RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
उसने खुद उसे बताने के लिए बोला था और खुद ही सोनू को सामने बिठा कर मोबाइल को स्पीकर फोन पर रखा था.. इसलिए बेचारी दोनो तरफ से फँस चुकी थी.
पर अभी तो शुरूवात थी, क्योंकि तन्वी ने जब आगे की बात सुनाई तो सोनिया की चूत अंदर तक गीली हो गयी.
तन्वी : "और उसके बाद उसने मेरी टॉप को धीरे से उतार दिया... और सच कहूँ , उस वक़्त मुझे ज़रा भी शर्म नही आई... ये मेरी लाइफ में पहली बार था जब मैं इस तरह से किसी के सामने टॉपलेस हुई थी... और मेरा टॉप उतारने के बाद सोनू ने मेरे बूब्स को बुरी तरह से चूसा....मेरे निप्पल्स को अपने दांतो से काटा भी''
सोनिया : "क्या ??? टॉप भी उतार दिया था ?"
सोनू की तो हालत खराब हो गयी, वो इस वक़्त अपने आप को ऐसा महसूस कर रहा था जैसे स्कूल टीचर ने उसकी क्लास की सारी शरारते उसके माँ बाप के सामने सुना डाली हो...
अपने आप पर इतनी शर्मिंदगी उसे लाइफ में आज तक नहीं हुई थी..
सोनिया की भी लगभग वही हालत थी, भले ही इस वक़्त वो थानेदारनी बनकर अपने भाई की पोल पट्टी खोलने में लगी थी, पर अब उसे अंदर ही अंदर पछतावा सा हो रहा था की उसने क्यो सोनू के सामने ही तन्वी से इस तरह स्पीकर फोन पर बात की ...
अकेले में शायद उसे इतनी शर्मिंदगी ना होती, पर अपने ही भाई के रंगीन कारनामे ,उसी के सामने इस तरह सुनने पर उसे गहरी शर्म महसूस हो रही थी..
और दूसरी तरफ तन्वी को तो जैसे कुछ फर्क ही नही पड़ रहा था...
वो अपने राग अलापने में लगी रही
''हाँ यार, उसके बाद जिस तरह से उसने मेरे निप्पल्स को सक्क किया ना, मुझे ऐसा लगा की वो मेरी जान निकाल लेगा उनके थ्रू.... इतने ज़ोर से सक्क किए उसने, इतना काटा, वो सूज गये है.... और मुझे तो लग रहा है की ऐसा 8-10 बार कर दे ना तो मेरे भी तेरे जीतने तो हो ही जाएँगे...''
सोनिया को अब बोलना ही पड़ा : "तो करवाती रहना ना, रोका किसने है....''
सोनिया अब सोनू से नज़रें चुरा कर तन्वी को जवाब दे रही थी.
तन्वी : "यार, तू बस मेरा ये काम करवा दे, उसे हर दूसरे दिन किसी ना किसी बहाने मुझसे मिलवा दे, मज़ा आ जाएगा बाई गॉड ... मुझे अपनी ब्रेस्ट बड़ी करवानी है, रोज मालिश तो करवानी ही पड़ेगी ना सोनू से अब... हे हे...''
सोनिया की चूत का पानी अब बाहर आने लगा था...
उसने फोन उठाया और बोली : "चल ठीक है, बाकी की बाते कल करेंगे, गुड नाइट...''
उसने उसका जवाब सुने बिना ही फोन कट कर दिया..
और फिर एक गहरी साँस लेकर सोनू की तरफ घूमी और उसकी आँखो में आँखे डालकर बोली : "अब बोल, ये सब क्या था...''
सोनू भी अब तक सोच चुका था की इस सिचुएशन को कैसे संभालना है
वो बोला : "क्या दी आप भी.... अब ये सब मैं आपको कैसे बोलता... मुझे शर्म आ रही थी...''
सोनिया का गुस्सा अब शांत हो चुका था...
