Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
01-04-2019, 01:49 AM,
#78
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
अगली सुबह मैंने इन्हें एक छोटे बच्चे की तरह अच्छे से नाश्ता कराया और साइट पर जाने दिया| (मन तो नहीं था पर क्या करूँ|) हर एक घंटे बाद इन्हें फोन करती और फोन करते समय यही सोचती की इनकी तबियत कैसी होगी? जान निकल के रख दी थी इन्होने मेरी! एक बजे मैंने जब इन्हें फोन किया तो इन्होने फोन नहीं उठाया| दुबारा मिलाया .... फिर नहीं उठाया| अब मुझे बहुत चिंता होने लगी थी| मैंने तीसरी बार फोन मिलाया तो घंटी मुझे अपने नजदीक बजते हुए सुनाई दी| मेरे पीछे पलटने से पहले ही इन्होने मुझे पीछे से आ कर जकड लिया और कान में खुसफुसाते हुए बोले; "surprise मेरी जान!" ये सुन कर मेरी जान में जान आई पर मैंने थोड़ा नाराज होने का नाटक किया; "फोन क्यों नहीं उठाया? जानते हो मेरी जान निकलगई थी! मैं आपसे बात नहीं करुँगी!"
"यार ऐसा करोगे तो अबकी बार जान मेरी निकल जाएगी?" मैं ये सुनते ही इनसे लिपट गई| पर हमारा ये मिलान बहुत छोटा था| अचानक माँ आ गईं और मिअन छिटक कर इनसे अलग हो गई| (माँ ने हमारा ये प्रेम-मिलाप जर्रूर देखा होगा!) मैं 'इनसे' अलग तो हो गई... पर इनके जिस्म की तपिश ने मुझे जल के राख कर दिया था|मेरे लिए खुद पर काबू कर पाना मुश्किल हो रहा था| अगर उस समय माँ नहीं आई होती तो शायद वो सब..........हो जाता! खाना बनाने का समय हो रहा था.... तो जैसे-तैसे मैंने खुद को काबू करने की कोशिश की और खाना बना कर मैं फटाफट बाथरूम में घुस गई| नल खोला तो उसमें बर्फीला पानी आ रहा था| जब तक बाल्टी भर रही थी मैं खुद को फिर से काबू करने लगी| मैं जानती थी की मेरे जिस्म को इनके प्यार की जर्रूरत है, पर इनकी बिमारी के कारन मैं इन्हें खुद से दूर रख रही थी|मैं अच्छी तरह जानती थी की इन्हें भी मेरे प्यार की उतनी ही जर्रूरत है जितना मुझे थी| पर फिर भी इन्होने मेरे सामने ये बात कभी भी जाहिर नहीं की थी| बाल्टी भरते ही मैंने अपने ऊपर ठंडा पानी डालना शुरू कर दिया .... उस ठन्डे पानी का जैसे मेरे ऊपर कोई असर ही नहीं हो रहा था| जिस्म अंदर से भट्टी की तरह जल रहा था| आधे घंटे तक ठन्डे पानी की बौछारों ने जिस्म की इस आग को शांत किया| जब मैं बाहर आई तो ये लैपटॉप पर कुछ काम कर रहे थे| फिर ये उठ कर बाथरूम में चले गए और जब बाहर आये तो मुझे डाँटते हुए बोले; "ठन्डे पानी से क्यों नहाये?" ये सुनते ही मुझे लगा की मेरी चोरी पकड़ी गई है| मैं जवाब सोचने लगी; "वो....वो जल्दी-जल्दी में geyser चलाना भूल गई!"
"ऐसी भी क्या जल्दी थी? खाना तो बन चूका था, और पिताजी को आने में अभी समय है?" इनके सवाल के आगे मेरे पास कोई जवाब नहीं था| मैं सर झुकाये खड़ी थी| ये चल कर मेरे पास आये और मेरी ठुड्डी पकड़ के मेरे चेहरे को ऊपर उठाके बोले; "मन कर रहा था न?" ये सुन कर मेरे गाल शर्म से लाल हो गए| "यार इस तरह ठन्डे पानी से नहाओगे तो बीमार पड़ जाओगे!" मेरे अंदर तो हिम्मत ही नहीं थी की मैं इनसे नजरें मिलाऊँ इसलिए मैं सर झुकाये खड़ी रही और फिर इनकी छाती से लिपट गई| जिस आग को मैंने इतनी मुश्किल से शांत किया था, उसे मैंने फिर से भड़का दिया था| दिल एक अजीब सी हालत में फंस गया था, मुझे इनका प्यार भी चाहिए था पर डर लग रहा था की कहीं मेरे स्वार्थ के चलते ये फिर से बीमार न पड़ जाएँ क्योंकि इनकी body अब भी recover कर रही थी|
अब आगे......
