Maa ki Chudai मा बेटा और बहन
01-06-2019, 11:14 PM,
#27
RE: Maa ki Chudai मा बेटा और बहन
"हे ...हे! आ ...आराम से हे ...हे! हे ...हे! आईईऽऽ पागल काटो ...काटो मत हे ...हे!" वैशाली के नीच कथन और उसकी अनुमति ने अभिमन्यु को जैसे सचमुच पागल बना डाला, वह तत्काल अपनी माँ की बायीं काँख पर टूट पड़ता है। पहले-पहल उसने काँख के चहुंओर चूमा, फिर अपनी जीभ को उसकी पूरी काँख के भीतर लपलपाते हुए वहाँ की कोमल त्वचा को रोमों सहित जोश-खरोश से चाटना शुरू कर देता है। उसकी उत्तेजना इस बात का प्रमाण थी की जल्द ही वह बेकाबू होकर अपनी माँ की काँख के भीतर अपने नुकीले दाँत गड़ाने लगा था, उसके नर्म रोमों को अपने दांतों की पकड़ से खींचने लगा था, उन्हें उखाड़ तक देने को उत्सुक हो चला था। वैशाली की हंसी, उसकी कामुक सिसियाहट, उसकी पीड़ा, उसकी अनय-विनय उस जवान मर्द के उत्साह को दूना कर रही थीं। अबतक उस नए-नवेले मर्द ने सिर्फ चुदाई का आनंद उठाया था, वह भी कुछेक बाजारू रंडियों के साथ मगर वर्तमान मे पहली बार वह महसूस कर रहा था कि सिर्फ चूत मार लेना सच्चा सुख नही, बल्कि सहवास जितना लंबा और गंदा होगा उतना ही आनंद पहुँचाता है।

"बस बहुत हुआ मन्यु, अब उठो फटाफट" ज्योंही अभिमन्यु ने अपना चेहरा अपनी माँ की बायीं काँख से बाहर निकाला वह बिस्तर से उठने की कोशिश करते हुए बोली।

"पहले मेरी फैंटेसी सुन लो मम्मी, पापा शाम को आएंगे और तबतक मुझे तुम्हें पूरी तरह से तैयार करना है। आखिर तुम जैसा गदराया माल कोई चूतिया ही होगा जो तुम्हें अपने नीचे लाने के बाद बिना कुछ किए छोड़ देगा" जवाब मे अभिमन्यु ने पुनः अपनी माँ को अपने शरीर के नीचे दबाते हुए कहा।

"तैयार? नही मन्यु ...तुम्हारे पापा के लौट आने के बाद मैं कुछ भी गलत-शालत नही करने वाली" वैशाली अपने निचले होंठ को दांतों के मध्य भींचते हुए एलान करती है।

"तुम क्या मॉम, तुम्हारे फ़रिश्ते भी अब वही करेंगे जो तुम्हारा बेटा चाहेगा। सबसे पहले आज से इस घर के अंदर तुम नंगी ही रहोगी, चाहे घर मे मैं मौजूद रहूँ या तुम्हारा पति और या फिर हम दोनों ही मौजूद रहें" पलटवार मे अभिमन्यु भी एलान करता है।

"अब तुम्हारा दिनभर का रूटीन सुनो। सुबह नहा-धोकर सीधा तुम मेरे कमरे मे आओगी और वह भी बिना अपना गीला बदन पोंछे, एकदम नंगी। समझी मम्मी, रोज सुबह तुम्हें ऐसा ही करना होगा" उसने शैतानी मुस्कान के साथ अपने पिछले कथन मे जोड़ा।

"ऐसा कुछ नही होगा मन्यु, तु ...तुम्हारा दिमाग खराब तो नही हो गया ना" वैशाली की घबराहट उसके शब्दों की कपकपाहट से बयान हो रही थी।

"होगा मम्मी, जरूर होगा। अब आगे सुनो, मेरे कमरे मे आने के बाद तुम मुझे अपने गीले बालों, अपने गीले नंगे बदन की मदद से नींद से जगाने की कोशिश करोगी। तुम अपने गीले बदन को मेरे नंगे शरीर पर रगड़ोगी, अपने गीले बालों से निचुड़ती पानी की बूंदों को मेरे चेहरे पर टपकाओगी, मुझे प्यार से पुचकारोगी, पुकारोगी मगर मैं नही उठूँगा और पता है माँ इसके बाद तुम क्या किया करोगी?" अभिमन्यु ने अपनी माँ की आश्चर्य से फट पड़ी कजरारी आँखों मे झांकते हुए पूछा, उसके चेहरे की शैतानी मुस्कराहट ज्यों की त्यों जारी थी।

