RE: muslim sex kahani खानदानी हिज़ाबी औरतें
चाची फ़हमीदा के आने के बाद अब खेल दोबारा शुरू होना था. ज़ाहिद ने उनको बता दिया था के उस ने दोनो फुफियों को चोद लिया है और ये के उन्हे भी मालूम हो चुका है के चाची फ़हमीदा ज़ाहिद से चूत मरवा रही हैं. इस लिये वो होटेल में आने के बाद बिल्कुल नॉर्मल रहीं और फुफियों से बड़े आराम से मिलीं. लेकिन में जानता था के जब ये तीन जनानियाँ कहीं जमा हो जाएं तो कोई ना कोई मसला ज़रूर होता है. पहले तो सूरत-एहाल ठीक रही लेकिन फिर चाची फ़हमीदा बातों बातों में कहा:
"बाजी खादीजा आज तो इन लड़कों की मोज हो गई है दो दो फूपियाँ मिल गईं मज़े लेने के लिये."
में उनकी बेबाकी पर हैरान नही हुआ क्योंके वो थीं ही बहुत मुँह-फॅट और तेज़ मिज़ाज की.
"फ़हमीदा हम तो देखना चाहते हैं के ज़ाहिद तुम्हे कैसे चोदता है." फूफी खादीजा ने फॉरन जवाब दिया.
“फ़हमीदा जब बेटा अपनी माँ को चोदता है तो कैसा लगता है? तुन्हे तो पता होना चाहिये क्योंके ज़ाहिद तुम्हे चोद रहा है.” फूफी शहनाज़ ने भी उन पर वार किया. उनके मुँह से ऐसी बातें सुन कर मुझे ज़रूर हैरत हुई. वो फूफी खादीजा और फूफी नीलोफर के मुक़ाबले में ज़रा ठंडे मिज़ाज की थीं .
“बाजी शहनाज़ आप का बेटा अभी छोटा है जब बड़ा हो गा तो आप की चूत ज़रूर मारे गा. तब आप को पता चले गा के बेटा माँ को कैसे चोदता है.” चाची फ़हमीदा ने मुस्कुरा कर जवाब दिया.
“फ़हमीदा मेरा बेटा मेरी चूत मारे या ना मारे लेकिन तुम्हारा बेटा तो शायद रोज़ ही तुम्हारी फुद्दी का क़ीमा बनाता है.” फूफी शहनाज़ कहाँ छोड़ने वाली थीं .
"बाजी इस में किया है ये मेरा बेटा है इस का लौड़ा भी मैंने ही सब से पहले अपनी फुद्दी में ले कर इस की ज़रूरत पूरी की है. आप भी तो दो दो भतीजों से चुदवा रही हैं. ज़ाहिद ने कल ही तो आप की चूत ली है और आप जानती ही हैं के वो कितने अच्छे तरीक़े से चोदता है." चाची फ़हमीदा ने तुर्की बा तुर्की जवाब दिया.
दोनो फुफियों ने इस दफ़ा उन्हे कोई जवाब नही दिया.
इस से पहले के बात बढ़ जाती और रंग में भंग पड़ जाती मैंने जा कर चाची फ़हमीदा का एक मम्मा हाथ में ले लिया और उससे मसलने लगा. उनके बदन को मैंने इस से पहले कभी हाथ नही लगाया था. उनका मम्मा बहुत भारी लेकिन नरम था और मैंने सोचा के उन्हे चोदने में भी बड़ा मज़ा आए गा. चाची फ़हमीदा फॉरन ही गरम होने लगीं. मैंने कभी किसी औरत को इतनी जल्दी गरम होते नही देखा था.
मुझे अपनी माँ के मम्मे को पकड़ता देख कर ज़ाहिद भी उठा और फूफी खादीजा और फूप शहनाज़ के दरमियाँ बैठ गया जो बेड पे साथ साथ बैठी हुई थीं . उसने फूफी शहनाज़ का मुँह चूमना शुरू कर दिया.
