RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
अपडेट 15
रात मे समधन के साथ छेड़छाड़ करके पिताजी खुश थे.
पिताजी ने सोच लिया था कि वो समधन के साथ चुदाई करके रहेंगे
आज तो मेरे बेटे का नाम करण था
जिसकी वजह से पिताजी को समधन के साथ बात करने का समय नही मिल रहा था.
पिताजी सुबह से काम मे लगे हुए
.मेरा छोटा भाई भाग भागकर काम कर रहा था.
रमेश ने अपने दोस्तो को बुलाया था पर काम की वजह से वो आ नही पाए
रमेश ने नाम करण पर केक लाने का सोचा इस लिए वो मार्केट चला गया केक लाने.
पिताजी के दोस्त भी अपने फॅमिली के साथ नाम करण के लिए आ गये
दोस्त मिलते ही फिर से बाते करनी शुरू हो गयी.
दोस्त-तेरे घर तो छोटा पड़ रहा है
पिताजी-हां ,नया बनाना पड़ेगा
दोस्त-बना ले जल्दी
पिताजी-बेटे के बारे मे सोच कर बनाना पड़ेगा.
दोस्त-वैसे वो फुलझड़ी कौन है
पिताजी-कामिनी की सास है
दोस्त-अरे यार, तेरी समधन है,
पिताजी-क्यूँ क्या हुआ
दोस्त-क्या दिख रही है अगर तेरी समधन ना होती तो
पिताजी-ऐसा वैसा मत कर वरना मुश्किल हो जाएगी
दोस्त-ठीक है.पर कुछ भी बोल तेरी समधन सब का ध्यान अपनी तरफ कर रही है
पिताजी-समधन किस की है
पिताजी और उनके दोस्तों की बाते चलती रही
मेरी सास को लगा कि कल की तरह समधी जी उनसे बात करेंगे
पर ऐसा नही हो रहा था. मेरी सास को पिताजी का बात करना अच्छा लग रहा था.
पर पिताजी है कि उनकी तरफ देख नही रहे थे.
मेरी सास बार बार पिताजी के सामने से गुजर रही थी पर आज पिताजी ने जानबूझ समधन से बात करने से खुद
को रोक लिया.
समधन को लगा कि रात की वजह से वो खुद को गुनहगार समझ रहे होगे.
उनकी तो कोई ग़लती नही थी. मेरी सास ने गेट बंद नही किया.
और उनको लगा कि वो उनकी पत्नी है तभी समधी ने मुझे पकड़ लिया था.
और वो पैंटी ,मैं ने तो रख थी, समधी जी की क्या ग़लती थी. मुझे उनसे बात करनी होगी.
समधन वहाँ अपने सोच मे डूबी हुई थी .और यहाँ सब नाम करण की तैयारी कर रहे थे.
रमेश केक लाया .
फिर नाम करण का प्रोग्राम शुरू हो गया
और नाम रखा गया राज
मेरी सास की पसंद का नाम था ( फ्रेंड्स मेरी भी पसंद का नाम था क्योंकि मैं राजशर्मा स्टॉरीजडॉटकॉम की दीवानी हूँ )
नाम करण का प्रोग्राम होते ही खाने की तैयारी करने लगे.
हम मेहमानो को खाने खिलाने की तैयारी करने लगे.
पिताजी ने सब को खाना खिला कर अपने पोते के लिए दुआ माँग ली.
सब ने राज को ढेर सारा प्यार दिया .
मैं अपनी बेटे के लिए काफ़ी खुश थी.
रमेश और मुझ को मेहमानों की तरफ से काफ़ी गिफ्ट मिले
पिताजी दिन भर मेहमान की खातिर दारी कर थक गये थे.
और आराम चेयर पे बैठ कर आराम करने लगे.
अभी आराम कर रहे थे कि मेरी सास पिताजी के पास आ गयी
समधन-आप की ग़लती नही थी.
पिताजी-क्या कहा
समधन-रात मे आपकी ग़लती नही थी.
पिताजी-मैं कुछ समझा नही. रात की बात तो ख़तम हो गयी थी
समधन-फिर आप मुझसे बात क्यूँ नही कर रहे
पिताजी-इतना काम था कि टाइम नही मिल रहा था
समधन-ये बात थी मुझे लगा कि आप रात मे जो हुआ उसमे खुद की ग़लती मान रहे हो.
पिताजी-ग़लती हम दोनो की थी
समधन-जाने दीजिए. वैसे आपने अच्छा मेनेज किया
पिताजी-आपके बिना कहाँ मुमकिन था
समधन-मैं ने तो कुछ नही किया.
पिताजी-आपको पसंद आए इसी लिए इतनी मेहनत की ,आपको पसंद आया इस से ज़्यादा क्या चाहिए
समधन-मुझे तो काफ़ी अच्छा लगा प्रोग्राम
पिताजी-वैसे आपकी बड़ी बेटी नही आई
समधन-वो आने वाली थी.पर कुछ काम की वजह से आ नही पाई.
पिताजी-अच्छा हुआ वरना आप अपनी बेटी के साथ रहती और हमारे लिए टाइम नही होता
समधन-आपके ही पास हमारे लिए टाइम नही था.
पिताजी-अब तो टाइम ही टाइम है.वैसे आप कब तक रुक रही है.
समधन-2 3 दिन और
पिताजी-इतनी जल्दी क्या है. अभी तो शहर दिखाया ही नही
समधन-कल दिखा देना
पिताजी-ठीक है. वैसे आपकी एक आदत अच्छी लगी
समधन-क्या?
पिताजी-बिना पैंटी के सोने की
पिताजी की बात सुनते ही मेरी सास पानी पानी हो गयी.
और बिना कुछ कहे वहाँ से चली गयी.
पिताजी को समधन की खुश्बू ने रात मे पागल बना दिया था.
कल रात मे पिताजी ने कंट्रोल किया था.
क्यूँ कि आज नामकरण था .पर आज रात कंट्रोल करना मुश्किल होगा.
पिताजी को बस रात होने का इंतज़ार था.
और मेरी सास को पता नही किस बात का इंतज़ार था
|