"मुझे नही पता और मुझे जानना भी नही है मन्यु, ऐसा कुछ नही होगा ...कभी नही होगा" वैशाली अपनी आँखों को दूसरी दिशा मे मोड़ने का प्रयास करते हुए बोली, वह नही चाहती थी कि उसके अनुमानित भय के अंशमात्र का संकेत भी उसके बेटे को पता चल सके।

"नही पता तो पूछ लो मॉम क्योंकि कल से तुम्हें वाकई वही सब करना होगा जो मैंने तुम्हारे डेली रूटीन के लिए तय किया है" अभिमन्यु अपने चेहरे को एक बार फिर अपनी माँ के चेहरे पर झुकाते हुए कहता है ताकि वैशाली की आँखों का टूटा जुड़ाव पुनः उसकी आँखों से हो सके और ऐसा हुआ भी, अनजाने डर से घबराई उसकी माँ दोबारा उसकी आँखों में झाँकने लगी थी।

"पूछो जल्दी वरना मेरी कमर के रुके झटके फिर से चालू हो जाएंगे और फिर मुझे दोष मत देना की मैंने जानबूचकर तुम्हें चोद दिया" अपने कथन की सत्यता को प्रदर्शित करते हुए अभिमन्यु सचमुच अपनी कमर को हौले-हौले झटकने लगता है और यहीं वैशाली का साहस जवाब दे गया।

"बोलो मुझे आगे क्या करना होगा?" प्रश्न पूछते ही वैशाली की आँखें डबडबा जाती हैं मगर उस माँ के अनुमान मुताबिक उसके बेटे की वासना पर शायद उसकी नम आँखों का अब कोई प्रभाव पड़ना शेष ना था।

"ह्म्म! यह सही सवाल किया ना तुमने। तो हाँ! जब मैं नींद से बाहर नही आऊंगा तब तुम मेरे बिस्तर पर चढ़ोगी और अपने घुटने मोड़कर सीधे मेरे चेहरे के ऊपर बैठ जाओगी। तुम मेरे लंड को अपने दोनों हाथों से हिलाते हुए मेरे होंठों पर अपनी चूत रगड़ना शुरू करोगी और साथ ही तब तुम्हारी गांड का छेद बिलकुल मेरी नाक से चिपका होगा। पता है मॉम इसके बाद क्या होगा?" अभिमन्यु के इस प्रश्न के जवाब में वैशाली ने मूक इशारा करते हुए फौरन अपनी पलकें झपका दीं।

"तुम्हारा पति तुम्हें कई आवाजें देगा मगर तुम उसे कोई जवाब नही दे सकोगी क्योंकि तबतक तुम भी मेरे लंड को चूसने भिड़ चुकी होगी और इसीके साथ तुम्हारा पति शोर मचाते हुए कमरे के अंदर आ जाएगा। उसे ऑफिस जाने मे देर हो रही होगी, वह तुमपर चिल्लाएगा लेकिन तुम उसकी नही सुनोगी, जीवन भर से तो सुनती चली आ रही हो। ठीक उसी वक्त मैं भी जाग जाऊंगा और तुम्हारी गुदाज गांड को थप्पड़ लगाकर तुम्हारे एसहोल को सूंघते हुए तुम्हारी चूत चूसने लगूंगा, उसे अपनी जीभ से चाटने लगूंगा, जीभ से चोदने लगूंगा और हम तुम्हारे पति ...यानी कि मेरे पापा के सामने ही एक-दूसरे के मुँह के अंदर झड़ने लगेंगे। हमें कोई शर्म नही होगी कि कमरे के अंदर हमारे अलावा भी कोई और मौजूद है, तुम मेरा गाढ़ा वीर्य पीने लगोगी और मैं तुम्हारी स्वादिष्ट रज को अपने गले के नीचे उतरने लगूंगा" बोलते-बोलते एकाएक अभिमन्यु को भी समझ नही आया कि बिना सोचे-विचारे उसने यह क्या अनर्थ कह दिया मगर तत्काल वह यह भी महसूस करता है कि स्वयं की मनघड़ंत कल्पना से उसके लंड की कठोरता जैसे कई गुना बढ़ गयी है, उसके टट्टों मे अविश्वसनीय उबाल आ गया है।

