RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
अभी तक उनकी बाते सुनकर यही लग रहा था की एक माँ अपनी बेटी से अपनी अतरंग बाते और पुरानी यादे ताज़ा कर रही है...
पर यहाँ तो सच में कुछ होने जा रहा था
जो उनके बीच की वो सब दूरिया भी कम करने वाला था
जिसे जनरेशन गेप कहते है..
सोनिया ने तो उनके ब्लाउज़ के बटन खोलकर वो जनरेशन गेप अपनी तरफ से ख़त्म कर दिया था
और मैं मान रहा था की शायद सोनिया को अभी इन बातों की ज़्यादा समझ नही है और अपनी उत्तेजना के आवेग में बहकर वो ऐसा कर रही है.
पर मॉम तो समझदार है ना
वो भला क्यो उसे मना नही कर रही..
वो क्यों अपनी खुद की बेटी के साथ ऐसे संबंध बनाना चाहती है
जो दुनिया की नज़र में तो ग़लत है ही
इस वक़्त मेरी नज़र में भी ग़लत है.
पर मॉम और सोनिया दी के मन से शायद ये आवाज़ नही निकलती थी की 'ये ग़लत है' इसलिए सब कुछ बड़े आराम से होता जा रहा था.
मॉम के ब्लाउज़ के पाट खुलते ही उनकी वाइट ब्रा में क़ैद मुम्मो के साक्षात दर्शन हो गये ..
एकदम कसे हुए और बड़ी मुश्किल से समाए हुए थे उनमें वो...
सोनिया दी ने पीछे हाथ करके उनकी ब्रा के हुक्स भी खोल दिए और ब्रा ढीली होते ही उसने बड़ी तेज़ी से दोनो कपड़ों को एकसाथ नीचे खींच कर निकाल दिया, जैसे कोई ठरक चढ़ चुकी हो उसमें....
और उसके बाद जो नज़ारा मेरी और सोनिया दी की आँखो के सामने आया उसे मैं तो जिंदगी भर भूल ही नही सकता...
इतने बड़े बड़े...
इतने मोटे मोटे
एकदम वाइट
और लाल-2 निप्पल
ऐसे मोम्मे तो मैने आज तक ब्लू फ़िल्मो में भी किसी के नही देखे थे..
और मेरे मुँह से अनायास ही निकल गया
''उफ़फ्फ़ माँ.... तुम तो काम की देवी लग रही हो इस वक़्त...क्या मोम्मे है तुम्हारे....वाउ....''
और सोनिया दी तो पागल ही हो गयी...
उन्हे तो और भी बड़े लग रहे थे वो,एकदम पास जो खड़ी थी उनके...
मॉम ने अपने मोटे-2 मुम्मो को सोनिया दी के बूब्स पर ज़ोर से मसला
उसके निप्पल्स पर अपने निप्पल्स लगाकर अपने साथ-2 उसे भी उत्तेजना के उस शिखर पर पहुँचा दिया जिसके लिए वो दोनो ना जाने कब से तड़प रहे थे.
और सोनिया ,बिना कुछ बोले , मॉम को धक्का देते हुए बेड तक ले गयी और उन्हे उसपर गिरा दिया...
और अपना मुँह सीधा उनके दांये मोम्मे पर लगाकर उस लाल सुर्ख शहतूत के दाने को अपने मुँह में भर लिया और ज़ोर-2 से सक्क करने लगी.
मॉम की आँखे बंद हो गयी
एक हाथ से उन्होने सोनिया का सिर दबोच कर अपनी छाती से लगाया और दूसरे हाथ से बिस्तर की चादर को कस कर जकड़ लिया और ज़ोर से चिल्लाई
''उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ सोनिया................ उम्म्म्मममममममममम मममममम धीरे बेटा....धीरे......दर्द होता है.......अहह''
पर वो अब रुकने वाली नही थी
आख़िर थी तो मेरी ही बहन ना...
मेरा जब उन्हे देखकर ही इतना बुरा हाल हो रहा था तो उसका क्या हो रहा होगा...
वो अपने मुँह में भरकर उन बूब्बो को निचोड़ने में लगी थी.
और फिर उसने अपना हाथ उनके नंगे पेट पर रखकर उनकी नाभि में घुसा दिया...
वो और बुरी तरह से तड़प उठी.
