RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
सोनू ने गोर किया की सोनिया बार-2 उसके लंड की तरफ ही देख रही है.... हालाँकि अँधेरा काफी था और वो उसे साफ़ नहीं दिख पा रहा था, पर फिर भी सोनिया की नजरें अँधेरे में भी कुछ ढूँढ़ने की कोशिश कर रही थी.
आज उसके लंड को पहली बार किसी ने देखा था... और वो भी उसकी खुद की बहन ने...
भले ही अँधेरे में पर देखा तो था , ऐसे में उसे छुपाने के बदले ना जाने क्यो वो बेशर्मों की तरह ऐसे ही पड़ा रहा...
दिखाता रहा अपने उस लंड को अपनी बहन को, जिसे उसने पूरी दुनिया की नज़रों से बचा कर रखा था. उसके लंड से अभी तक बूँद-2 करके वीर्य बाहर निकल रहा था
सोनिया : "यही मेरे साथ भी हुआ था.... और मुझसे कंट्रोल नही हुआ... कल भी.... और आज भी.... बट मेरा ऑर्गॅज़म होने से पहले ही तुम्हारा हो गया.... और तुम्हे ऐसा करते देखकर मैं जब यहाँ आई तो तुमने लास्ट में मेरा ही नाम लिया था....''
सोनिया ने बहुत करीब से अपना नाम सोनू के मुंह से सूना था, इसलिए वो उसे झुठला भी नही सकता था. सोनू ने ग्लानि भाव में भरकर अपना सिर झुका लिया...
उसे ऐसा करते देखकर वो एकदम से उसके करीब आई और उसके बेड के साइड में बैठ गयी और बोली : "अर्रे... सोनू.... ऐसा क्यों मुंह बना रहा है... इट्स ओके ..... मुझे इस बात का बिल्कुल बुरा नही लगा की तूने ऑर्गॅज़म के टाइम मेरा नाम लिया... जो ग़लती मुझसे हो सकती है वो तुझसे भी तो हो सकती है ना.... और मैने फील किया है, ऐसे में खुद पर कुछ भी कंट्रोल नही रहता.... ना तो रिश्तेदारी दिखाई देती है और ना ही कुछ और.... अब तो समझ गया ना की क्यों मेरे मुंह से भी तेरा नाम निकला था ....''
इतना कहते हुए और समझाने के भाव में बहकर सोनिया ने अपने भाई का हाथ पकड़कर अपने हाथ में रख लिया..
और बोली : "आई नो की ये सब हमें एक दूसरे के बारे में नही सोचना चाहिए... तुम्हारा तो मुझे पता नही पर जब से मैं घर आई हूँ मेरे माइंड में तुम्हारे अलावा कोई और आया ही नही.... हालाँकि तुम्हारे पास तो सोचने के लिए साक्षी है... बट मेरा तो तुम्हारे सिवा कोई और नही है ना....''
वो अपने दिल की बातें उसे सुना रही थी और सोनू का सारा ध्यान अपने और उसके हाथ की तरफ था...
क्योंकि दोनो के ही हाथ अपने-2 जुर्मों से रंगे हुए थे....
सोनू के हाथ में उसके लंड से निकला गरमा गरम वीर्य अभी तक लगा हुआ था...
और वहीं दूसरी तरफ सोनिया के हाथ भी अपनी चूत के रस में डूबकर अभी तक चिपचिपे से थे...
ऐसे में जब सोनिया ने सोनू का हाथ लेकर सहलाना शुरू किया तो दोनो का रस मिलकर एक हो गया और दोनो के हाथ आपस में चिपकने से लगे...
और सबसे बड़ी बात ये थी की दोनो के हाथ चिपचिपा रहे थे और इस बात से सोनिया को कोई फ़र्क ही नही पड़ रहा था... वो तो अपनी ही बातें चोदने में लगी हुई थी...
आख़िरकार सोनू बोल ही पड़ा : "बट दी....... आई थिंक .. मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए था... मुझसे ग़लती हो गयी...आई एम सॉरी.''
वो एक बार फिर से बड़े प्यार से बोली : "अर्रे बेबी , इट्स ओके .... मैने कहा ना आई एम ओके विद दिस.... इंफेक्ट अगर तुम चाहो तो आगे से भी मेरे बारे में सोचकर ये सब कर सकते हो...''
ये बोलते हुए एक बार फिर से सोनिया की नजरें सोनू के लंड की तरफ चली गयी
जवाब में सोनू आश्चर्य से अपनी आँखे फाड़कर उसे देखने लगा..
