RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
सोनिया : "हम्म्म...सही कह रही है तू... पर एक बात है, मैने तेरी इतनी हैल्प की है और तूने मेरे बारे में आज तक कुछ नही सोचा...''
तनवी : "अरे मेरी जान, तू एक बार बोल तो सही, क्या करू मैं तेरे लिए.. कहे तो जान दे दू...''
उसके फिल्मी स्टाइल को देखकर सोनिया हंस दी और बोली : "अर्रे नही, जान नही चाहिए, बस जैसे मज़े तुझे मिल रहे है, वैसे ही तू मुझे दे दे..''
तनवी असमंजस में पड़ गयी और बोली : "मैं कुछ समझी नही...''
सोनिया उसके थोड़ा करीब खिसक आई और अपने हाथ की उंगली को उसके जाँघ पर घुमाना शुरू किया...
फिर धीरे-2 वो उस उंगली को उपर ले जाने लगी...
उसकी कमर से होते हुए वो उसके सपाट पेट तक पहुँची..
वहा उसने अपने नेल को कुछ देर तक घुमाया...
ये सब देखकर तनवी की आँखे फैलती चली गयी...
उसकी साँसे तेज होने लगी...
ऐसी फीलिंग उसे आज तक नही हुई थी..
बदन में एक सुरसुराहट सी हो रही थी..
अजीब सा नशा चड रहा था..
पर वो कुछ कर नही पा रही थी.
और फिर जैसे ही सोनिया की उंगली ने थोड़ा उपर आकर उसकी नन्ही ब्रेस्ट को छुआ, वो फफक उठी...
और उसने कसकर उसके हाथ पकड़ लिए और कांपती हुई आवाज़ में बोली : "ये...ये ....क..क्या कर री है तू.....''
जवाब मे सोनिया ने उसके हाथ को अपनी छाती की तरफ करते हुए उसका हाथ अपनी ब्रेस्ट पर रख लिया...
वो बेचारी अपनी फटी हुई आँखो से कभी उसे और कभी अपने हाथ पर उसके हाथ के दबाव को देखे जा रही थी..
ऐसा लग रहा था की उसके हाथ में कोई पानी का बड़ा सा गुब्बारा दे दिया है सोनिया ने..
आज तक भरी हुई ब्रेस्ट को उसने महसूस नही किया था, इसलिए उसे वो स्पर्श ठीक वैसे ही लग रहा था जैसे किसी लड़के को लगता है..
एकदम उत्तेजक.
वो चाहकर भी अपने हाथ को वापिस नही खींच पा रही थी...
और अब तक वो अच्छे से समझ भी चुकी थी की सोनिया उससे क्या चाहती है...
जो हेल्प सोनिया ने की थी वो उसके बदले में उससे अपनी सेवा करवाना चाहती थी..
वैसे देखा जाए तो ये सही भी था...
सोनिया के भाई के साथ वो तो मज़े ले रही थी
पर सोनिया बेचारी के पास तो ऐसा कोई भी नही था जो उसे मज़े दे सके..
ऐसे में उसका ये सब करवाना तो बनता ही है..
पर वो ये बात नही जानती थी की सोनिया की सेवा उसका भाई भी उतनी ही कर चुका है, जितनी सोनू ने उसकी की है.
धीरे-2 तनवी के हाथो की पकड़ सोनिया की छाती पर मजबूत होती चली गयी...
सोनिया ने अपना हाथ उसके हाथ पर से हटा लिया, और उसे लेजाकर सीधा तनवी की ब्रेस्ट पर रख कर उसे सहलाने लगी...
उसके लंबे निप्पल्स को कचोटने लगी...
उन्हे मसलने लगी.
दोनो के चेहरे के एक्शप्रेशन बता रहे थे की उन्हे कितना मज़ा मिल रहा था..
और वो मज़ा तब और बाद गया जब सोनिया ने आगे बढ़कर होले से उसके होंठों को चूम लिया..
ये दोनो के लिए पहला मौका था किसी लड़की के होंठों को महसूस करने का..
ठन्डे और गीले
काँपते हुए
नर्म और मुलायम
होंठों का टच दोनो को काफ़ी अच्छा लगा.
छोटा सा चुम्मा लेकर जैसे ही सोनिया पीछे होने लगी, तनवी ने उसके सिर को पकड़कर ज़ोर से अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों पर टूट पड़ी...
''आआआआआआआआआआआहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... पुक्क्ककककककककककचह..... म्*म्म्मम..''
और फिर तो दोनो के अंदर जैसे कोई भूत घुस गया...
दोनो एक दूसरे के होंठों को...
गालों को...
गर्दन पर..
और कपड़ों के उपर से एक दूसरे के बूब्स पर भी चूमने लगीं.
सोनिया ने आव देखा ना ताव और अपनी टी शर्ट उपर करते हुए उतार दी और अपनी ब्रा को नीचे करके अपनी बाईं ब्रेस्ट बाहर निकाली और तनवी के चेहरे को पकड़ कर अपनी छाती पर ऐसे चिपकाया जैसे कोई माँ अपनी बच्ची को दूध पिलाती है...
तनवी तो उसकी तेज़ी देखकर हैरान रह गयी....
उसके पलक झपकाने से पहले उसके मुँह में सोनिया का मोटा निप्पल था.
बचपन में अपनी माँ का दूध पीने के बाद पहली बार कोई और निप्पल उसने चूसा था...
भले ही इसमे से दूध नही निकल रहा था पर मिठास उतनी ही थी.
''आआआआआआआआआआहह....चूस ले इसे...... उम्म्म्ममममम.... यसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... काट इन्हे.... ज़ोर से.... दांतो से....... उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़..... मीठा दर्द होता है....इसमें.... मिटा दे .......ज़राआआआआआअ...''
तनवी के शरीर में भी हज़ारों चींटियां रेंगने लगी थी...
उसके निप्पल भी बेर जैसे कड़क हो चुके थे...
उन्हे भी अब अटेंशन चाहिए थी....
इसलिए उसने भी अपनी स्कूल शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए...
हमेशा की तरह उस हरामन ने अंदर कुछ नही पहना हुआ था...
जैसे ही उसके काले बेर सामने आए, सोनिया ने झुककर उन्हे मुँह में दबोच लिया और चुभलाने लगी..
एक लड़की जब दूसरी के साथ इस तरह का प्यार करती है तो उसमे अलग ही मज़ा मिलता है, क्योंकि लड़कियाँ अपने और दूसरी लड़की के शरीर की बनावट और सेंसीवीटी को जानती है, किस अंग को कैसे टच करने से या दबाने से क्या होगा, ये वो अच्छे से जानती हैं.
इसलिए जब सोनिया ने तनवी के निप्पल्स को मुँह में लिया तो उसे दाँतों से काटा नही...
और ना ही उन्हे बाहर की तरफ खींचा..
बल्कि अपनी जीभ के नीचे दबा कर, अंदर की तरफ़ चूसते हुए, होंठों की नर्म मसाज देकर, उन्हे वो मज़ा दिया जो आजतक सोनू भी नही दे पाया था.
तनवी ने सोनिया के बालों को खोल दिया, और उसके घने बालों में उंगलियाँ फेराते हुए, अपनी छाती के निप्पल्स उससे एक-2 करके चुसवाने लगी.
''उम्म्म्मममममममममममममममम..... सोनी........ मेरी ज़ाआाआआआअन्न..... उफफफफफफफफफफफ क्या मज़ा आ रहा है...यार...... कसम से....... तू तो अपने भाई से भी ज़्यादा मज़ा देती है.....''
सोनिया ने उपर मुँह किया और आँखें नचाते हुए बोली : "क्यो , सोनू ऐसे नही करता क्या....''
तनवी : "वो तो मुँह में लेते ही ज़ोर-2 से दाँत चुभाता है.... अच्छा भी लगता है पर दर्द भी होता है.... तू जैसे कर रही है उसमे सिर्फ़ मज़ा मिल रहा है.... दर्द तो बिल्कुल भी नही है....''
ये सुनकर सोनिया मुस्कुरा दी और उसने उपर होते हुए उसके होंठों को चूम लिया...
और दोनो एक बार फिर से एक गहरी स्मूच में डूब गये.
सोनिया ने उसे चूमते हुए उसकी चूत पर जब हाथ रखा तो तनवी उछल पड़ी.
और बोली : "तू आख़िर करना क्या चाहती है.... साली..... आज से पहले तो ऐसा कुछ किया नही.... आज करा है तो सब कुछ करने पर उतारू है...... सोनू घर पर ही है.... वो आ गया तो....''
सोनिया ने अपनी शॉर्ट्स उतारते हुए कहा : "आ गया तो आ जाए, मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता...''
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