RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
अपडेट 18
पिताजी और समधन चुदाई करके खुश हो गये
माजी-क्या हाल है समधन जी
समधन-आज मैं बहुत खुश हूँ.
माजी-समधी ने खुश किया कि नही
समधन-खुश, इतनी खुशी इतनी खुशी मुझे पहली बार मिली है.
माजी-चलो अच्छा है, समधन को मेरी खातिरदारी अच्छी लगी
समधन-आपकी खातिरदारी को मैं हमेशा याद रखूँगी.
माजी-अभी और खातिरदारी करनी बाकी है
समधन-चुदाई तो हो गयी ना.
माजी-कहाँ समधन जी, अभी आपकी गंद बाकी है
समधन-नही मैं वहाँ नही करती.वहाँ दर्द होता है
माजी-समधन जी अपने समधी पे भरोसा रखो ,आपको बहुत मज़ा आएगा
समधन-इनका बहुत बड़ा है .
माजी-तो क्या हुआ .मज़ा बड़े लंड से आता है.
समधन-आप समझ नही रही, मैं ने वहाँ कभी नही किया.
माजी-ये तो बहुत अच्छी बात है
समधन-मैं वहाँ नही करूँगी.
माजी-क्या समधन जी, समधी ने आपको खुश किया .और अब समधी को खुश रखने की बात आई तो पीछे हट रही
है. अपने समधी के लिए इतना नही कर सकती
समधन-(समधी से नही होगा,2 बार तो चुदाई कर चुके है अब लंड खड़ा ही नही होगा ) ठीक है, पर क्या
समधी जी कर पाएँगे.
माजी-आप अपने समधी को इतना कमज़ोर मत समझिए. एक दिन मे 10 10 औरतों का पानी निकाल देते है.
माँ की बात से समधन डर गयी
समधन-मैं ने तो ऐसे ही कहा था.
माजी-आप अपने बात से पीछे नही हट सकती. एक बार करके देखो
समधन-ठीक है. पर आप मेरा साथ देना, अगर रुकने को कहूँ तो रुकने को बोलना
माजी-मैं तेल लेकर आती हूँ. आप लंड को तैयार करो
पिताजी माजी का ऐसा रूप देख कर शॉक्ड हो गये .उसको हुआ क्या है.
माजी तेल लाने चली गयी .और समधन ने पिताजी का लंड चूसना शुरू किया.
रात काफ़ी हो चुकी थी पर पिताजी के लंड मे काफ़ी ज़ोर था.
समधन अपना पानी समधी के लंड से चाटने लगी.
माँ तेल लेकर आ गयी .
और पिताजी खड़े हो गये उनके सामने समधन घोड़ी बन कर लंड चूसने लगी और माजी ने समधन की
गंद पर तेल लगाना शुरू किया.
क्या नज़ारा था. पति पत्नी के बीच मे समधन घोड़ी बनी हुई थी.
पिताजी माजी से बहुत कुछ पूछना चाहते थे. पर समधन के होते हुए पूछ नही सकते थे.
समधन धीरे धीरे लंड को चूस रही थी.
इस बार लंड जल्दी खड़ा नही होगा.पर खड़ा ज़रूर होगा ये पिताजी को पता था.
माँ अपने पति के लिए समधन की गंद तैयार करने लगी .
माँ ने समधन की गंद पर तेल डाल कर अपनी उंगली को समधन की गंद मे डाल दिया.
माँ की उंगली जाते ही एक पल के लिए समधन ने लंड चूसना बंद किया .और पीछे पलट कर देखा.
समधन सोचने लगी ,दोनो मे कितना प्यार है कैसे उसकी समधन अपने पति के लिए मेरी गंद तैयार कर रही
है.
समधन को अपनी तरफ देख कर माजी ने समधन की गंद पर थप्पड़ मारकर अपना काम करने को कहा.
समधन फिर से समधी का लंड चूसने लगी .सालो से लंड नही मिला और मिला तो एक रात मे पूरा प्यार
करने को मिल रहा था .
समधन लंड की एक एक ड्रॉप निचोड़ ना चाहती थी.
समधन के चूसने से लंड को जल्दी खड़ा करने के लिए पिताजी ने समधन का सर पकड़ लिया.
और समधन के मूह मे धक्का मारना शुरू किया.
