RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
संगीता: जानू...पानी बहुत ठंडा है...मत जाओ? बीमार पड़ जाओगे?
मैं: कुछ नहीं होगा|
मैंने हिम्मत जुताई और आयुष को गोद में ले के पानी में उतर गया, ठन्डे पानी ने टांगें सुन्न कर दी थीं पर आयुष की ख़ुशी के आगे सब बर्दाश्त था| मैं थोड़ा सा झुका और आयुष ने अपनी नाव पानी में छोड़ी, नाव ज्यादा आगे नहीं गई और डूब गई पर मैं हैरान था की वो कुछ पलों की ख़ुशी उसे इतनी अच्छी लगी! फिर नेहा को ले के पानी में आया...उसकी नाव आयुष के मुकाबले थोड़ा आगे गई और फिर डूब गई| वो भी खुश थी पर आयुष से थोड़ा ज्यादा...और बार-बार उसे जीभ चिढ़ा के हंस रही थी|
आयुष: पापा...cheating ...Cheating .... मैं दुबारा नाव चलाऊंगा!!!
उसका शोर सुन के पिताजी और माँ का ध्यान मेरी तरफ हुआ, और मुझे पिंडली तक पानी में खड़ा देख पिताजी और माँ दौड़े-दौड़े आये| मैं भी नेहा को गोद में लिए हुए पानी से बाहर अ गया|
पिताजी: पागल हो गया है क्या? कितना ठंडा है पानी? बीमार पड़ गया तो?
माँ: बहु तू तो रोक लेती?
संगीता चुप थी तो मुझे ही सच बोलना पड़ा;
मैं: माँ....उन्होंने रोक था पर मैं नहीं माना| बच्चे उदास हो गए थे!
माँ: देखा? आप (पिताजी) पे गया है?
पिताजी: अरे मैंने क्या किया?
माँ: जब छोटा था तो इसकी हर जिद्द पूरा किया करते थे, मेरे से चोरी-चोरी इसे खिलोने ला के दिया करते थे| यहाँ तक की मैं रोटी बना रही होती थी और ये उतनी देर में इसे गोद में लिए ऑटोरिक्क्षाव किया और घुमा-फ़िर के ले आते थे!
पिताजी हंसने लगे|
पिताजी: बहुत लाड किया है इसने (मैंने)! पर बीटा बीमार पड़ जाओगे?
मैं: कुछ नहीं होगा पिताजी!
मैंने कह तो दिया पर जैसा की आप जानते हैं की ठंडा पानी मुझ पे देर सवेर असर दिखा ही देता है| तो हम होटल आ गए, शाम को डिनर के बाद बच्चे और माँ टी.वी. देखने लगे और पिताजी संतोष से काम की रिपोर्ट लेने के लिए बाहर आ गए| मौके का फायदा उठा के मैं और संगीता भी टहलने के बहाने बाहर आगये| हम टहलते-टहलते उसी जगह आ गए जहाँ हमने कल एक couple को kiss करते हुए देखा| पर मैं आज शांत था...एक तो शरीर में थकावट असर दिखाने लगी थी और दूसरा मैंने सुबह ही प्रॉमिस किया थे की I won't push her again for anything she doesn't like! उस समय रात के नौ बज रहे थे और पार्क लघभग खाली ही था|
संगीता: जानू?
मैं: हम्म्म.....
संगीता: I got a surprise for you!
मैं: okay? (मैंने बड़े उत्साह से पूछा)
संगीता: पहले अपनी आँखें बंद करो|
मैंने आँखें बंद की और मन ही मन सोचने लगा की आखिर gift होगा क्या? क्योंकि उनके हाथ में तो कुछ नहीं था? उन्होंने ने अपनी बाहों को मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द लॉक किया और अपने पंजों पे उठते हुए मुझे KISS किया| मैंने इसका कोई विरोध नहीं किया और पूरा आनंद लिय| कुछ देर बाद,
मैं: Okay ...तो ये kiss किस लिए था?
संगीता: कल का उधार था|
मैं: तो........
संगीता ने मेरी बात काट दी;
संगीता: और ये मैंने अपनी मर्जी से किया| No Questions?
मैंने एक गहरी सांस छोड़ी पर हम बाहों में बहोें डाले होटल लौटे| अब बारी थी सोने की,
आयुष: मैं तो दादाजी के पास सोऊँगा? दीदी तुम भी सो जाओ...दादा जी बहुत अच्छी कहानियाँ सुनाते हैं|
मैं हैरान था...पर खुश भी था की चलो आयुष को वो प्यार मिल रहा है जो उसे मिलना चाहिए| और नेहा...वो भी पिताजी से उतना ही प्यार करती थी और पिताजी भी उसे उतना ही चाहते थे पर नेहा हमेशा मेरे पास रहना ज्यादा पसंद करती थी, कारन तो मैं आपको बता ही चूका हूँ|
नेहा: नहीं..मुझे पापा के पास ही नींद आती है| (और नेहा आयुष को जीभ चिढ़ाने लगी)
मैं: okay बाबा..अब चलो सोने|
सब को goodnight बोल के हम तीनों अपने कमरे में आ गए पर संगीता जी के ऊपर से romance का भूत नहीं उतरा था| उन्होंने नेहा को अपने पास बुलाया और उससे बी आत करने लॉगिन, तब तक मैं भी अपना लैपटॉप on कर के आप लोगों के कमेंट्स पढ़ने लगा|
संगीता: नेहा...बेटा अगर मैं आपसे कुछ मांगू तो आप मुझे दोगे?