वो बोली : "देख सोनू.... मुझे इन सबसे कोई प्राब्लम नही है, इनफॅक्ट मैने ही ये सब तेरे लिए अरेंज करवाया था... और शायद इसलिए मैं चाह रही थी की तू मुझसे कोई बात ना छुपाए.. इसलिए मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया... पर उसने जो सारी बाते डीटेल में बताई,उसके बाद मुझे भी लग रहा है की तूने सही किया... ये सब नही बताकर, ये ग़लत था...''
सोनू : "मैं तो पहले भी कह रहा था दी, की ये ग़लत है, वरना कोई और बात होती तो मैं बता ही देता...''
सोनिया : "पर जो भी है , हमारे बीच उस दिन डिसाईड हो चुका था की हम दोनो एक दूसरे से कोई भी बात नही छुपाएँगे... पर फिर भी तुमने ये बात छुपाई... ये बिल्कुल ग़लत है...''
सोनू : "अच्छा , एक बात मैं पूछु तो आप मुझे बताओगी ..''
सोनिया : "हाँ बोल ??''
सोनू : "आप क्यो कमरे के बाहर खड़े होकर अंदर क्या हो रहा है, ये सुन रही थी.... जबकि आपको तो विश्वास था की मैं बाद में बता ही दूँगा... मैं ना सही आपकी फ्रेंड तो बता ही देगी... फिर भी आप हमारी बाते सुनने में लगी थी...''
सोनिया के पास कोई जवाब नही था अपने भाई की इस बात का.
वो ज़मीन को अपने पैर के नाख़ून से कुरेदते हुए बोली : "बातें करी ही कहाँ तुम दोनो ने... अंदर आते ही शुरू हो गये थे... मुझे पता नही क्या हो गया था... तुम दोनो को वो सब करते देखने का एकदम से जुनून सवार हो गया था... पर देख नही पाई...सिर्फ़ आवाज़ें सुनी...''
सोनू भी समझ पा रहा था की उसकी बहन के मन में कैसी उत्सुकतता होगी वो सब देखने के लिए..
इसलिए उसने उसे और तंग करना सही नही समझा...
बल्कि उसके दिमाग़ में एक प्लान आया जिसमें वो अपनी बहन की क्रियोसिटी काफ़ी हद तक कम कर सकता था
वो बोला : "वैसे तुम चाहो तो अगली बार वो सब देख भी सकती हो....''
उसकी ये बात सुनकर उसने चोंककर अपने भाई की आँखो मे देखा...
उसके चेहरे पर शरारत थी...
ऐसी शरारत जो कहना चाहती हो की लेट्स प्ले...
सोनिया : "बट .... हाउ.... ये पासिबल नही होगा.... वो मेरे सामने...इनफॅक्ट तुम भी कुछ नही करोगे... मैं भी शायद ऐसे नही देख पाऊँगी .... सभी को ओकवार्ड लगेगा ''
एक साथ काई पॉसिबिलिटीस और सवाल खड़े कर दिए उसने.
सोनू : "तुम उसकी चिंता ना करो.... वो मेरा काम है.... ओके ...''
सोनिया समझ चुकी थी की सोनू के दिमाग़ में ज़रूर कुछ प्लान होगा...
पर अभी उन बातों में पड़कर वो अपना कीमती समय नही गँवाना चाहती थी....
क्योंकि तन्वी की बातें सुनने के बाद उसकी चूत का बुरा हाल हो रहा था...
और आज उसके पास सोनू का नाम लेकर मास्टरबेट करने की फुल टू परमिशन थी.
इसलिए उसने पहले वाले चेपटर को वही क्लोज़ करते हुए कहा : "चलो ठीक है... वो बाद में देख लेंगे... अभी तो मुझे दूसरा काम निपटाना है....''
इतना कहकर उसने लाइट बंद कर दी, नाइट बल्ब ओंन कर दिया और अपने बिस्तर पर जाकर बैठ गयी...
सोनू समझ गया की सोनिया की चूत में किस तरह की आग लगी होगी इस वक़्त...
वैसे आग तो उसके लंड में भी कम नही लगी थी, क्योंकि तन्वी ने जिस अंदाज में वो सब बातें फोन पर सुनाई थी, उसके बाद उसका लंड बैठने का नाम ही नही ले रहा था...
