Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
01-04-2019, 01:50 AM,
#80
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
आयुष और नेहा बहुत खुश थे...उनकी ख़ुशी उनके चेहरे पर साफ़ दिख रही थी| अगले छः घंटे तक हम पार्क में एक झूले से दूसरे झूले में घूमते रहे| जब कभी भी मुझे डर लगता तो मैं इनसे चिपक जाती और इन्होने उस समय का भरपूर फायदा उठाया! जैसे ही मैं इनसे लिपट जाती ये मेरे कान में कहते; "i love you!" आयुष और नेहा ने बहुत साड़ी फोटो खींचीं और आखिर में जब हम खाना खाने बैठे तभी इनका फ़ोन बज उठा| ज्यादातर तो ये मेरे सामने ही बात कर लिया करते थे पर आज ये फोन ले कर दूसरी तरफ जा कर किसी से बात करने लगे| पाँच मिनट बाद जब ये वापस आये तो मैंने इनसे पूछा; "किसका फोन था?" तो इन्होने मुझे बस आँख मारी और सवाल बदल दिया; "बच्चों कुछ order किया या नहीं?" मुझे कुछ अजीब लगा क्योंकि मैं इनका इशारा समझी नहीं थी|
खाना खाने के बाद आयुष फिर से जिद्द करने लगा और इस बार तो नेहा भी उसी का साथ दे रही थी| हार कर हमें फिर से अंदर जाना पड़ा और सच पूछो तो बहुत मजा आया| इतना मजा की मैं ये फोन वाली बात भी भूल गई| हम water park के सामने थे और बच्चों का और 'इनका' मन भी था अंदर जाने का पर 'इन्होने' जैसे-तैसे बच्चों को समझा दिया| ये जानते थे की मैं अंदर नहीं जाऊँगी.... मैंने इनका हाथ पकड़ लिया और हथेली दबा कर इन्हें thank you कहा| अब शाम होने लगी थी और हमें फिर से डेढ़ घंटा ड्राइव कर के घर जाना था तो मेरे समझाने पर बच्चे मान ही गए| हम निकलने लगे तो इन्होने फिर से किसी को फोन मिलाया और एक तरफ जा कर बात करने लगे| इस बार इन्होने बस दो मिनट बात की और फिर वापस आ कर गाडी में बैठ गए| मेरा मुंह थोड़ा लटक गया था तो मुझे खुश करने के लिए इन्होने मेरा favorite गाना: roar - katty perry चला दिया| गाना सुनते ही मेरी सारी नाराजगी फुर्र्र हो गई! "I got the eye of the tiger, a fighter, dancing through the fire
cause I am a champion and you're gonna hear me roar
louder, louder than a lion
cause I am a champion and you're gonna hear me roar
oh oh oh oh oh oh oh
oh oh oh oh oh oh oh
oh oh oh oh oh oh oh
you're gonna hear me roar" मेरे साथ बच्चे और 'इन्होने' भी गुनगुनाना शुरू कर दिया| ये पूरा गाना जैसे मेरे लिए ही बनाया गया था| lyrics का एक-एक शब्द मेरी जिंदगी के ऊपर based है| वैसे ये पहला अंग्रेजी गाना है जो इन्होने मुझे सुनाया था ये कह कर की; "ये गाना तुम्हारे लिए है!" तब से मैं इस गाने को बहुत दफा सुन चुकी हूँ| जब कभी भी मैं हारा हुआ महसूस करती हूँ ये गाना सुनती हूँ तो मुझे inspiration सी मिल जाती है| THANKS KATTY PERRY जी!
तभी अचानक से dashboard पर रखा इनका फोन विबरते करने लगा| मैंने फ़ौरन इनका फोन उठा लिया और ये किसी और का नहीं बल्कि 'राजी' का ही फोन था| उसका नाम देखते ही जैसे मेरा खून खौल उठा और मैं disconnect करने ही वाली थी की इन्होने इशारे से मुझे कॉल उठाने को कहा| इन्होने bluetooth लगा रखा था तो मेरे कॉल उठाते ही ये पता नहीं क्या बात करने लगे उससे| आवाज बहुत धीमी थी इसलिए मैं कुछ सुन नहीं पाई| मुझे सच में बहुत गुस्सा आ रहा था और मैंने ये सब कैसे control किया था मैं ही जानती हूँ| मैंने इनके फ़ोन में पुरानी call list चेक की तो पता चला पिछले दो कॉल भी 'राजी' के ही थे| पर असली धमाकेदार सरप्राइज तो घर पर मिलने वाला था! जैसे ही हम घर पहुँचे, इन्होने गाडी पार्क की और हम घर पहुँच गए| इन्होने फिर से किसी से फ़ोन पर बात करनी शुरू कर दी... किसी और से क्या 'राजी' से और किससे! इन्होने आयुष को doorbell बजने को कहा और दरवाजा खुलते ही ये पीछे से जोर से चिल्लाये; "SURPRISE आयुष बेटे!!! Happy Bday!!!" अनदर से 'राजी' माँ और पिताजी भी happy bday वाला गाना गाने लगे| देखा देखि मैंने और नेहा ने भी happy bday गाना शुरू कर दिया| आवाज सुन कर आस-पडोसी भी आ गए और सबने मिलकर आयुष का birthday celebrate किया और केक काटा| पार्टी का सारा अरेंजमेंट 'राजी' ने किया था! जहाँ एक तरफ मुझे ख़ुशी थी की आयुष का जन्मदिन इतनी धूम-धाम से मनाया जा रहा है वहाँ इस बात का गुस्सा भी की ये सब 'राजी' मैनेज कर रही है! पर ऐसा नहीं था की 'राजी' सिर्फ 'इनके' लिए ऐसा कर रही हो| वो जब कभी भी घर आती थी तो वो बच्चों से बहुत प्यार जताती थी| हमेशा उनके लिए चॉकलेट ले कर आती थी, बल्कि आती ही ऐसे समय पर थी जब बच्चे घर पर हों| बच्चे भी उससे बहुत घुल-मिल गए थे| हमेशा उसे 'आंटी' कह कर बुलाते थे| यही कारन था की मैं उस दिन चुप रही और मैं भी पार्टी के रंग में रंग गई......
