RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
दरअसल मेरा हाथ नेहा की पीठ पर ही था और वो मेरे हाथ के ऊपर ही थप-थपा रहीं थीं| वो मुझे मानाने की कोशिश कर रहीं थीं और इधर मैं अपने मन और दिमाग को शांत करने में लगा था की मैं वो Gift वाली बात और Kiss वाली बात भूल जाऊँ| खेर रात भर जब तक मुझे नींद नहीं ऐ मैं उसी बात को सोचता अहा और मैंने realize किया की I was being PUSHY! I mean if she doesn’t want to waer something in public or if she is too shy to Kiss me in public, who I’m to Push her for? She’s my wife and I respect her for that, and yesterday I was asking a lot from her. I decided that the first thing I’m gonna do the next morning is APPOLOGISE for my behaviour!
So the next morning, मेरे उठने से पहले ही वो उठ चुकी थीं| नेहा अब भी मेरे ऊपर ही सो रही थी| घडी में साढ़े आठ बज रहे थे| मैंने नेहा के सर पे Kiss किया और उसे प्यार से उठाया| उसने भी पलट के मुझे Kiss किया और बाथरूम में चली गई| आसपास संगीता नहीं थी...मैं थोड़ा परेशान हुआ की कहीं वो मेरे रात के बर्ताव से रूठ तो नहीं गईं| मैं उठ के बैठा और उन्हें ढूंढने के लिए जाने ही वाला था की दरवाजे पे दस्तक हुई, देखा तो संगीता ही थी|
मैं: Oh My God ....you scared the hell out of me! Look….I wanna appologise for what I did last night. Okay? I mean I’m sorry for being too pushy. I shouldn’t have done that….from now on I promise that I’ll respect whatever you say, wish or ask for. PROMISE!
संगीता: Really?
मैं: Yup!
संगीता: Okay!
आगे कुछ बात होने से पहले ही माँ आ गईं;
माँ; अरे बहु....ओह्ह तो लाड साहब उठे नहीं?
मैं: Sorry माँ..... वो रात को नींद नहीं आ रही थी|
माँ: कोई बात नहीं...मैं तो यहाँ बताने आई थी की तेरे पिताजी ने डॉक्टर सरिता से नेहा के लिए बात की है| तो वापस जा के सब से पहले नेहा को उनसे मिलवाना है|
मैं: जी बेहतर!
माँ: अरे बहु...मैंने गौर नहीं किया...पर तूने करधनी पहनी है?
मेरी नजर उनकी कमर पे पड़ी और मैं दंग रह गया की वाकई में संगीता ने करधनी पहनी थी!!!
माँ: कौन लाया?
संगीता ने शर्माते हुए मेरी तरफ इशारा किया.....
माँ: ह्म्म्म्म्म..... दिन पर दिन समझदार होता जा रहा है| शाबाश!
माँ ने मेरे सर पे हाथ फेरा, मैं तुरंत उठ के खड़ा हुआ और बोला;
मैं: माँ ये भी तो देखो? (मैंने उन्हें ब्रेसलेट दिखाया)
माँ: वाह...ये जर्रूर बहु लाई होगी?
मैं: आपको कैसे पता?
माँ: पसंद से पता चल जाता है बेटा!
उन्होंने दोनों के सर पे हार रखा और आशीर्वाद देते हुए बोलीं;
माँ: जुग-जुग जियो मेरे बच्चों....हमेशा ऐसे ही हँसते-खेलते रहो!!
माँ के जाने के बाद मुझे ऐसा लगा की संगीता ने सिर्फ मेरी ख़ुशी के लिए ही करधनी पहनी है और मैं नहीं चाहता था की वो जबरदस्ती कुछ भी करें;
मैं: aaaa ... look ... आपको जबरदस्ती ये पहनने की जर्रूरत नहीं है okay?