इसलिए जैसे ही लाइट बंद हुई, उसने भी अंधेरे का फायदा उठाते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया...
सोनिया भी अपने बेड पर अधलेटी अवस्था में जाकर बैठ गयी , उसका चेहरा सोनू की तरफ ही था...
और उसने अपने हाथ अपने पायजामे में सरका दिए...
उसे एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे उसने तपती हुई भट्टी पर हाथ रख दिया है...
आज की रात को वो पूरी तरह से एंजाय करना चाहती थी. सोनू का नाम लेकर ।
सोनिया ने अपनी उंगलियों को अपनी फूली हुई छूट चूत के उपर रख कर उसे कुछ देर तक मसला... वो किसी
पाव-रोटी जैसी सूजी हुई थी...
उसने जब अपनी बीच वाली उंगली को अंदर उतारना शुरू किया तो उसके मुँह से सिसकारियाँ फूट पड़ी
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स उम्म्म्ममम अहह''
अंधेरे कमरे में गूँज रही उसकी ठंडी सिसकारियाँ सोनू को बेचैन कर गयी..
कुछ दिनों पहले तक अपनी बहन के बारे में कुछ भी ग़लत ना सोचने वाले इस भाई को अब भी विश्वास नही हो रहा था की उसकी बहन उसी के सामने मास्टरबेट कर रही है....
और वो उसे देख भी रहा है.
जिस रिश्ते की दुहाई देकर वो अपनी बहन को ऐसा करने से रोकता था, वो रिश्ता ऐसे लम्हो में आकर कहीँ गायब सा हो चुका था...
इन्फेक्ट अब उन दोनो के बीच वो सब शुरू हो गया था जो एक भाई-बहन के बीच होना ही नहीं चाहिए...
जिसे दुनिया की नज़रों में ग़लत समझा जाता है...
सोनू अब भी समझ नही पा रहा था की जिस बात को वो अब तक ग़लत समझता आया था और अपनी बहन को भी समझाता आया था, वो धीरे-2 सही कैसे हो गयी...
शायद इस बात का जवाब उसे कभी नही मिल पाएगा..
पर अभी के लिए उसके मन और लंड में सोनिया के नाम की तरंगे उतनी शुरू हो चुकी थी...
भले ही रोज की तरह कमरे में अंधेरा था पर उसकी बहन के बेड पर खिड़की से आने वाली रोशनी किसी बल्ब से कम नही थी...
उसी रोशनी में वो देख पा रहा था की कैसे वो अपनी नंगी चूत के अंदर अपनी लंबी-2 उंगलियाँ चप्पू की तरहा चला रही है...
वो अपनी टी शर्ट को उपर करके अपने स्तन बाहर निकाल चुकी थी...
और अपनी पेंटी को साइड में करके चूत में उंगलियाँ डाल कर हिला रही थी.
और आज तो उसका चेहरा और आँखे सोनू को ही घूर रही थी... शायद अंधेरे में उसकी आँखों ने सोनू का चेहरा खोज निकाला था, तभी वो सीधा उसी की आँखो मे देखकर मुठिया रही थी.
सोनू की तरफ देखते हुए वो टूटे फूटे शब्दो में बोली : "आह सोनू..... तू....तूने ..... तन्वी को जब किस्स किया तो कैसा लगा था...''
सोनू ये सुनकर चोंक सा गया...
पहला इस वजह से की वो ये सब तन्वी से सुन ही चुकी थी....
और दूसरा इसलिए भी की ऐसे वक़्त में वो तन्वी की वो वाली बात क्यों कर रही है...
उसे चुप देखकर वो हिसहीसाई : "उम्म्म्मममममम सोनू..... बोल ना...... कैसा लगा उसे किस्स करके....उसकी ब्रेस्ट को सक्क करके...''
सोनू को एक बार फिर से वही पल याद आ गये...
हालाँकि आज से पहले वो अपनी क्लास की साक्षी को भी किस्स कर चुका था, पर ऐसी जबरदस्त वाली किस्स , जिसमें सामने से ज़्यादा रिस्पोन्स मिले, पहली बार थी....
