bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
01-09-2019, 02:09 PM,
#51
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
सोनू का तो मन ललचा सा गया, बड़ी मुश्किल से उसने अपनी उंगलियों को उन उरोजों पर जाने से रोका हुआ था.

पर शायद ये पाबंदी सोनिया के लिए नही थी...
वो धीरे-2 आगे आई और सोनू से सट कर खड़ी हो गयी...
इतने करीब की उसकी नयी ब्रा की नोक सोनू की छाती मे गड़ कर रह गयी...
सोनिया ने उसके हाथों को पकड़ कर अपनी नंगी कमर पर रख लिया...
और उन्हे वहां घिस्स कर उपर नीचे करने लगी.

सोनू की तो पहले ही फटी हुई थी, ऐसे में जब उसकी बहन ने जैकेट उतारी तो उसका बुरा हाल हो गया... 
हालाँकि उसके ब्रा में क़ैद बूब्स उसे ललचा रहे थे, पर उसका ध्यान उनसे ज़्यादा आस पास के घरों की छत्त पर था की कहीं उन्हे वहां खड़ा हुआ कोई देख ना ले.

और साथ ही उसकी नजर अपनी छत्त पर बने दरवाजे पर भी थी की कहीं नीचे से कोई उपर ना आ जाए, वैसे तो सब सो ही चुके थे, 10:30 बज रहे थे, पर फिर भी उसका डर अपनी जगह जायज़ था.

सोनिया उसकी नज़रों को देखकर समझ गयी की उसे क्या डर सता रहा है, इसलिए वो अपनी बड़ी सी गांड मटकाती हुई दरवाजे तक गयी और उसपर कुण्डी लगाकर बंद कर दिया.

अब सोनू को थोड़ी राहत महसूस हुई... 
पर वो राहत ज़्यादा देर तक नही ठहर पाई क्योंकि बड़ी ही सैक्सी चाल चलते हुए सोनिया उसके करीब फिर से पहुँची और इस बार उसने सोनू के हाथ पकड़ कर अपनी कमर पर नही बल्कि सीधा अपनी छातियों पर रख दिए और उनपर दबाव डालकर ज़ोर से दबा दिया...

और अपने बूब्स पर प्रेशर पाकर खुद ही सिसकार उठी..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... अहह.... सोनू...... ये देखो... ये ली है मैने आज....मार्केट से.... कैसी लगी.... फील करो ना अच्छे से....उम्म्म्म''

बेचारा एक बार फिर से अपने मन में एक जंग लड़ता रह गया..
और हारता चला गया..

ये नारी शरीर का मोह होता ही ऐसा है...
मर्द चाहे कितना भी कंट्रोल करता रह जाए 
एक बार जब शरीर का सम्मोहन काम करना शुरू करता है तो सामने वाले की जिद्दी तपस्या धरी की धरी रह जाती है.

और यही हुआ सोनू के साथ भी, आज सुबह तक जो कुछ भी ना करने की कसमें खा रहा था, सोनिया के बूब्स पकड़ते ही कमजोर सा होकर लार टपकाने लगा.

सोनिया तो उसकी आँखू की चमक देखकर ही समझ गयी थी की अब ये कुछ नही बोलने वाला, इसलिए उसने अपने हाथ उसके हाथों पर से हटा लिए और अपने नन्हे कबूतर पूरी तरह से उसके सुपुर्द कर दिए.

फिर तो सोनू ने जो उनको निचोड़ा, उसकी ब्रा के कपड़े को अच्छे से परखा , वो सिर्फ़ सोनिया ही जान पाई. 

और तड़पकर , सिसकारी मारने के अलावा वो कुछ कर ही नही सकती थी...आख़िर मज़ा तो उसे भी मिल रहा था...

''आआआआआआआआआआआआआआआअहह..... सालेsssss........ क्यों बेकार में नाटक कर रहा था कल रात से...... उम्म्म्मममममममममममम.... जब पता है की इतना मज़ा मिलता है तुझे भी..... तो क्यों रुका हुआ था...आआआआआआहह''

सोनू बोला : "अहह जैसे मज़ा सिर्फ़ मुझे ही मिलता है........ तुम्हे नही......''

सोनिया उसके और करीब खिसक आई और उसके गले में बाहें डालकर बोली : "मेरी तो बात मत पूछ भाई....बड़ा मीठा सा दर्द होता है...हर जगह ..... यहां .....यहां ....और यहां भी......''

इतना कहकर उसने अपने भाई के हाथ को पकड़ कर बारी-2 से अपनी दोनो चुचियों पर रखा और फिर नीचे खिसका कर अपनी चूत पर..

और सोनिया की चूत पर हाथ लगाते ही सोनू काँप सा गया.... 
इतनी गर्मी और तपन उसने वहां से निकलती हुई आज तक महसूस नही की थी..

और उसके होंठ काँप से गये ये बोलते हुए 

"मैं हूँ ना दी, मैं तुम्हारे हर दर्द को मिटा दूँगा...चूस लूँगा उसे...अपने इन होंठों से....''

इतना कहने की देर थी की सोनिया ने उसे पागलों की तरह अपनी तरफ खींच लिया और उसपर अपने होंठ लगा कर जोरों से चूसने लगी....
शायद ही ऐसी किस्स उसने अभी तक सोनिया या अपनी दूसरी गर्लफ्रेंड्स से की होंगी... 
और मज़े की बात ये थी की इस वक़्त उत्तेजना के मारे सोनिया के होंठ हलवे की तरह नर्म हो चुके थे, उनमे से मीठा पानी भी निकल रहा था... जो अक्सर उत्तेजना के शिखर पर पहुँचने के बाद लड़कियों के होंठों चूत से निकलता है.

