RE: muslim sex kahani खानदानी हिज़ाबी औरतें
फूफी शहनाज़ मेरा साथ नही दे रही थीं जिस पर मैंने उनकी चूत पर अपना हाथ रखा और उससे आहिस्ता आहिस्ता सहलाने लगा. फूफी शहनाज़ ने अपनी मोटी रानें और चूतर पीछे किये और मेरे हाथ को अपनी चूत से हटाने की कोशिश की. मैंने अपना लंड उनके हाथ में दिया और पीछे से उनके चूतरों को पकड़ कर उनके होठों को चूसता रहा. जब में उनके होंठ चूस रहा था तो वो तेज़ तेज़ साँस ले रही थीं और अपने होठों को मुझ से छुड़ाने की कोशिश कर रही थीं . मैंने ये देख कर पीछे से उनके सर को सख्ती से पकर लिया और इसी तरह उनके होठों को चूमता और चूसता रहा.
फिर मैंने उनके मुँह में अपना मुँह डाला और उनकी ज़बान चूसने लगा. शायद इस से पहले क़िस्सी ने फूफी शहनाज़ को चोदते हुए उनकी ज़बान नही चूसी थी. वो बार बार अपनी ज़बान पीछे खैंच लेतीं जो मेरे मुँह से निकल जाती थी. मैंने उनको कहा के अपनी ज़बान मेरे मुँह में आगे कर के डाले रक्खें ताके में उससे चूस सकूँ. उनके मोटे मम्मे मेरे सीने से लगे हुए थे और मेरा लंड उनके नरम हाथ में था.
कुछ देर फूफी शहनाज़ की ज़बान चूसने के बाद मैंने सोफे पर बैठ कर उन्हे अपनी गोद में बिठा लिया और उनके मम्मे बारी बारी अपने मुँह में डाल कर चूसने लगा. फूफी शहनाज़ चूँके बड़ी चौड़ी चकली औरत थीं और उनके चूतड़ मोटे और गोश्त से भरे हुए थे इस लिये जब वो मेरी गोद में बैठीं तो मेरा लंड उनके चूतड़ों के पीछे की तरफ़ नही पुहँचा बल्के आगे उनकी चूत के साथ लगा रहा. मेरे लंड का टोपा उनकी गरम चूत की गर्मी महसूस कर रहा था. अपने मम्मे चुस्वाते हुए वो खुद भी अब काफ़ी गरम हो चुकी थीं और उनके मुँह से मुसलसल आवाजें निकल रही थीं .
मैंने सर उठा कर देखा तो ज़ाहिद ने बिल्कुल नंगी फूफी खादीजा को बेड पर लिटाया हुआ था और खुद उनके ऊपर लेट कर उनके मम्मों के मोटे निप्पल चूस रहा था. फूफी खादीजा के मोटे और भारी मम्मे उस के मुँह से ज़ोर से बाहर निकल कर उछलते हुए नीचे आते और वो फिर उन्हे हाथ से पकड़ कर मुँह में ले लेता और उन्हे चूसना शुरू कर देता. फूफी खादीजा ज़ाहिद के नीचे लेतीं कसमसा रही थीं और उनकी दांयें वाली मोटी मज़बूत रान और सफ़ेद घुटना नज़र आ रहे थे.
फिर ज़ाहिद उठा और उस ने फूफी खादीजा को उल्टा कर दिया. अब वो अपना लंड उनकी मोटी और चौड़ी गांड़ के ऊपर रख कर रगड़ने लगा. ज़ाहिद बहुत वज़नी था और फूफी खादीजा के ऊपर चढ़ के उस ने अपना सारा वज़न उनके बदन पर डाल रखा था. उस का बड़ा सा लंड उनके मोटे लेकिन नरम चूतरों को बुरी तरह रगड़ रहा था और वो दोनो हाथ अपनी थोड़ी के नीचे रख कर अपने आप को चीखने से रोक रही थीं . फूफी खादीजा के मम्मे उनके बदन और बेड के दरमियन फँसे हुए थे मगर अब भी उनके बड़े बड़े उभार साफ़ नज़र आ रहे थे.
