RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
दी, आप पागल हो गये हो क्या....ये क्या कर लिया आपने मॉम के साथ...और मेरे बारे में बोलने की क्या ज़रूरत थी...आपने ये ठीक नही किया दी, ये बिल्कुल ग़लत है...''
सोनिया ने अभी भी अपने नंगे शरीर को ढकने का कोई प्रयत्न नही किया...
वो बड़े आराम से तकिया लगाकर मेरी बातें सुनती रही.
और बाद में बोली : "ये ग़लत है वाली बात तो तुम करो ही मत...मेरे साथ जो कर रहे थे वो भी उतना ही ग़लत था और जब वो बाद में सही हो सकता है तो अब जो मैं मॉम के साथ जो कर रही हूँ , वो भी उसी हिसाब से सही है...और रही बात तुम्हारे बारे में बात करने की तो ये मैं तुम्हारे लिए ही कर रही हूँ और सच कहूँ तो मॉम के लिए भी...क्योंकि एक औरत की प्यास सिर्फ़ एक मर्द ही बुझा सकता है...उनके साथ ये हल्का फूला प्यार करके मैने उन्हे अभी के लिए तो शांत कर दिया है पर अंदर तक बुझने वाली प्यास तो तुम्हारा ये हथियार ही बुझा सकता है...''
उसने मेरे लंड की तरफ इशारा किया जो अभी तक उसी अंदाज में खड़ा था जैसा अलमारी में उनकी बाते सुनकर खड़ा था.
सोनिया : "और वैसे भी, अपनी मॉम के दूध का क़र्ज़ उतारना तुम्हारा भी फ़र्ज़ है... और इस वक़्त मॉम को..उनके जिस्म को...उनकी पुस्सी को तुम्हारी और तुम्हारे इस लंड की बहुत ज़रूरत है...''
वो तो जैसे मुझे हिप्टोनाईस कर रही थी...
और मैं हो भी रहा था.
उसकी बाते मेरे दिल के अंदर तक उतर रही थी...
मैं इस वक़्त अपने आपको उस मसीहा की तरह समझ रहा था जो पूरी दुनिया की अबला औरतों को बचाने निकल पड़ा है...
और सबसे पहले मैं अपनी माँ की सहायता करके उन्हे इस आग से बचाऊंगा..
पर फिर कुछ सोचकर मैने कहा : "पर...पर दी...ये सब मुझे सही नही लग रहा ...मुझे लगता है की ये सब हमारे बीच ही रहना चाहिए, मॉम को इसमे इन्वॉल्व नही करना चाहिए...''
सोनिया : "मॉम इसमे इन्वॉल्व हो चुकी है...और मुझसे मॉम का ये दर्द अब और नही देखा जाएगा... तुमने शायद देखा नही, मॉम को जब मैने तुम्हारा नाम सजेस्ट किया तो उन्होने कुछ नही कहा...इसका मतलब वो भी शायद अंदर से यही चाहती है...''
मैं चुप हो गया...
ये बात तो मैं भी समझ चुका था...
जब मॉम एक बच्चे के साथ संबंध बना सकती है तो दूसरे के साथ बनाने मे भला क्या प्राब्लम होनी थी उन्हे...
और मेरे पास तो लंड भी है.
उसी लंड की चाह में शायद वो मान जाए...
ऐसी उम्र में आकर एक कड़क लंड अगर उन्हे मिल जाए तो और क्या चाहिए उन्हे..
मुझे सोचते हुए देखकर वो उठकर मेरे पास आई और नंगी ही मुझसे लिपट गयी...
और बड़े प्यार से बोली : "मान जाओ भाई....मॉम को तुम्हारी मदद की ज़रूरत है...प्लीज़...''
उसने जब ये बात कही तो मेरा दिल एकदम पसीज गया...
आपको तो पता है लड़के इस मामले में कितने भावुक होते हैं,उनसे किसी का दर्द और परेशानी नहीं देखि जाती ।
और मैने उसे ज़ोर से हग करते हुए कहा : ''ओक...दी....जैसा आप कहे....''
मेरी बात सुनते ही वो पागलों की तरह मुझे चूमने लगी...
मेरी गोद में उछलकर चड गयी और नीचे मुँह करके मेरे होंठो को चूसने लगी.
उसके मुँह से मुझे वही पुरानी शराब की खुश्बू आ रही थी जो मॉम की कच्छी में से आ रही थी...
