RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
इतना कहकर उसने मोबाइल में चल रहा एक वीडियो सोनू के सामने कर दिया... जिसमे एक लड़का अपनी जी एफ के पैरों की उंगलियों को किसी नौकर की तरह चूस रहा था... वो आराम से नंगी होकर एक कुर्सी पर बैठी थी और अपने बाय्फ्रेंड को डोमिनेट कर रही थी...
सोनू का सिर चकरा गया वो देखकर.... सुबह ये वीडियो देखकर तो उसके मन में भी इच्छा हुई थी की काश वो भी किसी का नौकर बन पाता, कम से कम उसके नंगे शरीर को चाटने का तो मौका मिलता...
पर इस वक़्त उसी वीडियो को दोबारा अपनी बहन के दिखाने पर देखकर वो शर्मिंदा होने के सिवाए कुछ कर ही नही पाया...
सोनू को सिर झुकाता देखकर सोनिया को एहसास हुआ की उसने शायद आवेश में आकर कुछ ज़्यादा ही बोल दिया है अपने भाई को... वो उठकर उसके करीब आई और उसके बेड पर आकर बैठ गयी.
और उसके हाथों को अपने हाथ में लेकर बड़े ही प्यार से, उसे समझाने के अंदाज में बोली : "देखो भाई... होस्टल में रहकर शायद मेरी बातें, मेरा स्वभाव थोड़ा बदल गया है... और देखा जाए तो हर लड़की को ऐसा ही होना चाहिए...मेरी तरह... जिसे हर बात की जानकारी होनी ज़रूरी है... वरना इस मेन डोमिनेटिंग वर्ल्ड में वो बेचारी पीस कर रह जाए..... जो छूट लड़को को मिली हुई है, वो लड़कियो के लिए भी होती है... बस वो अपने समाज की बंदिशों की वजह से खुलकर उनको एंजाय नही कर पाती है... पर अब टाइम बदल रहा है... अब सभी को पता है की क्या सही है और क्या ग़लत''
ये बात उसने सोनू की आँखो में देखते हुए कही थी... जो हर बात में उसे 'ये ग़लत है - ये ग़लत है' बोलता रहता है.
सोनू ने तो सिर्फ़ एक कोशिश की थी की वो उसके मोबाइल के वीडियोस ना देखे...
उसके बदले में उसे अच्छा ख़ासा भाषण सुनने को मिल गया...
पर एक और बात उसे पता चल चुकी थी की उसकी बहन खुलकर जीने में विश्वास रखती है...
और उसे अगर टोका जाए तो वो उसे कतई पसंद नही है... शायद इसी टोका टाकी की वजह से , उसकी हर बात मनवाने की जिद्द की वजह से, उसे होस्टल भेजा गया था... पर वहां जाकर तो वो और भी ज़्यादा बिगड़ चुकी थी... होस्टल में ना तो माँ -बाप का डर रहता है और ना ही उनकी नज़रें...और वो खुलापन उसे बहुत पसंद आया था. जिसका परिणाम ये था की सोनू को हर बात का जवाब उसी की भाषा में मिल रहा था... और वो बेचारा अपनी बहन को ये कहने की सिचुएशन में भी नही रह गया था की बहना, जो तूँ ये सब बोल रही है 'ये ग़लत है' ....
उसकी बहन ने तो रिश्तों के, संस्कारों के, औरत मर्द के बीच के फ़र्क के सारे मायने ही बदल दिए थे....
और अंदर ही अंदर ये सब बदलाव सोनू को बहुत भा रहे थे...
सोनू को चुप देखकर वो समझ गयी की जो बात वो उसे समझना चाहती थी वो समझ चुका है...
और उसके हाथ पर दबाव डालकर वो एक बार फिर से अपनी गांड मटकाती हुई अपने बेड पर जाकर लेट गयी...
पर मोबाइल अभी भी उसी के पास था.
कुछ देर तक इधर-उधर की बाते करने के बाद वो बोली : "चलो ना भाई ,अब सोते हैं... काफ़ी देर हो गयी है...''
अभी तो सिर्फ़ साढ़े दस ही बजे थे...
ये 12 बजे तक जागने वाली सोनिया को एकदम से कैसे नींद आ रही है...
पर फिर भी सोनू ने कुछ नही कहा और लाइट बुझा कर वो अपने बिस्तर पर आकर सो गया..
उसने देखा की लेटने के बाद एक बार फिर से सोनिया उसके मोबाइल को देखने लगी है...
अंधेरे कमरे में मोबाइल की रोशनी से उसका चेहरा अलग ही चमक रहा था...