मेरे ज़हन में एक ख़याल आया और मैंने फूफी शहनाज़ को अपनी गोद से उतार कर बेड पर फूफी खादीजा के बराबर लिटा दिया और ज़ाहिद की तरह उनके ऊपर लेट कर उनके मम्मे चूसने लगा. अब हम दोनो कज़िन्स अपनी फुफियों के ऊपर लेते उनके मम्मे चूस रहे थे.
"अब फुद्दी ना चाटें ?" मैंने ज़ाहिद से पूछा.
“हाँ हाँ यार क्यों नही. लेकिन फुफियों के पास जो माल है उससे फुद्दी ना कहो. ये दो मोटे मोटे फुद्दे हैं.” वो बे-शर्मी से बोला. फूफी खादीजा और फूफी शहनाज़ ने एक दूसरे की तरफ देखा लेकिन कुछ कहा नही. दोनो के चेहरे लाल थे मगर फूफी शहनाज़ का हाल ज़ियादा खराब था. ये तजर्बा उनके लिये नया था और फिर वो अपनी बड़ी बहन के सामने चूत दे रही थीं इस लिये पूरी तरह रिलॅक्स्ड नही थीं . मगर मुझे अंदाज़ा हो गया था के उन्होने भी अब मज़ा लेना शुरू कर दिया है.
मैंने फूफी शहनाज़ की चूत पर ज़बान फैरनी शुरू कर दी और ज़ाहिद फूफी खादीजा की चूत चाटने लगा. फूफी खादीजा की चूत तो में काफ़ी अरसे से चाट रहा था लेकिन फूफी शहनाज़ की आज पहली दफ़ा थी. जब में उनकी चूत चाट रहा था तो वो अपनी टाँगों के मसल्स को बार बार खैंच रही थीं और मुँह से ऊऊऊओ ओह आआआः आआआआः की आवाजें निकाल रही थीं . मैंने उन्हे और गरम करने के लिये उनकी रानों को अंदर की तरफ से चूमना शुरू कर दिया. ज़ाहिद भी इसी तरह फूफी खादीजा की फुद्दी चाट रहा था और एक हाथ से उनके मम्मों को पकड़ कर मसल रहा था.
ज़ाहिद फिर उठ कर फूफी खादीजा के मम्मों से थोड़ा नीचे इस तरह बैठ गया के उनके ऊपर ज़ियादा वज़न ना पड़े और अपना लंड उनके मुँह में दे दिया. उन्होने चंद मिनिट तक उसका लंड चूसा लेकिन फिर कहा,
"ज़ाहिद में इस तरह तुम्हारा लौड़ा नही चूस सकती मुझे उठने दो."
ज़ाहिद ने उनके होंठ चूमे और फिर खुद सीधा लेट गया. फूफी खादीजा ने अब उस का लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं. मै भी इसी तरह लेट गया और फूफी शहनाज़ फूफी खादीजा की देखा देखी मेरा लंड चूसने लगीं. मैंने नीचे से हाथ लंबा कर के उनके मोटे मोटे मम्मे मसलने शुरू कर दिये.
फूफी खादीजा से लंड चुसवाने के दोरान ज़ाहिद ने फूफी शहनाज़ का नंगा बदन देखा जो मेरा लंड चूस रही थीं और एक हाथ से उनके चूतरों और चूत को सहलाना शुरू कर दिया. मुझे लगा के जैसे ज़ाहिद ने उनकी चूत में उंगली दी है क्योंके उस का हाथ अपनी चूत पर महसूस कर के फूफी शहनाज़ ने मेरे लंड को और ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया. मेरा लंड कभी कभार उनके दांतो से भी टकरा जाता लेकिन वो उससे अपने मुँह के बीच में रख कर चूसती रहीं. वो अब बे-क़ाबू हो रही थीं और मेरा लंड अपने अंदर लेना चाहती थीं . उन्होने लंड चूसते चूसते सर उठा कर अजीब सी नज़रों से मेरी तरफ देखा और कहा:
"मैरा मुँह तक गया है."
