bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
01-09-2019, 02:07 PM,
#34
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
उधर गिरने के बाद, एक पैर से लड़खड़ाती हुई सोनिया किसी तरह से नीचे पहुँची और दरवाजा खोला... उसके चेहरे के उड़े हुए रंग देखकर उसकी माँ परेशान हो गयी.

''हे बेबी.... क्या हुआ..... सब ठीक तो है ना....''

दर्द की वजह से सोनिया से खड़ा नही हुआ जा रहा था... वो सोफे पर बैठ गयी और अपना पैर पकड़ कर सुबकने लगी...

उसकी मोंम को काफ़ी चिंता हो गयी... सोनिया ने बताया की बेल सुनकर वो जब नीचे आ रही थी तो सीडियो पर पैर टेडा हो गया... और शायद मोच आ गयी है..

मों : "ओह्ह्ह माय बैबी.... आराम से आना चाहिए था ना... और वो कहां है... सोनू...''

वो शायद उसे डाँटने के लिए तैयार हो रही थी... और उसी वक़्त अपना हुलिया ठीक करके सोनू और तनवी नीचे आ गये..
सोनिया ने बात संभाली : "अरे नही माँ , सोनू की इसमे कोई ग़लती नही है... वो तो खुद ही नीचे आ रहा था... मैने ही कहा की मैं जाकर खोलती हूँ .... हम सब उपर बैठकर पड़ रहे थे...''

सोनिया की मोंम ने तनवी को देखा... 
जैसे कुछ समझने की कोशिश कर रही हो.... 
उसी की वजह से पहले भी सोनिया को काफ़ी डांट पड़ती थी...
जिसकी वजह से बाद में सोनिया को होस्टल जाना पड़ा था...

पर वो इस वक़्त कुछ नही बोली... 
और सोनिया के लिए अंदर से दवाई लाने चली गयी...
पर उनके हाव भाव से सॉफ पता चल रहा था की उन्हे इस वक़्त सोनू और तनवी पर काफ़ी गुस्सा आ रहा था.

सोनिया ने तुरंत तनवी को घर जाने को कहा, ताकि उसकी माँ का मूड और खराब ना हो... 
पर जाते-2 भी तनवी की हिम्मत तो देखो, उसने करीब आकर झट्ट से एक किस्स सोनू के होंठों पर की और उन्हे बाइ बोलती हुई बाहर निकल गयी...

सोनिया ने जब घूरकर सोनू को देखा तो उसने झेंपते हुए अपना सिर घुमा लिया...

पर अगले ही पल वो उसके करीब आया और उसके पैरों को पकड़कर अपनी गोद में रखा और धीरे-2 उन्हे दबाने लगा.. चिंता के भाव साफ़ नजर आ रहे थे 

इसी बीच सोनिया की माँ आईओडेक्स ले आई और सोनू को कहा की वो अपनी बहन के पैरों पर उसे लगाए...

उसे भला क्या प्राब्लम हो सकती थी, उसने बॉम लगानी शुरू कर दी.. 
हल्की मोच थी, इसका आश्वासन करके उनकी माँ कपड़े चेंज करने अपने रूम में चली गयी...

सोनू अपनी बहन के पैरों मे मरहम लगाने लगा...
हर बार हाथ लगने से वो ऐसे कराह उठती जैसे उसकी चूत में लंड जा रहा हो.. 
सोनू मन ही मन ये सोचकर मुस्कुरा रहा था की जब असली में इसकी चुदाई होगी तो कितना चिल्लाएगी ये...

उसे मुस्कुराता हुआ देखकर वो बोली : "बड़ी हँसी आ रही है.... तनवी की कोई बात याद करके हंस रहा है ना...''

उसने मुस्कुराते हुए सोनिया को देखा और बोला : "अब इतना भी कुछ ख़ास नही है... नॉर्मल सी थी.... तुमने भी देखा ना...''

सोनिया बुदबुदाई : "हाँ ....सब देखा.... आज अगर मोंम ना आई होती तो पता नही तुम दोनो क्या कर र्बैठते... ''

सोनू : "अब इतना भी पागल नही हूँ मैं की पहली ही बार में फक... आई मीन... सब कुछ कर लू...''

सोनिया आँखे नचाते हुए बोली : "पर जो किया था, वो भी कम नही था.... कैसे उसे अपने फेस के उपर बिठा कर चपड़ -2 करके चाट रहा था....छी:....कितने गंदे हो तुम''

उसने उसके पैरों को उमेठते हुए कहा : "अच्छा जी.... यानी ये सब तुम्हे गंदा लगता है.... वहाँ की सकिंग करवाना ...या करना..... ह्म्म्म ...''

सोनू ने ये कहकर एकदम से उसे चुप सा करा दिया.... 
अब भला वो क्या बोलती की वो सब उसे क्यो बुरा लग रहा था.... 
उसके खुद के साथ हुआ होता तो अच्छा लगता ना, तनवी के साथ क्यों किया सोनू ने, बस इस बात का गुस्सा था उसे...पर वो बोलती भी कैसे, उनकी मीटिंग उसी ने तो अर्रेंज कराई थी 

वो चुप सी हो गयी`.... 
तब तक उनकी मॉम वापिस आ गयी , उन्होने हॉट वॉटर बॉटल से उसकी सिकाई करनी शुरू कर दी..और तब तक करती रही जब तक उसे आराम नही आ गया...

डिन्नर के बाद उनकी मॉम ने आईओडेक्स सोनू को देते हुए कहा की सोने से पहले एक बार और मालिश कर देना अपनी बहन की...