आज सब बहुत खुश थे..... ऐसा लगा जैसे बरसों बाद खुशियाँ घर आई हों| सबसे बड़ा सरप्राइज तो अनिल ने दिया| या फिर ये कहें की 'इन्होने' ही ये सरप्राइज प्लान किया था| ऑइल को देख कर तो मेरी और आयुष की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था| आखिर वो मेरा पहला बेटा जो है! पार्टी में आयुष के स्कूल के सारे दोस्त और उनके परिवार वाले आये थे| नेहा का कोई भी दोस्त नहीं आया था... शायद किसी को invite नहीं किया गया या फिर 'ये' भूल गए होंगे! 'इनके' और पिताजी के बिज़नेस से जुड़े लोग जो आये थे वो गिफ्टों के बड़े-बड़े बॉक्स ले कर आये थे| कुल-मिलकर करीब 50 लोग आये होंगे| हमारा घर खचाखच भर चूका था.... सारे बच्चे तो आयुष और नेहा के कमरे में बैठे थे, पिताजी के जानने वाले लोग उनके कमरे में बैठे थे| सारी औरतें और माँ हमारे कमरे में और आयुष के दोस्तों के पापा और आस-पडोसी सब बैठक में बैठे थे|
रात दस बजे तक पार्टी चलती रही और साढ़े दस बजे करीब सब लोग चले गए| सब के जाने के बाद तो आयुष गिफ्ट्स खोलने लगा| तभी माँ ने 'इन्हें' याद दिलाया; "राजी ...बेटा रात बहुत हो गई है| तू आज यहीं सो जा|"
"नहीं माँ मैं घर चली जाऊँगी|" 'राजी' ने कहा|
"नहीं बेटा.... बहुत देर हो गई है| तुम अपनी बहन को फोन कर दो और चाहे तो बहु से या फिर मानु की माँ से बात करा दो| वो कह देंगी की आज आप यहीं रुक रहे हो|" पिताजी ने जोर दिया तो वो ना नहीं कह पाई और आखिर उसने अपने घर फोन करके सारी बात बता दी| मैं खामोश रही क्योंकि बात सही भी थी.... इतनी रात गए उसे अकेले कैसे जाने दें| हाँ एक रास्ता और था की 'ये' उसे छोड़ आएं पर मैं जानबूझ कर चुप रही..... क्योंकि मैं नहीं चाहती थी की ये उसे घर छोड़ने जाएँ| खेर जो हो गया सो हो गया, कम से कम इस बात की ख़ुशी थी की मेरे बेटे का ये पहला जन्मदिन जो उसके पापा ने मनाया वो बहुत शानदार था!!!
अब रात में सोने का समय हो चूका था| तो सोने का अरेंजमेंट कुछ इस प्रकार किया गया: 'राजी' और नेहा बच्चों के कमरों में सोये थे..... माँ-पिताजी और आयुष एक साथ सोये.... मैं और 'ये' अपने कमरे में और मेरा बेचारा भाई फिर से सोफे पर| बिचारे को हरबार सोफे ही नसीब होता है! अगर 'राजी' नहीं होती तो अनिल आज बच्चों के कमरे में सोया होता| खेर सब अपने कमरों में चले गए ..... पर आज तो ये बहुत ज्यादा रोमांटिक मूड में थे! मैं dressing table के सामने कड़ी हो कर अपनी बालियाँ उतार रही थी की तभी इन्होने पीछे से आकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया| इनका हाथ मेरी कमर से होकर मेरी नाभि के सामने lock हो चूका था| इनके होंठ मेरी गर्दन पर स्पर्श कर रहे थे…..