फूफी खादीजा ने ये देख कर कहा.
"अमजद शहनाज़ सबर नही कर सकती तुम इससे चोदना शुरू करो."
फूफी शहनाज़ कुछ ना बोलीं.
मैंने फूफी शहनाज़ को लिटाया और उनकी खूबसूरत मोटी चूत के अंदर लंड डाल दिया. फूफी खादीजा के मुक़ाबले में क़द छोटा होने के बावजूद फूफी शहनाज़ ने मेरे लंड को फूफी खादीजा से ज़ियादा होसले और आराम से अपनी चूत में लिया. उनकी चूत काफ़ी गीली और गरम थी और मेरा लंड स्लिप होता हुआ टट्टों तक उस के अंदर चला गया. मैंने घस्से मारने शुरू किये और फूफी शहनाज़ के कंधे पकड़ कर उन्हे चोदने लगा.
ज़ाहिद ने भी फूफी खादीजा की टांगें अपने कंधों पर रखीं और बड़े ज़ोर से अपना लंड उनकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया. फूफी खादीजा के मुँह से हल्की सी चीख निकली और और उन्होने बेड से उठने की कोशिश की. ज़ाहिद रुका नही और उनकी चूत में घस्से मारता रहा.
“आराम से चोदो हरामजादे. किया मेरी चूत फाड़ो गे?” फूफी खादीजा ने अपनी आदत के मुताबिक़ गालियाँ देनी शुरू कर दीं.
“फूफी खादीजा आप की फुद्दी बड़ी मज़बूत है दस लंड भी ले ले गी तो इससे कुछ नही होगा.” ज़ाहिद ने जवाबन कहा.
“कुतिया के बच्चे ये तेरी कंजड़ी माँ की चूत नही है जो तू इस तरह घस्से मार रहा है.” फूफी खादीजा के चेहरे पर तक़लीफ़ के आसार थे.
फूफी शहनाज़ ने कभी अपनी बड़ी बहन को इस तरह गालियाँ देते नही सुना था. उस वक़्त वो मेरे नीचे सीधी लेतीं हुई थीं और मेरा लंड उनकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था. उन्होने हैरत से मेरी तरफ देखा और फिर खुद भी नीचे से अपने चूतड़ों के ज़ोर पर घस्से लगाने लगीं. शायद उन्हें भी फूफी खादीजा की गालियों ने भड़का दिया था.
ज़ाहिद फूफी खादीजा को चोदे जा रहा था. उस का लंड फूफी खादीजा की मोटी चूत के अंदर इस तरह जाता था के उस के लटके हुए टट्टे उनकी गांड़ के सुराख से लगते. उस का लंड बहुत मोटा था और फूफी खादीजा चंद ही घस्सों में बे-हाल हो गई थीं . लेकिन तक़लीफ़ के बावजूद वो बहुत एंजाय भी कर रही थीं . फिर ज़ाहिद ने उनकी टांगें नीचे कर दीं और उन्हे खोल कर उनकी फुद्दी लेता रहा. उस का लंड फूफी खादीजा की फुद्दी से बाहर आता तो फूफी खादीजा अपना हाथ नीचे करतीं और ज़ाहिद के टट्टों को पकड़ कर सहलाने लगतीं. "अफ फूफी खादीजा आप तो मुझे जल्दी डिसचार्ज कर दें गी. आप की बहन की चूत मारूं." ज़ाहिद उनकी चूत में घस्से मारता हुआ बोला.
“तेरी बहन की चूत में किसी कुत्ते का लंड डालूं ज़ाहिद. तेरी माँ को चोदुं कुत्ते……. उूउउफफफफफफ्फ़.” फूफी खादीजा उस के टट्टों से खेलते हुआ गालियाँ दिये जा रही थीं .
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