RE: muslim sex kahani खानदानी हिज़ाबी औरतें
कुछ ही देर में फूफी शहनाज़ की नज़र ज़ाहिद के अकड़े हुए लंड पर पड़ गई. पहले तो वो हैरान रह गईं और उनके मुँह से एक लफ्ज़ भी नही निकला. फिर उन्होने फूफी खादीजा की तरफ देखा जो खामोश बैठी थीं और ज़ाहिद का हाथ अपनी रान से हटाने की कोई कोशिश नही कर रही थीं .
"ज़ाहिद ये किया हरकत है तुम अपनी फुफियों के सामने नंगे हो रहे हो तुम्हे हया करनी चाहिये." बिल-आख़िर फूफी शहनाज़ से ना रहा गया.
में जल्दी से उठ कर उस सोफे पर जा बैठा जहाँ फूफी शहनाज़ बैठी हुई थीं और कहा:
"फूफी शहनाज़ आप बहुत सी बातें नही जानतीं. हम आज यहाँ एक ख़ास मक़सद से आये हैं. उस मक़सद को जानने से पहले ज़रूरी है आप को कुछ और बातों का भी ईलम हो. एक तो ये के में फूफी खादीजा को कई महीनों से चोद रहा हूँ और दूसरे ये के ज़ाहिद चाची फ़हमीदा की चूत मार चुका है."
फूफी शहनाज़ को अपने कानो पर यक़ीन नही आया. उनका मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया.
"ये किया बकवास कर रहा है बाजी खादीजा. हमारे सामने किस क़िसम की गंदी बातें कर रहा है." उन्होने फूफी खादीजा की तरफ देख कर कहा.
"शहनाज़ चुप रहो इन को शादी से पहले वाले तुम्हारे मसले का पता चल गया है और ये हमारी इज़्ज़त खराब कर के ही छोड़ें गे." फूफी खादीजा ने जवाब दिया.
हैरान होने की अब ज़ाहिद की बारी थी. मुझे तो पता था लेकिन ज़ाहिद के फरिश्तों को भी फूफी शहनाज़ के किसी मसले का ईलम नही था और फूफी खादीजा महज़ उन्हे डरा कर रास्ते पर लाने के लिये ऐसा कह रही थीं . ये समझना मुश्किल नही था के फूफी शहनाज़ के शादी से पहले किसी से ता’अलुक़ात रहे हूँ गे जिन का ईलम फूफी खादीजा को था और वो इस बात को इस्तेमाल कर के उनका मुँह बंद करना चाहती थीं .
“हाँ फूफी शहनाज़ हम सब जानते हैं और अगर आप की वो हरकत किसी को मालूम हो गई तो जो होगा वो आप सोच सकती हैं." मैंने फूफी खादीजा की तरफ मानी-खैीज़ अंदाज़ में देखते हुए अंधैरे में तीर चलाया.
फूफी शहनाज़ बिल्कुल खामोश हो गईं और मुझ से नज़रें चुराने लगीं. वो रोने वाली हो रही थीं . मुझे शक हुआ के शायद फूफी शहनाज़ उस आदमी से चुदवाती रही हूँ गी. तब ही तो इतना परेशां हो गई थीं . उनकी हालत देख कर फूफी खादीजा हल्का सा मुस्कुरा दीं और में सोचने लगा के सग़ी बहनें भी हसद की वजह से एक दूसरे को नीचा दिखाने से बाज़ नही रह सकतीं. फूफी खादीजा एक और वजह से भी फूफी शहनाज़ को हम से चूत मरवाते हुए देखना चाहती थीं और वो ये के चूँके वो खुद अपने भतीजों को फुद्दी दे रही थीं जो बहुत बुरा काम था इस लिये अब वो फूफी शहनाज़ को इस में शामिल कर के अपने आप को अख़लक़ी तौर पर कम तर साबित नही करना चाहती थीं के सिर्फ़ वो ही ऐसा बुरा काम कर रही हैं. वैसे कमाल की बात थी. कुछ अरसे पहले तक फूफी खादीजा मुझे चूत देने से इनकार कर रही थीं और आज अपनी तासकीं के लिये फूफी शहनाज़ को भी चूत मरवाते हुए देखना चाहती थीं .