सोनिया : "या.... आई थिंक जब इतनी बाते हमारे बीच हो चुकी है और इतना सब हम एक दूसरे को देख चुके हैं तो इन सब बातों को खुलकर होने देने में ही हम दोनो की भलाई है....वरना बेकार में ही हम अपने-2 माइंड में सॉरी फील करते रहेंगे... लेकिन करेंगे तो फिर भी ना.... इसलिए जब करना ही है तो खुल कर करना चाहिए...''
सोनू तो उसके इस प्रस्ताव को सुनकर हक्का बक्का सा रह गया...
जिस भाई-बहन की मर्यादा का वास्ता देकर उसने खुद को इतने समय से रोक रखा था, उसी मर्यादा की धज्जियाँ उड़ाने में लगी थी उसकी बहन...
सोनिया के हिसाब से अगर चलने लगे तो एक ही हफ्ते में वो उसे चोद बैठेगा...
और वो तो बिल्कुल ग़लत होगा...
और उस ग़लती को रोकने का एक ही तरीका है...
इस खेल को आगे बढ़ाया ही ना जाए.
पर सोनू का खुद पर कंट्रोल ख़त्म सा हो चुका था....
जैसे अभी कुछ देर पहले मुठ मारते हुए उसने भी अपनी बहन का नाम ले ही लिया, ठीक उसी तरह से उसकी इतनी बातें सुनने के बाद भी वो सिर्फ़ हूँ-हाँ ही कर पाया..
उसे ऐसा करते देखकर वो एकदम से उसके करीब आई और उसके बेड के साइड में बैठ गयी और बोली : "अर्रे... सोनू.... ऐसा क्यों मुंह बना रहा है... इट्स ओके ..... मुझे इस बात का बिल्कुल बुरा नही लगा की तूने ऑर्गॅज़म के टाइम मेरा नाम लिया... जो ग़लती मुझसे हो सकती है वो तुझसे भी तो हो सकती है ना.... और मैने फील किया है, ऐसे में खुद पर कुछ भी कंट्रोल नही रहता.... ना तो रिश्तेदारी दिखाई देती है और ना ही कुछ और.... अब तो समझ गया ना की क्यों मेरे मुंह से भी तेरा नाम निकला था ....''
इतना कहते हुए और समझाने के भाव में बहकर सोनिया ने अपने भाई का हाथ पकड़कर अपने हाथ में रख लिया..
और बोली : "आई नो की ये सब हमें एक दूसरे के बारे में नही सोचना चाहिए... तुम्हारा तो मुझे पता नही पर जब से मैं घर आई हूँ मेरे माइंड में तुम्हारे अलावा कोई और आया ही नही.... हालाँकि तुम्हारे पास तो सोचने के लिए साक्षी है... बट मेरा तो तुम्हारे सिवा कोई और नही है ना....''
वो अपने दिल की बातें उसे सुना रही थी और सोनू का सारा ध्यान अपने और उसके हाथ की तरफ था...
क्योंकि दोनो के ही हाथ अपने-2 जुर्मों से रंगे हुए थे....
सोनू के हाथ में उसके लंड से निकला गरमा गरम वीर्य अभी तक लगा हुआ था...
और वहीं दूसरी तरफ सोनिया के हाथ भी अपनी चूत के रस में डूबकर अभी तक चिपचिपे से थे...
ऐसे में जब सोनिया ने सोनू का हाथ लेकर सहलाना शुरू किया तो दोनो का रस मिलकर एक हो गया और दोनो के हाथ आपस में चिपकने से लगे...
और सबसे बड़ी बात ये थी की दोनो के हाथ चिपचिपा रहे थे और इस बात से सोनिया को कोई फ़र्क ही नही पड़ रहा था... वो तो अपनी ही बातें चोदने में लगी हुई थी...
आख़िरकार सोनू बोल ही पड़ा : "बट दी....... आई थिंक .. मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए था... मुझसे ग़लती हो गयी...आई एम सॉरी.''
वो एक बार फिर से बड़े प्यार से बोली : "अर्रे बेबी , इट्स ओके .... मैने कहा ना आई एम ओके विद दिस.... इंफेक्ट अगर तुम चाहो तो आगे से भी मेरे बारे में सोचकर ये सब कर सकते हो...''
ये बोलते हुए एक बार फिर से सोनिया की नजरें सोनू के लंड की तरफ चली गयी
जवाब में सोनू आश्चर्य से अपनी आँखे फाड़कर उसे देखने लगा..
|