"उफ्फ्फ्! तुम्हारे पाप हम दोनों को मार नही देंगे भला?" वैशाली ने लंबी आह भरते हुए पूछा, अकस्मात् उसे भी ठीक वैसी ही कामोत्तेजना का एहसास हुआ जैसी उसके बेटे ने महसूस की थी। अपने सगे जवान बेटे के साथ रंगरेलियां मनाते हुए पकड़े जाने का रोमांच क्या होता है यह रोमांच वह कुछ वक्त पीछे झेल चुकी थी और अब तो अभिमन्यु ने उसे अपनी झूठी कल्पना के जरिए सचमुच उसके पति द्वारा पकड़वा दिया था, यह वाकई उस नारी, पत्नी व एक माँ के लिए अखंड रोमांच की पराकाष्ठा थी।

"उनसे कुछ ना हो पाएगा माँ। वह तुम्हारी जवानी का भार नही उठा पा रहे, तुम्हारी प्यास बुझाना अब उनके बस मे नही रहा। नामर्द हो गया है तुम्हारा पति, अब मुझे ही तुम्हें तृप्त करना होगा। एक तरह से अब तुम मुझे ही अपना पति मान लो, रात-दिन चोद-चोदकर मैं तुम्हारी जीवन भर की प्यास मिटा दूंगा" अब अभिमन्यु नही बोल रहा था, वासना उसके सर पर नंगी नाच रही थी।

"धत्त! वह नामर्द नही हैं" कहते हुए वैशाली के चेहरे पर चौड़ी मुस्कान छा गई, जिसे देख अभिमन्यु का दिल प्रसन्नता से झूम उठा। जहाँ एक स्त्री को अत्यन्त-तुरंत उसके पति की उपेक्षा, उसका प्रत्यक्ष अपमान करने वाले का मुंह नोंच लेना चाहिए था वहीं वैशाली के मुखमंडल पर सहसा मुस्कराहट छा जाना उसके कौटुम्बिक व्यभिचार पर पूर्णतयः अपनी मोहर लगा देने समान था।

"रोज सुबह नाश्ते की टेबल पर ठीक तुम्हारे पति की कुर्सी के पास खड़े होकर मैं तुम्हारी भरपूर चुदाई किया करूंगा माँ, तुम टेबल पर नंगी लेटी हुई अपनी कामुक सिसकियों से मुझे उकसाया करोगी और मैं तुम्हारे पति की शर्मिंदा आँखों मे झांकते हुए तुम्हारी चूत के भीतर ऐसे करारे धक्के मारा करूंगा, जिससे पूरी टेबल हिल जाया करेगी। ओह! मम्मी कितना मजा आएगा जब तुम बेशर्मों की तरह चीख-चीखकर अपने बेटे का नाम लेते हुए, अपने पति की आँखों के सामने झड़ा करोगी और ...और मैं भी उसी वक्त तुम्हारी चूत की गहराइयों मे अपना वीर्य उड़ेल दिया करूंगा" कहकर अभिमन्यु अपनी दायीं हथेली की मदद से अपने कठोर लंड का बेहद सूजा सुपाड़ा अपनी माँ की चूत के रस उगलते होंठों के ठीक बीचों-बीच तेजी से रगड़ने लगता है, उसे पक्का यकीन हो चला था कि अब उसकी माँ ताउम्र उसके बस मे रहने वाली थी।

"मजा आएगा ना मम्मी, जब तुम रोज अपने नामर्द पति के सामने अपने बेटे से चुदवाया करोगी। बोलो मम्मी मजा आएगा ना तुम्हें" उसने अपने सुपाड़े के घर्षण को तीव्र करते हुए पिछले कथन मे जोड़ा।

"हाँ मन्यु मजा ...नही! नही! उन्घ्! कोई मजा नही। उफ्फ्फ्! मान जाओ" वैशाली को पुनः अपना चरम महसूस हुआ और वह फौरन अपनी चूत को अपने बेटे के लंड पर ठोकने लगती है, इस विचार से कि यदि वह अब नही झड़ पाई तो कहीं पागल ना हो जाए। यह ख्याल ही बहुत उत्तेजक था कि वह वास्तविकता मे अपने पति की उपस्थिति में अपने बेटे से चुदवा रही है और उसे इस नीच, पापी कार्य को करने में जरा सी भी शर्म महसूस नही हो रही।


