RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
दोपहर को अनिल बच्चों को स्कूल से सीधा हॉस्पिटल ले आया और वापसी में माँ को अपने साथ घर ले गया| आयुष तो आते ही अपने पापा के पास जा बैठा और उनसे बात करने लगा| नेहा सोफे पे बैठ के अपना होमवर्क निकाल के बैठ गई| आयुष कुछ खुसफुसाने लगा और उसकी इस खुसर-फुसर में हम माँ-बेटी दोनों की दिलचस्पी जाग गई| "आयुष...बेटा पापा से क्या बात कर रहे हो?" इतने में नेहा उठ के अपने पापा के पास स्टूल पर बैठ गई| उसे इतने नजदीक बैठा देख वो बोला; "दीदी....आप उधर सोफे पर बैठो...मुझे पापा से बात करनी है|"
"मैं नहीं जाती... तू बोल जो बोलना है|" नेहा ने अकड़ते हुए जवाब दिया|
"प्लीज दीदी ...प्लीज......" आयुष ने बड़ी भोली सी शकल बनाते हुए कहा| पर नेहा टस से मस नहीं हुई आखिर मुझे ही बात संभालनी पड़ी वरना दोनों लड़ाई शुरू कर देते|
"आयुष....जो सीक्रेट बात तुम करने वाले हो मुझे पहले से पता है!" मैंने थोड़ा सा नाटक किया| (Bluffing)
"आपको कैसे पता?.... ये तो पापा और मेरा सीक्रेट है!" उसने बड़ी हैरानी से पूछा|
"बेटा....मैं आपकी माँ हूँ| उस दिन जब आप पापा से बात कर रहे थे ना, तब मैंने सब सुन लिया था|" मैंने फिर से Bluff किया|
"ठीक है.... !" शर्म से उसके गाल लाल हो गए थे! "वो...... आज उसने मुझसे बात की!" बस इतना कह के आयुष रुक गया और अपने पापा की तरफ देखने लगा| 'उसने' सुन के मुझे थोड़ा शक हुआ की जर्रूर ये कोई लड़की है! दरअसल आयुष अपने पापा पर ही गया है| इन्होने भी स्कूल में कभी किसी लड़की से बात करने की कोशिश नही की...हाँ अगर कोई लड़की सामने से बात करे तभी ये उसका जवाब देते थे|
"अच्छा...wow! क्या बोला उसने?" मैंने पूछा तो आयुष शर्मा गया|
"वो....उसने....पूछा की .....क्या मैंने होमवर्क किया है?" आयुष ने अटकते-अटकते हुए कहा, ये सुनते ही मेरी हँसी छूट गई| पर नेहा के चेहरे पर कोई भाव नही थे| वो अब भी मुझसे नाराज थी और मेरी हँसी उसे रास नही आई थी इसलिए वो चिढ़ते हुए बोली; "तो? तू स्कूल पढ़ने जाता है या girlfriends बनाने? पढ़ाई में ध्यान लगा!" आयुष का मुँह लटक गया तो मैंने उसे अपने साथ चलने को बोला और उसे ले के मैं कैंटीन आ गई|
"बेटा ये लो आपका फेवरट मिल्क शेक.... happy!" उसने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने ही से बात शुरू की; "बेटा....आपकी दीदी पापा को लेके थोड़ा परेशान है| देखो मुझसे भी वो बात नही करती.... जब पापा ठीक हो जायेंगे तब सब ठीक हो जायेगा| तबतक कोशिश करो की आपकी दीदी को गुस्सा ना आये पर उसे अकेला मत छोड़ना, वो आपसे बहुत ज्यादा प्यार करती है...मुझसे भी ज्यादा!" वो प्यार से मुस्कुराया और स्लुर्प...स्लुर्प... कर अपना मिल्क शेक पीने लगा| आज रात को मैं और बच्चे यहीं सोने वाले थे तो खाना खाने के बाद हम सब लेट गए| मैं सोफे पर और बच्चे नीचे| रात के बारह बजे होंगे की मुझे किसी के बोलने की आवाज आई, ये कोई और नहीं नेहा की आवाज थी| वो अपने पापा से कुछ बात कर रही थी|
अब आगे......