“क्या बात है? आज जनाब बहुत रोमांटि हो रहे हैं?" मैंने मुस्कुराते हुए पूछा|
"भई आज ही तो एरी पत्नी ने मुझे एक लड़के का बाप बनाया था....तो थोड़ा romance तो बनता है! आज तो मैं तुम्हें जी पर के thank you कहना चाहता हूँ|"
इनके होठों ने मेरी गर्दन पर आना जादू चलना शुरू कर दिया था| इनके जिस्म की महक मुझे दीवाना बना रही थी.... हम दोनों ही जैसे झूमने लगे थे....
'उम्म्म...रुको ना.....आप बहुत थक गए होगे...." मैंने किसी तरह इनके मन्त्र से मुक्त होने की कोशिश की|
"ना...कुछ नहीं होगा मुझे...."
मैं जानती थी की इन्हें कुछ नहीं होगा पर मैं तो बस बहाना बना रही थी की किसी तरह ये मुझे छोड़ दें पर ना...आज तो इन पर romance का भूत सवार था.... वैसे चाहती तो मैं भी नहीं थी की ये मुझे छोड़ें ही..ही..ही....!!!
"उम्म्म....नहीं... प्लीज.... अनिल है और वो भी तो...." मैंने 'राजी' का नाम नहीं लिया..... बस उसका नाम याद आते ही मुझे फिर से गुस्सा चढ़ने लगा|
"वो? वो कौन?" इन्होने अनजान बनते हुए पूछा| मन तो किया की पलट के उखड़ते हुए जवाब दे दूँ पर चुप रही| पर इनके इस सवाल ने मेरा गुस्सा भड़का तो दिया ही था|
"प्लीज... छोड़ दो मुझे! मेरा मन नहीं है!" मैंने थोड़ा नाराजगी दिखाते उए कहा|
मेरी इस बात का इन्हें बहुत बुरा लगा| इन्होने तुरंत मुझे छोड़ दिया और कहा; "sorry ....!" इससे ज्यादा ये कुछ नहीं बोले और दरवाजे की तरफ जाने लगे| मैंने इन्हें रोकना चाहा; "सुनिए ना...प्लीज...." पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी और ये बाहर जा चुके थे और दरवाजा बंद हो चूका था| मुझे राजी पर और गुस्सा आने लगा की उसकी वजह से ये सब हुआ| मेरे पति जिन्हें मैंने आजतक कभी भी खुद को प्यार करने से नहीं रोका आज मैंने उन्हें इस कदर जवाब दिया की उनका दिल तोड़ दिया| वो भी आज के दिन!!! मुझे वो रात याद आने लगी जब मैंने इन्हें वादा किया था की मैं आपको कभी भी खुद को प्यार करने से मना नहीं करुँगी!
मैंने जल्दी से कपडे बदले और बाहर आई तो देखा ये अनिल के साथ बैठे गप्पें लगा रहे थे| मुझे दरवाजे पर खड़ा देख इन्होने हँसते हुए मुझसे कहा; "सुनो... तुम आज राजी वाले कमरे में सो जाओ ताकि मैं नेहा और अनिल bedroom में सो जाएं| बेचारा जब भी आता है इसे सोफे पर ही सोना पड़ता है|" मैं हैरान थी की इतनी जल्दी इनका गुस्सा कहाँ काफूर हो गया? फिर मन ने कहा अच्छा है... शायद घर पर मेहमान हैं और ये सबका मूड ख़राब नहीं करना चाहते इसलिए नाराज नहीं हैं| मैंने मन ही मन सोचा की ठीक है अनिल के जाने के बाद मैं इन्हें कैसे ना कैसे कर के मना लूँगी| पर अभी की समस्या ये थी की मुझे राजी वाले कमरे में रात गुजारनी थी| अब जाहिर सी बात है की वो कुछ ना कुछ तो बात अवश्य करेगी और अगर मैंने जवाब ना दिया तो उसे बुरा लगेगा और फिर ये नाराज हो जायेंगे... और अगर अकड़ के जवाब दिया तो भी उसे बुरा लगेगा और ये नाराज हो जायेंगे| तो मैंने सोचा की बात बिगड़ने से अच्छा है की थोड़ा बहुत ड्रामा ही कर लिया जाए| वैसे भी थकावट इतनी है की मुझे जल्दी नींद आ जाएगी ....... इस बीच अगर उसने कोई बात की तो हंस के जवाब दे दूंगी और क्या!"
मैंने नेहा को बैठक में भेजा और मैं खुद उसकी जगह लेट गई| कुछ देर बाद बैठक से आने वाली आवाजें बंद हुईं मतलब की ये, नेहा और अनिल तीनों कमरे में जा चुके थे| राजी की शायद आँख लग चुकी थी इसलिए हमारी कोई बात नहीं हुई और मुझे भी बहुत नींद आ रही थी सो मैं भी सो गई|
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