सोनू ने आईओडेक्स ली और सोनिया का हाथ पकड़कर उपर जाते हुए धीर से बोला : "चलो दी.... आपकी मालिश कर दूँ ....''

दोनो के चेहरे पर अर्थपूर्ण मुस्कान थी.

वो अभी भी लंगड़ा कर चल रही थी... 
इसलिए सोनू ने उसे अपनी बाजू का सहारा दिया, ताकि वो आसानी से उपर जा सके.. 
हालाँकि उसकी माँ ने कहा था की उपर चड़ने में तकलीफ़ है तो नीचे ही सो जा, पर आज की रात वो भला कैसे नीचे सो जाती... 
आज तो उसे सोनू से काफ़ी बातों का जवाब लेना था.

रूम में आने के बाद दोनो ने अपने-२ कपडे चेंज किये, सोनिया ने टी शर्ट और एक कॉटन की स्कर्ट पेहेन ली, सोनू ने सेंडो के साथ शॉर्ट्स 
उन्होंने कुछ देर इधर- उधर की बात की... 
अपने-2 मोबाइल्स देखे... 
और जब 11 बजे उनकी माँ ने उपर आकर सोनिया का हाल चल एक बार और पूछा...
और सोनू से कहा भी की अब उसे बॉम लगा दे...
फिर गुड नाइट बोलकर वो नीचे चली गयी.
सोनू ने बॉम निकाली और सोनिया के पास आकर बैठ गया

उसके पैर को अपनी गोद में रखकर वो उसपर बॉम लगाकर मालिश करने लगा..

सोनिया के चिकने पैरों की बनावट देखकर सोनू को कुछ-2 हो रहा था... 
सोनिया भी अपने भाई के लंड की गर्माहट अपने तलवों पर महसूस कर पा रही थी.. 
उसके दिमाग़ में इस वक़्त वही सब घूम रहा था जो कुछ घंटो पहले इसी बेड पर चल रहा था.... 
वो सोच रही थी की क्या उसमें इतनी हिम्मत आ पाएगी कभी की वो सोनू के साथ वो सब कर सके.... 
उन्हे करते हुए देखना और सोचना अलग बात थी... 
पर उसे करने के लिए जो हिम्मत चाहिए थी, वो पता नही उसमे कभी आ पाएगी या नही... 
अपने रीति रिवाजों की बेड़ियां तोड़कर वो इन रिश्तों के बंधन से मुक्त हो पाएगी या नही... 
अपने भाई के 'ये ग़लत है' तर्क का वो जवाब तो बड़ी आसानी से दे देती थी... 
पर वो 'ग़लत' काम वो खुद कर पाएगी या नही..... 
अनेकों उलझने थी उसके मन में .. 
पर अब उन उलझनों को सुलझाने का वक़्त आ चुका था... 
वो ऐसे ही बैठकर या रोशनदान से छुपकर तमाशा देखना नही चाहती थी... 
उसे ही अपनी तरफ से पहल करनी होगी... 
समाज की इन बेड़ियों को उसे ही उतारकर फेंकना होगा.. 
अपने भाई को भी उसे ही समझना होगा..... 
उसे अपनी जैसी मानसिकता में ढालना होगा... 
ताकि वो उनके नये रिश्ते को 'ये ग़लत है' ना कह सके.

सोनिया के मन में चल रही बातों से बेख़बर सोनू अपनी ही धुन में उसकी मांसल टांगो को निहारने में लगा था... 
पहले और अब में उसके अंदर काफ़ी बदलाव आ चुके थे... 
अपनी बहन को देखने के नज़रिए में , उसके साथ कुछ करने की सोच में और अपने हर सैक्स एडवेंचर में उसके बारे में सोचने की आदत में काफ़ी बदलाव आए थे...

पर इन सब बातों का पता अब तक सोनिया को नही था... 
वरना इतनी देर से जो अंतर्द्वंद उसके मन में चल रहा था, वो कब का ख़त्म हो जाता.... 
और सोनिया अभी के अभी वो सब कर देती जिसके लिए उसका मन उसे उकसा रहा था... 
ललचा रहा था.

पर उसे कुछ तो करना ही था... और इसके लिए आज से अच्छा मौका उसे मिल ही नही सकता था...

वो सोनू से बोली : "यार.... मेरे घुटने में भी लगी थी.... थोड़ा यहाँ भी मालिश कर दे...''

वो तो कब से इसी फिराक़ में था की थोड़ा उपर हाथ लगाए... 
सोनिया के कहने की देर थी और उसने अपने हाथ उपर खिसकाने शुरू कर दिए... 
और वो साला ऐसा हरामी निकला की अपने हाथ सीधे घुटनो पर नही रखे..बल्कि उसकी पिंडलियों को सहलाता हुआ, उन्हे दबाता हुआ, धीरे - २ उपर तक गया...



उसकी कड़क पिंदलियों की मछलियाँ महसूस करके उसके मन में गुदगुदी सी हो रही थी.. 
और जब घुटने पर हाथ रखा तो सोनिया के मुँह से एक बार फिर से वही सिसकारी निकल गयी जैसे नीचे निकली थी... पर इस बार सिसकारी में दर्द का एहसास कम था, मादकता का ज़्यादा.

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... उम्म्म्मममममममममम...''

और वो इसलिए क्योंकि उसके घुटने पर कोई चोट लगी ही नही थी... 
सोनू की उंगलियों को इतने उपर महसूस करके उसका शरीर काँपने सा लगा.
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