"पापा ..... मुझे आपको सॉरी बोलना था!" इतना कह के वो चुप हो गई.....लगा जैसे आगे बोलने के लिए हिम्मत बटोर रही हो| कुछ देर बाद फिर से बोली; "i'm sorry पापा! मैंने आपको गलत समझा..... इतने साल मम्मी के साथ रही ना इसलिए उनका रंग मुझ पर भी चढ़ गया..... जब आप हमें गाँव में छोड़के शहर आ गए थे ये तब की बात है| आप कभी-कभी फोन किया करते थे ....पर मुझसे आपकी कभी बात नहीं हुई! मुझे बहुत बुरा लगता था.... जबकि मैं जानती थी की आप मुझे सबसे ज्यादा प्यार करते हो फिर भी आप हमेशा मम्मी से ही बात करते थे| रात को मम्मी मुझे बताती थी की तेरे पापा का फोन आया था और तेरे बारे में पूछ रहे थे| तब मैं उनसे पूछा करती की पापा मुझसे बात क्यों नहीं करते तो मम्मी कहती की बेटा तू घर पर नहीं थी इसलिए तुझसे बात नही हो पाई| ये सुन के मुझे यही लगता की मम्मी आपका बचाव कर रही हैं और मैं चुप हो जाती| पर फिर कुछ दिन बाद आपका फोन आना भी बंद हो गया! मम्मी उदास रहने लगी थी .... अब चूँकि आपने मुझे मम्मी को खुश रखने की जिम्मेदारी दी थी तो मैं मम्मी को हँसाने की कोशिश किया करती| एक दिन रात को मैंने मम्मी से पुछ्ह् की अब पापा का फोन क्यों नहीं आता? तो माँ ने कहा की बेटा पापा पढ़ाई कर रहे हैं...उन्हें बहुत बड़ा आदमी बनना है ....इसलिए अभी उनसे बात नहीं हो रही| इस बार फिर मैंने उनकी बातों पर भरोसा कर लिया| पर मन में कहीं न कहीं ये लगता था की आप को हमारी परवाह नहीं है! आयुष के आने के बाद मुझे लगा था की आप जर्रूर आओगे ....पर आप नहीं आये! मैं बहुत रोई.... पर मम्मी ने मुझे चुप करा दिया, ये कह के की बेटा पापा बिजी हैं ...जल्दी ही आएंगे|
आयुष दो महीने का हो गया था....गर्मी की छुट्टियाँ मजदीक आ गई थीं, तो मैंने मम्मी से फिर पूछा की मम्मी इस बार गर्मियों की छुटियों में पापा आएंगे ना? तो माँ ने झुंझलाते हुए जवाब दिया, जब देखो पापा..पापा...पापा... करती रहती है! उन्हें पढ़ने दे .... उन्हें जिंदगी में कुछ बनना है..... कुछ हासिल करना है... यहाँ के लोगों की तरह खेतों में हल नहीं चलाना! ये सुन के मैं चुप हो गई..... आपके दुबारा आने की जो उम्मीद थी उसे भी बुझा दिया! मेरे मन ने मुझसे मम्मी की बातों का ये अर्थ निकालने पर मजबूर किया की आप हमें भूल चुके हो ..... आप पढ़ाई में इस कदर मशगूल हो गए की आपने हमें भुला दिया है| आपके मन में मम्मी के लिए जो प्यार था वो खत्म हो गया तभी तो आपने फोन करना बंद कर दिया और यही कारन है की मम्मी इतना दुखी और परेशान है और इसीलिए वो मुझ पर बरस पड़ीं| मैंने आगे बढ़ के माँ को अपने हाथों से जकड लिया और हम दोनों रोने लगीं| मैंने उस दिन ठान लिया की मैं माँ को कभी आपकी याद नहीं आने दूँगी और उस दिन से मैंने उनका ख़याल रखना शुरू कर दिया|