पिताजी के ऐसा करने से समधन को झटका लगा पर पिताजी धीरे धीरे कर रहे थे जिस से समधन को अच्छा लगने
लगा
पिताजी ने धक्के मारकर अपने लंड को धीरे धीरे खड़ा करना शुरू किया.
लंड कितना भी खड़ा हो समधन के मूह में जा नही रहा था
समधन अभी डर ना जाए इस लिए पिताजी रुक गये और समधन को लंड चूसने दिया.
पिताजी-समधनजी थोड़ा आंडो को चूस दो
समधन ने एक बार समधी की तरफ देखा और मुश्कुरा कर उनकी बात स्वीकार कर ली
और समधन ने पिताजी के आंडो को चूस ना शुरू किया.
समधन के होंठ आंडो पर महसूस करते ही पिताजी के लंड ने एक झटका मारा
समधन अपना काम प्यार से कर रही थी.
उधर माजी ने एक उंगली से समधन की गंद मारना शुरू किया.
माँ की उंगली से समधन को गंद मे गुदगुदी होने लगी जिस से वो अपनी गंद हिलाने लगी
माँ ने फिर से समधन की गंद पे थप्पड़ मारा और अपनी 2 उंगली अंदर घुसा दी.
2उंगली अंदर जाते ही समधन ने लंड चूसना बंद किया.
पिताजी का लंड खड़ा हो गया. फिर से अपनी समधन को खुश करने के लिए तैयार हो गया.
माँ अपनी उंगली से समधन की गंद को तेल से चिकना करने लगी.
माँ ने एक और उंगली डाली समधन को दर्द हुआ और वो आगे हो गयी.
माँ की उंगलिया बाहर निकाल गयी.
माजी-क्या हुआ
समधन-दर्द हो रहा है
माजी-तेल नही लगाउन्गी तो आपको लंड लेने से दर्द होगा
समधन-मैं नही कर सकती.
माजी-डर लग रहा है
समधन-हाँ
माजी-मैं करके दिखाती हूँ. देखना कितना मज़ा आता है
और माँ घोड़ी बन गयी और पिताजी ने लंड को माँ की गंद मे डाल दिया.
पिताजी ने धीरे धीरे अपने मनपसंद गंद मे लंड डालना शुरू कर दिया.
माँ को दर्द नही हुआ. ये देख कर समधन देखती रह गयी.
पिताजी ने माँ की गंद मे लंड डाल दिया और 10 12 प्यार से धक्के मार दिए
माँ हर धक्के के साथ शीष्कारी लेकर समधन को बता रही थी गंद मरवाने मे कितना मज़ा आता है
माजी-देखा कुछ दर्द नही हुआ. तुम्हे भी नही होगा.और इनके लंड पर तेल लगा रही हूँ. फिर्तो दर्द कुछ नही
होगा. ये प्यार से करते है
समधन ने हाँ मे गर्दन घुमा दी. जिस से माँ ने समधन की गंद पर तेल लगा दिया.
और पिताजी ने अपने लंड पर तेल लगाना स्टार्ट किया
समधन की गंद और पिताजी का लंड तेल से चमकने लगे .और चिकने हो गये
माजी-तैयार हो
समधन ने हाँ मे गर्दन घुमा दी.
पिताजी माँ की जगह आ गयी और माँ पिताजी की जगह पर गयी.
माँ समधन के मूह के पास बैठ गयी. और पिताजी ने समधन की गंद पर लंड रख दिया.
माँ ने पिताजी को 2 उंगलिया दिखा दी. पिताजी समझ गये.
माजी ने एक उंगली नीचे की और पिताजी ने पहला झटका मारा
आधा लंड समधन की गंद को फाड़ते हुए अंदर चला गया.
समधन की आँखे बाहर निकल गयी. उनकी चीख निकल रही थी कि माँ ने समधन का मूह बंद किया
और अपनी दूसरी उंगली नीचे करते ही पिताजी ने दूसरा झटका मारा और पूरा लंड गंद मे पेल दिया.
पिताजी का लंड 2 झटकों मे अंदर जाते ही समधन की जान हलक मे अटक गयी.
पिताजी जैसा लंड कुवारि गंद मे जाते ही ,समधन मुर्गी की तरह तड़पने लगी.
माजी ने समधन को कस के पकड़ लिया और उनकी चीख निकलने नही दी.
गंद मे दर्द ,और आवाज़ हलक मे अटकने से समधन की आँखे बंद होती गयी.
और समधन बेहोश हो गयी.
______________________________
|