और उसके चेहरे पर आ रही होली सी मुस्कान को देखकर वो फिर समझ गया की वो वीडियोस फिर से देख रही है...
सोनू भी उसी की तरफ मुँह करके बड़ी ही बेशर्मी से उसे देखने लगा...
वो उसके हाथों को भी गोर से देख रहा था, जो धीरे-2 सरक कर कभी उसके पेट पर जाते, और कभी उसके बूब्स पर... अपनी बहन को अपने ही बूब्स मसलता देखकर एक अजीब सा एहसास हो रहा था... अंदर ही अंदर उसे गंदा तो लग रहा था पर पूरी दुनिया में ये बात इस वक़्त किसी को नही पता, ये सोचकर वो निश्चिन्त होकर वो देख भी रहा था...
एक अजीब से दोराहे पर पहुँच चुकी थी सोनू की जिंदगी.....
सोनिया ने रिश्ते की परवाह किए बिना उसे एक औरत - मर्द के शारीरिक आकर्षण के मापदंड से नापकर अपनी ही परिभाषा सीखा डाली थी.. जिसपर चलकर कुछ भी हो सकता था..
सोनिया का पूरा शरीर पानी की लहर की तरह बिस्तर पर उफान मार रहा था...
उसके सीने से उठकर एक लहर नीचे तक जाती और ऐसा करते-2 उसकी चादर कब उतर गयी शायद उसे भी पता नही चला...
अब उसकी गोरी-2 टांगे सोनू को साफ़ दिख रही थी..
सोनिया भी जानती थी की अभी तक सोनू सोया नही है फिर भी शायद वो अपने उपर कंट्रोल नही रख पाई और उसका हाथ धीरे-2 खिसक कर उसकी शॉर्ट्स में घुस गया.
ये पहला मौका नही था जब सोनू ने अपनी बहन को अपनी चूत मसलते हुए देखा था पर उसके ऐसा करते ही एक अजीब सा एहसास हुआ उसे अंदर तक..
सोनिया अपने हाथ की उंगलियों से अपनी चूत के मुहाने को रगड़ रही थी और बीच-2 में अपनी जांघों से अपने हाथ को भींच कर हल्की फुल्की सिसकारी भी मार रही थी.
भले ही कमरे में अंधेरा हो चुका था पर कल की तरह आज भी सोनिया के बेड पर सोनू से ज़्यादा रोशनी थी... कारण था खिड़की से आ रही चाँद की रोशनी का वहां पड़ना..
अचानक सोनू बोल पड़ा : "दी.... क्या तुम ये रोज करती हो....''
वो एकदम से हड़बड़ा सी गयी...
और बोली : "तु ...तुम अभी तक सोए नही...''
सोनू : "नही....नींद नही आ रही....बोलो ना..... क्या तुम रोज रात को मास्टरबेट करती हो...''
अपने भाई से शायद इस तरह के सीधे सवाल की उम्मीद नही थी उसे...
पर फिर भी वो बड़े ही शांत स्वर में बोली : ''हम्म ...... ऑलमोस्ट डेली...''
सोनू : "और क्या सोचकर करती हो.... आई मीन आप किसी के बारे में सोचकर करती हो क्या...''
सोनिया : "मैने पहले भी बताया था ना... आई डोंट हेव एनी बाय्फ्रेंड... सो जो मन में आता है,उसके बारे में सोच लेती हूँ ...''
सोनू अब असली बात पर आया, और बोला : "तो कल मेरा नाम क्यो लिया.... क्या तुम मेरे..... बारे में ..... सोच कर..... मा.... मास्टरबेट कर रही थी ??....''
वो चुप रही... सोनू का दिल धड़-2 बज रहा था उसका जवाब सुनने के लिए..
सोनिया : "सच कहूं .....जब शुरू किया था तो ऐसा कुछ नही था... बट .... पता नही कैसे.... वो करते-2 जब तुमपर नज़र पड़ी तो.... तो... सोच बैठी...''
सोनू का लंड ये सुनते ही पूरा खड़ा हो गया.... यानी उसकी बहन ने उसके बारे में सोचकर मास्टरबेट किया....
वो अंदाज़ा लगाने लगा की क्या सोचा होगा ....
क्या उसके लंड के बारे में ....
उसे सक्क करने के बारे में ...
या फिर....
या फिर
उसने सोनू का लंड अपनी चूत में लेने की सोची होगी....
और वही सोचते-2 झड़ गयी होगी...
छी .... कितना गंदा हूँ मैं.....
क्या-2 सोचने लग गया....
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