मैंने माँ को कभी भनक तक नहीं लगने दी की मैं आपको कितना miss करती हूँ! पूरे घर में सिर्फ एक आप ही तो थे जो मुझसे प्यार करते थे| बाकी तो कभी किसी को मेरी फ़िक्र थी ही नहीं| साल दर साल बीतते गए और फिरर वो दिन आया जब मैं आपसे मिली और आपने मुझे वो ड्रेस गिफ्ट की| उस गिफ्ट पैक में सबसे ऊपर मेरे फेवरट चिप्स का पैकेट था| तब मुझे एहसास हुआ की आप मुझे जरा भी नहीं भूले... आपको मेरी पसंद आज भी याद थी| मेरे मन में इच्छा जाएगी की आखिर ऐसी क्या वजह थी की आप को मुझसे इतने सालों तक दूर रहना पड़ा और तब मजबूरन मैंने छुप के आप दोनों की बात सुनी| सब सुनने के बाद पापा मैंने खुद को बहुत कोसा ...इतने साल मैं आपको कितना गलत समझती रही! मम्मी के साथ रह-रह के मैं भी उन्हीं की तरह हो गई थी...उन्ही की तरह सोचने लगी थी| मैं उस दिन से आपसे माफ़ी माँगना चाहती थी पर कभी हिम्मत नहीं हुई| फिर आप को और मम्मी को इस तरह खुश देख के मैं ये बात कहना ही भूल गई ...पर अब मम्मी ने सारी हद्द पार कर दी| उनकी वजह से आपकी तबियत ख़राब हुई....और अगर इस बार मैंने आपको खो दिया तो i swear पापा मैं उन्हें कभी माफ़ नहीं करुँगी और कभी उनसे बात नहीं करुँगी| प्लीज पापा आप जल्दी से ठीक हो जाओ.....प्लीज ....प्लीज!!!" ये कहते-कहते नेहा रो पड़ी!
ये सब सुनने के बाद मैं रो पड़ी.... मेरी वजह से मेरी बेटी इतने साल अपने पापा के प्यार से महरूम रही! ये बात मुझे अंदर ही अंदर खाने लगी और ये दर लगने लगा की अगर मैंने इनको (अपने पति) को खो दिया तो ये परिवार जिसे आपने इतने प्यार से बाँधा है वो बिखर जाएगा| मुझसे नेहा के आँसूं बर्दाश्त नहीं हुए तो मैं उठ के उसके पास गई और उसके कंधे पे हाथ रख के उसे उठाया और बिस्तर पर ला कर लिटा दिया| ना तो मैं उस समय कुछ कहने की हालत में थी और ना ही नेहा! मैंने उसका सर थप-थापा के सुलाने की कोशिश की तो उसने मेरा हाथ झटक दिया और आयुष की तरफ मुँह कर के लेट गई| मैं अपना मन मसोस कर लेट गई....पर एक पल के लिए भी सो न सकी, सारी रात नेहा की कही बातें दिमाग में गूँजती रही| सुबह हुई तो अपने सामने "बड़की अम्मा और अजय " को देख मैं हैरान रह गई! मैंने तुरंत उनके पाँव छुए और उन्होंने बड़े प्यार से मुझे अपने गले लगा लिया और इनका हाल चाल पूछा| इतने में आयुष बाथरूम से निकला तो बाथरूम से भागा-भागा अपनी दादी जी के गले लग गया| नेहा भी उस समय कमरे में थी पर न जाने क्यों झिझक रही थी| वो बहुत छोटे-छोटे क़दमों से आगे बढ़ी और अपनी दादी के पाँव छुए पर उस समय अम्मा का ध्यान आयुष पर था तो उन्होंने उसे देखा नहीं| नेहा अपना सर झुकाये वापस सोफे पर बैठ गई| मैंने तुरंत माँ (सासु माँ) को फोन कर दिया|
अमा जा के इनके पास बैठ गईं और सर पर हाथ फेरने लगीं| आँखों में आंसूं लिए मेरी तरफ देख के बोलीं; "बेटी ...तूने भी मुझे मानु की इस हालत के बारे में नहीं बताया?" मेरा सर झुक गया क्योंकि इस हफदडफडी में मुझे याद ही नहीं रहा| मैंने तो अपने माँ-पिताजी तक को नहीं बताया था| शायद उन्हें मेरी हालत समझ आ गई.... तभी अजय ने सवाल पूछा; "भाभी... मानु भैया को हुआ क्या?"
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