RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
उस रिमोट जैसी चीज़ में शायद एक मोटर थी...
और वो रिमोट नही था...
एक डिल्डो था...
यानी प्लास्टिक का लंड...
डिल्डो की कल्पना मात्र से ही सोनू का शरीर पसीने-2 हो गया....
उसकी कमसिन बहन के पास ये कहाँ से आया...
शायद हॉस्टल में किसी लड़की ने दिया होगा.... पर इतनी कच्ची उम्र में वो अपनी चूत के अंदर इतने लंबे डिल्डो को कैसे लेती होगी.... इस कल्पना मात्र से ही उसके पसीने छूट गये.. यानी उसकी बहन वर्जिन नही है... उसने इस प्लास्टिक के लंड को अंदर डालकर अपनी सील तोड़ ली है...
पर जैसा उसने सोचा था, वैसा कुछ था नही... जब वो बेड पर लेटी और उसने वो लंबा सा डिल्डो अपनी चूत के मुहाने पर रखा तो उससे आगे वो गया ही नही.... उसकी चूत थी ही इतनी टाइट... यानि वो उसे चूत के मुहाने पर घिसकर ही मजे ले रही थी.
उसकी बहन की सील अभी तक सलामत है, ये सोचकर ना जाने क्यों उसे अंदर ही अंदर थोड़ा सकून मिला ।
भले ही कमरे में अंधेरा था, पर हल्की चाँदनी में वो उसकी चूत के कसे हुए लिप्स और उसके दरवाजे पर घिसाई करता हुआ डिल्डो सॉफ देख पा रहा था... वो अपनी चूत के अधखुले होंठों के मुहाने पर उस मोटर वाले डिल्डो से घिसाई कर रही थी... और अंदर से आ रही वाइब्रेशन को अपनी चूत पर महसूस करके, उसकी तरंगो पर किसी जल बिन मछली की तरह मचल रही थी..एक हाथ से वो अपना मुम्मा दबा रही थी और दूसरे से डिल्डो को अपनी चूत पर रगड़ रही थी
सोनू सोच रहा था की काश वो इस सीन को मोबाइल पर रेकॉर्ड कर पाता...
पर ऐसा घटिया विचार आते ही उसे खुद से घृणा होने लगी....
एक तो वो अपनी बहन को मास्टरबेट करते हुए देख रहा था, जो एकदम नेचुरल प्रोसेस होती है, उपर से उसके बारे में गंदा सोचते हुए, उसकी फिल्म बनाने की भी सोच रहा था... इतना घटिया वो कब हो गया... ये सोचकर उसने एक बार फिर से पलट कर सो जाने की सोची...
पर...
तभी उसे सोनिया के बुदबुदाने की आवाज़ें सुनाई दी...
'ओह....... उम्म्म्ममममममममममम..... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... लिकक्ककककक इट....... ज़ोर से........ अहह मेरा बच्चा ....... उम्म्म्ममम माय बैबी .....''
अब वो डिल्डो को साइड में रखकर अपनी उँगलियों से ही अपनी चूत के दाने को रगड़ रही थी
सोनू समझ गया की हो ना हो वो इस वक़्त ज़रूर अपने किसी बाय्फ्रेंड को याद करके ऐसा बोल रही है....
उसने भी अक्सर साक्षी के बारे में सोचकर मूठ मारी थी... और वो भी जब झड़ने लगता था तो साक्षी का नाम लेकर, उसे गालियाँ देकर झड़ने में उसे बहुत मज़ा आता था.
पर आगे जो सोनिया ने कहा, उसे सुनकर तो सोनू का दिमाग़ एकदम से सुन्न सा हो गया.
वो कसमसाते हुए फुसफुसाई...
''ओह मेरा बच्चा ..... सोनू......... माय डार्लिंग....... मेरे भाई ....लीक इट...... ज़ोर से..... अहह अहह ऑफ़फ़फ़फ़ उम्म्म्मममम सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....''
[
और इसके साथ ही उसका शरीर बेड पर किसी कमान की तरह तिरछा हुआ...और फिर धड़ाम से उसकी गद्देदार गांड बिस्तर पर आ गिरी....
सोनू दूर लेटा देख पा रहा था की उसके पूरे शरीर पर पसीने की बूंदे चमक रही थी...
पर उन बूँदों से ज़्यादा उसे इस बात की चिंता थी की उसकी बहन ने आख़िर उसका नाम क्यों लिया... यानी वो उसके बारे में सोच रही थी...
वो ये सोचता रह गया और सोनिया चादर तान कर ऐसे ही नंगी, बेड पर सो गयी..
पर सोनू काफ़ी देर तक उस बारे में सोचता रहा... हर तरह की अटकले लगाता रहा... और आख़िर में उसने निशचय कर लिया की कल वो सोनिया से इस बारे में खुलकर बात करके रहेगा... वरना वो कभी भी चैन से सो नही पाएगा...
