RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
"नेहा....बेटी इधर तो आ|" अम्मा ने नेहा को आवाज लगाईं| नेहा सामने आ कर खड़ी हो गई| अम्मा ने अपना हाथ झोले में डाला और गुलाबी कागज में बंधा हुआ कुछ निकला और उसे खोलने लगी| जब उन्होंने उसे खोला तो उसमें चाँदी की पायल निकली| बहुत खूबसूरत थी....
उन्होंने वो पायल नेहा को दी और उसका माथा चूम कर बोलीं; "ये मेरी बेटी के लिए.... वैसे ये थी तो तेरी माँ के लिए पर उससे ज्यादा तेरे पाँव पर जचेगी! और मुझे माफ़ कर दे बेटी उस दिन मैं ने सच में तुझ पर ध्यान नहीं दिया| तेरे पापा की तबियत के बारे में सुन कर मैं बहुत परेशान थी... सॉरी (sorry)!"
नेहा ये सुनते ही अम्मा से लिपट गई और बोली; "सॉरी नहीं sorry ... और अम्मा माँ ने मुझे समझा दिया था... its okay!" पता नहीं अम्मा को क्या समझ आया पर उन्होंने फिर से लड़खड़ाते हुए कहा; "टहंक ऊ" ये सं कर हम सब की हँसी छूट गई और नेहा ने उन्हें फिर से बताया की; "अम्मा thank you होता है!" ये सुन का र अम्मा के मुंह पर बी मुस्कान आ गई| खेर सब क जाने का समय नजदीक आ रहा था| पिताजी (ससुर जी) ने Innova taxi मँगवाई थी और वे खुद सबको छोड़ने T3 जा रहे थे| मेरे लाख मन करने पर भी ये उठ के बहार बैठक में आ गए और सभी के पाँव छुए और उन्हें विदा किया| सबने जाते हुए इन्हें बहुत-बहुत आशीर्वाद दिए| सबके जाने के बाद घर में बस मैं, माँ, नेहा और ये ही रह गए थे| जैसे ही ये अपने कमरे में आये इन्हें sinus का अटैक शुरू हो गया!
अब आगे.....
दरअसल इन्हें कभी-कभी ठंडी हवा से, ज्यादा मसालेदार खाना खाने से, कुछ ठंडी चीज खाने या पीने से, नींद पूरी न होने पर, थकावट से, धुल-मिटटी से और कभी कभी किसी अजीब सी महक से allergy है और तब इनकी छींकें शुरू हो जाती हैं| छीकें इस तरह आती हैं की इनका पूरा बदन झिंझोड़ कर रख देती हैं| पूरा शरीर पसीने से भीग जाता है और नाक से पानी आने लगता है| नाक से सांस लेना मुश्किल हो जाता है| ऐसा लगता है मानो नाक अंदर से छिल गई हो! पर ये कभी-कभी होता है... मुझे इसका पता था इसलिए मैंने इन्हें अंदर कमरे में रहने को कहा था| अब चूँकि बाहर का कमरा ठंडा था और इन्हें सब को see off करना था तो इन्होने बाहर आने की जिद्द की| अब जब इनका ये अटैक शुरू हुआ तो मैंने फ़ौरन पानी गर्म करने को रख दिया और इन्हें steam दी पर कोई रहत नहीं मिली| मैंने इन्हें किसी तरह लिटा दिया और सोचा की सब को फ़ोन कर दूँ... माँ ने तो कहा भी की पिताजी (ससुर जी) को फोन कर दे पर इन्होने मन कर दिया| छींक-छींक कर इनका बुरा हाल था, रुमाल पर रुमाल भीगते जा रहे थे, इनका बदन ठंडा होने लगा था जो की चिंता का विषय था| गर्दन से पेट तक पूरा जिस्म ठंडा पड़ने लगा था, जब की आमतौर पर इनका जिस्म गर्म रहता है| इन्होने नर्स राजी को बुलाने को कहा तो मैंने उन्हें जल्दी से फोन मिलाया और सारी बात बताई| उन्होंने कहा की मैं आ रही हूँ.. तब तक मैं माँ और नेहा इन्हीं के पास बैठे थे| नेहा की आँखों में आँसूं थे उससे इनकी ये पीड़ा देखि नहीं जा रही थी| हाल तो कुछ मेरा भी ऐसा ही था पर खुद को मजबूत कर के बैठी थी| आखिर छींकते-छेंकते इन्होने tissue paper के दो box खत्म कर दिए| करीब आधे घंटे के अंदर नर्स राजी आ गईं और उनके साथ nebullizer था| उन्होंने जल्दी से मशीन को बिजली के पॉइंट से plug किया और कुछ दवाई दाल कर इन्हें mask पहना दिया और मशीन के चलने पर भाप जैसा कुछ निकलने लगा और इन्होने उस भाप को सुंघा और तब धीरे-धीरे