RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
तनवी को ऐसा फील हो रहा था जैसे आज तक उसके आनंद की चाभी सोनिया ने अपने मुँह में छिपा कर रखी थी... जिसे उसकी चूत में डालकर उसने मज़े का ताला खोल दिया है...
और चाभी को इधर उधर घुमा कर वो उसके आनंद की परतों को खोलती चली जा रही है..
वहीं दूसरी तरफ सोनिया को ऐसा फील हुआ जैसे उसने तनवी की चूत को नही बल्कि किसी टूटी हुई गरमा गरम जलेबी को मुँह में लिया है...
एक तो बिल्कुल गरमा गरम थी वो उपर से चाशनी जैसा मीठा रस निकल रहा था उसमें से...
सोनिया तो अपनी जीभ को केडा करके उसकी चूत को किसी पालतू कुतिया की तरह चाटने लगी...
अपने होंठों से उसकी गीली चूत पर पप्पीयों की झड़ी सी लगा दी...
उसकी चूत के परों को फैला कर उसकी तितली को जब उसने ज़ोर लगा कर चूसा तो तनवी ने अपनी पूरी कमर उठा ली, जैसे तितली के बदले वो खुद उड़ने को तैयार हो.
और सोनिया तो मन ही मन ये गाना गा रही थी
''तितली दबोच ली मैने''
ऐसा सैक्स से भरा सीन देखकर सोनू की हालत पतली हो रही थी
उसने अपना हाथ टावल में डाला और लंड को मसलना शुरू कर दिया...
हवा में कुछ देर तक कमर को उठाए रखने के बाद वो धड़ाम से नीचे आ गिरी...
और साथ ही उसकी चूत का नारियल पानी भी बहकर बाहर रिसने लगा...
वो बुरी तरह से झड़ी थी इस वक़्त...
इसलिए उसे कुछ भी होश नही था ...
ऐसे में उसकी चूत में सोनू लंड भी पेल देता तो उसे शायद पता नही चलता...
पर लंड के बदले सोनिया की जीभ जो थी इस वक़्त के लिए, जो उसके अंदर का सारा मीठा पानी बाहर निकालने से पहले ही चट कर जाती.... ऐसा मज़ा शायद उसे भी लाइफ में पहली बार मिला था.
और ये मज़ा अब उसे अपनी चूत पर भी महसूस करना था...
वो पिल्लो को पीठ से लगाकर बेड पर बैठ गयी और तनवी को अपनी चूत की तरफ आने का इशारा किया..
झड़ने के बाद उसमे ज़रा भी ताक़त नही बची थी...
इसलिए सोनिया खुद ही उसके चेहरे पर आकर बैठ गयी...
अपनी सहेली की चूत की तीखी खुश्बू पाकर जैसे उसे होश आया, उसने लाइफ में आज तक ये नही सोचा था की वो ऐसे किसी और लड़की की चूत को चाटेगी...
पर मुँह पर जब चूत आकर लगी तो उसे जैसे होश ही नही रहा...
वो उसे ऐसे चूसने लगी जैसे बरसों से ये काम करती आई हो.
उसने भी सोनिया की तरह अपनी जीभ को लंड की तरह अकड़ा कर सीधा कर लिया, और उसे सोनिया की चूत में उतार दिया...
''आआआआआआआआआआआआआआआआआहह....साली सील तोड़ेगी क्या मेरी...... थोड़ा आराम से घुसा अंदर...''
अंदर ही अंदर वो ये भी बोल रही थी की 'ये सील तो मेरे भाई के लंड से ही टूटेगी, अपनी जीभ से इसे तोड़ने की कोशिश भी ना करियो...समझी.'
तनवी भी उसे इस तरह अपने भाई के सामने बोलता देखकर हैरान थी, वैसे अब उसने हैरान होना तो छोड़ ही दिया था..जिस तरह से ये दोनो भाई बहन इतनी बेशर्मी से एक दूसरे के सामने ही ये सब करने में लगे थे, उसके बाद कुछ और बचता ही नही था.
अचानक तनवी को जैसे सागर में कोई मोती मिल गया....
और वो था सोनिया की चूत का दाना.
वो दाना तनवी के दांतो के बीच आते ही सोनिया की हालत पतली हो गयी...
उसे ऐसा लगा जैसे उसके शरीर में से किसी ने उसकी जान को दबोच लिया है....
वो उसे मसलने लगी...
चुभलाने लगी...
चूसने लगी.
और बदले में सोनिया की क्लिट ने भी जी भरकर उसे दूध प्रदान किया...
यानी चूत का रस, जिसे वो चूसती चली गयी...
और तब तक चूसती रही जब तक वो दूध एक गाड़े रस में तब्दील ना हो गया...
और सोनिया की सिसकारियाँ चीख में नही बदल गयी....
और उसके शरीर को मिल रहे झटकों ने एक रौद्र ऑर्गॅज़म का रूप नही ले लिया.
वो भी पूरी ताक़त से चिल्लाती हुई, अपनी चूत को तनवी के मुँह पर रगड़ने लगी, जैसे मूली घिस्स रही हो परोंठे बनाने के लिए..
और अंत में जब उसके अंदर का पानी और एनर्जी दोनो ख़त्म हो गये तो वो कांपति हुई सी अपनी सहेली के उपर गिर पड़ी...
और उसके साइड में लेटकर, उसके मुँह से अपना शहद चाटने लगी.
और चाटते-2 जब तनवी की नज़रें सोनू के उपर गयी तो उसे एक और झटका लगा...
वो अपने टावल को किनारे रखकर अपना लंड बाहर निकाल चुका था और उन दोनो को नंगा देखकर उसे बुरी तरह से रगड़ रहा था.
अब तनवी की समझ में ये नही आ रहा था की वो सोनिया को छोड़कर या उसके सामने ही अपने यार को कैसे खुश करे..आखिर भाई था वो उसका
अजीब धर्म संकट मे फँस चुकी थी वो.
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