"सोचो माँ कितना मजा आएगा जब तुम घर आए मेहमानों के स्वागत के लिए नंगी ही घर का दरवाज़ा खोला करोगी। उन्हें नंगी ही चाय-नाश्ता करवाओगी, अपने मम्मों को घड़ी-घड़ी उछाला करोगी, जानबूचकर अपनी चूत को खुजाया करोगी, उनके सामने ठुमक-ठुमक कर चला करोगी। हम हर मेहमान को तुम्हारा नंगा मुजरा भी दिखवाया करेंगे, हम अनुभा ...अनुभा को भी इसमे शामिल करेंगे, तुम्हारा दामाद भी मौजूद होगा। तुम माँ-बेटी के छिनालपन की हम प्रतियोगिता रखेंगे" अभिमन्यु बोलता ही जाता अगर उसकी माँ की चीखों से पूरा बैडरूम नही गूँज गया होता।

"रंडी ...रंडी बनाना है ना अपनी माँ को, उन्घ्! अपनी बहन को भी इसमे शामिल करना है। ओह! फिर चो ...चोदो मुझे, चोदो अपनी माँ को ...आईईऽऽ! चोदो मुझे उफ्फ्फ्! और बन जाओ मादरऽऽचोदऽऽऽऽ" वैशाली की आँखों से झर-झर आँसू बह निकले, उसका गला चीखते-चीखते रुंध गया।

"पता तो चले सभी रिश्तेदारों को की तुम माँ-बेटी कितनी बड़ी छिनाल हो। यह संस्कार, मान-मर्यादा तो एक ढोंग है ...सच तो यह है माँ की तुम मर्दों से क्या, जानवरों तक से चुदवा लो। कोठे पर बेच देना चाहिए तुम रंडी माँ-बेटी को और तुम्हारे जिस्म की कमाई से ही हमारे घर का चूल्हा जलना चाहिए। तुम्हें पड़ोसियों, दुकानदारों, दूधवाले, सब्जीवाले, रद्दीवाले, पपेरवाले, धोबी ...यहाँ तक कि अपने बेटे-भाई के दोस्तों तक से चुदना चाहिए और हम बाप-बेटे तुम्हारी चुदाई को देखकर मुट्ठ मारेंगे" इसबार भी खलल पड़ा और अभिमन्यु पुनः बोलते-बोलते रुक गया मगर इसबार का खलल वैशाली की चीख के साथ उसके थप्पड़ भी थे जो वह पूरी ताकत से अपने बेटे के गालों पर अपने दोनों हाथों से जड़ती जा रही थी।

"बेशर्म! तू पैदा होते ही मर क्यों नही गया हरामजादे। तेरे प्यार की वजह से तेरी माँ होकर भी मैं तेरे नीचे नंगी दबी पड़ी हूँ और तू है जो मुझे, मेरी बेटी और मेरे पति को गाली पर गाली दिए जा रहा है, हमें अपमानित कर रहा है। थू है तुझपर थूऽऽ!" रोते हुए अपने कथन को पूरा कर सत्यता मे वैशाली ने बेटे के मुँह पर थूक दिया और बिस्तर से उठने का प्रयत्न करने लगी मगर वह हिल भी ना सकी क्योंकि अभिमन्यु के लंड का घर्षण अब इतने वेग से उसकी चूतमुख पर होने लगा था कि वह उठते-उठते अपने आप दोबारा बिस्तर पर गिर पड़ी थी।

"अब तो झड़ जाओ माँ, आखिर किस मिट्टी की बनी हो तुम" यहाँ अभिमन्यु का टोकना हुआ और वहाँ वैशाली की गर्दन अकड़ जाती है।

"आईऽऽ! हट ...हट जाओ मेरे ऊपर से, उफ्फ्! लानत है तुम जैसे बेटे पर। मैं आई मन्युऽऽ ...मैं आई" जोरदार स्खलन को पाते हुए वैशाली की गांड के छेद और उसके निप्पलों मे भी सनसनाहट की तीक्ष्ण लहर दौड़ जाती है।