चाची फ़हमीदा ने किसी शरम का इज़हार किये बगैर मेरा लंड पकड़ लिया और उस पर हाथ फेरने लगीं जैसे उस की मोटाई और लंबाई चेक कर रही हूँ. मैंने जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतार दिये और उन्हे ले कर ज़मीन पर बिछी हुई मॅट्रेस पे आ गया. ज़ाहिद भी नंगा हो गया और बेड पर पड़ी हुई मॅट्रेस ज़मीन वाली मॅट्रेस के साथ मिला कर डाल दी और दोनो फुफियों को ले कर मेरे और चाची फ़हमीदा के पास ही आ गया. तीन ज़बरदस्त औरतों को एक साथ इस तरह चोदने का मेरा पहला मोक़ा था और ये सोच कर मेरे लंड में खून तेज़ी से दाखिल होने लगा और वो लोहा बन गया.
में चाची फ़हमीदा को नंगा करने लगा और ज़ाहिद फूफी खादीजा और फूफी शहनाज़ के कपड़े उतारने लगा. जल्द ही तीनो के जिसम पर सिर्फ़ ब्रा ही रह गए.
चाची फ़हमीदा का ब्रा मैंने खोल कर उतार दिया और वो बिल्कुल नंगी हो गईं. उनके मोटे मम्मों को मैंने हाथों में ले लिया और उनका लांस महसूस करने लगा. फूफी खादीजा और फूप शहनाज़ के मम्मों के साथ अगर चाची फ़हमीदा के मम्मों का मुआयना किया जाए तो चाची फ़हमीदा के निपल्स और उनके इर्द गिर्द का एरिया ज़रा ज़ियादा डार्क था और इस की वजह शायद उनका सांवला रंग था. निपल्स के क़रीब वाले ब्राउन हिस्से में छोटे छोटे दाने से थे जिन को उंगली लगाओ तो वो उभरे हुए महसूस होते थे. उनके मम्मों के निप्पल मेरी दोनो फुफियों के मुक़ाबले में थोड़े छोटे थे लेकिन मम्मों का साइज़ तक़रीबन उतना ही था. चाची फ़हमीदा के मम्मे बहुत भारी भी थे और मेरे हाथों में पूरे नही आ रहे थे. जब में उनके मम्मों से खेल रहा था तो चाची फ़हमीदा के होठों पर मुस्कुराहट थी.
में चाची फ़हमीदा के चूतड़ों का आशिक़ था इस लिये मैंने उन्हे उल्टा लिटा दिया और उनके चौड़े और चूतड़ अपनी तमाम हशर’समानी के साथ मेरे सामने आ गए. मैंने अपनी ज़िंदगी में किसी औरत के इतने बड़े चूतर नही देखे थे. अगरचे फूफी खादीजा और फूफी शहनाज़ की गांड़ भी दरमियानी उमर की औरतों की तरह बड़ी मोटी और बहुत भारी थी मगर चाची फ़हमीदा तो इस मामले में कमाल ही थीं . मैंने उनके उभरे हुए चूतरों पर अच्छी तरह हाथ फेरने के बाद उनको दोनो हाथों से खोला और उनके छेद के ऊपर ज़बान फेरने लगा. उनके चूतड़ों पर इतना गोश्त था के उनका गांड का सुराख आसानी से नही चाटा जा सकता था इस लिये मैंने उन्हे चारों हाथों पैरों पर कर दिया जिस की वजह से उनकी गांड़ का सुराख मेरे सामने आ गया और मैंने भूकों की तरह उससे चूमना और चाटना शुरू कर दिया.
चाची फ़हमीदा की गांड़ का गांड का सुराख भी अच्छे ख़ासे बड़े साइज़ का था. मैंने उनके छेद को चाट चाट कर गीला कर दिया. जब में अपनी ज़बान उनकी गांड़ के सुराख के बीच में डाल कर उससे सुराख के अंदर करने की कोशिश करता तो वो अपने छेद के मसल्स को कभी टाइट कर लातीं और कभी ढीला छोड़ देतीं. ये हरकत फूपियाँ भी किया करती थीं . चाची फ़हमीदा के छेद का इस तरह खुलना और बंद होना मुझे ज़ियादा अच्छा लग रहा था क्योंके उनका गांड का सुराख साइज़ में काफ़ी बड़ा था और उस की हरकत छोटे मॉरॉन वाली औरतों के मुक़ाबले में वाज़ेह नज़र आ जाती थी.
