RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
ट्रैन से रास्ता बड़ा शांतिपूर्वक कटा, माँ और संगीता लोअर birth पे थे| पिताजी middle birth पे थे और मैं top birth पे था| नेहा और आयुष मेरे पास ही लेटे हुए थे, हालाँकि मुझे थोड़ा डर था की कहीं वो गिर न जाएं इसलिए मैं निचे आ गया और दोनों को अपने साथ नीचे ले आया| अभी कोई सोया नहीं था ...बातों में समय कट रहा था| मैं माँ के पास बैठा था और आयुष संगीता के गोद में सर रख के लेट गया| बातों-बातों में सोने का समय हो गया| पिताजी तो ट्रैन के झटके सहते हुए सो गए थे| माँ की भी आँख लग चुकी थी आयुष भी संगीता के पास ही सो चूका था| नेहा मेरी गोद में सर रख के सो चुकी थी...पर मुझे और संगीता को नींद नहीं आ रही थी| पर ये ओपन कम्पार्टमेंट था...तो कुछ भी करना नामुमकिन था| कुछ भी करने से मेरा मतलब है .... बात करना ...या साथ बैठना....!!!
संगीता ने मुझे इशारे से कहा की मैं आयुष को middle birth पे लिटा दूँ| मैंने बड़ी सावधानी से आयुष को उठा के middle birth पे लिटा दिया और एक बार चेक किया की पिताजी सो रहे हैं या नहीं| मुझे उनके खरांटें सुनाई दिए...मतलब वो सो रहे हैं| उन्होंने दूसरी तरफ करवट ले राखी थी, बस माँ थीं जो हमारी तरफ करवट लेके लेटीं थीं| संगीता उठ के बैठीं और मैंने नेहा को भी middle birth पे, आयसुह के साथ ही लिटा दिया| मैं आके संगीता की बगल में बैठ गया और ऊपर से हमने जयपुरी रजाई ले ली ,अंदर गर्माहट बानी हुई थी| माँ-पिताजी भी जयपुरी रजाई लेके लेटे हुए थे, बच्चों ने कम्बल ले रखा था| संगीता को बहुत हँसी आ रही थी...
मैं: क्या हुआ?
संगीता: कुछ भी तो नहीं....!!! ही..ही...ही...
अब एक तो मिडिल बिरथ खुले होने से ठीक से बैठा नहीं जा रहा था ऊपर से उनकी हँसी ....
संगीता: आप ऐसा करो अपना सर मेरी गोद में रख लो|
मैं: माँ-पिताजी ने देख लिया तो?
संगीता: Hwwwwwww ..... तो मैं रख लेती हूँ?
मैं: Cool
और संगीता ने मेरी गोद में सर रख लिया...अब मुझसे बैठा तो नहीं जा रहा था पर किसी तरह मुड़ी हुई गर्दन का दर्द बर्दाश्त करते हुए बैठा रहा| माँ की आँख खुली तो उन्होंने हमें ऐसे बैठे और लेटे देखा तो मुस्कुराईं और दूसरी तरफ करवट कर के लेट गईं| आधी रात को एक-एक करके नेहा और आयुष को बाथरूम ले गया और वापस आके संगीता के सिरहाने बैठ गया|
संगीता: आप भी ऊपर जाके सो जाओ|.
मैं: बाबू अगर ऊपर ही सोना होता तो आपके पास क्यों बैठता?
संगीता: I like it when you call me बाबू!!!
मैं: I know ....इसीलिए तो बाबू कहता हूँ आपको!