"फिर अब मुझे किया करना है." कुछ देर बाद फूफी शहनाज़ बड़ी परैशानी से बोलीं. उन्हे समझ आ गई थी के उन्हे हम दोनो को या कम-आज़-कम किसी एक को चूत देने पड़े गी.
"तुम्हे इन की खाहिश पूरी करने ही पड़े गी शहनाज़ यानी इन से चुदवाना पड़े गा और कोई रास्ता नही है. मजबूरी में बहुत कुछ करना पड़ता है. तुम से पहले मेरे साथ भी यही हुआ है." फूफी खादीजा ने झूठ बोला. मैंने उन्हे चोदने के लिए ब्लॅकमेल नही किया था. फूफी शहनाज़ को उनके मुँह से ये अल्फ़ाज़ सुन कर यक़ीनन अजीब लगा होगा.
“बाजी खादीजा आप कैसी बातें कर रही हैं. हम भाई जान को फोन क्यों ना करें?" उनका इशारा डैड की तरफ था. वो अपने गुस्से और हैरत पर क़ाबू पाने की कोशिश कर रही थीं .
"शहनाज़ अक़ल से काम लो. मै ठीक कह रही हूँ. ये बात बाहर निकली तो कहीं की नही रहो गी." फूफी खादीजा ने उन्हे समझाते हुए कहा.
"लेकिन बाजी खादीजा ये तो हमारे बेटों जैसे हैं में इन के साथ ये काम कैसे कर लूं." फूफी शहनाज़ ने बड़ी पीटी हुई रिवायती दलील दी.
"शहनाज़ ये कहाँ से बच्चे हैं ये तो हमें चोदना चाहते हैं. एक तो हम मजबूर हैं दूसरे अगर सच पूछो तो तुम और में कौन सा अपने खाविंदओं से खुश हैं. वो अब हमारी जिस्मानी ज़रूरियात पूरी नही कर सकते. तुम खुद मुझे बता चुकी हो के तुम्हारा खाविंद ज़हूर कितने हफ्तों बाद तुम्हारे पास आता है और वो भी किस बे-दिली के साथ. जो हम कर रहे हैं गलत है मगर ये अपने ही बच्चे हैं कम-आज़-कम बात बाहर तो नही निकलेंगे ना." फूफी खादीजा ने एक दफ़ा फिर उन्हे समझाया.
"लेकिन बाजी खादीजा हम एक दूसरे के सामने कैसे नंगी हूँ गी?" फूफी शहनाज़ ने अपने बड़े बड़े बाहर निकले हुए मम्मों पर दुपट्टा फैलाते हुए कहा.
"छोड़ शहनाज़ ये पुरानी बातें. देख ज़माना कहाँ जा रहा है. हम अगर कुँवें के मैंडक बन कर रहें गे तो किसी का कोई नुक़सान नही सिरफ़ हमारा ही है. हमें कोई मसला नही हो गा बस यहाँ की बात यहीं तक ही रहनी चाहिये. ये दोनो किसी को नही बता सकते. चल थोड़ी देर के लिये सब कुछ भूल जा." फूफी खादीजा बोलीं.
अभी वो ये कह ही रही थीं के मैंने फूफी शहनाज़ का गोरा मुँह चूमा और उनकी क़मीज़ दामन से पकड़ कर उससे उतारने लगा. उनकी क़मीज़ मम्मों तक ऊपर उठ गई और गोरा पेट नज़र आने लगा. उन्होने हाथ से क़मीज़ नीचे की मगर जब मैंने उससे दोबारा पकड़ा तो फूफी शहनाज़ ने फूफी खादीजा की तरफ देखते हुए अपने दोनो हाथ ऊपर उठा दिये और मैंने उनकी क़मीज़ जो उनके मोटे मम्मों पर कसी हुई थी उतार कर उनका ऊपरी बदन नंगा कर दिया.