उस किस्स की याद आते ही वो बोल पड़ा : "यार दी.... बहुत मज़ा आया सच में .... इट वाज़ वोंडरफुल्ल.....''
वो ये सुनकर चिहुंक उठी... और अपनी दो उंगलियाँ एक साथ चूत में डालकर अपना दाना पकड़ लिया उसने..
''आआआआआहह ओह सोनू.... यू लकी बास्टर्ड ..... साले ...... ''
पता नही उसके मन में क्या चल रहा था.... क्या वो उसकी किस्मत से जल रही थी या अपने भाई पर पहला हक खुद का समझ कर उसे परेशानी हो रही थी..
पर सोनू ने इस वक़्त ये सब बाते पूछना सही नही समझा...
वो उसके आनंद में कोई खलल नही डालना चाहता था..
पेंटी तो वो कब का नीचे खिसका चुकी थी और अपनी टी शर्ट भी नोच कर फेंक दी थी उसने..
कितने प्यार और शिद्दत से बेचारी अपनी चूत की परतों को रगड़ रही थी...
ऐसा लग रहा था जैसे पत्थर को घिस कर आग निकालने वाली है वो..अपनी ऊँगली को अंदर डाल कर माचिस जला रही थी
सोनू ने भी अपने लंड को उपर नीचे करना शुरू कर दिया....
और वो जानता था की दूर बैठी सोनिया उसके हिलते हुए हाथ को देख पा रही होगी..
और ये सच भी था..
सोनिया ने जब देखा की उसी की तरह सोनू भी मास्टरबेट कर रहा है तो उसकी उत्तेजना और ज़्यादा बढ़ गयी...
वो खुली आँखो से अपने भाई को पहली बार मास्टरबेट करते हुए देख पा रही थी...
हालाँकि उसका लंड देख पाने में वो असमर्थ थी पर इसके हाथों की उँचाई से वो अंदाज़ा लगा पा रही थी की वो कितना लंबा है..
''ओह सोनू....... फक्क........ उम्म्म्ममममममम.......... बैबी......''
सोनू को उसके शहद में डूबे शब्द इस वक़्त किसी ब्लू फिल्म की हेरोइन के डाइलोग जैसे लग रहे थे, जो चुदाई करवाते वक़्त ऐसी आवाज़ें निकालती है.
पर आगे जो उसने कहा वो सुनकर सोनू का सारा शरीर सुन्न सा होकर रह गया..
वो बोली : "उम्म्म्मम...... काश..... उस बिच तन्वी की जगह मैं होती..... ओह गॉड ........ ... कितना मज़ा आता...... ओह सोनू............ क़िस्सस्स. मिईिइsssss ......''
सोनू के तो मूठ मारते हाथों ने काम करने से ही मना कर दिया...
और इस बार वो अपने मलिक को कह रहे थे... 'देखो भाई, तुम्हारी बहन तुम्हारे बारे में कैसा गंदा सोच रही है.... ये ग़लत है भाई... ये ग़लत है...'
पर सोनू तो कब का उस 'ये ग़लत है' से आगे निकल चुका था...
और जिस अंदाज से सोनिया ने ये बात बोली थी, सोनू को लगा की वो उसे बुला कर किस्स करने को कह रही है... और वो बेचारा अपनी सीट से उठ भी गया... और उसकी तरफ चल दिया...
पर वो अभी 2 कदम ही चला था की अपनी आँखे बंद करके अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर कसमसा रही सोनिया के मुँह से कुछ और निकला
''ओह कितना मज़ा आया होगा तन्वी को..... ओह क्या फीलिंग रही होगी...... उम्म्म्मममम..... जब तूने उसे किस्स किया..... उसके निप्स को सक्क किया...... अहह ..... ओह्ह माय गॉड .....''
यानी सोनिया उस पल को याद करके , अपने आप को तन्वी की जगह पर रखकर मुठ मार रही थी...
और सोनू समझ बैठा की वो उसे बुला रही है की जैसा तन्वी के साथ किया है अब वो मेरे साथ भी कर...
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