काफ़ी देर तक में उनकी गांड़ चाट ता रहा और फिर उन्हे सीधा कर के मैंने उनके मम्मे चूसने शुरू कर दिये. चाची फ़हमीदा बहुत गरम औरत थीं और अपनी गांड़ चटवा कर वो अब मेरा लंड लेने के लिये पागल हो रही थीं . जब में उनके निपल्स चूस रहा था तो उन्होने हाथ बढ़ा कर मेरा लंड मुट्ठी में ले लिया और उस पर हाथ फेरने लगीं. मैंने आगे हो कर अपना लंड उनके मुँह में दे दिया और वो उससे चूसने लगीं.
चाची फ़हमीदा लंड चूसना बहुत अच्छी तरह जानती थीं . उन्होने मेरे लंड के टोपे को बड़ी महारत से चाटा और चूसा. मै अपना लंड अपनी फुफियों और मामी शाहिदा से भी चुस्वाता रहा था मगर चाची फ़हमीदा इस काम में बहुत एक्सपर्ट थीं . मुझे बड़ा लुत्फ़ आ रहा था.
उधर ज़ाहिद फूफी शहनाज़ को अपना लंड चुस्वा रहा था और फूफी खादीजा को खड़ा कर के उनके मम्मे मुँह में लिये हुए थे. एक हाथ की बड़ी उंगली उस ने फूफी खादीजा की चूत के अंदर की हुई थी जो खूब गरम हो चुकी थीं . फूफी खादीजा से शायद रहा नही गया और उन्होने फूफी शहनाज़ के हाथ से ज़ाहिद का लंड ले लिया और खुद उससे चूसने लगीं.
अजीब मंज़र था के किसी ब्लू फिल्म की तरह दो औरतें ज़ाहिद का लंड बारी बारी चूस रही थीं मगर जज़्बात को ज़ियादा उभारने वाली बात ये थी के ये दोनो औरतें हमारी फूपियाँ और आपस में सग़ी बहनें थीं . तीसरी औरत उनकी भाभी थी. ये सब इन्सेस्ट के मज़े थे. इस से ज़ियादा सेक्स का मज़ा लिया ही नही जा सकता था.
फिर ज़ाहिद ने मॅट्रेस पर लेट कर फूफी खादीजा को अपने थूक से गीले लंड के ऊपर सवार कर लिया. उन्होने उस का लंड हाथ में पकड़ा और आहिस्ता से उस का मोटा और फूला हुआ टोपा अपनी चूत के अंदर डाल लिया. जैसे ही ज़ाहिद का लंड उनकी चूत के अंदर गया दोनो के मुँह से आवाजें निकलीं. फिर फूफी खादीजा उस के लंड पर अपने सफ़ेद चूतरों को ऊपर नीचे करने लगीं. ज़ाहिद ने फूफी खादीजा को चोदने के साथ साथ फूफी शहनाज़ को अपने मुँह के क़रीब कर लिया और उनके होंठ ज़ोर ज़ोर से चूमने लगा. फूफी शहनाज़ के भारी मम्मे हिलते रहे. वो ज़ाहिद के सीने पर हाथ फेरती रहीं. कल के मुक़ाबले में इस वक़्त वो एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ औरत नज़र आ रही थीं . उन्होने फिर अपना सर ज़ाहिद के सीने पर रख दिया और नीचे से उस का लंड फूफी खादीजा की फुद्दी में आता जाता देखती रहीं.
“बाजी शहनाज़ आप क्यों ऐसे बे-कार बैठी हैं. उठाईं और बाजी खादीजा के मम्मे चूसें.” चाची फ़हमीदा ने कहा जो मेरा लंड चूसते हुए अपनी दोनो नंदों को अपने बेटे से चूत मरवाते हुए देख रही थीं .