उनके मम्मे इतने बड़े थे के क़मीज़ खैंच कर उतारते वक़्त साइड से उस की सिलाई थोड़ी सी खुल गई. नीचे उन्होने सफ़ेद रंग का भारी सा ब्रा पहना हुआ था जिस के बीच में एक छोटी सी गुलाबी बो बनी हुई थी. फूफी खादीजा के मम्मों की तरह फूफी शहनाज़ के मम्मे भी आधे से ज़ियादा ब्रा से बाहर ही थे. मै फूफी शहनाज़ के नंगे बदन को देख रहा था के मेरी नज़र फूफी खादीजा पर पड़ी. वो बड़ी अजीब नज़रों से मुझे देख रही थीं . मैंने हाथ बढ़ा कर नाफ़ के क़रीब फूफी शहनाज़ के पेट के नरम गोश्त को पकड़ लिया. फिर मैंने उनके मम्मों पर हाथ फेरा तो उनके मुँह से ऐसी आवाज़ निकली जैसे मम्मे पकड़ने से उन्हे तक़लीफ़ हुई हो.
फूफी शहनाज़ के मम्मे जो अभी तक ब्रा में चुप्पे हुए थे देख कर ज़ाहिद ने फूफी खादीजा की गर्दन में हाथ डाल कर उनको गले से लगा लिया और उनका मुँह चूमने लगा. फूफी खादीजा भी फॉरन उस का साथ देने लगीं और उनका चेहरा सुर्ख हो गया. मुझ से चुदवा कर फूफी खादीजा को चूत देने की शायद आदत भी हो गई थी और मज़ा भी आता था और अब जब उन्हे ज़ाहिद का लंड लेने का मोक़ा मिल रहा था तो वो बहुत जल्दी गरम हो गई थीं .
ज़ाहिद फूफी खादीजा के होंठ चूमते हुए बड़ी बे-दरदी से क़मीज़ के ऊपर से ही उनके मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था. वो सी सी की आवाजें निकालने लगीं. फिर उस ने फूफी खादीजा की क़मीज़ उतार दी और उनके ब्रा को खोल कर उनके मोटे मोटे नंगे मम्मों को हाथों में ले कर मसलने लगा. फूफी खादीजा के मुँह से मुसलसल सिसकियाँ निकल रही थीं . उनके भारी और नाज़ुक मम्मे मसले जाने से लाल हो गए थे.
“ज़ाहिद फूफी खादीजा चूत देते हुए बहुत गालियाँ देती हैं. तुम इन्हे चोदते हुए इस के लिये तय्यार रहना.” मैंने कहा. फूफी खादीजा तो कुछ नही बोलीं लेकिन ज़ाहिद और फूफी शहनाज़ दोनो ही मेरी बात सुन कर हैरान हुए.
ज़ाहिद इस के बाद खड़ा हुआ और अपने जिसम के गिर्द लिपटी हुई चादर उतार दी. फूफी खादीजा ने खुद ही नाड़ा खोल कर अपनी शलवार उतार दी. ज़ाहिद का बहुत ही मोटा और लंबा लंड फूफी खादीजा के मुँह के सामने आ गया था. उन्होने बगैर कुछ कहे उस का लंड हाथ में ले लिया और पहले उस के टोपे पर ज़बान फेरी और फिर उससे चूसने लगीं. मैंने उन्हे ये करते देखा तो मेरा खून खोल गया. फूफी खादीजा ने मेरी तरफ देखा और जल्दी से अपनी नज़रें ज़ाहिद के लंड पर मर्कूज़ कर दीं.
मैंने भी फूफी शहनाज़ को खड़ा किया और उनका ब्रा हुक खोले बगैर ही मम्मों के ऊपर से खैंच कर उतार दिया. ब्रा उनके गले में आ गया जो उन्होने खुद उतार दिया. उनके वज़नी मम्मे अचानक ही ब्रा से निकल कर बाहर आ गए जो हू-ब-हू फूफी खादीजा की तरह ही थे. फूफी शहनाज़ के मम्मों की गोलाई, उभार और साइज़ तक़रीबन फूफी खादीजा के मम्मों जैसा ही था. फिर मैंने उनकी शलवार का नाड़ा खोल कर शलवार भी उतार दी और वो बिल्कुल नंगी हो गईं. उनकी चूत पर काले घने बाल नज़र आ राय थे. मैंने अपनी चादर हटा दी और उन्हे अपने साथ चिपटा लिया. उनका नरम गरम बदन बहुत मज़ा दे रहा था. मैंने अपना खड़ा हुआ लंड नीचे कर के फूफी शहनाज़ की नंगी चूत का साथ लगा दिया और उनके लिपस्टिक से लाल होंठ चूसने लगा.
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