मैं भी दुगने जोश के साथ उसके रसीले होंठो पर लगे मॉम की चूत के रस को चाटने लग गया.
अब कुछ और करने की हालत नही थी...
थोड़ी देर पहले जिस अंदाज में मैने सोनिया दी को चोदा था उसके बाद वो पर्फॉर्मेन्स दोबारा लाने के लिए कम से कम 2-3 घंटे का गेप चाहिए था..
और मॉम भी नीचे ही थी...
इसलिए मैने ज़्यादा रिस्क लेना सही नही समझा..
सोनिया दी ने भी अपने कपड़े पहने लिए और मैं पीछे वाली बाल्कनी से घर के पीछे वाली सुनसान गली में कूद कर सामने के दरवाजे के सामने आ गया..
मैने इस वक़्त ट्रैक्क सूट पहना हुआ था...
क्योंकि सोनिया दी के अनुसार तो मैं फुटबाल्ल खेलने गया हुआ था..
दरवाजा मॉम ने ही खोला...
और इस वक़्त मैं मॉम को और मॉम मुझे एक अलग ही नज़रिए से देख रहे थे...
मेरी नज़रें मॉम के उन मोटे-2 मुम्मो पर थी, जिन्हे कुछ देर पहले मैने नंगा देखा था..
नेहा द्वारा चूसते हुए देखा था...
और मॉम की नज़रें मेरी शॉर्ट्स के उपर थी, जिसमें मेरे उभरे हुए लंड की लाइन ऐसा फील करा रही थी जैसे मैने कोई खीरा छुपा रखा है अपनी टाँगो के बीच.
मैं अंदर आकर सोफे पर बैठ गया..
और मॉम मेरे लिए पानी लेकर आई...
पता नही क्यों पर मुझे लग रहा था की अंदर ही अंदर मॉम मुझे कुछ कहना चाहती है...
मैने मॉम से पूछा : "मॉम .आप अभी तक घर ही हो..क्लिनिक नही गये..''
मों : "हाँ बस..कुछ काम था...आज सोच रही हूँ की सोनिया के साथ कुछ देर मार्केट हो आऊँ..''
सोनिया ने जो प्यार दिया था शायद उसी का फल मिल रहा था उसे...
मॉम उसे शॉपिंग करवाने बाहर ले जा रही थी..
मैं : "ओक ... गुड...एंजाय करना...''
मॉम ने मुझे देखा, जैसे कहना चाहती हो की वो तो कर ही चुके है.
और तभी सोनिया दी तैयार होकर नीचे आ गयी...
और मुझे देखकर उसने हाय बोला जैसे आज की तारीख में पहली बार मिल रही हो मुझसे..
कुछ ही देर में वो लोग मार्केट के लिए निकल गये और मैं घर में अकेला रह गया..
वो शाम से पहले आने वाले नही थे...
मैं मॉम के बारे मे सोचता हुआ सोफे पर लेट गया और टीवी देखने लगा..
मेरे मन में बस यही चल रहा था की मॉम के साथ कुछ करते हुए कैसा फील होगा.
यही सब सोचते-2 मेरी आँख लग गयी
मेरे साथ और अक्सर दूसरे लोगो के साथ भी हमेशा यही होता है की जो बात सोचते-2 सोया जाए,उसी के सपने आते है..
मॉम के बारे में सोचते-2 सोया तो सपने में भी उन्ही के दर्शन हो गये..
और सपनो की दुनिया में तो आप खुद की इच्छा अनुसार कुछ भी कर सकते हो...
जैसा मर्ज़ी सोच सकते हो...
वही होता है.
यहाँ भी वही हो रहा था.
मॉम और मैं एक सुनसान टापू पर थे...
मैं एक चेयर पर नंगा लेटा हुआ था...
मेरे हाथ में बियर का केन था और मेरा लंड समुंद्र में नहाती हुई मॉम को देखकर अकड़ कर खड़ा था...
वो नीले पानी की लहरो में गोते लगा रही थी
एकदम नंगी
हमारे सिवा पूरे टापू पर कोई और नही था..
पानी की लहरे मॉम के नंगे बदन को चूम कर सारे समुंदर को नशीला बना रही थी..
उनकी चूत का पानी रिस कर नमकीन पानी को मीठा कर रहा था..
और उनका नंगा बदन मेरे लंड को एक नयी एनर्जी प्रदान कर रहा था...
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