पहले तो फूफी शहनाज़ ने कोई हरकत नही की लेकिन फिर यकायक वो उठीं और ज़ाहिद के लंड पर बैठी हुई फूफी खादीजा के मम्मों को हाथों में पकड़ पकड़ कर दबाने लगीं. फूफी खादीजा पहले तो हैरान हुईं लेकिन फिर उन्होने फूफी शहनाज़ को खुद से क़रीब कर लिया और उनके होंठ चूमने लगीं. ये पहली दफ़ा थी के दोनो बहनो ने एक साथ चुदवाते हुए एक दूसरे के जिस्मों को अपनी मर्ज़ी से हाथ लगाया किया था. फूफी खादीजा ज़ाहिद के लंड को उछल उछल कर अपनी फुद्दी में ले रही थीं और फूफी शेनाज़ को चूमते हुए बार बार उनका मुँह ऊपर नीचे हो रहा था. ज़ाहिद बहुत हरामी था. उस ने फूफी खादीजा का हाथ पकर कर फूफी शहनाज़ की चूत के ऊपर रख दिया और फूफी खादीजा उनकी चूत पर हाथ फेरने लगीं. पीछे से ज़ाहिद फूफी शहनाज़ के चूतड़ों को मसल रहा था. उनका बुरा हाल था.
कुछ मिनिट बाद फूफी खादीजा ज़ाहिद के लंड से उतर गईं और फूफी शहनाज़ ने उसके लंड को अपनी गीली चूत में ले लिया. ज़ाहिद ने फूफी खादीजा से कहा के वो उस के टट्टे पकड़ें. फूफी खादीजा फूफी शहनाज़ के पीछे आ गईं और ज़ाहिद के मोटे लंड पर जो फूफी शहनाज़ की चूत के अंदर घुसा हुआ था उंगलियाँ फेरने लगीं. उन्होने ज़ाहिद के टट्टे हाथ में ले लिये और उन्हे आहिस्ता आहिस्ता मसलने लगीं. ज़ाहिद की ताक़तवर रानों में जैसे बिजलियाँ भर गईं और वो ऊपर हो हो कर फूफी शहनाज़ की चूत में घस्से मारने लगा.
मुझे यक़ीन हो गया के फूफी खादीजा की ये सारी हरकत गैर-इरादि नही थीं बल्के उन्होने ये सब कुछ ब्लू फिल्म्स में होता ज़रूर देखा था और मोक़ा मिलने पर खुद भी ऐसा ही कर रही थीं . एक ऐसी घरैलू औरत जो बीस साल से शादी शुदा थी किस लिये और क्यों ब्लू फिल्म्स देखती थी एक ऐसा सवाल था जिस का जवाब इस सोसाइटी की गलत जिन्सी रसम-ओ-रिवाज में छुपा हुआ है जिन के मुताबिक़ औरत की जिस्मानी ज़रूरत पूरी करने का कोई सिस्टम है ही नही. इंसानो से किसी भी किसम की तवक़ो की जा सकती है. कोई भी वो नही होता जो नज़र आता है.
चाची फ़हमीदा ने जब मेरा लंड चूस चूस कर अच्छी तरह अपने थूकों से भर दिया तो मैंने उन्हे मॅट्रेस पर लंबा लंबा लिटा दिया और उनकी चूत के अंदर लंड डाल कर घस्से मारने लगा. दो मिनिट में ही मुझे अंदाज़ा हो गया के फूफी खादीजा और फूफी शहनाज़ के मुक़ाबले में चाची फ़हमीदा चूत मरवाने में कहीं ज़ियादा तजर्बा-कार थीं और ज़ियादा जज़्बे के साथ मेरे घस्सों का जवाब दे रही थीं . उनके भारी चूतड़ और मोटी मोटी रानें बहुत तवाना और मज़बूत थे जिन की वजह से वो मेरे नीचे होने के बावजूद बड़े ज़ोरदार घस्से मार रही थीं . मेरी कंधों को उन्हे ने कस कर पकड़ रखा था. जब में उनकी फुद्दी में अपना लंड घुसाता तो फुद्दी के अंदर पानी होने की वजह से अजीब सी आवाज़ निकलती. चाची फ़हमीदा अपने चूतड़ हिला कर मेरा लंड अपनी फुद्दी के अंदर ले रही थीं . जब मेरा लंड उनकी फुद्दी में जाता तो ऐसा लगता जैसे उनकी फुद्दी उससे मज़ीद अंदर की तरफ खैंच रही हो. इस से मेरे लंड पर दबाव पड़ता और मुझे बहुत अच्छा लगता.
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