Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
01-04-2019, 01:47 AM,
#64
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
सब के जाने के बाद माँ ने मुझे मुँह-हाथ धो के आने को कहा और फिर नाश्ता परोस दिया| "चल आजा बेटी नाश्ता कर ले! आयुष और नेहा सुबह अपने आप उठ गए और आज खुद तैयार भी हो गए| मैंने सोचा की आज इन्हें स्कूल छोड़ दिया जाए तो आयुष जिद्द करने लगा की पहले पापा से मिलूँगा...उफ्फ्फ्फ़ कितनी मुश्किल से माना वो! खेर तेरे पिताजी (ससुर जी) ने उसे वादा किया की दोनों आज रात यहीं रुकेंगे तब जाके माना वो| अरे! तू वहां कड़ी-कड़ी क्या सोच रही है? चल आजा जल्दी से|" मैं आके उनके सामने बैठ गई पर खाने को हाथ तक नही लगाया और बोली; "माँ...मन नहीं है ...!"
"बेटी..माँ-बाप के कुछ कहने से रूठ थोड़े ही जाते हैं? क्या माँ-बाप को इतना भी हक़ नही की वो अपने बच्चों को डाँट सके?" माँ ने बड़ा सीधा सा सवाल पूछा|
"माँ मैं पिताजी के डाँटने से नही रूठी ... उन्होंने तो कुछ गलत कहा ही नहीं! गलती मेरी थी...सारी की सारी... मुझे तो खुद से घिन्न आ रही है की मैंने इनके साथ ऐसा व्यवहार किया| इन्होने बिना बोले मेरी हर बात समझी.... बिना मेरे कहे पिताजी की ज़मीन बचाई वरना आज वो सब सड़क पे आ जाते और...मैं इनको इस कदर परेशान करती रही!"
"बेटी अगर तेरे खाना ना खाने से मानु की तबियत ठीक हो जाती तो हम सब भूख हड़ताल कर देते और आब तक तो वो भला-चंगा हो जाता| देख तू अपने लिए ना सही उस नए मेहमान के लिए खाना खा ले... अगर उसे कुछ हो गया तो मानु भले ही तुझे माफ़ कर दे पर वो खुद तुझे कभी माफ़ नही करेगा!" इतना कह के माँ ने मुझे जबरदस्ती अपने हाथ से खाना खिलाया|
"बेटी मैं बड़ी किस्मत वाली हूँ.... पहले मानु को अपने हाथ से खिलाती थी.... फिर आयुष को खाना खिलने का मौका मिलाया और आज देख तो किस्मत ने मुझे तुझे भी खिलाने का मौका दिया|"
"इस हिसाब से तो मैं ज्यादा किस्मत वाली हूँ माँ.... बचपन के बाद इतने साल गुजर गए और आज मुझे फिर से अपनी माँ के हाथों खाना खाने का मौका मिल रहा है|"
"अच्छा जी...मानु ने तुझे कभी खाना नहीं खिलाया?" माँ ने जानबूझ के ये शरारती सवाल पूछा, और उनका सवाल सुन के मैं हँस पड़ी! "देखा ....मैं जानती थी!!!" मेरी हँसी छूट गई... और इस तरह हम माँ-बेटी हँस पड़े..... एक मुद्दत बाद!
अब आगे ....
मैं जानती तो थी की माँ मुझसे अपनी बेटी जैसा प्यार करती है...पर उसका एक अनोखा एहसास मुझे उस दिन हुआ!
दोपहर को अनिल बच्चों को स्कूल से सीधा हॉस्पिटल ले आया और वापसी में माँ को अपने साथ घर ले गया| आयुष तो आते ही अपने पापा के पास जा बैठा और उनसे बात करने लगा| नेहा सोफे पे बैठ के अपना होमवर्क निकाल के बैठ गई| आयुष कुछ खुसफुसाने लगा और उसकी इस खुसर-फुसर में हम माँ-बेटी दोनों की दिलचस्पी जाग गई| "आयुष...बेटा पापा से क्या बात कर रहे हो?" इतने में नेहा उठ के अपने पापा के पास स्टूल पर बैठ गई| उसे इतने नजदीक बैठा देख वो बोला; "दीदी....आप उधर सोफे पर बैठो...मुझे पापा से बात करनी है|"
"मैं नहीं जाती... तू बोल जो बोलना है|" नेहा ने अकड़ते हुए जवाब दिया|
"प्लीज दीदी ...प्लीज......" आयुष ने बड़ी भोली सी शकल बनाते हुए कहा| पर नेहा टस से मस नहीं हुई आखिर मुझे ही बात संभालनी पड़ी वरना दोनों लड़ाई शुरू कर देते|
"आयुष....जो सीक्रेट बात तुम करने वाले हो मुझे पहले से पता है!" मैंने थोड़ा सा नाटक किया| (Bluffing)
"आपको कैसे पता?.... ये तो पापा और मेरा सीक्रेट है!" उसने बड़ी हैरानी से पूछा|
"बेटा....मैं आपकी माँ हूँ| उस दिन जब आप पापा से बात कर रहे थे ना, तब मैंने सब सुन लिया था|" मैंने फिर से Bluff किया|
"ठीक है.... !" शर्म से उसके गाल लाल हो गए थे! "वो...... आज उसने मुझसे बात की!" बस इतना कह के आयुष रुक गया और अपने पापा की तरफ देखने लगा| 'उसने' सुन के मुझे थोड़ा शक हुआ की जर्रूर ये कोई लड़की है! दरअसल आयुष अपने पापा पर ही गया है| इन्होने भी स्कूल में कभी किसी लड़की से बात करने की कोशिश नही की...हाँ अगर कोई लड़की सामने से बात करे तभी ये उसका जवाब देते थे|
"अच्छा...wow! क्या बोला उसने?" मैंने पूछा तो आयुष शर्मा गया|
"वो....उसने....पूछा की .....क्या मैंने होमवर्क किया है?" आयुष ने अटकते-अटकते हुए कहा, ये सुनते ही मेरी हँसी छूट गई| पर नेहा के चेहरे पर कोई भाव नही थे| वो अब भी मुझसे नाराज थी और मेरी हँसी उसे रास नही आई थी इसलिए वो चिढ़ते हुए बोली; "तो? तू स्कूल पढ़ने जाता है या girlfriends बनाने? पढ़ाई में ध्यान लगा!" आयुष का मुँह लटक गया तो मैंने उसे अपने साथ चलने को बोला और उसे ले के मैं कैंटीन आ गई|
"बेटा ये लो आपका फेवरट मिल्क शेक.... happy!" उसने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने ही से बात शुरू की; "बेटा....आपकी दीदी पापा को लेके थोड़ा परेशान है| देखो मुझसे भी वो बात नही करती.... जब पापा ठीक हो जायेंगे तब सब ठीक हो जायेगा| तबतक कोशिश करो की आपकी दीदी को गुस्सा ना आये पर उसे अकेला मत छोड़ना, वो आपसे बहुत ज्यादा प्यार करती है...मुझसे भी ज्यादा!" वो प्यार से मुस्कुराया और स्लुर्प...स्लुर्प... कर अपना मिल्क शेक पीने लगा| आज रात को मैं और बच्चे यहीं सोने वाले थे तो खाना खाने के बाद हम सब लेट गए| मैं सोफे पर और बच्चे नीचे| रात के बारह बजे होंगे की मुझे किसी के बोलने की आवाज आई, ये कोई और नहीं नेहा की आवाज थी| वो अपने पापा से कुछ बात कर रही थी|
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन - by sexstories - 01-04-2019, 01:47 AM

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