निप्पल और नाभि पर हुए एकसाथ प्रहार को महसूस करके उन्हे शायद अपनी जवानी के वही दिन याद आ गये जब वो मुझे और सोनिया दी को दूध पिलाया करती थी.
सोनिया यही नही रुकी
उसके हाथ नीचे की तरफ सरके और उसने मॉम के पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे भी नीचे खिसका दिया, नीचे उन्होने एक ब्लैक कलर की पेंटी पहनी थी जो उनकी चूत से निकल रहे रस से नहा चुकी थी....
और उस कच्छी को उतारकर सोनिया ने वो काम किया जिसकी मुझे भी आशा नही थी...
सोनिया ने उसे बड़ी ही बेदर्दी से नॉचकर उतारा और उसे घुमाकर मेरी तरफ उछाल दिया.
सोनिया को शायद मेरा भी ख़याल था
वो कच्छी उस अलमारी के दरवाजे से टकराकर नीचे गिर पड़ी, जिसमें मैं खड़ा होकर वो सब देख रहा था...
उनकी चूत से निकल रहे रस की खुश्बू इतनी तेज थी की मेरे नथुने फड़फडा उठे...
और मैने नीचे बैठकर, दरवाजा हल्का सा खोलकर उस कच्छी को अंदर ले लिया.
ऐसा लगा जैसे मैने उसे पानी के टब से निकाला है...
इतनी गर्म और गीली थी वो.
मैने आव देखा ना ताव, उस गीली कच्छी को अपने मुँह से लगाकर एक गहरी साँस ले ली...
ऐसा लगा जैसे मैं मॉम की पुस्सी को सूंघ रहा हूँ ...
ऐसा नशा तो आज तक मुझे नही चड़ा था
ऐसा लग रहा था जैसे कोई पुरानी शराब का ढक्कन खोल दिया हो...
एकदम मदहोश कर देने वाली स्मेल थी वो...
उसे सूँघकर तो मैं पूरी रात चुदाई कर सकता हूँ.
पर इस वक़्त तो वो काम सोनिया कर रही थी....
मॉम के बूब्स चूसने के बाद वो धीरे-2 नीचे आई और अपनी जीभ को उसने उनकी नाभि में घुसा दिया...
बेचारी मॉम का पूरा शरीर हवा में उठ सा गया, जैसे कोई जादूगर उनपर अपना कारनामा दिखा रहा हो...
सिर्फ़ उनके पैर और सिर बेड पर लगे थे
बाकी पूरा शरीर तीर की तरह हवा में उठा हुआ खड़ा था..
मेरा तो मन किया की अभी के अभी बाहर निकलु और इस तीर के बीच घुसकर मॉम के इस आसन को तोड़ दूँ,
उनकी चूत में अपना मुँह घुसेड दूँ और एक बार फिर से उस छेद में घुसने की कोशिश करुं जिसमें से मैं निकला हूँ ...
पर अलमारी में खड़ा होकर मैं सिर्फ़ ये सोच ही सकता था, और कुछ नही..
पर सोनिया तो कर सकती थी ना...
उसने धीरे-2 उनकी नाभि को चूसा और फिर अपनी जीभ से उनके नंगे पेट को चाटा और फिर उठकर उनकी टाँगो के बीच में आ गयी और जैसे ही चूत पर मुँह लगाया, उनका हवा में तैर रहा शरीर धड़ाम से बेड पर आ गिरा.
''ओह बैबी......... उम्म्म्ममममममममममममम..... क्यो तडपा रही हो सोनिया....अहह''
सोनिया ने मॉम की चूत से लिसडा हुआ मुँह बाहर निकाला और बोली : "मॉम, आप पूरा दिन हमारे लिए बाहर रहती है, आज आपकी थकान उतारने का मौका मिला है तो मैं ये काम छोड़ने वाली नही हूँ ...''
इतना कहते हुए उसने उनकी चूत में एक बार फिर से अपना मुँह लगाया और चूसने की आवाज़े फिर से आने लगी..
ऐसा लग रहा था जैसे वो बर्फ वाला गोला चूस रही है
उतनी ही तेज आवाज़ के साथ और सड़प -2 के साउंड के साथ.
दोनो इस वक़्त जन्मजात नंगे थे...
मैने भी अपना लंड बाहर निकाल लिया...
उन्हे इस हालत में देखकर मुझे कुछ-2 नही बल्कि बहुत कुछ हो रहा था..
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