ धीरे-2 उपर आने लगा...
उसकी कसावट वाली पिंडलिया और घुटनो के पीछे वाला हिस्सा भी बड़ी मादकता लिए हुए था...
वहां किस्स करने के बाद तो वो दोहरी होकर मुझसे लिपट गयी और मुझे खींचकर अपनी चूत पर ला पटका...

और सिसकती हुई सी आवाज़ में बोली

''साले .......कितना तरसा रहा है आज.......खा जाउंगी तुझे तो मैं .......चल चूस यहाँ .....आग लगी है अंदर.... बुझा इसे....''

मैने भी उसे ज़्यादा तरसाया नही और अपनी जीभ की पतवार निकाल कर उसकी दोनो नाओं को अगल बगल फेला कर , रसीली नदी में चप्पू चलाने लगा..

''आआआआआआययययययीी ईईईईईईईईईईईई...... उम्म्म्मममममममममममम...... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...... मेरे राजा.......आहह..... बॉय........सकक्क इट.......... ज़ोर से....................अहह''




मैने करीब 5 मिनट तक उसकी चूत से निकल रहा देसी घी जी भरकर चाटा..
और फिर अपनी जीभ उसके पेट पर फिराते हुए उपर की तरफ आने लगा.

तनवी को मेरा ऐसा करना सही नही लगा...
वो तो मेरी जीभ अंदर लेकर ही झड़ जाना चाहती थी...

मैने अपने दांतो से उसके बूब्स को जकड़ कर उन्हे चुभलाना शुरू कर दिया....
एक बार फिर से उसके निप्पल्स में से देसी शराब निकालनी शुरू कर दी..

''आआआआआआआअहह क्यों कर रे हो ये..... मरररर जाउंगी मैं ....... अहह........ भेंनचोद .....नीचे चूस.....वहां मज़ा आ रहा था.....''

मैने एक ही झटके में उसके चेहरे को पकड़ा और उसकी आँखो में देखते हुए उसे स्मूच कर लिया...

बेचारी के होंठ लरज रहे थे....

मैने अपना लंड थोड़ा आगे किया और उसकी फफक रही चूत पर रगड़ने लगा...



वो तो ऐसे तड़पी जैसे पानी में गर्म सरिया डाल दिया हो...
उसकी सिसकारियाँ कान को भेदे जा रही थी.

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... अहह......... सोनू...............मेरी ज़ाआाआअन्न..... क्या फीलिंग है इसकी....... साला जब अंदर जाएगा तो कितना मज़ा आएगा...''

उसके इतना कहने की देर थी की मैने अपनी हथेली से उसके मुँह को दबा दिया...
और पूरा उसके उपर चड गया...
बेचारी भोचक्की सी रह गयी
और इससे पहले की वो कुछ और कर पाती
मैने अपने लंड को धक्का देकर उसकी चूत के गीले होंठो के पार सरका दिया...

बेचारी घिघिया कर रह गयी....
चीख भी नहीं पाई मेरे लंड के प्रहार से...
आँखे फटी की फटी रह गयी...
और मैं इंच दर इंच अपना लंड उसकी चूत में उतारता चला गया और अंत पूरा में लंड उसकी चूत में भेद कर ही माना....



उसकी आँखो में दर्द और मस्ती का मिला जुला मिश्रण देख पा रहा था मैं ...
और मुझे पता था की इस वक़्त मैं एमोशनल हो गया तो कुछ नही कर पाउँगा ..
इसलिए उसकी आँखो में देखना छोड़कर मैने उसके मुम्मो पर नज़रे गाड़ दी और साथ ही अपने पैने दाँत भी...

एक साथ 2 जगह हमला होता देखकर उसकी तो फट्ट कर हाथ में आ गयी..

मैने अपना लंड उसकी लहू लुहान चूत से खींचकर निकाला और एक बार फिर उसी ताक़त से अंदर घोंप दिया...
इतनी रॅफ चुदाई के लिए मैने पहले सोचा नही था पर करने में काफ़ी मज़ा आ रहा था..

मैने उसके मुँह से हाथ हटा लिया और ज़ोर-2 से धक्का मारकर उसकी चूत का हलवा कूटने लगा..



बेचारी के मुँह से अब चूख भी नहीं निकल रही थी...
फफक कर रह जाती मेरे हर प्रहार से....

मुझे तो ऐसा एहसास हो रहा था जैसे मेरा लंड मखमली चादर में फँस गया है...
उसी चादर में लिसड़ कर मेरा लंड अपने मुकाम की तरफ बढ़ता ही चला जा रहा था..

मैने उसकी कमर को अपने हाथ में पकड़ा और उसे जोरों से चोदने लगा...

और अब मुझे लगने लगा की उसे भी मज़ा मिलने लगा है....
वो अपनी आँखे बंद करके सिसकारियां मार रही थी..

''आआआआआआआअहह सोनू....... साआले...... ये क्या कर दिया......... उम्म्म्मममम.... करना ही था तो...... पहले बता तो देता........ सही से मज़ा लेती......... आआआआआहह ..... पर जो भी किया....... सही किया........... कब से तरस रही थी इस मज़े के लिए.........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... आज तूने मुझे ये प्यारा सा एहसास दिया है......आई एम् लविंग इट.........एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... फककक मिईीईई.... चोदो मुझे........ अहह...... ज़ोर से चोदो ........''

उसका एक-2 शब्द मेरे अंदर नयी उर्जा भर रहा था और मैं दुगनी ताक़त से उसकी चूत का बेंड बजा रहा था....
हर झटके से उसकी कमर हवा में उछल जाती....



पहली धार की शराब जैसा नशा दे रही थी उसकी चूत मुझे....
और मैं उस नशे मे डूबकर उसके और अंदर घुसता चला गया...

और अंत में आकर जब मेरे लंड से रुक पाना मुश्किल हो गया तो मैं चिल्ला पड़ा...

''आआआआआआआआआआआआआआआआआअहह मेरी जाआंन ......आई एम् कमिंग.......''

वो उतनी ही ज़ोर से चीखी..

''कम इनसाइड मिईिइ......कम इनसाइड मी........''

मेरे पास कुछ सोचने समझने का टाइम नही था
उसने कहा है तो वो अच्छे से जानती होगी
इसलिए मैने उसी की चूत में अपनी पिचकारी का सारा रंग उडेल दिया...

और एक के बाद एक कई झटके लगने के बाद जब मेरी गाड़ी स्टेशन पर रुकी तो उसने मेरा मुंह अपनी छाती से लगाकर मुझे अपने उपर लिटा लिया....

उसके नर्म मुम्मो का सरहाना बनाकर मैं उसकी धड़कने सुन रहा था..
और वो अभी तक अपनी पहली चुदाई का एहसास लेकर अंदर ही अंदर खुश हुए जा रही थी...

मेरा लंड उसकी चूत से निकल आया, और पीछे - 2 ढेर सारा रस भी



आज हम दोनो के बीच का ये आख़िरी दरवाजा भी खुल चुका था जिसके बाद ऐसे ना जाने कितने और मज़े मिलने वाले थे..
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