अगली सुबह सोनू के स्कूल की छुट्टी थी...वाल्मीकि जयंती की..इसलिए वो 9 बजे तक सोता रहा...और सोनिया तो थी ही एक नंबर की आलसन, वो भी बेसुध सी होकर सोई पड़ी थी..
सोनू की मॉम कमरे में आई और दोनो को आवाज़ लगाकर उठने को कहा..
सोनिया तो सोई रही पर सोनू को नीचे उठकर जाना पड़ा, वो क्लिनिक के लिए निकल रही थी...
दरवाजा बंद करके वो वापिस आकर सो गया..पर अब उसे नींद नही आ रही थी...
उसके दिमाग़ मे रात वाली बातें एक बार फिर से ताज़ा हो गयी की कैसे उसने अपनी बहन को मास्टरबेट करते हुए देखा...
उसके नंगे जिस्म को इतने करीब से देखा उसने...
उसे डिल्डो का इस्तेमाल करके झड़ते हुए देखा...
और अंत मे जब उसने उसका नाम लेकर वो सिसकारी मारी थी, उसे याद करके सोनू का लंड एकदम तन्ना सा गया... वैसे भी रोज सुबह उसका लंड खड़ा रहता था, पर आज तो कुछ ज़्यादा ही था.
अब उसके दिमाग़ में सिर्फ़ एक ही बात चल रही थी की उस बात को कैसे पूछा जाए...
कुछ देर में वो भी उठ गयी....और गुड मॉर्निंग बोलकर अपनी आँखे मलती हुई बाथरूम में घुस गयी...
वो फ़ौरन उठा और भागकर उसके बिस्तर तक गया.... और जैसा उसने सोचा था, उसके पिल्लो के नीचे उसे वो वाइब्रेटर मिल ही गया...
उसने वो उठा लिया... उसे छूकर और इस कल्पना मात्र से ही की वो उसकी बहन की चूत को ना जाने कितनी बार घिस चुका है, उसके लंड का पारा उपर तक जा पहुँचा...
ना चाहते हुए भी उसके हाथ से डिल्डो का बटन ऑन हो गया...और एक सुरीली सी आवाज़ के साथ वो उसके हाथ में फड़फड़ाने लगा...
उसमे से निकल रही वाइब्रेशन को महसूस करके उसका शरीर गुनगुना उठा....
वो अंदाज़ा लगाने की कोशिश करने लगा की इसे चूत पर लगाकर कैसा फील करती होंगी लड़कियाँ...
पर वो ये सोच ही रहा था की अपने मुँह में ब्रश डाले सोनिया बाथरूम से बाहर निकल आई....
और सोनू के हाथ में अपनी पर्सनल प्रॉपर्टी देखकर वहीं के वहीं जम कर रह गयी...
दोनो की नज़रें मिली, पर कोई कुछ ना बोला.... पूरे कमरे में सिर्फ़ मोटर की गुर्र्रर गर की आवाज़ आ रही थी.
थोड़ी देर बाद जैसे सोनिया को होश सा आया....
वो भागकर बाथरूम में गयी और कुल्ला करके वापिस आई और लपककर उसने वो डिल्डो पकड़ लिया...
पर सोनू भी तैयार था... उसने वो छोड़ा ही नही...
डिल्डो का उपर वाला हिस्सा सोनिया के और नीचे वाला सोनू के हाथ में था...
और उसमे से निकल रही तरंगे दोनो के शरीर को झनझना रही थी..
कुछ देर तक पूरी सिचुएशन को अच्छी तरह से समझने के बाद सोनिया थोड़ी कॉन्फिडेंट सी हो गयी और ऐसी स्थिति में अपने भाई के साथ खड़ी होने के कारण उसकी हंसी निकल गयी.
सोनिया के मुँह से जब हँसी निकली to वो मुस्कुराते हुए बोली : "ओ पागल... पता भी है ये क्या है... बेकार में मेरी चीज़ों पर नज़र ना रखा कर...''
सोनू : "अच्छी तरह से पता है मुझे की ये क्या है....मैं अब बच्चा नही रहा..''
सोनिया का चेहरा थोड़ा शरारती हो उठा...
वो अपनी कमर को मटकाती हुई बड़े ही सेंशुअल स्टाइल में आगे आई और बोली : "अच्छा जी... तो मेरा भाई जवान हो गया है.... उसे सब पता है.... अच्छा तो बताओ... क्या है ये... और क्या यूज़ है इसका...''
वो मज़े लेने के मूड में आ चुकी थी....
उसे अब इस बात की ज़रा भी चिंता नही रह गयी थी की उसके भाई ने इतनी निजी चीज़ पकड़ ली है उसकी...
बल्कि वो अब इस सिचुएशन को एंजाय कर रही थी...
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