मेरा जिस्म मेरा साथ नहीं दे रहा था| टांगें कापने लगी थीं और लगा था जैसे मैं अभी लड़खड़ा जाऊँगी| 'इन्होने' मेरे दिल को जैसे पढ़ लिया और बहुत धीरे से बोले; "मेरे होते हुए मेरी बीवी ठन्डे पानी से नहीं नहाएगी!" फिर 'इन्होने' जा कर कमरे के दरवाजे की चिटकनी लगा दी| बच्चे स्कूल से लौटने वाले थे और माँ उन्हें लेने स्कूल के लिए निकल चुकी थीं|
दरवाजा बंद कर के 'ये' मेरे पास आये और मुझे गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया| रजाई खोल दी और...................... शुरू में मैंने 'इन्हें' रोकना चाहा ये कह कर की; "अभी आप पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो... और ऐसे में आप मेरी वजह से...." मैंने बात अधूरी छोड़ दी| 'इन्होने' मुस्कुराते हुए कहा; "कुछ नहीं होगा मुझे!" असल में मैं खुद इन्हें रोकना नहीं चाहती थी| मैं जानती थी की हमारे पास समय बहुत कम है इसलिए जो भी करना था वो इस थोड़े से समय में करना था| नजाने मुझ पर क्या वहशीपन सवार हुआ की मैंने इनकी नंगी पीठ को कुरेदना शुरू कर दिया| गर्दन पर जगह-जगह काट लिया और इनकी छाती तो मैंने काट-काट कर पूरी लाल कर दी| मुझे सच में उस समय कोई होश नहीं था! इन्होने भी मेरी इस प्रिक्रिया पर कोई ऐतराज नहीं जताया| पर समागम के बाद जब मैंने इन्हें देखा और वो सब निशानों पर मेरी नजर गई तो मुझे खुद पर कोफ़्त होने लगी! ये कैसा जंगलीपना आ गया था मुझ में? मैंने अपने ही प्यारको इस तरह नोच खाया था की...... मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी की मैं उनसे नजर मिलाऊँ| खुद से नफरत होने लगी थी!
"hey! क्या हुआ?" इन्होने पूछा|
"मैंने कुछ कहा नहीं बस ना में गर्दन हिला दी और दुबारा नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई| जब नल खोला तो उसमें से गर्म पानी आ रहा था, मतलब 'इन्हें' सब पता था! मैं जल्दी से नहा कर बाहर आई और अपने बाल पोंछ रही थी की तभी ये मुस्कुराते हुए मेरे पास आये| इनके जिस्म पर मेरे दिए हुए जख्मों पर मेरी नजर गई तो मैं शर्म से पानी-पानी हो गई| पर 'इनके' चेहरा देख कर तो लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही नहीं| 'ये' बिलकुल नार्मल लग रहे थे.... खाना खाते समय मैंने खुद को सहेज कर रखा| पर एक डर था की कहीं 'इनकी' तबियत फिर से ख़राब न हो जाये| इसी डर के चलते मैंने सोचा की आज फिर बच्चों को 'इनके' पास भेज दूँगी, ताकि ये सो जाएं| पर बच्चों के exams नजदीक थे और ऊपर से आयुष का जन्मदिन भी नजदीक आ गया था| उस दिन जो भी 'इनका' प्लान था उसके चलते आयुष पढ़ने वाला तो था नहीं इसलिए मैंने नेहा को आयुष को पढ़ाने का काम दिया और हुड इनके पास कमरे में चली गई| पिताजी तो खाना खा कर site पर चले गए थे और माँ drawing room में बैठी CID देख रही थीं| मैं bedpost का सहारा ले कर बैठ गई और 'इन्होने' मेरी गोद में सर रख लिया| इनकी आँख लग गया और मैं सोच में डूब गई| समझ ही नहीं आ रहा था की मुझे क्या हो गया था? अपनी इस हरकत पर मुझे खुद शर्म आने लगी और मैं ने मन ही मन सोचा की मैं अब दुबारा ऐसा कभी नहीं करुँगी|
शाम को जब ये उठे तब भी इन्होने कुछ नहीं कहा| इन्होने मुझे पहले की ही तरह प्यार करना जारी रखा.... जब भी समय मिलता ये मुझे पीछे से जकड़ लेते और हंसी-ठिठोली करते रहते| मैं भी इसी तरह इनका जवाब देती.... पर दुबारा इन्हें प्यार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी| जब कभी इनके बदन का स्पर्श मुझे होता तो मुझे अपने द्वारा की हुई वो भयानक करतूत याद आने लगती| मुझे एक डर और सता रहा था.... की यदि हमारे प्रेम-मिलाप के दौरान इनकी तबियत ख़राब हो गई तो?
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन - by sexstories - 01-04-2019, 01:49 AM

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