RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
बाहर की प्रेयर ख़त्म हो चुकी थी...
और शायद कोई लड़की साथ वाले केबिन में ही पेशाब करने आई थी...
ये दोनो पत्थर की तरह , बिना हीले डुले उसके जाने का वेट करने लगे...
उसकी चूत से निकले पेशाब की तेज आवाज़ उन्हे सॉफ सुनाई दे रही थी... जिसे सुनकर दोनो के चेहरे पर हँसी आ गयी...
कुछ ही देर में वो लड़की वापिस चली गयी....
सोनू अब और कोई रिस्क नही लेना चाहता था..
उसने जल्दी से अपना लंड अंदर डाला..
साक्षी ने भी कुछ और करने के लिए ज़ोर नही दिया, आज उसे जो मज़े मिले थे, वो उसी मे संतुष्ट थी..
उसने अपने बेग से स्कूल यूनिफॉर्म निकाली और पहन ली..
और फिर एक-2 करके वो दोनो बाहर निकल आए...
और अपनी क्लास में जाकर बैठ गये.
इतनी रोमांच से भरे दिन की शुरूवात सोनू की आज तक नही हुई थी...
पर असली मज़ा तो शाम को मिलने वाला था..
दूसरी तरफ, जब सोनिया की नींद खुली तो सुबह के 11 बजने वाले थे....
ऐसी गहरी नींद की तो उसे आदत थी...
ख़ासकर जब उसकी छुट्टियां चल रही हो.
वो एक मादकता से भरी अंगड़ाई लेकर उठ बैठी...
उसका टॉप बूब्स के उपर चड़ा हुआ था...
रात को सोते वक़्त उसने निक्कर भी उतार दी थी, इसलिए नीचे सिर्फ़ एक पेंटी थी...
सोनिया ने अपनी टॉप उतार फेंकी और अपनी आँखे मलते हुए शीशे के सामने जाकर खड़ी हो गयी...
हुस्न से लदे अपने जवान जिस्म को देखकर उसे रश्क सा आ गया...
और रात की बाते याद करके एक बेचैनी भी...
तभी उसे जैसे कुछ याद आया ....
और वो पलट कर ज़मीन पर कुछ तलाशने लगी...
और वो था उसके भाई के लंड से निकला रस...
जो सोनू ने उसकी तरफ देखकर झाड़ा था.
उसे ज़मीन पर उसके वीर्य के सूखे निशान मिल ही गये...
वो अंदाज़ा लगाने की कोशिश करने लगी की वो कहां खड़ा था....
और फिर ना जाने किस आवेश में वो भर गयी की ठीक उसी लकीर पर लेट गयी , जो उसके लंड से निकले रस से बनी थी....
और उसकी आँखो ने अपने सामने वो देखना शुरू कर दिया, जो वो देखना चाहती थी...
अपने नंगे भाई को लंड हिलाते हुए.
वो ठंडे फर्श पर लेटी हुई, अपनी चूत को रगड़ने लगी...
और अपने पैरों से कुछ दूर उसे सोनू भी दिखाई देने लगा...
ठीक उसी अवस्था में...
अपनी नशे से भरी आँखो से उसे सोनू अपने पैरों के पास खड़ा हुआ दिखाई दे रहा था...
अपना लंड हिलाता हुआ.
बस फिर क्या था
वो बावली सी हो गयी
अपनी पेंटी और ब्रा को उसने नोच कर फेंक डाला
और 'अभी के लिए लंड समान' अपनी उंगलियों को चूत में डालकर खुद को ही चोदने लगी.
वो जानती थी की इस वक़्त घर में उसके सिवा कोई नही है...
इसलिए जितना चाहे वो चिल्ला भी सकती थी.
''आआआआआआआआआआआहह....... सोन्नूऊऊुुउउ....... उम्म्म्मममममममममम''
अपनी उंगलियों से उसने चूत की अंदरूनी दीवारों को रगड़ डाला...
उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वो उंगलियाँ जीभ की तरह उसकी चूत को चाट रही है.
काश ऐसे ही किसी दिन उसका भाई उसकी चूत को चाट ले.
दूर खड़ा सोनू उसे ऐसा करते देखकर बोला : "दी, क्या मैं कुछ हेल्प करुं .... क्या मैं चाटूँ ...आपकी पुस्सी को...''
उसका शरीर तीरकमान की तरह हवा में उठ गया....
और वो जोर से चिल्लाई
''तो चाटsssss ना...... रोका किसने है सोनू...... सकक्क माय पुस्स्सी.......... भेनचोदsssss''
एक हाथ से अपनी छाती को दबाते हुए उसने दो उंगलियों से अपनी चूत की मालिश तेज़ी से करनी शुरू कर दी
वो फर्श के उपर, अपने भाई के सूखे वीर्य पर, किसी नागिन की तरह मचल रही थी.....
