RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
रमेश ने थोड़ी देर लंड को मेरे हाथ मे रखने दिया फिर चूत मे रखने के लिए मेरे हाथ से छिन लिया.
रमेश ने अपने लंड पर थूक लगा कर चिकना किया और लंड को मेरी चूत के छेद पे रख दिया.
लंड चूत पे टच होते ही मेरा बदन मेरा साथ खोता चला गया.
थोड़ी देर रमेश ने लंड को चूत को किस करने दिया. थोड़ी देर चूत को लंड से रगड़ ते रहे .
फिर लंड को मेरी चूत की लाइन पे रगड़ ना शुरू किया .
रमेश ने लंड को मेरी चूत के छेद पे दबा दिया और हल्का सा धक्का दिया लंड का आधा टोपा मेरे
अंदर गया
मैं पूरे लंड को अंदर लेने का इंतज़ार कर रही थी.
रमेश भी कुछ सोच रहे थे
रमेश ने अपने लंड पर इतना ज़ोर लगाया कि जिस से टोपा मेरी चूत मे चला जाए. टोपा चूत मे जाते ही मेरे
मूह से चीख निकल गयी.
चूत के होंठ रमेश के लंड के टोपे से खुल गये और मुझे हल्का सा दर्द हुआ.
अभी तो सिर्फ़ टोपा अंदर गया था .पूरा लंड चूत मे जाने से तो मैं मर जाउन्गी. फिर भी मैं लंड को चूत
मे लेने को तैयार थी.
रमेश धक्का मारने की जगह अपने होंठो को मेरे होंठो पे रख कर चूस ने लगे.
मुझे पता नही था कि रमेश ऐसा क्यूँ कर रहे है .पर जल्दी पता चल गया.
उनके ऐसा करने से मेरी चीख नही निकलेगी और मुझे इस से ज़्यादा दर्द भी नही होगा
थोड़ी देर रमेश ने मेरे होंठो को चूसने के बाद जब उनका लगा कि मैं धक्का लेने को तैयार हूँ तो
रमेश ने एक बोहत जोरदार धक्का मारा जिस से आधा लंड चूत मे घुस गया.
लंड अंदर जाते ही मुझे बहुत दर्द हुआ ,पर रमेश ने मेरे होंठो को छोड़ा नही और चूस्ते गये.
रमेश का लंड जब अंदर घुसा तब मुझे अपनी चूत मे कुछ गीला सा महसूस हुआ.
रमेश ने मेरी सील तोड़ दी. मेरी सील टूट गयी है.मैं औरत बन गयी.
मैं आज से रमेश की हो गयी. मेरी चूत ने रमेश के लंड को अपना लिया
रमेश ने मेरा काफ़ी खून निकाला .लंड के उपर से होते हुए चूत का खून बाहर आने लगा. .चूत से
खून निकल ने लगा.
मैं दर्द से तड़फ़ रही थी और रमेश मेरा दर्द कम करते गये.
रमेश ने लंड बाहर निकाला तो मैं ने देखा कि उनके लंड पे काफ़ी खून लगा हुआ था.और मेरी चूत पर
भी खून लगा हुआ था.
मेरी आँखो से पानी निकल रहा था .
रमेश मुझे समझा रहे थे कि जितना दर्द होना था वो हो गया. अब तुम्हे सिर्फ़ मज़ा ही मज़ा मिलेगा.
बस थोड़ी देर दर्द होगा.
रमेश की बात मैं ना मानु ऐसा हो नही सकता .
रमेश मेरा दर्द कम करने लगे.मैं उनके प्यार मे जल्दी अपना दर्द भूल गयी.
मुझे ठीक देख कर रमेश ने अपने लंड को वापस चूत मे डाला .
इस बार रमेश ने धीरे से डाला और अपने लंड से ही मेरी चुदाई करनी शुरू की.
रमेश बड़े प्यार से मेरी चूत मे धक्के मार रहे थे.
उनका प्यार देख कर मैं जल्दी उनका साथ देने लगी.
रमेश धीरे धीरे धक्के मार कर मेरा बचा हुआ दर्द जो हो रहा था उसे कम करने लगे.
मेरी पहली चुदाई मे मुझे सबकुछ मिल गया.
रमेश का प्यार मेरे दर्द को मलम लगा रहा था.
जैसे जैसे चुदाई आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे मेरा पूरा दर्द कम हो गया.
और रमेश के साथ मुझे मज़ा ना आए ऐरा हो ही नही सकता .
उनके धक्को से मुझे मज़ा मिल रहा था.
रमेश के धक्को के साथ मैं अपनी गंद हिला कर उनका जोश बढ़ा रही थी.
रमेश के धक्को से मैं ने जलदी ही शीष्कारिया लेना शुरू किया.
मैं शीष्कारिया ले रही थी. और रमेश धक्के मार रहे थे.
मेरी चूत पानी छोड़ रही थी. और रमेश का लंड मेरा पानी पीता गया.
वो एक ही पोज़िशन मे मेरी चुदाई कर रहे थे और यही मेरे लिए अच्छा था.
मैं अगर हिली तो मुझे दर्द होगा.
रमेश ने धीरे धीरे अपनी गति बढ़ा दी क्यूँ कि मेरा पानी निकल गया था.
रमेश का लंड फुल स्पीड से अंदर बाहर हो रहा था.
रमेश बीच बीच मे लंड बाहर निकाल कर एक ही झटके मे पूरा लंड अंदर डालने लगे.
रमेश के ऐसा करने से लंड अंदर जाते ही मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया.
लंड का क्या मज़ा होता है वो रमेश का लंड मुझे बता रहा था.
धक्के पे धक्के लग रहे थे मेरे मूह से आवाज़ पे आवाज़ निकल रही थी.
जब भी मेरा पानी निकलने वाला होता तो मैं ज़ोर से धक्के मारने को कहती .
और रमेश भी ज़ोर दार धक्के मारने लग जाते..
इसी तरह कभी धीरे,कभी लंबे तो कभी ज़ोर दार धक्के मार कर मेरी पहली चुदाई हो रही थी.
रमेश ने मेरा 3 बार पानी निकाला .और अपना वीर्य मेरी चूत मे डाल दिया.
मेरी चूत ने रमेश का वीर्य खुशी खुशी स्वीकार किया.
रमेश अपना वीर्य मेरी चूत मे डाल कर मेरे उपर गिर गये.
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