इतने में पिताजी उठे और मुझे कहा;
पिताजी: बेटा सो जा....कल का दिन भी इसी ट्रैन में गुजारना है|
मैं: जी
पिताजी बाथरूम चले गए और मैं बेमन से ऊपर जा के सोने लगा तो आयुष उठ गया और मेरे साथ सोने की जिद्द करने लगा| आखिर मैं उसे अपने साथ ले के सो गया| अगले दिन भी उसी ट्रैन में...उसी जगह बैठे-बैठे ऊब गए! Maybe I should have booke an airplane ticket! Danm!!!! Thank God I had my Laptop through which I was connected to you guys. उसी पे हम फिल्म वगेरह देख लिया करते थे...पर बच्चे थे की शैतानी करने से बाज नहीं आ रहे थे| अगले दिन दोपहर की बात है...पिताजी दरवाजे पे खड़े थे और सिगरेट पी रहे थे, माँ और संगीता अपनी-अपनी खिड़की पे बैठे थे| मैं जान बुझ के संगीता के पास बैठा था, आयुष Middle वाली birth पे था और लैपटॉप पे गेम खेल रहा था, नेहा माँ के पास बैठी थी और उसने माँ के साथ कंबल ले रखा था| तभी एक आदमी चिप्स वगेरह बेचने आया| मैंने उस आदमी को रोका;
मैं: भाई चार चिप्स के पैकेट और दो चॉकलेट और हाँ एक कोका कोला और एक thumbsup|
मैंने एक पैकेट नेहा को दिया दिया, एक माको एक संगीता को और एक आयुष को| करीब पांच मिनट बाद नेहा बोली;
नेहा: पापा आपको अब भी याद है की मुझे चिप्स पसंद हैं? आप कभी नहीं भूले?
मैं: इधर आओ...
मैंने नेहा को अपनी गोद में बिठाया और उसे कहा;
मैं: बेटा मैं आपको कैसे भूल सकता हूँ? आपकी हर एक पसंद न पसंद मुझे याद है|
आयुष: (ऊपर से झँकते हुए) और मेरी?
मैं: आपकी भी बेटा... अब आप भी नीचे आ जाओ..बहुत हो गई gaming ....वरना चॉकलेट नहीं मिलेगी|
आयुष नीचे आ गया और हम चारों एक ही सीट पे बैठे थे| पिताजी भी आ गए और चिप्स खाने लगे| संगीता अब पहले की तरह डेढ़ हाथ का घूँघट नहीं करती थी| डेढ़ हाथ का घूँघट मुझे गंवारों की निशानी लगती थी इसलिए मैंने उन्हीने मन किया था| पर शर्म और लाज के चलते वो सर पे पल्ला रखती थीं| पिताजी से कभी भी नजर मिलके कुछ नहीं कहती थी, हाँ माँ के साथ उसकी chemistry बिलकुल वैसी थी जैसी मैं चाहता था| खेर आयुष ने बड़ा Naughty टॉपिक छेड़ दिया;
आयुष: पापा मेरा छोटा भाई आएगा या छोटी बहन?
मैं संगीता की तरफ देखने लगा और वो इस कदर झेंप गई की पूछो मत! पर मुझे इसमें भी रास लेना आता था और मैंने संगीता को सताने के लिए बात लम्बी खींच दी;
मैं: बेटा ऐसा करते हैं vote कर लेते हैं? ठीक है पिताजी?
पिताजी कुछ नहीं बोले! मैंने उनकी चुप्पी को हाँ समझा;
मैं: जो लड़के के support में हैं वो हाथ उठाओ?
नेहा ने सबसे पहले हाथ उठाया बस और किसी ने हाथ नहीं उठाया|
मैं: तो सिर्फ एक वोट? तो जो लड़की चाहते हैं वो हाथ उठाओ?
इस बार मेरा हाथ उठा और आयुष ने भी हाथ उठाया ...पर सबसे ज्यादा जोश में वही था| माँ-पिताजी ने दोनों बारी हाथ नहीं उठाया!
मैं: माँ...पिताजी...आप लोग किसकी तरफ हैं?
पिताजी: किसी की भी तरफ नहीं....बच्चे भगवान की देन होते हैं| जो किस्मत में होता है वही मिलता है...लड़का या लड़की से कोई फरक नहीं पड़ता|
माँ: हाँ पर ये (आयुष) ये तो अपनी छोटी बहन को बहुत तंग करेगा...है ना?
आयुष ने हाँ में सर हिलाया और सब हंसने लगे;
नेहा: ऐसे कैसे करेगा तंग? मैं हूँ ना....मैं अपनी छोटी बहन को इससे बचाऊँगी!
नेहा की बात सुन के सब हंसने लगे ...सामने वाली सीट पे एक आंटी बैठी थीं..वो भी हंसने लगी|
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