इनकी हालत में सुधार आया| bedpost का सहारा ले कर इन्होने सब inhale किया और फिर जब आराम मिल गया तो हम ने इन्हें वापस लिटा दिया और रजाई उढ़ा दी| इनकी हालत में सुधार देख हमारी जान में जान आई| नेहा भी अब normal लग रही थी... मैंने उसे चाय बनाने को कहा| माँ उठ के fresh होने के लिए कमरे में गई| अब कमरे में बस हम दोनों रह गए थे| दोनों ख़ामोशी से बैठे हुए थे... जब चाय बन गई तब माँ ने हम दोनों को बाहर बुलाया और हम सारे drawing room में बैठ कर चाय पी रहे थे|
नेहा ने T.V. चालु किया और CID के पुराने एपिसोड देखने लगे| मुझे जो बात अजीब लगी वो ये थी की राजी भी उतना ही interest ले रही थी जितना मैं और माँ ले रहे थे| शायद राजी मेरे घर के बारे में बहुत कुछ जानती थी! तभी नेहा अचानक से उठी और कमरे की तरफ भागी और बाहर आके बोली; "आंटी पापा उठ गए!" माँ ने मुझे इशारे से कहा की मैं भी साथ जाऊँ| माँ के पाँव में सूजन रहती है तो वो ज्यादा चलती फिरती नहीं| जब मैं और राजी कमरे में घुसे तो ये bedpost का सहारा ले कर बैठे हुए थे| इन्हें इस तरह बैठा हुआ देख, राजी बोली; "आप कैसे हो मिठ्ठू?" इन्होने मुस्कुरा कर जवाब दिया; "मैं.......(तीन सेकंड का cinematic pause ले कर) ठीक हूँ!" ये सुन कर दोनों खिल-खिला कर हँसने लगे| मुझे इनका ये बर्ताव बहुत अजीब लगा...क्योंकि ये cinematic pause तो इन्होने कभी मेरे साथ बात करते हुए भी नहीं लिया था! पर मैं चुपो रही क्योंकि मैं उस वक़्त कोई scene खड़ा नहीं करना चाहती थी और वैसे भी मेरे लिए जर्रुरी ये था की इनकी तबियत ठीक हो गई है| शायद मैं कुछ ज्यादा ही सोच रही थी...... शायद!!!
मैं नेहा को इन दोनों के पास छोड़ कर अदरक वाली चाय बनाने चली गई| पता नहीं मैंने नेहा को वहां क्यों छोड़ा? ऐसा तो नहीं था की मुझे इन पर शक था...पता नहीं क्यों...... मेरे चाय ले कर आते-आते माँ भी अंदर आ गईं थीं और फिर वहां बातों का माहोल शुरू हो चूका था| तभी ये बोले; "यार भूख लग रही है| ऐसा करो omlet बनाओ!" मैं थोड़ा हैरान थी क्योंकि अभी तक इन्हें खाने के लिए मसालेदार खाना नहीं दिया जा रहा था| मुझे तो कुछ समझ नहीं आया पर लगा की राजी जर्रूर मन कर देगी पर उसने तो आगे बढ़ कर कहा; "मैं बनाती हूँ!" हैरानी से मेरी भँवें तन गईं पर तभी नेहा बोली; "पर घर में eggs तो हैं ही नहीं?"
ये सुन कर इनका मुँह बन गया और मुझे ख़ुशी महसूस हुई क्योंकि मैं कतई नहीं चाहती थी की एक गैर हिन्दू लड़की मेरी रसोई में घुसे! पर नेहा से अपने पापा की ये सूरत नहीं देखि गई उसने बोला; "मैंdon't worry पापा ... मैं ले आती हूँ|" इन्होने उसे मना भी किया; "बेटा बाहर बहुत ठण्ड है|" पर नेहा जिद्द करने लगी आखिर इन पर जो गई है! हारकर इन्होने उसे जाने की इजाजत दी पर मोटी वाली जैकेट पहन के जाने के लिए बोला| अब ये सब सुन और देख मेरा मुँह उतर गया पर किसी तरह अपने भावों को छुपा कर मैं नार्मल रही|
राजी को रसोई के बारे में सब पता था ... और ये देख मैं हैरान थी! मुझे लगा था की वो मुझसे पूछेगी की तेल कहाँ है, प्याज कहाँ है पर नहीं ...उसने एक शब्द भी नहीं पूछा जैसे की उसे सब कुछ पता था|
खेर मेरे ना चाहते हुए भी राजी ने ने अपने, नेहा और इनके लिए ऑमलेट बनाया| मैंने और माँ ने नहीं खाया...माँ तो वैसे भी नहीं खाती थीं पर मैं...मैं सिर्फ और सिर्फ इनके हाथ का बना हुआ ऑमलेट खाती थी| उस जलन को मैंने किस तरह छुपाया मैं ही जानती हूँ..... !
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