सोनिया ने खुद ही अपनी ब्रा का स्ट्रेप नीचे खिसकाते हुए उसके सिर को पकड़ कर नीचे किया और बोली : "तो ये ले भाई.... मिटा दे सारा दर्द.....आहहssssssss ''

उसकी बात पूरी होने से पहले ही सोनू ने उसके निप्पल्स और बूब्स को चबाना और चुभलाना शुरू कर दिया

पहले एक को और फिर दूसरे को...
हालाँकि इस वक़्त उन्हे इस बात का डर भी था की वो खुल्ली छत्त पर खड़े हैं... 
एक रोमांच भी था ओपन में एक दूसरे के साथ इस तरह प्यार करने का पर डर भी था..
इसलिए सोनिया अपना थन उसके मुँह में फँसाए-2 उसे घसीटकर एक कोने में ले गयी जहां से उन्हे कोई और देख ही नही सकता था...सिर्फ़ उपर चमक रहे चाँद के सिवा..
और वहाँ पहुँचकर तो सोनिया पूरी तरह से जंगली रूप में आ गयी.... 
उसने अपनी ब्रा निकाल कर नीचे फेंक दी... 
वही ब्रा जो आज ही खरीब कर लाई थी पर इस वक़्त उसे उस ब्रा से ज़्यादा अपने निप्पल चुसवाने में मज़ा आ रहा था और वो ब्रा उसमें बाधा उत्पन कर रही थी, इसलिए उसे फेंक देना ही सही लगा उसे.
और इस तरह सोनिया अपनी छत्त पर, टॉपलेस होकर अपने भाई से अपने बूब्स चुस्वा रही थी... 
एक के बाद दूसरा और फिर से पहला चूस्कर सोनू ने उसकी छाती के दर्द को काफ़ी हद तक कम कर दिया...
और अब बारी थी असली दर्द मिटाने की...
यानी छूट का दर्द...
दर्द से ज़्यादा उसे खुजली कहना सही होगा क्योंकि चूत की खुजली ही वो दर्द होता है जो लड़कियों से ऐसा काम करवाती है...
और वही खुजली इस वक़्त सोनिया पर हुक्म चलाकर उसे अपने भाई से चूत चुसवाने पर मजबूर कर रही थी.

सोनिया ने उसके कंधों पर ज़ोर डालकर उसे नीचे धक्का देना शुरू कर दिया...
सोनू ने बड़ी मुश्किल से उसके निप्पल्स को मुँह से निकाला और अपनी गीली जीभ से उसके सपाट पेट को चाट्ता हुआ, उसे अपने दाँतों से काटकर अपने मुँह मे लेने की असफल कोशिश करता हुआ नीचे आने लगा.... 
और जैसे ही उसकी लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पर आकर रुकी एक चिरपरिचित सी महक उसके नथुनों से आ टकराई... 

पर आज इस महक में खुश्बू से ज़्यादा नशा था
वो नशा जिसे करने के लिए सोनू मरा जा रहा था....
उसने उसी जंगलिपन से उसकी पेंटी में उंगली फँसाकर नीचे किया जैसे वो उसके बूब्स चाट रहा था.

और जैसे ही उसकी बहन की चूत का ताजमहल उसकी नज़रों के सामने आया, वो एकटक सा होकर उसकी सुंदरता को निहारता रह गया, उसने सुन रखा था की ताजमहल की सुंदरता पूरे चाँद की रौशनी में ज्यादा दिखती है, और आज तो चाँद अपने पूरे शबाब पर था, सुबह से न्यूज़ में आ रहा था की चाँद आज धरती के सबसे करीब रहेगा, और उस बड़े चाँद की रौशनी में सच में वो नन्हा ताजमहल लश्कारे मार रहा था 



उसने अपनी कुत्ते जैसी जीभ निकाल कर उसपर रख दी और उसे ज़ोर-2 से चाटने लगा..

''आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआहह मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईई....... धीईरए कर पागल......आआआआआआआआआआआआआआआअहह''

वो अपने घुटने ज़मीन पर लगाकर उसकी चूत चाट रहा था....
और उसके अंदर जीभ घुसाने के लिए सोनू ने उसकी टाँग उठाकर अपने कन्धे पर रख ली... 
सोनिया ने उसका सिर पकड़ लिया ताकि पीछे ना गिर जाए
और अब सोनू अपनी एक टाँग पर खड़ी नंगी बहन की चूत के अंदर अपनी 3 इंच की लंबी जीभ डालकर उसे बुरी तरह चाट रहा था....
खा रहा था....
स्मूच कर रहा था.... 
और उसके हर मूव पर सोनिया का पूरा शरीर लहरे खा रहा था.
''उम्म्म्ममममममममममममम.... खा जा इसे....... उम्म्म्ममममममममममम..... अंदर तक....... अहह .......सक माय क्लिट...ज़ोर से .....हाँ ....येसस्स....येस्स......आह मै तो गयी ...अह मै तो गयी रे......''

और ये कहते -2 उसना अपना सारा प्यार अपनी चूत के रास्ते उसके मुँह पर उडेल दिया.
चूत से निकला ताज़ा रस उसके पूरे चेहरे पर फैल गया... 
ऐसा लग रहा था जैसे संतरे का रस मुँह पर फेंक दिया हो किसी ने उसके...

और झड़ने के बाद आई कमज़ोरी की वजह से वो सूखे पत्ते की तरह लहरा कर नीचे गिरने लगी... 
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