लहरा रही थी...
नाच रही थी..
लोटनियां मार कर उस सूखे वीर्य को अपने जिस्म की गर्मी से पिघला कर फिर से जिंदा कर रही थी.
और इस बीच उसे सोनू भी दिख रहा था...जैसे किसी लेटेस्ट टेक्नालाजी से उसने प्रोजेक्टर चला कर उसे सामने खड़ा कर रखा हो...
''साआले.......... कैसे मुझे देखकर मास्टरबेट कर रहा था..... उम्म्म्ममममम... अब क्या हुआ....... तेरे अहह असूलों को........ उम्म्म्मममममम वो..... भाई बहन.... वाले........ डायलोग को....... साला ....... हर मर्द बस....... इसी का दीवाना है........ फिर वो..... चाहे..... भाई हो ....... या कोई और......... अब....तो ....तुझे ...... ये सब..... ग़लत नही लगता ना........ बोल साले...... भेनचोद ........ अहह बोल ना......... चाट ना......... ''
वो अपनी ही धुन में बुदबुदाती हुई......
अपने भाई को सामने खड़े होकर मूठ मारते हुए देखकर.....
अपनी फुददी को मसलती चली गयी.....
और अंत में आकर....
उसकी चूत से गर्म पानी का फव्वारा सा निकला.......
जो ठीक उसी तरह से उछल कर दूर तक गया...
जैसे कल रात सोनू के लंड की पिचकारी उस तक आई थी.
अपनी चूत की पिचकारी की धार का उसे आज पता चला.
उसके बाद चूत से निकला नर्म और गर्म पानी निकल कर उसकी जांघो की तरफ जाने लगा.
और ठीक उसी वक़्त उसके सामने मुठ मार रहे सोनू के लंड से भी पिचकारी निकल कर उसके पूरे शरीर पर पड़ी.
भले ही ये सब उसके जहन में चल रहा था...
पर अपने बदन पर उसके सफेद रस की बूंदे उसने सॉफ महसूस की.
ऐसा लगा जैसे तपते रेगिस्तान में ठंडे पानी की बौछार पड़ गयी हो.
और अपनी गीली उंगलियों को उसने खुद ही चाट लिया....
सोनू के लंड का रस समझकर.
और वो कसमसाते हुए ज़मीन पर मचलती हुई अपने ऑर्गॅज़म से उभरने की कोशिश करने लगी
और उठने की भरसकर कोशिश करते हुए वो 1-2 बार लड़खड़ा भी गयी....
ऐसे ऑर्गॅज़म के बाद कमज़ोरी आना स्वाभाविक ही है.
वो मुस्कुराइ और बोली : "साले सोनू.... तू मुझे मरवाएगा एक दिन.... ऐसा ही चलता रहा तो तुझे मोंम के सामने ही पकड़ कर चाट जाउंगी किसी दिन...''
और अपनी कही बात को सोचकर खुद ही मुस्कुरा उठी....
और लड़खड़ाते हुए पैरों से बाथरूम की तरफ चल दी...
फ्रेश होने के बाद , नहा धोकर वो ऐसे ही नंगी बाहर निकल आई....
उसका मन तो कर रहा था की आज वो कुछ पहने ही नही...
जब सोनू घर आए तो उसका स्वागत ऐसे ही नंगी होकर करे...
ऐसी नॉटी बातें उसके दिमाग़ में अक्सर आया करती थी....
वो सोचने लगी की कब उसकी लाइफ में ऐसा मौका आएगा जब वो अपने मन की बात पूरी कर सकेगी.
वो ये सोच ही रही थी की उसके मोबाइल की घंटी बज उठी....ये तनवी का फोन था.
तनवी : "हाय ...कैसी है तू....''
सोनिया : "बस.... मज़े में .... तू सुना.... आज स्कूल नही गयी क्या....?''
तनवी : "नही यार... आज मैने छुट्टी मार ली.... शाम की तैयारी जो करनी थी...''
सोनिया : "ओये होये.... क्या बात है.... तैयारी तो ऐसे बोल रही है जैसे तेरी फर्स्ट नाइट हो...''
तनवी : "शायद हो भी जाए मेरी फर्स्ट नाइट...''
ना जाने सोनिया के बदन में ये सुनकर आग सी लग गयी.
वो तड़प कर बोली : "ओये...रेहन दे.... मेरे भाई को फँसाने के काम ना कर तू ऐसे.... समझी....''
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