नेहा: हाँ (उसने बड़े तपाक से जवाब दिया)
संगीता: बेटा आज रात आप अपने दादा-दादी के पास सो जाओगे?
नेहा: पर क्यों मम्मी? (नेहा के सवाल पे मुझे हंसी आ रही थी और मैं जानने को व्याकुल था की वो क्या जवाब देती हैं|)
संगीता: उम्म्म्म्म्म... बेटा मुझे आपके पापा से कुछ बात करनी है?
नेहा: तो करो...मैंने कब रोका है?
ये सुन के तो मेरी हंसी छूट गई! संगीता के होठों पे भी मुस्कान आ गई थी;
संगीता: बेटा....उम्म्म..... आपके सामने वो बात नहीं हो सकती| वो बस अकेले में ही होती है? आप बड़े हो गए हो...आपको अब अकेले सोने की आदत डालनी चाहिए! कबतक आप पापा की गोद में चढ़े रहोगे?
नेहा खामोश हो गई और उसका मुंह उतर गया| वो दरवाजे की ओर जाने लगी ओर मुझे उस पर बहुत तरस आया, इससे पहले मैं कुछ कहता वो रूक गई ओर मेरी तरफ बढ़ी ओर बोली;
नेहा: पापा आप भी चाहते हो मैं यहाँ से चली जाऊँ?
सच कहूँ तो मैं कतई नहीं चाहता था की वो चली जाए पर मैं संगीता को भी उदास नहीं करना चाहता था| पर मैं जानता था की अगर अमीने "हाँ" कहा तो नेहा का दिल टूट जायेगा ओर शायद वो फिर कभी मेरे पास नहीं आएगी ...मरते क्या न करते मुझे संगीता को for granted लेना पड़ा;
मैं: नहीं बेटा.... बिलकुल नहीं| आप मेरे पास ही सोओगे|
नेहा: Thank You पापा!
उसकी ख़ुशी के आगे मैं झुक गया ओर अपना लैप-टॉप बंद कर दिया| मुझे लगा था की संगीता नाराज होंगी पर वो हम दोनों को देख के मुस्कुरा रहीं थीं|
संगीता: आप इससे बहुत प्यार करते हो! जानती थी की आप इसका दिल कभी नहीं तोड़ोगे...Thank You!
फिर हम तीनों एक साथ सो गए| रात के दो बजे मुझे सांस लेने में दिक्का थुई| मेरी नाक बंद हो चुकी थी और गाला choke हो चूका था| कुछ भी बोलने में बड़ी दिक्कत हो रही थी| साफ़ था ठण्ड अपना असर दिखा रही थी| मैं नहीं चाहता था की मेरी वजह से संगीता और नेहा बीमार पढ़ें तो मैं उठ के सोफे पे जाके सो गया और कम्बल से खुद को ढक लिया| सुबह कब हुई इसका होश नहीं था....जब संगीता ने कम्बल हटा के मेरा माथा छुआ तो उनके ठन्डे हाथ ने मेरी नींद भगाई|
संगीता: आपको तो बुखार है? (वो बहुत डरी हुई थी)
मैं: हाँ...रात .....
गला choke होने के कारण बोलने में दिक्कत हो रही थी| वो भाग के गईं और माँ और पिताजी को बुला लाईं|
माँ: मैंने कहा था न की बीमार पड़ जायेगा? देख...हो गया ना बीमार?
मैं चुप-चाप दांत सुनता रहा| सबसे पहले तो मुझे अदरक वाली चाय पिलाई गई उसके आधे घंटे बाद कुछ शब्द फूटने लगे फिर डॉक्टर को बुलाया गया|
डॉक्टर: आपको इस तरह ठण्ड में .... गीला नहीं चाहिए था? Hypothermia हो जाता तो? आप ये दवाई लो और आराम करो|
पिताजी: डॉक्टर साहब दरअसल 1 तरीक को हमारी वापसी की flight है| तो तब तक तो ये?
डॉक्टर: हाँ-हाँ... दवाई समय पे लें तो ठीक हो आजायेंगे|
डॉक्टर के जाने के बाद सारे जाने मुझे घेर के बैठ गए....
संगीता: आपने मुझे रात को उठाया क्यों नहीं?
माँ: हाँ.... नहीं तो हमें उठा देता?
मैं: मैंने सोचा...कोण आपको तंग करूँ| हल्का सा बुखार है...ये तो डॉक्टर बढ़ा-चढ़ा के कह रहा था| मैं अब बेहतर महसूस कर रहा हूँ|
पिताजी: चुप-चाप आराम कर| हम भी आराम ही करते हैं...चलो जी
तो माँ और पिताजी अपने कमरे में चले गए|
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I'm Back to Complete My Story !!!
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