संगीता: किसने कहा ये मैंने जबरदस्ती पहना है? गलती मेरी थी.... मैं आपकी भावनाओं को समझ नहीं पाई| कोई भी पति अपनी पत्नी को तोहफा देता है क्योंकि उसमें उसका प्यार छुपा होता है| मैं आपके प्यार को ठीक से समझ नहीं पाई और अपनी लाज के आगे उसे दर-गुजर किया! आपने मुझे ये इसलिए दिया ताकि मैं और खूबसूरत लगूँ..... और मैं पागल इसे अपनी लाज से जोड़ने लगी| आपने भी तो मेरा दिया हुआ gift बड़े शौक से पहन लिया|
मैं: तो यार its not necessary की आप इसे हरदम पहने रहो?
संगीता: आप मेरी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकते हो तो क्या मैं आपके लिए एक करधनी भी नहीं पहन सकती|
मैं: पर आपके ना पहनने से भी मैं खुश हूँ|
संगीता: तो मेरे पहनने से तो आप डबल खुश हो जाओगे?
मैं: यार......
संगीता: Hey..... All I want is you to be happy… और मुझे अब इसकी आदत हो गई है| So आप मुझे मना नहीं करोगे| Okay?
मैं: ठीक है बाबा! and Thanks !!!
इस ख़ुशी के पल के बाद हम दोनों जल्दी से तैयार हुए क्योंकि आज के दिन हमारा Attukal waterfall घूमने का प्रोग्राम था| हम सारे तैयार हो के वॉटरफॉल के लिए निकले| रास्ते में माँ-पिताजी आगे बैठे थे और उनकी गोद में आयुष था और पीछे मैं और संगीता बैठ थे और बगल में नेहा बैठी थी, मौसम का जादू हम पे पूरे जोश में था| दोनों रोमांटिक हो रखे थे...पर पीछे बैठे-बैठे कुछ कर नहीं सकते थे| संगीता ने अपना सर मेरे कंधे पे रखा हुआ था और मेरे बाएं हाथ में उनका हाथ था| मैं उनका हाथ प्यार से मसल रहा था और वो मौका पाते ही मेरी गर्दन पे Kiss करती रहती| I was aroused with this feeling and hardly control myself. खेर हम जब waterfall पहुंचे तो वो नजारा देख के दिल खुश हो गया| वो कल-कल करता हुआ बहता पानी.... झरने का शोर..... ठंडा-ठंडा पानी..... अब बच्चे पानी में खेलने की जिद्द करने लगे और पानी इतना ठंडा था की माँ-पिताजी ने सख्त हिदायत दी की अगर भीग गए तो बीमार पद जाओगे| बच्चे उदास हो गए, माँ-पिताजी तो आगे एक पत्थर के पास बैठे थे और मैं-संगीता और बचे पानी के किनारे बैठ थे| अपने दादा-दादी के दर से बच्चे पानी देख रहे थे...पर मुझे लगा की उनका मन खेलने का है| मैं उठा और एक मिनट में आया बोल के पिताजी के पास आया| पिताजी हमेशा अपने साथ अखबार ले के जाया करते थे क्योंकि सफर में बोर होने से अच्छा वो ताजा खबरें पढ़ लिया करते थे| मैंने उनसे अखबार लिया और वापस आ गया| मैंने अखबार से आयुष और नेहा के लिए कागज़ की नाव बनाई और उसपे दोनों का नाम लिख दिया| नाव देख के दोनों खुश थे अब मैंने उन्हें थोड़ा प्रोत्साहन दिया ताकि वो नाव को पानी में छोड़ें पर किनारे में पानी काम था और किनारे से दूर पानी में जाते तो वो भीग जाते, तो मैंने दोनों को बारी-बारी गोद में लिया और उन्हें लेके पानी में उतर गया| मैंने पेंट को घुटनों तक चढ़ा लिया था, पर जब पानी का एहसास मुझे अपने शरीर पे हुआ तो मेरी कंपकंपी छूट गई| मैं जल्दी से पानी से बाहर आ गया, चूँकि माँ-पिताजी कुछ आगे बैठे थे और बातों में व्यस्त थे तो उनका ध्यान मेरी तरफ नहीं था|
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