"झड़ो माँ खुल कर झड़ो, इसीलिए मैंने खुद को कमीना कहा था। मैं तुम्हारा बेटा हूँ कोई दल्ला नही जो दूसरों के सामने अपने घर की अमानत को परोसने में सुख महसूस करते हैं, काट कर ना फेंक दूँ जो तुमपर या अनुभा पर गलत नजर रखते हों। मैं पापा से भी उतना ही प्यार करता हूँ जितना की तुम और अनुभा करते हो मगर आज तुम्हें खुलकर झड़वाने की कोशिश में शायद मैं ही पापी बन गया, अपनी माँ की नजरों मे गिर गया। वाकई लानत है मुझपर जो मैंने तुम्हारे और अनुभा के बारे मे इतना गलत सोचा, माफ करना माँ मैं जो करना चाहता था वह कर ना सका, सब उलटा-पुलटा हो गया" कहकर अभिमन्यु अपनी माँ को उसके स्खलन के बीचों-बीच छोड़ उसके नग्न बदन से करवट लेते हुए बिस्तर से नीचे उतरने लगा मगर इससे पहले की उसके कदम फर्श को छू भी पाते वैशाली उसकी दायीं कोहनी को बलपूर्वक थाम लेती है।

"सजा ...सजा सुने बैगर तुम कहीं नही जा सकते मन्यु, उफ्फ्फ्! यह ड्रामा भी तुम्हें अभी करना था। देख तो लो कि तुम्हारी माँ किसी तरह झड़ती है, उन्घ्! करीब से देखो तुम्हारी माँ ने कितनी ज्यादा रज उगली है" झड़ते हुए भी वैशाली के मुंह से शब्दों का लगातार बाहर आना अभिमन्यु के आश्चर्य का केंद्रबिंदु बन गया और ना चाहते हुए भी उसकी आँखें उसकी माँ की तीव्रता से रस उगलती चूत से चिपकी रह जाती हैं। उसकी माँ के पंजे ऐंठ गए थे, कमर स्वतः ही बिस्तर पर उछल रही थी, जाँघों का मांस ठोस हो गया था, बाएं हाथ की मुट्ठी भिंच चुकी थी।

"तुमसे नाराज नही हूँ मन्यु पर मैं वाकई डर गयी थी" स्खलन समाप्ति पर एकाएक वैशाली की जोरदार रुलाई फूट पड़ी, अभिमन्यु भी जान रहा था कि उसकी माँ को उसके इस बेतुके, बेवक़्त स्खलन का कोई विशेष आनंद नही पहुँच सका था और इसी विचार से अपना सिर खुजलाते हुए वह पुनः अपनी माँ के समीप लौट आता है।

"तुम रोती हो तो मेरा दिल जलने लगता है माँ। तुम डरा मत करो, मेरे रहते कोई भेन का लौड़ा तुम्हें चोट नही पहुंचा सकता ...तुम यह अच्छे से जानती हो" ढाढ़स बंधाते हुए अभिमन्यु पुनः अपनी माँ के ऊपर पूर्व की भांति पसर जाता है।

"तुम ही डराते हो और कहते हो यह कर दूँगा ...वह कर दूँगा आज मेरा मन खट्टा हो गया मन्यु" वैशाली प्रेमपूर्वक बेटे के गालों पर अपनी नाजुक उंगलियां फेरते हुए बोली, उसके थप्पड़ों ने सचमुच अभिमन्यु के गालों को सुर्खियत प्रदान कर दी थी।

"क्या कहा, तुम्हारा खट्टा खाने का मन है मगर हमने तो अभी चुदाई की शुरुआत की ही नही। सच-सच बताओ माँ, किसका पाप है यह" अभिमन्यु का अपनी माँ को हँसाना एकबार फिर से चालू हो गया।

"मारूंगी दोबारा से" वैशाली नाक सुड़कते हुए तुनकी।

"अरे वाह माँ! अब चाटूँ तुम्हारी नाक को, अब तो बह रही है" कहते हुए अभिमन्यु ने ज्योंही अपना चेहरा अपनी माँ के चेहरे पर झुकाया, वह अपने होंठों पर जीभ फेरने लगी। इशारा तगड़ा था और निमंत्रण स्वीकारने योग्य भी, पल भर में माँ बेटे दीर्घ कालीन चुम्बन में खो जाते हैं।
Reply


Messages In This Thread
RE: Maa ki Chudai मा बेटा और बहन - by sexstories - 01-06-2019, 11:14 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,467,318 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,641 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,218,507 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 921,340 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,633,915 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,064,863 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,923,978 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,967,638 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,997,294 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,674 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)